Anand Dhara आनंद धारा

धर्म का जो हाल धर्म के ठेकेदारों ने किया है...
धर्म के उस विकृत रूप ने भी
बहुत सारे नास्तिकों को पैदा किया है।

बहुत सारे पाखंड, बहुत सारा अंधविश्वास
बहुत सारे मूर्खतापूर्ण कृत्य, बिना दिमाग लगाए बस भेड़ चाल में चलते चले जाना।
विज्ञान को चुनौती देना,
और अपने मूर्खतापूर्ण सिद्धांतों को सही बताना,
अंदर से नफरत से भरे रहना और बाहर से धर्म का आवरण ओढ़े रखना,
अंदर से व्यभिचारी होना और बाहर से ब्रह्मचारी दिखाना,
मन में हर वक्त स्वार्थ चलना और लोगों को त्याग का उपदेशदेना
मां-बाप परिवार पत्नी बच्चे और उनके प्रति अपने कर्तव्य छोड़कर साधु बन जाना, पर साधु बनकर भी अहंकार को सुल्फा भांग के नशे को और गंदी भाषा और गंदी आदतों को ना छोड़ना,

किसी में कोई चीज कम तो किसी में कोई चीज ज्यादा सभी धर्मो का यही हाल बना रखा है...

यह सारी चीजें देखकर भी क्या कोई समझदार और पढ़ा लिखा सभी व्यक्ति आप लोगों के धर्म को स्वीकार करेगा..?

अगर आप धर्म का वास्तविक स्वरूप लोगों सामने रखते जो कि प्रेम है जो कि दया है
और वह सारी की सारी चीज आप में दिखाई भी देती
समाज में धर्म के कारण खून खराबा नहीं सुख दिखाई देता
व्यवस्था सभ्यता और ज्ञान दिखाई देते तो शायद बात कुछ और होती...

आज या तो मूर्खों की बहुत सारी भीड़ दिखाई देती है या फिर नास्तिक दिखाई देते हैं
कोई धार्मिक तो बड़ी मुश्किल से दिखाई देता है
और इसके जिम्मेदार यही स्वार्थी और धूर्त धर्म गुरु मूर्ख अनुयाई और कट्टरवादी धर्म है।

महंत आनंद स्वामी
कृष्ण मंदिर गीता धाम

6 months ago | [YT] | 279