अपनी बात को इस आधार पर कभी मत आंकना कि लोग उसे कितना पसंद करते हैं।
अगर आपने बहुत अच्छी और बहुत ऊंचे स्तर की बात कही है फिर भी उसे लोग पसंद नहीं कर रहे उसके यह कारण भी हो सकते हैं।
1- उसे सुनने वाले लोग अच्छे तो हैं पर उनका सोचने का और समझने का स्तर बहुत छोटा है इसलिए आपकी बात समझ में नहीं आयी ।
2- सामने वाले लोग बहुत बुरे हैं दुष्ट है इसलिए विपरीत सोच रखते हैं, उन्हें आपकी बात बुरी लगेगी ही।
3- सामने वाले लोग केवल मस्खरी पसंद करते हैं, उन्हें गंभीर बात अच्छी नहीं लगती,।
4- सामने वाले लोग अच्छे हैं ना बुरे हैं बस उनके अपने माइंडसेटस् हैं उन्होंने पूर्वाग्रह से अपने दिमाग में कुछ बातें बैठा ली है और वह उन्हीं को सही और सच मानते हैं। उसके अलावा कुछ सोचने समझने या सुनने को तैयार ही नहीं।
5- आपकी बातें तार्किक है लेकिन सामने वाले के पास तर्क बुद्धि नहीं है
6- सामने वाले आपसे बहुत इर्षा करते हैं
इतने सारे कारण है जिसके कारण आपकी अच्छी बातें भी दुनिया को बुरी लगेंगी या फिर उन्हें पसंद नहीं किया जाएगा।
अगर आप दुनिया के चक्कर में इस बात को देखते हुए कि आपकी बात को पसंद नहीं किया जा रहा या आपके विचारों को पसंद नहीं किया जा रहा खुद को उनके अनुसार बदल लेंगे अपने विचारों को और अपनी बातों को उनके अनुसार ढाल देंगे तो आप भी उनके जैसे ही हो जाएंगे।
आप की विशेषताएं आपकी योग्यताएं और आपकी अच्छाई मिट्टी में मिल जाएगी।
विवेक है, समझ है, भाव है, प्रेम है, गुरु नहीं है तो भी चलेगा... अक्ल नहीं, समझ नहीं, भाव नहीं, प्रेम नहीं, विवेक नहीं तो गुरु भी तुम्हारा कुछ नहीं कर सकता
अच्छे मार्गदर्शक का चुनाव करने के लिए विवेक और समझ भी है, भाव भी है, और अच्छा मार्गदर्शक भी मिल जाता है तो व्यक्ति का कल्याण निश्चित है जीवन में सफलता निश्चित है
संसार में कई बार हम जिस तरह से चीजों को देखते हैं वास्तव में वैसा कुछ होता नहीं है
यदि आप कामयाब व्यक्ति हैं तो आपको यह समझने की जरूरत है कि... बहुत बार आपको ऐसा लगेगा कि आपके आसपास आपका बहुत सम्मान करने वाले आपको बहुत चाहने वाले लोग हैं
उनमें से 90% ऐसा होता है कि उन लोगों का आपसे स्वार्थ होता है, स्वार्थ खत्म तो संबंध खत्म
व्यक्ति 90 प्रतिशत लोगों से ही प्रभावित रहता है क्योंकि यह 90% लोग किसी न किसी तरीके से सामने वाले को प्रभावित करने का प्रयास करते रहते हैं
जो बेहतरीन व्यक्ति है, वह जरूरत ही नही समझता किसी भी प्रकार की चापलूसी की वह कई बार अच्छी बात कहेगा तो कई बार कड़वी बात भी कहेगा ...
लेकिन चापलूस व्यक्ति केवल मीठी बात ही कहेगा इसलिए चापलूस व्यक्ति ही लोगों को पसंद होता है..
और यही चापलूस व्यक्ति जीवन में नुकसान दे करके जाते हैं।
व्यक्ति को तब पता चलता है जब उसकी हकीकत सामने आती है और तब तक वह बहुत कुछ हो चुका होता है
आप अगर जीवन में सब कुछ खो चुके होंगे ना आपके पास धन होगा ना सम्मान होगा ना रुतबा होगा, कुछ भी नहीं होगा तो उस वक्त आपके साथ आपको कोई साथी खड़ा हुआ नजर आएगा ही नहीं
क्योंकि स्वार्थी व्यक्ति उस वक्त आपके पास क्यों आएंगे..? और जो सच्चे और बेहतरीन व्यक्ति थे उनका तिरस्कार आप खुद कर चुके होंगे...
उन्हें हमेशा के लिए खो चुके होंगे।
अब तो समाज के लोग भी आपसे बचना पसंद करेंगे क्योंकि उस वक्त आपको उनकी आवश्यकता है। उनको आपकी नहीं..
ध्यान रहे यदि आपने धन को खोया तो मेहनत करके दोबारा प्राप्त कर सकते हो
लापरवाही से और व्यसनों से स्वास्थ्य को खो दिया तो बहुत मेहनत से, कुछ इलाज से, उसे भी किसी तरह से प्राप्त किया जा सकता है।
लेकिन अगर अच्छे संबंधों को और बेहतरीन व्यक्तियों के दिलों से अपने सम्मान को खो दिया तो उसको दोबारा प्राप्त नहीं कर पाओगे क्योंकि बेहतरीन व्यक्ति आत्मसम्मान रखने वाले होते हैं....
