Wrestling is one of the oldest survival self-defense science in the world. This game, which originated in India, has been dispersed all over the world. It is a world-wide freestyle and gricho roman wrestling type made up of Indian wrestling. This traditional wrestling game in the Indian state of Maharashtra is still played in soils. As it is far from popularity, this game lags behind other sports.
This channel is making for to increase awareness of red soil Wrestling and wrestlars in maharashtra got publicity.
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Milind alias ganesh manugade
kusti mallavidya
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kusti mallavidya
बेलगाम की लाल माटी का शूरवीर — सुभेदार मारुती घाडी 🇮🇳🤼♂️
यह हैं बेलगाम ज़िले के येळ्ळूर गाँव के गौरव,
भारत के प्रसिद्ध पहलवान मारुति घाडी उर्फ़ “चिवट्या”,
जिन्हें उनकी अटूट मेहनत, जिद और संघर्षशील स्वभाव के कारण
स्नेहपूर्वक “चिवट्या” कहा जाता है।
बचपन से ही कुश्ती के प्रति गहरा लगाव होने के कारण
उन्होंने बेलगाम स्पोर्ट्स हॉस्टल में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पदक जीतने के बाद वे
भारतीय सेना की मराठा लाइट इन्फैंट्री में भर्ती हुए।
57 किलोग्राम भारवर्ग में उन्होंने
महाराष्ट्र केसरी रघुनाथ पवार जी और शिवाजी चिंगले जी के मार्गदर्शन में
अपनी मल्लविद्या को निखारा।
वरिष्ठ राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में
उन्होंने कुल 6 पदक (2 स्वर्ण, 2 रजत, 2 कांस्य) जीते।
16 मार्च 1997 को हैदराबाद में आयोजित
वरिष्ठ राष्ट्रीय कुश्ती स्पर्धा में उन्होंने स्वर्णपदक जिता
इसी प्रकार टाटानगर राष्ट्रीय स्पर्धा में
उन्होंने ओलंपिक पहलवान सुनील कुमार यादव (रेलवे) को हराकर स्वर्ण पदक जीता।
भारतीय सेना की सेवा अवधि में
उन्होंने सर्विसेज़ कुश्ती प्रतियोगिता में 9 बार स्वर्ण पदक जीते
तथा मुंबई, कोल्हापुर और बेलगाम महापौर केसरी प्रतियोगिताओं में
बार-बार विजय प्राप्त की —
विशेषतः बेलगाम महापौर केसरी का किताब लगातार 5 बार अपने नाम किया।
इन उपलब्धियों के कारण उन्हें सूबेदार पद पर पदोन्नति मिली।
उन्होंने भारतीय सेना में 22 वर्ष सेवा की
और मराठा लाइट इन्फैंट्री में 4 वर्ष कोच के रूप में कार्य किया।
वर्ष 2004 में सूबेदार पद से सेवानिवृत्त होने के बाद
वे आज भी बेलगाम की भांदूर गली अखाड़े में वस्ताद (कोच) के रूप में सक्रिय हैं,
जहाँ उनके मार्गदर्शन में 25 महिला और 35 पुरुष पहलवान नियमित अभ्यास करते हैं।
उनकी देखरेख में अनेक कर्नाटक केसरी, कर्नाटक कंठीरवा,
राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहलवान तैयार हुए हैं।
पहलवान मारुति घाडी जी आज भी उसी लाल माटी से जुड़े हुए हैं —
जहाँ पसीना साधना बनता है, और मिट्टी से प्रेरणा जन्म लेती है।
उनका जीवन आज भी निष्ठा, अनुशासन और समर्पण की मिसाल है। 🇮🇳💪
#MarutiGhadi #BelagaviWrestling #ChivatyaGhadi #IndianArmyWrestler #MarathaLightInfantry #KushtiMallavidya #MahapaurKesari #KushtiHeritage #WrestlingLegends #MaharashtraWrestling
