वास्तु शास्त्र क्यों जरूरी है?
वास्तु एक ऐसी जगह है जहाँ लोग रहते हैं और अपने कार्यों को संपन्न करते हैं। भारतीय इतिहास के पाठ्यों के अनुसार, ‘वास्तु’ का अर्थ है ‘घर के लिए संतुलित भूमि’।
संस्कृत में, ‘वास्तु’ का अर्थ है ‘प्रकृति (Nature), पर्यावरण या परिवेश (Environment or surroundings)’ और ‘शास्त्र’ का अर्थ है ‘प्रणाली‘(System).
वास्तु शास्त्र एक प्राचीन कला और विज्ञान है, जिसमें किसी इमारत के डिजाइन या निर्माण के कुछ बुनियादी सिद्धांत(basic principles) का अभ्यास शामिल हैं। जो लोगों और प्रकृति के बीच एक सामंजस्यपूर्ण संतुलन(harmonious balance) भी बनाते हैं तथा खुशी, स्वास्थ्य, धन और समृद्धि को आकर्षित करते हैं।
वास्तु शास्त्र का आधार वेद तथा प्राचीन भारत की वास्तुकला है, इसका सामन्य अर्थ रहने योग्य स्थान है या रहने के लिए निवास है। और हमारे सनातन संस्कृति में वेदों का महत्वपूर्ण स्थान है, हमारी संस्कृति
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