लोकसंस्कृतियों ,लोकविधाओं, लोकसभ्यता ,लोकगीतों आदि की जब बात होती है तो हमारा मन विवश हो उठता है ये सोचने को की अब ये कलाएँ और विधाएं कहाँ रह गयीं हैं । इन्हीं लोकसंस्कृतियों और लोकगीतों के संरक्षण और उन्हें अपने गीतों के माध्यम से आप के बीच लाने का काम कर रही हूँ मैं लोकगायिका संजोली पाण्डेय । पॉप और रॉक संगीत के जमाने मे अगर हमारी पीढ़ियां अपनी लोककलाओं को किनारे करती रहीं तो शादियों में न विवाह गीत ,गारी होंगे और न ही जन्म पर सोहर होगा ,खत्म हो जाएगा चैत मास में चैता का गायन तो आइए इस चैनल के माध्यम से हम और आप मिलकर इस मुहिम को आगे बढ़ाते हैं और अपने लोकगीतों को उनका स्थान देते हैं ।
लोकगायिका संजोली पाण्डेय
जन्म- अयोध्या ,उत्तर प्रदेश ,1995
अध्यक्ष ~ धरोहर -लोककलाओं का संगम (NGO)
लोकगीतों और लोकविधाओं की संरक्षिका

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