पै. गणेश मानुगडे
भारतीय कुस्ती मल्लविद्या महासंघ
व्हाट्सअप्प - 9511802074
1 month ago | [YT] | 70
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kusti mallavidya
पहलवान भीमप्पा यल्लप्पा गुडिमानी 🇮🇳🤼♂️
यह हैं बेलगाव ज़िले के खानापूर तालुका के कक्केरी गाँव के सुपुत्र,
वीर और विनम्र मल्ल — पहलवान भीमप्पा यल्लप्पा गुडिमानी।
इनका जन्म 5 अप्रैल 1971 को हुआ और बाल्यावस्था से ही
कुश्ती उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई।
उन्होंने अपनी कुश्ती की शिक्षा महावीर तालिम, बहादुर गली में
अपने गुरु अप्पा वस्ताद के मार्गदर्शन में प्राप्त की।
कठोर साधना, अनुशासन और पारंपरिक दांवों की निपुणता के बल पर
उन्होंने अखाड़ों में अपनी पहचान एक सशक्त, तेज़ और संयमी मल्ल के रूप में बनाई।
वर्ष 2003 में आयोजित दशहरा केसरी कुश्ती प्रतियोगिता में
उन्होंने अपने दमदार प्रदर्शन से विजय प्राप्त कर
यह प्रतिष्ठित किताब अपने नाम किया।
गदा, पदक और अनेक पुरस्कारों से सम्मानित
भीमप्पा गुडिमानी जी ने यह सिद्ध किया कि
सच्ची मेहनत और निष्ठा ही मल्लविद्या की असली पहचान है।
उनका सरल स्वभाव, विनम्रता और समाज के प्रति आदर
उन्हें एक आदर्श मल्ल बनाते हैं।
कुश्ती से निवृत्ति के पश्चात वे आज भी
एक किसान के रूप में मेहनत, संतुलन और मर्यादा से जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
उनका जीवन हर युवा पहलवान के लिए यह संदेश देता है —
“मिट्टी में पसीना बहाओ, क्योंकि यश वहीं से जन्म लेता है।”
#BhimappaGudimani #BelagaviWrestling #KakkeriVillage #MahaveerTalim #DashharaKesari2003 #IndianWrestling #KushtiMallavidya #WrestlingLegends #MaharashtraWrestling #KushtiHeritage
पै. गणेश मानुगडे
भारतीय कुस्ती मल्लविद्या महासंघ
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1 month ago | [YT] | 43
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kusti mallavidya
🏆 अकोला की शान — महान पहलवान नामदेवराव पांडुरंग घोडके जी 🇮🇳🤼♂️
सन 1900 के दशक में महाराष्ट्र के अकोला ज़िले की धरती ने एक ऐसे महान मल्ल को जन्म दिया, जिसने कुश्ती को जन-आंदोलन का रूप दिया — महान पहलवान नामदेवराव पांडुरंग घोडके जी। उस समय जब अखाड़ों की परंपरा समाज के केंद्र में थी, घोडके जी ने अपने परिश्रम, अनुशासन और संकल्प से अकोला की मिट्टी का गौरव संपूर्ण भारत में फैला दिया।
उन्होंने महाराष्ट्र, कोल्हापुर, इंदौर, जबलपुर और हैदराबाद जैसे अनेक स्थानों पर जाकर बड़े-बड़े पहलवानों को पराजित किया। उनकी कठोर साधना प्रेरणास्रोत थी — वे प्रतिदिन 11,000 दंड-बैठक, 5,100 सूर्यनमस्कार, और मल्लखंभ का नित्य अभ्यास करते थे। यह न सिर्फ उनकी शारीरिक क्षमता का प्रमाण था, बल्कि आत्मसंयम और साधना का प्रतीक भी।
सन 1905 में उन्होंने अकोला के हरिहर पेठ में “श्री हरिहर व्यायाम क्रीड़ा व शिक्षण प्रसारक मंडळ” की स्थापना की और इसके अंतर्गत “श्री हरिहर व्यायामशाला (हरिहर अखाड़ा)” की शुरुआत की। यह अखाड़ा केवल प्रशिक्षण स्थल नहीं, बल्कि राष्ट्रसेवा और चरित्र निर्माण का केंद्र बन गया। उन्होंने सैकड़ों युवाओं को कुश्ती की शिक्षा दी और अनेक नामी पहलवान तैयार किए।