हम स्वास्थ्य को अक्सर शरीर की बाहरी फिटनेस देखकर ही जज करने लगते हैं जबकि शारीरिक स्वास्थ्य से ज्यादा जरूरी है मानसिक स्वास्थ्य। लेकिन यदि हम मानसिक स्वास्थ्य को थोड़ा अलग भी रख दें, तो भी आप एक बहुत फिट व्यक्ति को देखकर यह नहीं कह सकते क्या शारीरिक रूप से भी स्वस्थ है।
आपका शरीर कई बार थोड़ा मोटा होता है लेकिन आप स्वस्थ होते हैं
कई बार आप थोड़ा कम वजन वाले और कमजोर से दिखने वाले होते हैं लेकिन फिर भी स्वस्थ होते हैं।
यदि आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं है यदि आप बार बार बीमार नहीं होते आपकी इम्यूनिटी बहुत अच्छी है, तो आपके शरीर में ताकत थोड़ी कम भी हो आप उस ताकतवर आदमी से कहीं ज्यादा बेहतर है जो बार बार बीमार हो जाता है, और कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करता है।
ताकत की जरूरत तो इंसान को कभी-कभी पड़ती है पर स्वास्थ्य का सुख मनुष्य हर वक्त भोगता है
मुझे तो हो गया... यदि आप लेख को ध्यान से पढ़ोगे तो आपको भी यकीन हो जाएगा कि हिंदू धर्म अब बिल्कुल सही हाथों में है...
और आने वाले समय में हिंदू धर्म पूरी दुनिया पर राज करेगा।
वास्तव में इंसान को किसी बात को गहराई तक जाने बगैर अपनी प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए और मैं भी अब तक अक्सर ऐसी गलती करता आया हूँ आज आंखों से आज्ञान का पर्दा हटा तो सच्चाई सामने आयी।
बात ऐसी थी कि महाकुंभ में ममता कुलकर्णी जी जो की एक महान एक्ट्रेस थी वह महामंडलेश्वर बनकर हिंदू धर्म का नेतृत्व करने के लिए सामने आयी तो मैंने मूर्खतावास और अहंकार वस उसे महान देवी के विरोध में एक वीडियो पोस्ट कर दी..
जिस पर एक प्रबुद्ध जन का कमेंट आया की क्या वाल्मीकि पहले डाकू नहीं था ? था क्या वह बाद में बड़ा साधु नहीं बन गया?
इतने भर से मेरी आंखें खुल जानी चाहिए थी,
क्योंकि तर्क ही इतना महत्वपूर्ण था जिसके बाद कोई सवाल शेष नहीं रहता.!
लेकिन जब अज्ञान का पर्दा गहरा हो तो इतनी आसानी से कहां हटता है और मेरे वाला पर्दा तो बिल्कुल काला था...
हकीकत तो मेरे सामने तब आई जब मैने ममता कुलकर्णी जी को "आपकी अदालत" में देखा और फिर मुझे उनकी आश्चर्यजनक सिद्धियों के बारे में पता चला, किस प्रकार हनुमान जी के साथ उसकी बातचीत होती है किस तरह से वह कृष्ण के साथ हंसती खेलती है
और अनेक प्रकार की सिद्धियां जो उसने प्राप्त की..
उसे प्राप्त करने के लिए तो कई जन्म लग जाते हैं..
हनुमान जी को या फिर बाबा बागेश्वर को तो वह ज्यादा सीरियसली ले भी नहीं रही थी
वास्तव में हिंदू धर्म में मुझे अब तक कोई ऐसा सिद्ध दिखाई ही नहीं दिया जैसी ममता कुलकर्णी जी हैं.. और ना ही भविष्य में होगा (न भूतो न भविष्यति) और इस वीडियो को देखकर आपको भी मेरी तरह पूरे तरीके से यकीन हो जाएगा
मैं लिंक भी दे रहा हूं
लेकिन कई बार यह लिंक अच्छे से नहीं चलते तो आप यूट्यूब पर आपकी अदालत में ममता कुलकर्णी जी को सर्च करके देखियेगा जरूर महान ज्ञान तो मिलेगा ही साथ में मनोरंजन की भरपूर गारंटी है
आपकी आंखों पर भी यदि होंगे तो सारे अज्ञान के पर्दे हट जाएंगे
दूसरे हमने अब तक जो IIT बाबा के लिए अज्ञानवश गलत चीजें कह दी हैं उसके लिए भी हम आप सभी से क्षमा प्रार्थी हैं
क्योंकि जिस तरह से वह वैज्ञानिक बात करते हैं जिस तरह से वह साफ दिल के हैं नशा करके भी बता देते हैं कि मैं नशा किया है वरना कौन बताता है
ऐसे लोग धरती पर कभी-कभी आते हैं किसी भी चीज से अंको को जोड़ देना और उसके पीछे के विज्ञान को बताना उनका वह सुंदर नृत्य उनकी वह गंभीर हंसी दुनिया के दुख दर्द पर उनका रो देना यह सारी चीजें बताती है कि वह इंसान से बहुत ऊपर की चीज है...
