संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर समस्या है, बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की आपूर्ति के लिए मानव द्वारा खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग, प्रकृति के जैविक और अजैविक  पदार्थो के बीच आदान-प्रदान के चक्र को (इकालाजी सिस्टम) प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है, साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती है।

प्राचीन काल में, मानव स्वास्थ्य के अनुकुल तथा प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप खेती की जाती थी, जिससे जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान का चक्र निरन्तर चलता रहा था, जिसके फलस्वरूप जल, भूमि, वायु तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता था। भारत वर्ष में प्राचीन काल से कृषि के साथ-साथ गौ पालन किया जाता था, जिसके प्रमाण हमारे ग्रंथो  में प्रभु कृष्ण और बलराम हैं जिन्हें हम गोपाल एवं हलधर के नाम से संबोधित करते हैं
Only agriculturels farmers support

Jay kisan jay Javan

Facebook follow

Instagram follow

Facebook page follow

Hike follow


agri guruji

*एक्सपर्ट-55 भारत की सबसे अधिक उत्पादन देने वाली सोयाबीन किस्म*
*एक्सपर्ट किसान एग्रो इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड* द्वारा विकसित और
*कृषि विश्वविद्यालयों में शोधित व प्रमाणित*
*🔬 शोध और प्रमाणन*
🎓 *महाराष्ट्र के प्रमुख कृषि विश्वविद्यालयों में गहन शोध और फील्ड ट्रायल में प्रमाणित*
🏛 *वसंतराव नाईक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, परभणी*
🏛 *डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय, अकोला*
🏛 *महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी*
📊 *फील्ड ट्रायल के नतीजे:*
*उच्च अंकुरण दर (90-95%) तेज़ी से उगने वाली किस्म*
*अनुकूल जलवायु परिस्थितियों में असाधारण प्रदर्शन*
*बीज उत्पादन की गुणवत्ता पर विश्वविद्यालयों से सकारात्मक रिपोर्ट*
*🌟 एक्सपर्टए 55 किसानों की पहली पसंद क्यों*
*💰 अधिक उत्पादन, अधिक मुनाफा*
*प्रति पौधा 200-300 फलियाँ*
हर बीघा से ज़्यादा पैदावार
*100 दानों का वजन 15-16 ग्राम*
भारी, मजबूत और बाज़ार में ऊँची कीमत!
*तेल की मात्रा 19-21%* किसानों को ज़्यादा आर्थिक लाभ!
*बीज दर*
*25 किलोग्राम प्रति एकड़*
*उत्पादन क्षमता*
*15-18 क्विंटल प्रति एकड़*
*जल्दी पकने वाली किस्म*
*90% फूल सिर्फ 35-40 दिन में*
तेज़ी से विकसित होने वाली किस्म
*फसल मात्र 95-100 दिन में तैयार*
अगली फसल की प्लानिंग आसान
*🛡️ जलवायु और रोग प्रतिरोधक क्षमता*
*रस्ट, बैक्टीरियल ब्लाइट और सूखा सहनशील* हर मौसम में शानदार उत्पादन *कम पानी में भी उच्च उपज* सूखा प्रभावित इलाकों के लिए उपयुक्त!
*मजबूत तना और जड़* फसल गिरने का खतरा नहीं, कटाई आसान!

*🌍 किन राज्यों के लिए उपयुक्त*
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात , कर्नाटक , तेलंगाना , राजस्थान , हरियाणा ,छत्तीसगढ़ , और बिहार

*सीमित स्टॉक आज ही बुक करें*
7972334422 only WhatsApp for more information
*किसान भाइयों, यह जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाएँ और अधिक उत्पादन का लाभ उठाएँ!*

3 weeks ago | [YT] | 48

agri guruji

अच्छी जल निकासी वाली मध्यम से भारी मिट्टी सर्वोत्तम है।
यह फसल चिकनी मिट्टी, खराब जल निकास वाली मिट्टी और अम्लीय मिट्टी में अच्छी तरह से नहीं उगती।
भूमि पर न्यूनतम खेती की जानी चाहिए। इससे मिट्टी में नमी बरकरार रखने में मदद मिलेगी।
बुवाई का समय एवं विधि:

कृषि योग्य चने की बुवाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े में पूरी कर लेनी चाहिए।
कृषि योग्य परिस्थितियों में प्रति हेक्टेयर देशी चने के पौधों की संख्या बनाए रखने के लिए, बीजों को बुवाई से पहले चार घंटे तक पानी में भिगोना चाहिए और फिर छाया में सुखाना चाहिए।
अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में सिंचाई के तहत चने की बुवाई करने से अधिक उपज प्राप्त होती है। काबुली चना की बुवाई देर से, लगभग 10 नवम्बर के आसपास करनी चाहिए।
देशी चने की बुवाई के लिए दो पंक्तियों के बीच की दूरी 30 सेमी, जबकि दो पौधों के बीच की दूरी 10 सेमी रखी जाती है। रखा जाना चाहिए.
काबुली किस्म के लिए दो पंक्तियों के बीच की दूरी 45 सेमी है। तथा दो पेड़ों के बीच की दूरी 10 सेमी है। रखा जाना चाहिए.
सिंचाई के तहत चने की बुवाई के लिए चौड़ी कतार विधि का उपयोग करना लाभदायक होता है

1 month ago | [YT] | 90

agri guruji

*ग्रीष्मकालीन तिल की रोपाई*
तिलवान=दफ्तारी33//दफ्तारी22

*भूमि*
तिल को सभी प्रकार की अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में उगाया जा सकता है। चूंकि तिल के बीज बारीक होते हैं, इसलिए मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार किया जाना चाहिए। इसके लिए, बेकार लकड़ी को इकट्ठा करके, उसे ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज रूप से छांटना चाहिए तथा सतह को पलटकर समतल करना चाहिए। मिट्टी तैयार करते समय उसमें अच्छी तरह सड़ी हुई खाद मिलाएं।

*बीज* 3 किलो प्रति एकड़

*बीज प्रसंस्करण*
बुवाई से पहले बीजों को तीन ग्राम कार्बेन्डाजिम और चार ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित करना चाहिए। इससे मृदा जनित रोगों से बचाव होता है तथा बीज अंकुरण में सुधार होता है।

*बुवाई*
ग्रीष्मकालीन तिल की फसल की बुवाई फरवरी के प्रथम पखवाड़े में पूरी कर लेनी चाहिए। यदि बुआई में देरी होती है तो फसल कटाई के समय मानसून-पूर्व बारिश में फंसने का खतरा रहता है। चूंकि बीज बहुत बारीक होते हैं, इसलिए उन्हें रेत/छनी हुई गोबर/राख/मिट्टी की समान मात्रा के साथ मिलाना चाहिए। टिफ़नी को 30 सेमी की दूरी पर बोना चाहिए।

*उर्वरक*
मृदा परीक्षण के अनुसार बुवाई के समय 12.5 किलोग्राम नाइट्रोजन एवं 25 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए। नाइट्रोजन की दूसरी खुराक, 12.5 किग्रा, बुवाई के 30 दिन बाद देनी चाहिए। यदि कमी हो तो बुवाई के समय किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें।

#trending #viral #explore #populare

7972334422 WhatsApp me only

1 month ago | [YT] | 161

agri guruji

पायनियर मक्का बीज 🌱 कंपनी की P3524 संकर मक्का किस्म एकमात्र ऐसी किस्म है जो बोने पर उच्च उपज देती है। अन्य किस्मों की तुलना में इस किस्म की अंकुरण क्षमता बहुत अच्छी है, लेकिन यह इस मायने में अनोखी है कि प्रत्येक पौधा दो बालियां पैदा करता है।
पायनियर P3524 मक्का
इस किस्म की खेती खरीफ और रबी सीजन में की जाती है। अगर आप खरीफ सीजन में मक्का की खेती करने की सोच रहे हैं तो एक बार पायनियर कंपनी की इस P3524 किस्म को जरूर लगाएं।

रोपण के लिए किस प्रकार की भूमि और मिट्टी की आवश्यकता है?

पायनियर पी3524 मक्का विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी के साथ-साथ मध्यम से भारी मिट्टी भी इस फसल के लिए बहुत उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

15 सेमी की गहराई तक एक या दो बार जुताई करें और दो बार हैरो चलाएं।

अंतिम जुताई से पहले, अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद 5 से 8 या 10 से 15 गाड़ी प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिलानी चाहिए।

बीज के प्रकार

प्रति एकड़ 7 से 8 किलोग्राम बीज का प्रयोग करें।

बीज प्रसंस्करण - इस बीज के लिए, थिरम के बीजों को संसाधित किया जाता है और आप बाजार से गांव के बीजों का उपयोग कर सकते हैं।

बुवाई का समय - खरीफ में बुवाई का समय 15 मई से 15 जुलाई तक तथा रबी में 15 अक्टूबर से 30 नवम्बर तक है।

बुवाई विधि

बीज को बीज ड्रिल का उपयोग करके पंक्ति में कब लगाया जाना चाहिए?