नामदेवराव घोडके जी सिर्फ अखाड़े के उस्ताद नहीं थे — वे एक समाजसेवक, मार्गदर्शक और प्रेरणा के स्रोत भी थे। 9 अगस्त 1953 को उनका देहांत अकोला में हुआ, परंतु उनकी परंपरा आज भी जीवित है।
आज उनकी सातवीं पीढ़ी उसी पवित्र परंपरा को आगे बढ़ा रही है। उनके द्वारा स्थापित हरिहर अखाड़ा अब 120 वर्ष पूरे कर चुका है और आज भी मल्लविद्या की ज्योति प्रज्वलित रखे हुए है। यह अखाड़ा आज भी हर युवा को यही संदेश देता है —
👉 “परिश्रम ही सफलता का सबसे बड़ा अस्त्र है।”
#नामदेवरावघोडके #अकोलाकीशान #मराठीमल्लविद्या #हरिहरअखाड़ा #भारतीयकुश्ती #कुश्तीइतिहास #मल्लविद्यापरंपरा #अकोलागौरव #भारतमल्ल
पै.गणेश मानुगडे
Kustimallavidya Association of India
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1 month ago | [YT] | 32
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kusti mallavidya
वायुदल के अंतरराष्ट्रीय मल्ल — मोहन रामचंद्र पाटिल 🇮🇳🤼♂️
यह हैं बेलगाव ज़िले के कंगराळी खुर्द गाँव के गौरव,
भारतीय वायुदल के प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पहलवान मोहन रामचंद्र पाटिल।
एक किसान परिवार में जन्मे इस वीर मल्ल ने बचपन से ही कुश्ती को
अपना जीवनधर्म मान लिया था।
उनके पिता स्वयं एक पहलवान थे,
जिनके मार्गदर्शन में मोहन पाटिल ने तीन वर्ष की आयु से अभ्यास आरंभ किया
और चार वर्ष की आयु में अपनी पहली झुंज लड़ी।
पहली हार के बाद पिता की प्रेरक सीख —
“हार से घबराओ मत, मेहनत ही सफलता की कुंजी है”
उनके जीवन का स्थायी मंत्र बन गई।
कठोर साधना और अनुशासन से वे शीघ्र ही राष्ट्रीय स्तर पर चमके
और 1992 में ईरान में आयोजित एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में
भारत के लिए रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
उसी वर्ष उन्होंने बार्सिलोना ओलंपिक के लिए पात्रता प्राप्त कर
भारतीय कुश्ती को वैश्विक पहचान दिलाई।
1990 से 1994 के बीच उन्होंने
एशियाई खेल, विश्व चैंपियनशिप तथा
अनेक अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भारत का नाम गौरवपूर्वक ऊँचा किया।
उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए उन्हें
1996 में विशिष्ट सेवा पदक (VSM),
1993-94 में एयरफोर्स बेस्ट स्पोर्ट्समैन पुरस्कार,
और 1997 में कर्नाटक सरकार का एकलव्य पुरस्कार प्राप्त हुआ।
मोहन रामचंद्र पाटिल का जीवन अनुशासन, परिश्रम और देशभक्ति का जीवंत उदाहरण है।
उनकी कुश्ती और समर्पण की यह यात्रा आज भी
युवा मल्लों के लिए प्रेरणा और गर्व का स्रोत बनी हुई है। 🇮🇳💪
#MohanPatil #IndianAirForceWrestler #BelagaviWrestling #AsianWrestlingChampionship #BarcelonaOlympics #VishishtSevaMedal #EkalavyaAward #KushtiMallavidya #IndianWrestling #WrestlingLegends
पै. गणेश मानुगडे
भारतीय कुस्ती मल्लविद्या महासंघ
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1 month ago | [YT] | 32