लोग कहते हैं कि जो भांग पीता है चरस पीता है वह कभी निरर्थक हंसता है तो कभी निरर्थक रोता है जबकि जब वह रो रहा था उसे वक्त तो उसने चरस भी नहीं पी रखी थी भांग भी नहीं पी रखी थी
इसलिए यह सिद्ध होता है कि आईआईटी बाबा ही साक्षात ईश्वर है यही सिद्ध करना था ( इती सिद्धाम् )
और धन्य है मेरे भारतवासी हिन्दू जो की उन चीजों को समझ गए जिससे हम अज्ञानवश और अहंकारवश नहीं समझ पाए जबकि आप हिंदुओं ने उस महान ज्ञान के अवतार को सर आंखों पर लिया
मेरी रूह कांप गई जब उन्होंने कहा कि मैं बार-बार कहता हूं कि मैं ही ईश्वर हूं कल अगर यह बात सच साबित होगी तो तुम कहां जाओगे... 😢
इस बात को तो लोग कहते आई थी कि मैं ईश्वर का अंश हूं
लेकिन आईआईटी बाबा स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि मैं ही ईश्वर हूँ
उसके बाद भी हम जैसे मूर्खों की आंखें नहीं खुली..
आज खुली है, तो मन रो रहा है हृदय पश्चाताप से भरा हुआ है😭 और आंसू रोक नहीं रूक रहे इसलिए वीडियो बनाने की बजाय लेख के माध्यम से अपने विचार आप लोगों के सामने रख रहा हूँ।
भारत को चैंपियंस ट्रॉफी दिलवाने में और पाकिस्तान को हराने में 100% योगदान IIT बाबा का है क्योंकि यदि वह भारत के हारने की बात ना करते तो भारतीय लापरवाही से खेलते और भारत हार जाता
जिस तरह वह कहते थे कि मैं बार-बार भारत को जितवाता आया हूं इस बार फिर उन्होंने उस बात को साबित कर दिया है
और हम जैसे अज्ञानी इस बात को समझ नहीं पाए धिक्कार है हम लोगों की सोच पर😒
वास्तव में जो अभय सिंह दिखाई दे रहे हैं वही शिव हैं वह झूठ नहीं बोलते और ममता कुलकर्णी जी कहती है कि मैं ही साक्षात काली हूं अब यह शिव और काली का जोड़ा भारत को हिंदू राष्ट्र बना कर छोड़ेगा किसी में दम है तो रोक कर दिखाओ...
मुझे पूरा यकीन हो गया, आप लोग आपकी अदालत में ममता कुलकर्णी जी को देखें। आपको भी पूरा यकीन हो जाएगा
धर्म का जो हाल धर्म के ठेकेदारों ने किया है... धर्म के उस विकृत रूप ने भी बहुत सारे नास्तिकों को पैदा किया है।
बहुत सारे पाखंड, बहुत सारा अंधविश्वास बहुत सारे मूर्खतापूर्ण कृत्य, बिना दिमाग लगाए बस भेड़ चाल में चलते चले जाना। विज्ञान को चुनौती देना, और अपने मूर्खतापूर्ण सिद्धांतों को सही बताना, अंदर से नफरत से भरे रहना और बाहर से धर्म का आवरण ओढ़े रखना, अंदर से व्यभिचारी होना और बाहर से ब्रह्मचारी दिखाना, मन में हर वक्त स्वार्थ चलना और लोगों को त्याग का उपदेशदेना मां-बाप परिवार पत्नी बच्चे और उनके प्रति अपने कर्तव्य छोड़कर साधु बन जाना, पर साधु बनकर भी अहंकार को सुल्फा भांग के नशे को और गंदी भाषा और गंदी आदतों को ना छोड़ना,
किसी में कोई चीज कम तो किसी में कोई चीज ज्यादा सभी धर्मो का यही हाल बना रखा है...
यह सारी चीजें देखकर भी क्या कोई समझदार और पढ़ा लिखा सभी व्यक्ति आप लोगों के धर्म को स्वीकार करेगा..?
अगर आप धर्म का वास्तविक स्वरूप लोगों सामने रखते जो कि प्रेम है जो कि दया है और वह सारी की सारी चीज आप में दिखाई भी देती समाज में धर्म के कारण खून खराबा नहीं सुख दिखाई देता व्यवस्था सभ्यता और ज्ञान दिखाई देते तो शायद बात कुछ और होती...