अच्छे उत्पादन के लिए प्रति एकड़ 30,000 से 32,000 पौधे लगाने चाहिए तथा दो पेड़ों के बीच की दूरी दो पंक्तियों के बीच की दूरी के आधार पर निम्नानुसार रखनी चाहिए। पायनियर P3524 मक्का

बीज के लिए सिर्फ व्हॉट्सअप करे धन्यवाद 7972334422

#trending #explore #explorepage #viral #viralreels #trendingnow

1 month ago | [YT] | 72

agri guruji

*राजमा के बारे में पूरी जानकारी*

*बीज*:- वरुण, वाज्ञ, हीरा।
प्रति एकड़ 30 किलोग्राम बीज बोएं।
*बीज उपचार*:- किसी भी कवकनाशी जैसे रोको, बायोमिक्स, ट्राइकोडर्मा, गावचो आदि + अन्य का प्रयोग करें।
*सावधानी*:- केवल तभी बुवाई करें जब मिट्टी पूरी तरह से नम हो, या भिगोकर बुवाई करें।
*उर्वरक:-* 12:32 :16:
24: 24:00
10:26:26
20: 20 :00:13 मुझे इनमें से किसका उपयोग करना चाहिए?
*पहला छिड़काव*:- 15 से 20 दिन बाद। यूरिया का प्रयोग करना चाहिए तथा टॉनिक का भी प्रयोग करना चाहिए। इसे 19:19:19 की तरह छिड़का जाना चाहिए।
*दूसरा छिड़काव*:- 30 दिन बाद उपरोक्तानुसार ही करें।
*फूल आना*:- यदि फूल आ जाएं तो छिड़काव करना चाहिए।
*दानों को फूलाने के लिए*:- 0:52:34 इस तरह स्प्रे करें।
*अंतराल जुताई*:- 20 और 35 दिन के बाद दो जुताई करनी चाहिए।
*जल प्रबंधन*:- 3 से 4 बार पानी देना।
15 से 20 ..... पहले
40 से 45.... सेकंड
अनाज भरते समय:-.....तीसरा

शेष पानी को मिट्टी की सतह पर आवश्यकतानुसार डालना चाहिए।
पानी वर्षा पाइपों, ड्रिप्स, स्प्रिंकलर्स, गटरों आदि के माध्यम से बहता है। लेकिन पानी को चार घंटे से अधिक समय तक खुला न छोड़ें।
*कीट रोग*:-- मृत, पपड़ी, भूरा, मोज़ेक।
*2 से 3 स्प्रे*:-
15 से 20. दिन होने तक
फूल आने के 30 से 35 दिन बाद
45 से 55. प्रतिदिन
*रस*:- सुखाने के बाद मशीन को चालू और बंद करके ऐसा किया जा सकता है। मशीन की गति कम करके.
*उपज*:- प्रति एकड़ दस से पंद्रह क्विंटल उपज प्राप्त होती है। यह कलंब, कागे और वाशी के किसानों का अनुभव है।
*विशेष ध्यान:-* राजमा को छाया में सुखाना चाहिए,
धूप में बिल्कुल न सुखाएं।
एक महीने में राजमा की ऊंचाई बढ़ाने के लिए आप जो भी कर सकते हैं, करें।
बीज पाने के लिये सिर्फ व्हॉट्सऍप 7972334422 करे धन्यवाद

1 month ago | [YT] | 49

agri guruji

*🧅☀️Malwa Traders Shajapur, Madhyapradesh☀️🧅*

*Today mandi rate*

*~ 29/10/2021 ~*

         
🧅🧅*onion*🧅🧅

El lot -2500

🧅Super -1800 to 2100 rs

🧅 Average- 1400 to 1800 rs.

🧅Golta - 1300 to 1800 rs.

🧅Golty -700 to 1200rs.

Rate /100kg




🧄🧄* Garlic*🧄🧄

🌼 *Super mota* 3800 to 4900 rs.

🌼 *Midiam (laddu)* 1800 to 3900 rs.