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kusti mallavidya
मानद कैप्टन शिवाजी निंगप्पा चिंगले — कुश्ती और देशसेवा के प्रतीक 🇮🇳🤼♂️
यह हैं बेलगाव ज़िले के सांबरा गाँव के गौरव,
भारत के प्रसिद्ध मल्ल और भारतीय सेना के वीर सैनिक —
मानद कैप्टन शिवाजी निंगप्पा चिंगले।
एक किसान परिवार से निकलकर उन्होंने अपने अथक परिश्रम,
अनुशासन और समर्पण से देश के नामचीन पहलवानों में स्थान बनाया।
उन्होंने अपनी कुश्ती की शुरुआत बेलगाव दर्गाह तालीम से की,
जहाँ से उनके गौरवशाली मल्लजीवन की नींव पड़ी।
बाद में भारतीय सेना में सिपाही के रूप में भर्ती होकर
उन्होंने 28 वर्षों तक गर्वपूर्वक देश की सेवा की
और अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बल पर
Honorary Captain (मानद कैप्टन) के पद से सेवानिवृत्त हुए।
1974 के कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक,
1975 के एशियन गेम्स में चौथा स्थान,
और 1977 के मैसूर दशहरा कुश्ती स्पर्धा में
कर्नाटक केसरी का किताब जीतकर
उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया।
उन्होंने 10 राष्ट्रीय स्वर्ण पदक,
13 सेवा प्रतियोगिता स्वर्ण पदक जीते
और 13 बार विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
वे NIS पटियाला से प्रशिक्षित कोच रहे
और भारतीय सेना में 28 वर्षों तक कोच के रूप में
सैकड़ों मल्लों को प्रशिक्षण दिया।
उनकी स्मृति में मराठा लाइट इन्फेंट्री में
“Shivaji Ningappa Chingle Gymnastic” नामक जिम की स्थापना की गई —
जो आज भी मल्लों के लिए प्रेरणास्थल है।
वर्ष 2024 में उनके निधन से भारतीय कुश्ती जगत ने
एक महान मल्ल, प्रशिक्षक और प्रेरणास्रोत को खो दिया।
उनका जीवन अनुशासन, परिश्रम और देशभक्ति का जीवंत प्रतीक बनकर
सदैव स्मरणीय रहेगा। 🇮🇳💐
#ShivajiNingappaChingle #BelagaviWrestling #KarnatakaKesari #IndianArmyWrestler #CommonwealthGames1974 #AsianGames1975 #KushtiMallavidya #IndianWrestling #MarathaLightInfantry #WrestlingLegends
पै. गणेश मानुगडे
भारतीय कुस्ती मल्लविद्या महासंघ
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1 month ago | [YT] | 26
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kusti mallavidya
भारत के पहले सुपर हेवी वेट ओलंपिक पहलवान — श्रीरंग विठ्ठलराव जाधव आप्पा 🇮🇳🤼♂️
यह हैं महाराष्ट्र के सातारा ज़िले के श्रीक्षेत्र माहुली गाँव के गौरव,
भारत के पहले सुपर हेवी वेट वर्ग के ओलंपिक पहलवान —
श्रीरंग विठ्ठलराव जाधव आप्पा।
इनका नाम भारतीय कुश्ती के स्वर्णिम इतिहास में सदा अमर रहेगा।
साल 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में उन्होंने
सुपर हेवी वेट वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए
पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया — जो उस दौर में अत्यंत उल्लेखनीय उपलब्धि थी।
उसी प्रतियोगिता में भारत के महान मल्ल खाशाबा दादासाहेब जाधव जी ने
कांस्य पदक जीतकर भारत को पहला ओलंपिक पदक दिलाया,
जबकि कृष्णराव मानगावेजी ने अपने वर्ग में चौथा स्थान प्राप्त किया।