आज या तो मूर्खों की बहुत सारी भीड़ दिखाई देती है या फिर नास्तिक दिखाई देते हैं कोई धार्मिक तो बड़ी मुश्किल से दिखाई देता है और इसके जिम्मेदार यही स्वार्थी और धूर्त धर्म गुरु मूर्ख अनुयाई और कट्टरवादी धर्म है।
स्वयं को जानना बड़ी बात है एक बार जानना शुरू कर दिया तो बहुत सारे रहस्य खुलेंगे।
और फिर उन रहस्यों से ही परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग मिलेगा... अन्यथा कोई व्यक्ति कहता रहेगा कि हमारा मार्ग सबसे पुराना है इसलिए सबसे बढ़िया है कोई कहेगा कि हमारा मार्ग सबसे नया है इसलिए बढ़िया है
कोई कहेगा कि हमारे पास ईश्वर की किताबें हैं तो कोई कहेगा अल्लाह की
कोई कहेगा कि मेरे गुरु साक्षात परमेश्वर है लेकिन जब तक आप अपनी अक्ल का प्रयोग नहीं करोगे तब तक सत्य को ना जान सकोगे
अक्ल का विवेक का तर्क का समझ का प्रयोग करने की इजाजत ना तो आपको कोई तथाकथित धार्मिक संस्था देगी और ना ही आपके गुरु लोग और आप लोग पाखंड और अंधविश्वास में धंसते चले जाओगे इसलिए आपको गुरु से पहले विवेक और समझ की जरूरत है - क्योंकि अगर समझ नहीं है विवेक नहीं है तो आप मार्गदर्शकों के नाम पर पाखंडियों का ही चुनाव करोगे
और ऐसा नहीं कि विकेक और समझ आपके पास नहीं है.. वह आपके पास है...
बस आप उसका प्रयोग नहीं करते
इसलिए वह कहीं कोने में धूल खाती हुई पड़ी हुई है और उसके ऊपर पाखंडों का और अंधविश्वास का काला पर्दा पड़ा हुआ है उस पर्दे को हटाओ विवेक को ताजी हवा लगने दो उसके बाद देखो कोई आपको बेवकूफ नहीं बन सकेगा कोई आपका शोषण नहीं कर सकेगा और आप सत्य को देखने के लिए स्वयं ही सक्षम हो जाओगे
आपको सत्य कोई नहीं बतायेगा
मैं भी नहीं मैं तो आपको सावधान कर सकता हूं कि आगे गड्ढा है अंधे होकर मत चलो आंख खोल कर चलो और गड्ढे में गिरने से बचो आप दूसरों के गड्ढे से बचकर अगर मेरे कुएं में गिर गए तो वह भी अच्छा नहीं आप स्वयं के गुरु खुद बनो अपने मन विवेक की आंखें खोलो उसके बाद अच्छी चीजें आपके सामने आएंगी भी और अच्छी बात बताने वाले बहुत सारे लोग आपके सामने आएंगे
किसी एक के चक्कर में पढ़ने की जरूरत नहीं जहां से भी अच्छी बात मिले सीखते चलो
बस इतने ज्ञान की जरूरत है कि आप ज्ञान और अज्ञान को पहचान सको तर्क और कुतर्क में फर्क कर सको उसके बाद सीखने को और जानने को बहुत कुछ मिलेगा क्योंकि इंसान जो चीज चाहता है प्रकृति उसी की व्यवस्था कर देती है
सत्य का मार्ग ईश्वर का मार्ग बताने से ज्यादा अनुभव करने का विषय है और अनुभव आपको ही करना है...
भटकाव की ओर चलोगे तो दुनिया अज्ञान का बहुत बड़ा जंगल है विवेक की रोशनी में सत्य को ढूंढोगे तो रास्ता बड़ा सीधा दिखाई देगा...
Anand Dhara आनंद धारा
अपनी बात को इस आधार पर कभी मत आंकना
कि लोग उसे कितना पसंद करते हैं।
अगर आपने बहुत अच्छी और बहुत ऊंचे स्तर की बात कही है फिर भी उसे लोग पसंद नहीं कर रहे उसके यह कारण भी हो सकते हैं।
1- उसे सुनने वाले लोग अच्छे तो हैं पर उनका सोचने का और समझने का स्तर बहुत छोटा है
इसलिए आपकी बात समझ में नहीं आयी ।
2- सामने वाले लोग बहुत बुरे हैं दुष्ट है इसलिए विपरीत सोच रखते हैं, उन्हें आपकी बात बुरी लगेगी ही।
3- सामने वाले लोग केवल मस्खरी पसंद करते हैं, उन्हें गंभीर बात अच्छी नहीं लगती,।
4- सामने वाले लोग अच्छे हैं ना बुरे हैं बस उनके अपने माइंडसेटस् हैं उन्होंने पूर्वाग्रह से अपने दिमाग में कुछ बातें बैठा ली है और वह उन्हीं को सही और सच मानते हैं।
उसके अलावा कुछ सोचने समझने या सुनने को तैयार ही नहीं।
5- आपकी बातें तार्किक है लेकिन सामने वाले के पास तर्क बुद्धि नहीं है
6- सामने वाले आपसे बहुत इर्षा करते हैं
इतने सारे कारण है जिसके कारण आपकी अच्छी बातें भी दुनिया को बुरी लगेंगी
या फिर उन्हें पसंद नहीं किया जाएगा।
अगर आप दुनिया के चक्कर में इस बात को देखते हुए कि आपकी बात को पसंद नहीं किया जा रहा या
आपके विचारों को पसंद नहीं किया जा रहा खुद को उनके अनुसार बदल लेंगे
अपने विचारों को और अपनी बातों को उनके अनुसार ढाल देंगे
तो आप भी उनके जैसे ही हो जाएंगे।
आप की विशेषताएं
आपकी योग्यताएं
और आपकी अच्छाई मिट्टी में मिल जाएगी।
आनंद स्वामी
कृष्ण मंदिर गीता धाम
4 months ago | [YT] | 478
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Anand Dhara आनंद धारा
विवेक है, समझ है, भाव है, प्रेम है, गुरु नहीं है तो भी चलेगा...
