Bablu विश्व हिन्दू परिषद बजरंग दल जिला अध्यक्ष 🇮🇳

गौ माता, हमारी पवित्रता की संस्कृति का प्रतीक, अनन्य देवी हैं। वेदों और पुराणों में गाय को माता माना गया है,गाय को परमात्मा का साक्षात विग्रह हमारे शास्त्र बताते हैं, गौ माता की पूजा, सेवा और संरक्षण मानवीय आदर्शों का प्रतीक है

श्रीमद भगवद गीता में गाय को पवित्र माना गया है और उसे देवताओं और ऋषि-मुनियों के समान माना गया है. गीता में गाय के योगदान और पूजन के बारे में भी बताया गया है

गीता में कहा गया है कि धेनुनामास्मि कामधेनु अर्थात मैं धेनुओं (गायों) में कामधेनु हूँ
गीता में गाय को एक पवित्रतम प्राणी कहा गया है.
गीता में गाय के संरक्षण के बारे में भी बताया गया है.
गीता में गाय को स्वर्ग का द्वार माना गया है.
गाय की पूजा और सेवा से व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है
गीता में गाय माता के योगदान के बारे में बताया गया है.
गीता में गाय माता को उच्च स्थान दिया गया है.
गीता में गौ पूजन से व्यक्ति को मन में आनंद और शांति की प्राप्ति होती है
गीता में कहा गया है कि सच्चे विद्वान् पुरुष अपने दिव्य ज्ञान के नेत्रों से ब्राह्मण, गाय, हाथी, कुत्ते तथा कुत्ते को समान दृष्टि से देखते हैं