इन तीनों योद्धाओं की इस ऐतिहासिक सफलता ने
भारतीय कुश्ती को विश्व मंच पर सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाई।
श्रीरंग आप्पा जाधव जी का ओलंपिक सफर केवल व्यक्तिगत गौरव नहीं,
बल्कि भारतीय मल्लविद्या की उस परंपरा का प्रतीक था
जहाँ समर्पण, शक्ति और साधना एकाकार होती है।
ओलंपिक के बाद उन्होंने सातारा तालीम संघ की स्थापना की,
जो आज भी अनगिनत मल्लों के लिए
प्रेरणा, अनुशासन और शक्ति का पवित्र केंद्र माना जाता है।
श्रीरंग आप्पा जाधव जी की विरासत
आज भी हर उस पहलवान को प्रेरित करती है
जो मिट्टी से उठकर तिरंगा लहराने का सपना देखता है। 🇮🇳
#ShrirangJadhav #SataraTalimSangh #OlympicWrestler #Helsinki1952 #MaharashtraWrestling #KhashabaJadhav #IndianWrestling #KushtiMallavidya #WrestlingLegends #ProudOfIndia
पै. गणेश मानुगडे
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1 month ago | [YT] | 65
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हिंद केसरी दीनानाथ सिंह बनाम मेजर भीमसिंग — 1972 मुंबई की ऐतिहासिक कुश्ती 🇮🇳🤼♂️
यह है भारतीय कुश्ती के स्वर्णिम इतिहास का एक दुर्लभ और यादगार क्षण,
जब महाराष्ट्र के गर्व हिंद केसरी पहलवान दीनानाथ सिंह जी
और पंजाब के प्रसिद्ध मल्ल मेजर भीमसिंग आमने-सामने आए थे।
दिन था 13 फरवरी 1972, स्थान — मुंबई का सांताक्रूज़ मैदान,
जहाँ हजारों दर्शक इस महामुकाबले के साक्षी बने।
दोनों ही मल्ल अपनी-अपनी परंपरा के ध्वजवाहक थे —
एक ओर महाराष्ट्र की मिट्टी से तपकर निकले दीनानाथ सिंह,
तो दूसरी ओर पंजाब की ताकत और जोश का प्रतीक मेजर भीमसिंग।
कुश्ती की शुरुआत से ही माहौल रोमांचित था।
दोनों मल्लों ने अपनी पूरी शक्ति, चपलता और तकनीक का प्रदर्शन किया।
प्रत्येक दांव पर दर्शकों की सांसें थम जाती थीं।
यह मुकाबला केवल शक्ति का नहीं, बल्कि अनुभव, धैर्य और रणनीति का संग्राम था।
अंततः अपने गहन अनुभव और संतुलित खेल के बल पर
दीनानाथ सिंह जी ने विजय प्राप्त की और इतिहास में अमर हो गए।
यह जीत केवल एक पहलवान की नहीं, बल्कि
महाराष्ट्र और पंजाब की मल्ल परंपराओं के मिलन का प्रतीक बन गई।
उस दिन की गूंज आज भी भारतीय कुश्ती के अखाड़ों में सुनाई देती है —
जहाँ मल्लविद्या केवल शक्ति नहीं, बल्कि सम्मान और संस्कार की साधना है।
#DinanathSingh #MajorBhimSingh #HindKesari #Mumbai1972 #SantacruzWrestling #KushtiMallavidya #IndianWrestling #MaharashtraWrestling #PunjabWrestling #WrestlingLegends
पै. गणेश मानुगडे
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1 month ago | [YT] | 40
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kusti mallavidya
महाराष्ट्र केसरी दीनानाथ सिंह जी — 1966 जलगांव का स्वर्णिम क्षण 🇮🇳🤼♂️
यह है महाराष्ट्र की कुश्ती परंपरा का एक अमर अध्याय —
जब पहलवान दीनानाथ सिंह जी ने 1966 में जलगांव की लाल मिट्टी पर
अपनी वीरता और कौशल से इतिहास रच दिया।
उस वर्ष आयोजित महाराष्ट्र केसरी कुश्ती स्पर्धा में
उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी पहलवान चंबा मुतनाल जी पर