अक्ल नहीं, समझ नहीं, भाव नहीं, प्रेम नहीं, विवेक नहीं तो गुरु भी तुम्हारा कुछ नहीं कर सकता
अच्छे मार्गदर्शक का चुनाव करने के लिए विवेक और समझ भी है, भाव भी है, और अच्छा मार्गदर्शक भी मिल जाता है तो व्यक्ति का कल्याण निश्चित है
जीवन में सफलता निश्चित है
अपना मार्ग स्वयं प्रशस्त करने वाले बनो...
महंत आनंद स्वामी
कृष्ण मंदिर गीता धाम
6 months ago | [YT] | 793
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Anand Dhara आनंद धारा
अगर आप गांव में रहते हो
और अगर आपको खेत में काम करने का अवसर प्राप्त है
अगर आपका शरीर बहुत स्वस्थ है
और मन बड़ा संतुष्ट...
जीवन में धर्म है, आध्यात्म है,
परमात्मा का प्रेम है
परिवार में आपसी तालमेल है, समर्पण है
और इतना पैसा भी है कि जीवन आराम से चला रहे।
यकीन मानिए इसे ज्यादा संतुलित और सुखी जीवन इस धरती पर तो नहीं हो सकता...
महंत आनंद स्वामी
कृष्ण मंदिर गीता धाम
6 months ago | [YT] | 1,486
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Anand Dhara आनंद धारा
विनम्रता बहुत अच्छी चीज है
दया बहुत अच्छी चीज है
प्रेम परमात्मा का स्वरूप है
परोपकार सबसे बड़ा धर्म है
यदि आपमे यह गुण हैं तो आपको इनका फल जरुर मिलेगा,
और लोग आपके इन गुणों को समझेंगे भी...
लेकिन नीच लोग नहीं समझेंगे...
नीच लोग आपके इन गुणो को आपकी कमजोरी समझेंगे, आपकी मूर्खता समझेंगे, या आपकी कायरता समझेंगे,
जितना आप उनसे प्रेम से बात करोगे उतना ही वह सर पर चढेंगे और तुम्हारी इज्जत नहीं करेंगे।
जितना उन पर उपकार करोगे उतना ही वह धोखा देंगे
क्योंकि नीच जो हैं
नोट....
( नीच आदमी अपनी सोच से और कर्मों से होता है)
महंत आनंद स्वामी
कृष्ण मंदिर गीता धाम
ग्राम - खोसपुरा
6 months ago | [YT] | 692
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Anand Dhara आनंद धारा
काम तो छोटा सा है
यदि कर पाए तो
बड़े आदमी बन जाओगे...
6 months ago | [YT] | 581
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Anand Dhara आनंद धारा
संसार में कई बार हम जिस तरह से चीजों को देखते हैं वास्तव में वैसा कुछ होता नहीं है
यदि आप कामयाब व्यक्ति हैं तो आपको यह समझने की जरूरत है कि...
बहुत बार आपको ऐसा लगेगा कि आपके आसपास आपका बहुत सम्मान करने वाले आपको बहुत चाहने वाले लोग हैं
उनमें से 90% ऐसा होता है कि उन लोगों का आपसे स्वार्थ होता है,
स्वार्थ खत्म तो संबंध खत्म
व्यक्ति 90 प्रतिशत लोगों से ही प्रभावित रहता है
क्योंकि यह 90% लोग किसी न किसी तरीके से सामने वाले को प्रभावित करने का प्रयास करते रहते हैं
जो बेहतरीन व्यक्ति है, वह जरूरत ही नही समझता किसी भी प्रकार की चापलूसी की
वह कई बार अच्छी बात कहेगा तो कई बार कड़वी बात भी कहेगा ...
लेकिन चापलूस व्यक्ति केवल मीठी बात ही कहेगा
इसलिए चापलूस व्यक्ति ही लोगों को पसंद होता है..
और यही चापलूस व्यक्ति जीवन में नुकसान दे करके जाते हैं।
व्यक्ति को तब पता चलता है जब उसकी हकीकत सामने आती है और तब तक वह बहुत कुछ हो चुका होता है
आप अगर जीवन में सब कुछ खो चुके होंगे
ना आपके पास धन होगा ना सम्मान होगा
ना रुतबा होगा, कुछ भी नहीं होगा तो उस वक्त आपके साथ आपको कोई साथी खड़ा हुआ नजर आएगा ही नहीं
क्योंकि स्वार्थी व्यक्ति उस वक्त आपके पास क्यों आएंगे..?