🌼 *Golty* 900 to 1700 rs./100kg


        * 🍁 Thanku🍁*

*Malwa traders*
*Shajapur (M.P.)*

3 years ago | [YT] | 12

agri guruji

Drumstick moringa seed available 7972334422
Whatsapp sms me ODC 3 सहजन बीज उपलब्ध

पर व्हाट्सएप संदेश भेजें

शेवगा की खेती और जानकारी
महाराष्ट्र में, अन्य राज्यों की तरह, अधिकांश क्षेत्र शुष्क भूमि है। ऐसी स्थिति में शेवगा का पौधा लगाना लाभदायक होता है। चूंकि शेवगा फसल के लिए किसी विशेष प्रकार की भूमि की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए हल्की मिट्टी में भी शेवगा की खेती संभव है। शेवगा फसल के लिए पानी की आवश्यकता भी अन्य फसलों की तुलना में कम होती है।

*🌿शेवगा की खेती के बारे में:
यदि गर्मियों में पानी की आवश्यकता कम हो तो भी जनवरी या फरवरी में रोपण किया जा सकता है।
जून-जुलाई में पहली बारिश के बाद का समय शुष्क भूमि खेती के लिए अनुकूल होता है क्योंकि इस समय हवा में आर्द्रता बढ़ जाती है। जिससे सूर्य की तीव्रता भी कम हो। यदि ऐसे समय में बीज बोये जाएं तो यह अंकुरों के अंकुरित होने के लिए अनुकूल समय होता है।

*🌿उर्वरक प्रबंधन:

शेवगा एक तेजी से बढ़ने वाली फसल है। इसलिए बारिश की शुरुआत में या मानसून के दौरान प्रत्येक पेड़ को 10 किलो पानी दिया जाता है। कम्पोस्ट/खाद, 75 ग्राम नाइट्रोजन (165 ग्राम यूरिया), 50 ग्राम फॉस्फोरस (108 ग्राम डीएपी) और 75 ग्राम पोटेशियम (120 ग्राम एमओपी) डालें।

*🌿विकास प्रबंधन:

शेवगा एक तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है। फलीदार फसल की फलियों की कटाई के लिए पेड़ का विकास पैटर्न भी बहुत महत्वपूर्ण है, अन्यथा पेड़ लंबा हो जाता है और वैकल्पिक फलियों की कटाई मुश्किल हो जाती है। वृद्धि प्रबंधन के लिए शेवगा लगाने के बाद पहली छंटाई 1.5 फीट पर करनी चाहिए, और फिर सभी शाखाओं को ऊपर से काट देना चाहिए। तने को जमीन से 3-3.5 फीट की ऊंचाई पर काटना चाहिए और चार से पांच शाखाओं को काटना चाहिए। सभी पक्षों पर विभाजित हो जाना। फिर, 5 महीने बाद, मुख्य तने से 1 मीटर की दूरी पर चार से पांच शाखाएं लगाई गईं। थोड़ी दूरी पर काटें। यदि फली की वृद्धि नियंत्रित कर ली जाए तो फली की कटाई करना आसान हो जाएगा। फलियों की कटाई के बाद हर 7-8 महीने में छंटाई की जानी चाहिए ताकि पेड़ नियमित रूप से उत्पादन दे सके।

*🌿शेवगा की खेती के लिए किस्में:
शेवगा की खेती के लिए ओडीसी 3 किस्म का चयन किया जाना चाहिए। गारंटीशुदा बीज उपलब्ध हैं।
कृषिराज एग्रो 7972334422 केवल मुझे व्हाट्सएप करें

*🌿निष्कर्षण और उत्पादन:

फलियाँ रोपण के 6-7 महीने बाद पकती हैं। फलियों को तब ही तोड़ लेना चाहिए जब वे अभी भी रसीली हों। यदि वे बहुत सख्त हो जाएँ, तो फलियाँ अपना स्वाद खो देती हैं। कुछ वर्षों के बाद, प्रत्येक पेड़ प्रबंधन के आधार पर प्रति वर्ष 20 से 25 किलोग्राम फलियां पैदा करता है।

रोपण से कटाई तक मार्गदर्शन
शेवगा के बीज महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में आपके घर तक पहुंचाए जाएंगे।
संपर्क :-
कृषिराज एग्रो प्राइवेट लिमिटेड
शिरसाट गणेश
7972334422 केवल मुझे व्हाट्सएप करें

4 years ago (edited) | [YT] | 17

agri guruji

#agri_guruji murghas banane ki vidhi Farming

5 years ago (edited) | [YT] | 16