MomentumEducation,Varanasi

MomentumEducation, Varanasi (Momentum Career Classes) – since 2002, trusted institute for IIT-JEE (Mains + Advanced), NEET & Foundation (Class 6th–12th).

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"Test Series "please hurry up Dear Students....
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।" (Those who try never fail.)

2 weeks ago | [YT] | 2

MomentumEducation,Varanasi

"सपने वो नहीं जो हम सोते वक्त देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।"...wings for your dreams 💫💫

2 weeks ago | [YT] | 2

MomentumEducation,Varanasi

Best institute💫💫

2 weeks ago | [YT] | 2

MomentumEducation,Varanasi

बच्चे भविष्य के आईना होते हैं...
वैसे तो मेरे यहाँ CBSE, ICSE सभी बोर्ड्स के बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि बच्चों को 10वीं तक ICSE बोर्ड से पढ़ाना चाहिए। ये बोर्ड उनका बेस मजबूत करता है और सोचने-समझने की गहराई देता है।

लेकिन सिर्फ स्कूलिंग काफी नहीं होती। पैरेंटल केयर उतनी ही जरूरी है। बच्चों के साथ ऐसा रिश्ता बनाइए कि वो आपसे बिना झिझक अपने डर, सपने और सवाल शेयर कर सकें।
इस तस्वीर में जो बच्चे हैं ये बच्चे मेरे लिए बहुत खास हैं,
मेरे दिल के बेहद करीब हैं। इनका ब्रेन अद्भुत है, इनकी सोच, समझ और प्रतिभा लाजवाब है।
बस जरूरत है इन्हें थोड़ा nurture करने की, थोड़ा प्यार, थोड़ी गाइडेंस देने की...
फिर देखिए, ये बच्चे वो कर दिखाएंगे जो हम सिर्फ सपनों में सोचते हैं।

Love you, बच्चों😊

2 months ago | [YT] | 7

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#आपत्ति_और_विपत्ति

जीवन में संकटों की कोई कमी नहीं, लेकिन हर संकट एक जैसा नहीं होता। कुछ संकट अचानक आकर खड़े हो जाते हैं इन्हें आपत्ति कहते हैं। कुछ धीरे-धीरे जीवन पर छा जाते हैं इन्हें विपत्ति कहा जाता है।
आपत्ति ऐसी होती है जैसे मौसम साफ हो और अचानक तूफ़ान आ जाए। वह चौंकाती है, हिला देती है, लेकिन अगर हम सजग हों तो उससे निकल पाना कठिन नहीं होता।
विपत्ति वैसी होती है जैसे धीरे-धीरे बढ़ता सूखा या लंबी बीमारी। वह केवल बाहर से नहीं, भीतर से भी हमारी परीक्षा लेती है। वहाँ साहस के साथ-साथ संयम, आत्मबल और दूरदर्शिता की ज़रूरत होती है।
आपत्ति में फुर्ती चाहिए, विपत्ति में धैर्य। आपत्ति हमारी सतर्कता को जगाती है, जबकि विपत्ति हमारे व्यक्तित्व को गढ़ती है। आपत्ति टालने योग्य होती है, विपत्ति सँभालने योग्य।
असल चुनौती तब आती है जब हम दोनों में फर्क नहीं कर पाते। कई बार लोग आपत्ति को विपत्ति मानकर घबरा जाते हैं, और विपत्ति को आपत्ति समझकर जल्दबाज़ी कर बैठते हैं।
इसलिए ज़रूरी है कि संकट को पहचानें और उसी के अनुसार प्रतिक्रिया दें। आपत्ति हो, तो तुरंत निर्णय लें, साहस के साथ कदम उठाएँ। विपत्ति हो, तो ठहरकर सोचें, समय और दिशा का ध्यान रखें। क्योंकि आपत्ति शरीर से टकराती है, जबकि विपत्ति आत्मा को माँजती है।
संकट चाहे कैसा भी हो, समझदारी, विवेक और आत्मबल हर हाल में सबसे बड़ी ताकत हैं।
जैसे, अगर किसी छात्र का अचानक किसी परीक्षा में कम अंक आ जाएँ या वह एक विषय में फेल हो जाए, तो यह आपत्ति है। चौंकाने वाली जरूर है, लेकिन समय पर समझदारी से पढ़ाई की रणनीति बदलकर, मेहनत बढ़ाकर इससे निपटा जा सकता है।
वहीं अगर लगातार कई परीक्षाओं में असफलता मिल रही हो, आत्मविश्वास गिरने लगे, मन पढ़ाई से हटने लगे, और लक्ष्य धुंधला लगने लगे तो यह विपत्ति है। इससे बाहर आने के लिए केवल पढ़ाई नहीं, सोच, आदत और आत्मबल भी बदलना पड़ता है।
जय हिंद जय भारत
आपका दिन शुभ हो।
ओझासर_वाराणसी