और जो सच्चे और बेहतरीन व्यक्ति थे उनका तिरस्कार आप खुद कर चुके होंगे...
उन्हें हमेशा के लिए खो चुके होंगे।
अब तो समाज के लोग भी आपसे बचना पसंद करेंगे
क्योंकि उस वक्त आपको उनकी आवश्यकता है।
उनको आपकी नहीं..
ध्यान रहे यदि आपने धन को खोया तो मेहनत करके दोबारा प्राप्त कर सकते हो
लापरवाही से और व्यसनों से स्वास्थ्य को खो दिया तो बहुत मेहनत से, कुछ इलाज से, उसे भी किसी तरह से प्राप्त किया जा सकता है।
लेकिन अगर अच्छे संबंधों को और बेहतरीन व्यक्तियों के दिलों से अपने सम्मान को खो दिया तो
उसको दोबारा प्राप्त नहीं कर पाओगे
क्योंकि बेहतरीन व्यक्ति आत्मसम्मान रखने वाले होते हैं....
आनंद स्वामी
कृष्ण मंदिर गीता धाम
6 months ago | [YT] | 502
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Anand Dhara आनंद धारा
हम स्वास्थ्य को अक्सर शरीर की बाहरी फिटनेस देखकर ही जज करने लगते हैं
जबकि शारीरिक स्वास्थ्य से ज्यादा जरूरी है मानसिक स्वास्थ्य।
लेकिन यदि हम मानसिक स्वास्थ्य को थोड़ा अलग भी रख दें,
तो भी आप एक बहुत फिट व्यक्ति को देखकर यह नहीं कह सकते क्या शारीरिक रूप से भी स्वस्थ है।
आपका शरीर कई बार थोड़ा मोटा होता है लेकिन आप स्वस्थ होते हैं
कई बार आप थोड़ा कम वजन वाले और कमजोर से दिखने वाले होते हैं लेकिन फिर भी स्वस्थ होते हैं।
यदि आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं है
यदि आप बार बार बीमार नहीं होते आपकी इम्यूनिटी बहुत अच्छी है, तो आपके शरीर में ताकत थोड़ी कम भी हो आप उस ताकतवर आदमी से कहीं ज्यादा बेहतर है जो बार बार बीमार हो जाता है, और कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करता है।
ताकत की जरूरत तो इंसान को कभी-कभी पड़ती है
पर स्वास्थ्य का सुख मनुष्य हर वक्त भोगता है
आनंद स्वामी
कृष्ण मंदिर गीता धाम
6 months ago (edited) | [YT] | 468
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Anand Dhara आनंद धारा
मुझे तो हो गया...
यदि आप लेख को ध्यान से पढ़ोगे तो आपको भी यकीन हो जाएगा कि हिंदू धर्म अब बिल्कुल सही हाथों में है...
और आने वाले समय में हिंदू धर्म पूरी दुनिया पर राज करेगा।
वास्तव में इंसान को किसी बात को गहराई तक जाने बगैर अपनी प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए
और मैं भी अब तक अक्सर ऐसी गलती करता आया हूँ
आज आंखों से आज्ञान का पर्दा हटा तो सच्चाई सामने आयी।
बात ऐसी थी कि महाकुंभ में ममता कुलकर्णी जी जो की एक महान एक्ट्रेस थी वह महामंडलेश्वर बनकर हिंदू धर्म का नेतृत्व करने के लिए सामने आयी तो मैंने मूर्खतावास और अहंकार वस उसे महान देवी के विरोध में एक वीडियो पोस्ट कर दी..
जिस पर एक प्रबुद्ध जन का कमेंट आया की क्या वाल्मीकि पहले डाकू नहीं था ?
था क्या वह बाद में बड़ा साधु नहीं बन गया?
इतने भर से मेरी आंखें खुल जानी चाहिए थी,
क्योंकि तर्क ही इतना महत्वपूर्ण था
जिसके बाद कोई सवाल शेष नहीं रहता.!
लेकिन जब अज्ञान का पर्दा गहरा हो तो इतनी आसानी से कहां हटता है
और मेरे वाला पर्दा तो बिल्कुल काला था...
हकीकत तो मेरे सामने तब आई जब मैने ममता कुलकर्णी जी को "आपकी अदालत" में देखा
और फिर मुझे उनकी आश्चर्यजनक सिद्धियों के बारे में पता चला,
किस प्रकार हनुमान जी के साथ उसकी बातचीत होती है
किस तरह से वह कृष्ण के साथ हंसती खेलती है
और अनेक प्रकार की सिद्धियां जो उसने प्राप्त की..
उसे प्राप्त करने के लिए तो कई जन्म लग जाते हैं..
हनुमान जी को या फिर बाबा बागेश्वर को तो वह ज्यादा सीरियसली ले भी नहीं रही थी
वास्तव में हिंदू धर्म में मुझे अब तक कोई ऐसा सिद्ध दिखाई ही नहीं दिया जैसी ममता कुलकर्णी जी हैं..
