मानद कैप्टन शिवाजी निंगप्पा चिंगले — कुश्ती और देशसेवा के प्रतीक 🇮🇳🤼♂️
यह हैं बेलगाव ज़िले के सांबरा गाँव के गौरव, भारत के प्रसिद्ध मल्ल और भारतीय सेना के वीर सैनिक — मानद कैप्टन शिवाजी निंगप्पा चिंगले। एक किसान परिवार से निकलकर उन्होंने अपने अथक परिश्रम, अनुशासन और समर्पण से देश के नामचीन पहलवानों में स्थान बनाया।
उन्होंने अपनी कुश्ती की शुरुआत बेलगाव दर्गाह तालीम से की, जहाँ से उनके गौरवशाली मल्लजीवन की नींव पड़ी। बाद में भारतीय सेना में सिपाही के रूप में भर्ती होकर उन्होंने 28 वर्षों तक गर्वपूर्वक देश की सेवा की और अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बल पर Honorary Captain (मानद कैप्टन) के पद से सेवानिवृत्त हुए।
1974 के कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक, 1975 के एशियन गेम्स में चौथा स्थान, और 1977 के मैसूर दशहरा कुश्ती स्पर्धा में कर्नाटक केसरी का किताब जीतकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। उन्होंने 10 राष्ट्रीय स्वर्ण पदक, 13 सेवा प्रतियोगिता स्वर्ण पदक जीते और 13 बार विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
वे NIS पटियाला से प्रशिक्षित कोच रहे और भारतीय सेना में 28 वर्षों तक कोच के रूप में सैकड़ों मल्लों को प्रशिक्षण दिया। उनकी स्मृति में मराठा लाइट इन्फेंट्री में “Shivaji Ningappa Chingle Gymnastic” नामक जिम की स्थापना की गई — जो आज भी मल्लों के लिए प्रेरणास्थल है।
वर्ष 2024 में उनके निधन से भारतीय कुश्ती जगत ने एक महान मल्ल, प्रशिक्षक और प्रेरणास्रोत को खो दिया। उनका जीवन अनुशासन, परिश्रम और देशभक्ति का जीवंत प्रतीक बनकर सदैव स्मरणीय रहेगा। 🇮🇳💐
kusti mallavidya
मानद कैप्टन शिवाजी निंगप्पा चिंगले — कुश्ती और देशसेवा के प्रतीक 🇮🇳🤼♂️
यह हैं बेलगाव ज़िले के सांबरा गाँव के गौरव,
भारत के प्रसिद्ध मल्ल और भारतीय सेना के वीर सैनिक —
मानद कैप्टन शिवाजी निंगप्पा चिंगले।
एक किसान परिवार से निकलकर उन्होंने अपने अथक परिश्रम,
अनुशासन और समर्पण से देश के नामचीन पहलवानों में स्थान बनाया।
उन्होंने अपनी कुश्ती की शुरुआत बेलगाव दर्गाह तालीम से की,
जहाँ से उनके गौरवशाली मल्लजीवन की नींव पड़ी।
बाद में भारतीय सेना में सिपाही के रूप में भर्ती होकर
उन्होंने 28 वर्षों तक गर्वपूर्वक देश की सेवा की
और अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बल पर
Honorary Captain (मानद कैप्टन) के पद से सेवानिवृत्त हुए।
1974 के कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक,
1975 के एशियन गेम्स में चौथा स्थान,
और 1977 के मैसूर दशहरा कुश्ती स्पर्धा में
कर्नाटक केसरी का किताब जीतकर
उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया।
उन्होंने 10 राष्ट्रीय स्वर्ण पदक,
13 सेवा प्रतियोगिता स्वर्ण पदक जीते
और 13 बार विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
वे NIS पटियाला से प्रशिक्षित कोच रहे
और भारतीय सेना में 28 वर्षों तक कोच के रूप में
सैकड़ों मल्लों को प्रशिक्षण दिया।
उनकी स्मृति में मराठा लाइट इन्फेंट्री में
“Shivaji Ningappa Chingle Gymnastic” नामक जिम की स्थापना की गई —
जो आज भी मल्लों के लिए प्रेरणास्थल है।
वर्ष 2024 में उनके निधन से भारतीय कुश्ती जगत ने
एक महान मल्ल, प्रशिक्षक और प्रेरणास्रोत को खो दिया।
उनका जीवन अनुशासन, परिश्रम और देशभक्ति का जीवंत प्रतीक बनकर
सदैव स्मरणीय रहेगा। 🇮🇳💐
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पै. गणेश मानुगडे
भारतीय कुस्ती मल्लविद्या महासंघ
व्हाट्सअप्प - 9511802074
1 month ago | [YT] | 26