2 months ago | [YT] | 9

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~अंधकार के उस पार उजाला है~

जब चारों तरफ निराशा का घना कुहासा छा जाए, जब कोई रास्ता न सूझे, जब हर ओर अंधेरा ही अंधेरा दिखे—यही वह समय होता है जब महापुरुषों की असली परीक्षा होती है।
ऐसे समय में घबराने से कुछ नहीं मिलेगा। बस थोड़ा धैर्य रखें और चलते रहें। धुंध हमेशा के लिए नहीं होती, कुछ दूर चलेंगे तो सब साफ दिखने लगेगा। राहें अपने आप खुलती हैं, बस खुद पर भरोसा होना चाहिए।
और सबसे जरूरी बात—वाणी पर नियंत्रण। मुश्किल वक्त में बोले गए शब्द भविष्य तय कर सकते हैं। जितना बड़ा संकट होगा, उतनी ही सधी हुई सोच और सटीक शब्दों की जरूरत होगी।
इसलिए हिम्मत रखिए, कदम बढ़ाते रहिए, और अपनी मंज़िल की ओर बढ़ते रहिए—क्योंकि अंधकार के उस पार उजाला है!
आपका दिन शुभ हो💐💐

2 months ago | [YT] | 6

MomentumEducation,Varanasi

प्रकृति हर पल हमें बताती है – सीमाएँ केवल हमारी सोच में हैं। हर कण में अनंत की झलक है, हर जगह एक नया केंद्र है। असीमता हमारी प्रकृति है।
आपका दिन शुभ हो💐💐

2 months ago | [YT] | 5

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एक बार एक आदमी एक अमेरिका के किसी शहर में यात्रा पर गया हुआ था और खो गया। वहां की भाषा उसे समझ में नहीं आ रहा था। तो वह बड़ा घबड़ा गया। और उस घबड़ाहट में उसे अपने होटल का नाम भी भूल गया, फोन नंबर भी भूल गया। अब तो उसकी घबड़ाहट और बढ़ गई कि अब मैं पूछूंगा कैसे? तो वह बड़ी उत्सुकता से देख रहा था कि रास्ते पर चलते-चलते कि कोई आदमी दिखाई पड़ जाये जो मेरी भाषा समझता हो। अमेरिका का कोई शहर और ये इंडियन। यह देख रहा है कि कोई सफेद चमड़ी का आदमी दिख जाये, जो मेरी भाषा समझता हो, या किसी दुकान पर अंग्रेजी में जगह का नाम लिखा दिख जाये, तो मैं वहाँ जाकर पूछ लूं। वह इतनी आतुरता से देखता चल रहा था, और पसीने-पसीने हो गया था कि उसे सुनाई ही न पड़ा कि उसके पीछे पुलिस की एक गाड़ी लगी हुई है और बार—बार हार्न बजा रही है। क्योंकि उस पुलिस की गाड़ी को भी शक हो गया है कि यह आदमी भटक गया है। दो मिनिट के बाद उसे हार्न सुनाई पड़ा। चौंक कर वह खड़ा हो गया, पुलिस उतरी और उसने कहा, "आप होश में हैं कि बेहोश? हम दो मिनिट से हार्न बजा रहे हैं, हमें शक हो गया है कि आप भटक गये हैं, खो गए हैं, बैठिए गाड़ी में!"
उसने कहा, "यह भी खूब रही! मैं खोज रहा था कि कोई बताने वाला मिल जाये, बताने वाले पीछे लगे थे। मगर मेरी खोज में मैं ऐसा तल्लीन था कि पीछे से कोई हार्न बजा रहा है, यह मुझे सुनाई ही न पड़ा। पीछे मैंने लौटकर ही न देखा।"

जिसे आप खोज रहे हैं, वह आपके पीछे लगा है। निश्चित ही परमात्मा हार्न नहीं बजाता, जोर से चिल्लाता भी नहीं, क्योंकि जोर से चिल्लाना आपकी स्वतंत्रता पर बाधा हो जायेगा। फुसफुसाता है, कान में गुपचुप कुछ कहता है। मगर आप इतने व्यस्त हैं, कहां उसकी फुसफुसाहट आपको सुनाई पड़े! आपका मन इतना शोरगुल से भरा है, उसमें इतना ऊहापोह चल रहा है, आप खोज में इस तरह संलग्न हैं।
जीवन में अक्सर हम सफलता, मार्गदर्शन और अवसरों की खोज में भटकते रहते हैं, जबकि वे हमारे बहुत करीब होते हैं। बस हमें अपनी सोच के शोर को थोड़ा शांत करना होता है, अपने भीतर की आवाज़ को सुनना होता है। जब आप खुद को व्यर्थ भटकने से बचाकर, सही दिशा में पूरे मन से प्रयास करेंगे, तो आपकी सफलता खुद आपको पुकारेगी।
आपका दिन शुभ हो💐💐

2 months ago | [YT] | 7

MomentumEducation,Varanasi

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2 months ago | [YT] | 7