और ना ही भविष्य में होगा (न भूतो न भविष्यति)
और इस वीडियो को देखकर आपको भी मेरी तरह पूरे तरीके से यकीन हो जाएगा
मैं लिंक भी दे रहा हूं
लेकिन कई बार यह लिंक अच्छे से नहीं चलते तो आप यूट्यूब पर आपकी अदालत में ममता कुलकर्णी जी को सर्च करके देखियेगा जरूर
महान ज्ञान तो मिलेगा ही
साथ में मनोरंजन की भरपूर गारंटी है
आपकी आंखों पर भी यदि होंगे तो सारे अज्ञान के पर्दे हट जाएंगे
दूसरे हमने अब तक जो IIT बाबा के लिए अज्ञानवश गलत चीजें कह दी हैं
उसके लिए भी हम आप सभी से क्षमा प्रार्थी हैं
क्योंकि जिस तरह से वह वैज्ञानिक बात करते हैं
जिस तरह से वह साफ दिल के हैं
नशा करके भी बता देते हैं कि मैं नशा किया है वरना कौन बताता है
ऐसे लोग धरती पर कभी-कभी आते हैं
किसी भी चीज से अंको को जोड़ देना
और उसके पीछे के विज्ञान को बताना
उनका वह सुंदर नृत्य
उनकी वह गंभीर हंसी
दुनिया के दुख दर्द पर उनका रो देना
यह सारी चीजें बताती है कि वह इंसान से बहुत ऊपर की चीज है...
लोग कहते हैं कि जो भांग पीता है चरस पीता है
वह कभी निरर्थक हंसता है
तो कभी निरर्थक रोता है
जबकि जब वह रो रहा था उसे वक्त तो उसने चरस भी नहीं पी रखी थी भांग भी नहीं पी रखी थी
इसलिए यह सिद्ध होता है कि आईआईटी बाबा ही साक्षात ईश्वर है
यही सिद्ध करना था ( इती सिद्धाम् )
और धन्य है मेरे भारतवासी हिन्दू जो की उन चीजों को समझ गए जिससे हम अज्ञानवश और अहंकारवश नहीं समझ पाए
जबकि आप हिंदुओं ने उस महान ज्ञान के अवतार को सर आंखों पर लिया
मेरी रूह कांप गई जब उन्होंने कहा कि मैं बार-बार कहता हूं कि मैं ही ईश्वर हूं कल अगर यह बात सच साबित होगी तो तुम कहां जाओगे... 😢
इस बात को तो लोग कहते आई थी कि मैं ईश्वर का अंश हूं
लेकिन आईआईटी बाबा स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि मैं ही ईश्वर हूँ
उसके बाद भी हम जैसे मूर्खों की आंखें नहीं खुली..
आज खुली है, तो मन रो रहा है हृदय पश्चाताप से भरा हुआ है😭
और आंसू रोक नहीं रूक रहे इसलिए वीडियो बनाने की बजाय लेख के माध्यम से अपने विचार आप लोगों के सामने रख रहा हूँ।
भारत को चैंपियंस ट्रॉफी दिलवाने में और पाकिस्तान को हराने में 100% योगदान IIT बाबा का है
क्योंकि यदि वह भारत के हारने की बात ना करते तो भारतीय लापरवाही से खेलते
और भारत हार जाता
जिस तरह वह कहते थे कि मैं बार-बार भारत को जितवाता आया हूं इस बार फिर उन्होंने उस बात को साबित कर दिया है
और हम जैसे अज्ञानी इस बात को समझ नहीं पाए
धिक्कार है हम लोगों की सोच पर😒
वास्तव में जो अभय सिंह दिखाई दे रहे हैं वही शिव हैं
वह झूठ नहीं बोलते
और ममता कुलकर्णी जी कहती है कि मैं ही साक्षात काली हूं
अब यह शिव और काली का जोड़ा भारत को हिंदू राष्ट्र बना कर छोड़ेगा
किसी में दम है तो रोक कर दिखाओ...
मुझे पूरा यकीन हो गया,
आप लोग आपकी अदालत में ममता कुलकर्णी जी को देखें।
आपको भी पूरा यकीन हो जाएगा
https://youtu.be/DcaeM_OPRak?si=1lmUD...
महंत आनंद स्वामी
कृष्ण मंदिर गीता धाम
6 months ago (edited) | [YT] | 410
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Anand Dhara आनंद धारा
धर्म का जो हाल धर्म के ठेकेदारों ने किया है...
धर्म के उस विकृत रूप ने भी
बहुत सारे नास्तिकों को पैदा किया है।
बहुत सारे पाखंड, बहुत सारा अंधविश्वास
बहुत सारे मूर्खतापूर्ण कृत्य, बिना दिमाग लगाए बस भेड़ चाल में चलते चले जाना।
विज्ञान को चुनौती देना,
और अपने मूर्खतापूर्ण सिद्धांतों को सही बताना,
अंदर से नफरत से भरे रहना और बाहर से धर्म का आवरण ओढ़े रखना,
अंदर से व्यभिचारी होना और बाहर से ब्रह्मचारी दिखाना,
मन में हर वक्त स्वार्थ चलना और लोगों को त्याग का उपदेशदेना
मां-बाप परिवार पत्नी बच्चे और उनके प्रति अपने कर्तव्य छोड़कर साधु बन जाना, पर साधु बनकर भी अहंकार को सुल्फा भांग के नशे को और गंदी भाषा और गंदी आदतों को ना छोड़ना,
किसी में कोई चीज कम तो किसी में कोई चीज ज्यादा सभी धर्मो का यही हाल बना रखा है...