शानदार विजय प्राप्त की और महाराष्ट्र के पाँचवें महाराष्ट्र केसरी बनने का गौरव अर्जित किया।
यह मुकाबला केवल दो पहलवानों के बीच की भिड़ंत नहीं थी,
बल्कि महाराष्ट्र की मल्लविद्या की प्रतिष्ठा का संग्राम था।
दीनानाथ सिंह जी की ताकत, दांवपेच और अदम्य साहस ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया था।
उनकी विजय के क्षण पर पूरा मैदान तालियों से गूंज उठा —
मिट्टी में तपकर निकला यह मल्ल उस दिन मराठा माटी का मान बन गया।
इस ऐतिहासिक क्षण पर उन्हें महाराष्ट्र के प्रसिद्ध नेते बालासाहेब देसाई,
बैरिस्टर शेषराव वानखेडे, और मामासाहेब मोहोळ जी
(महाराष्ट्र कुश्तिगीर परिषद के संस्थापक) के शुभ हस्तों से
महाराष्ट्र केसरी की गदा प्रदान की गई।
यह दृश्य आज भी उन सभी के हृदय में जीवंत है
जिन्होंने महाराष्ट्र की कुश्ती की उस स्वर्णिम परंपरा को देखा या सुना है।
यह क्षण केवल दीनानाथ सिंह जी के जीवन का गौरव नहीं,
बल्कि सम्पूर्ण महाराष्ट्र की मल्लविद्या संस्कृति की अमर स्मृति बन चुका है।
#DinanathSingh #MaharashtraKesari #Jalgaon1966 #KushtiMallavidya #MaharashtraWrestling #IndianWrestling #RustamEHind #MamasahabMohol #WrestlingLegends #KushtiHeritage
पै. गणेश मानुगडे
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राष्ट्रमंडल स्वर्ण विजेता — सुभेदार अजित पाटिल 🇮🇳🥇
यह हैं महाराष्ट्र की वीरभूमि कोल्हापुर के भुदरगड तहसील के गंगापुर गाँव के गर्व —
राष्ट्रमंडल स्वर्ण पदक विजेता पहलवान अजित पाटिल,
जिन्होंने अपने परिश्रम, समर्पण और देशभक्ति से भारतीय कुश्ती को विश्व पटल पर प्रतिष्ठा दिलाई।
भारतीय सेना के बॉम्बे इंजीनियरिंग ग्रुप से जुड़े इस अंतरराष्ट्रीय मल्ल ने
राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
उनकी कुश्ती केवल ताकत की नहीं, बल्कि अनुशासन और आत्मसंयम की मिसाल थी।
राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने इतिहास रचा,
जबकि उज़्बेकिस्तान में आयोजित एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में भी
स्वर्ण पदक प्राप्त कर भारत का तिरंगा ऊँचा फहराया।
इसके साथ ही रूस में हुए चिल्ड्रन्स गेम्स में रजत पदक
और जूनियर नेशनल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर
उन्होंने अपने कुश्ती करियर में अमिट छाप छोड़ी।
उनकी विनम्रता, अनुशासन और देशभक्ति आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
अजित पाटिल ने यह सिद्ध किया कि सैनिक केवल सीमाओं पर नहीं,
बल्कि अखाड़े में भी राष्ट्र का गौरव बढ़ा सकता है।
वर्तमान में वे भारतीय सेना में सुभेदार पद पर कार्यरत रहते हुए
राष्ट्र सेवा को अपना सर्वोच्च धर्म मानते हैं।
उनकी यात्रा भारतीय मल्लविद्या की उस परंपरा का जीवंत उदाहरण है,
जहाँ मिट्टी, परिश्रम और मातृभूमि के प्रति समर्पण एक हो जाते हैं।
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पै. गणेश मानुगडे
भारतीय कुस्ती मल्लविद्या महासंघ
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1 month ago | [YT] | 30
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