यह सारी चीजें देखकर भी क्या कोई समझदार और पढ़ा लिखा सभी व्यक्ति आप लोगों के धर्म को स्वीकार करेगा..?
अगर आप धर्म का वास्तविक स्वरूप लोगों सामने रखते जो कि प्रेम है जो कि दया है
और वह सारी की सारी चीज आप में दिखाई भी देती
समाज में धर्म के कारण खून खराबा नहीं सुख दिखाई देता
व्यवस्था सभ्यता और ज्ञान दिखाई देते तो शायद बात कुछ और होती...
आज या तो मूर्खों की बहुत सारी भीड़ दिखाई देती है या फिर नास्तिक दिखाई देते हैं
कोई धार्मिक तो बड़ी मुश्किल से दिखाई देता है
और इसके जिम्मेदार यही स्वार्थी और धूर्त धर्म गुरु मूर्ख अनुयाई और कट्टरवादी धर्म है।
महंत आनंद स्वामी
कृष्ण मंदिर गीता धाम
6 months ago | [YT] | 279
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Anand Dhara आनंद धारा
https://youtu.be/_aH9lVyQ0e4?si=7lfWy...
स्वयं को जानना बड़ी बात है
एक बार जानना शुरू कर दिया तो बहुत सारे रहस्य खुलेंगे।
और फिर उन रहस्यों से ही परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग मिलेगा...
अन्यथा कोई व्यक्ति कहता रहेगा कि हमारा मार्ग सबसे पुराना है इसलिए सबसे बढ़िया है
कोई कहेगा कि हमारा मार्ग सबसे नया है इसलिए बढ़िया है
कोई कहेगा कि हमारे पास ईश्वर की किताबें हैं
तो कोई कहेगा अल्लाह की
कोई कहेगा कि मेरे गुरु साक्षात परमेश्वर है
लेकिन जब तक आप अपनी अक्ल का प्रयोग नहीं करोगे तब तक सत्य को ना जान सकोगे
अक्ल का विवेक का तर्क का समझ का प्रयोग करने की इजाजत ना तो आपको कोई तथाकथित धार्मिक संस्था देगी और ना ही आपके गुरु लोग
और आप लोग पाखंड और अंधविश्वास में धंसते चले जाओगे
इसलिए आपको गुरु से पहले विवेक और समझ की जरूरत है - क्योंकि अगर समझ नहीं है विवेक नहीं है तो आप मार्गदर्शकों के नाम पर पाखंडियों का ही चुनाव करोगे
और ऐसा नहीं कि विकेक और समझ आपके पास नहीं है..
वह आपके पास है...
बस आप उसका प्रयोग नहीं करते
इसलिए वह कहीं कोने में धूल खाती हुई पड़ी हुई है
और उसके ऊपर पाखंडों का और अंधविश्वास का काला पर्दा पड़ा हुआ है
उस पर्दे को हटाओ
विवेक को ताजी हवा लगने दो
उसके बाद देखो कोई आपको बेवकूफ नहीं बन सकेगा
कोई आपका शोषण नहीं कर सकेगा
और आप सत्य को देखने के लिए स्वयं ही सक्षम हो जाओगे
आपको सत्य कोई नहीं बतायेगा
मैं भी नहीं
मैं तो आपको सावधान कर सकता हूं कि आगे गड्ढा है
अंधे होकर मत चलो
आंख खोल कर चलो
और गड्ढे में गिरने से बचो
आप दूसरों के गड्ढे से बचकर अगर मेरे कुएं में गिर गए तो वह भी अच्छा नहीं
आप स्वयं के गुरु खुद बनो
अपने मन विवेक की आंखें खोलो
उसके बाद अच्छी चीजें आपके सामने आएंगी भी
और अच्छी बात बताने वाले बहुत सारे लोग आपके सामने आएंगे
किसी एक के चक्कर में पढ़ने की जरूरत नहीं
जहां से भी अच्छी बात मिले सीखते चलो
बस इतने ज्ञान की जरूरत है कि आप ज्ञान और अज्ञान को पहचान सको
तर्क और कुतर्क में फर्क कर सको
उसके बाद सीखने को और जानने को बहुत कुछ मिलेगा
क्योंकि इंसान जो चीज चाहता है प्रकृति उसी की व्यवस्था कर देती है
सत्य का मार्ग ईश्वर का मार्ग बताने से ज्यादा अनुभव करने का विषय है
और अनुभव आपको ही करना है...
भटकाव की ओर चलोगे तो दुनिया अज्ञान का बहुत बड़ा जंगल है
विवेक की रोशनी में सत्य को ढूंढोगे तो रास्ता बड़ा सीधा दिखाई देगा...
महंत आनंद स्वामी
कृष्ण मंदिर गीता धाम
6 months ago | [YT] | 203
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