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शहर की एक व्यस्त कॉलोनी में एक चुपचाप सी बिल्ली थी—झब्बू। न ज्यादा म्याऊ करती, न किसी से डरती। कॉलोनी के लोग उसे "चुप्पी रानी" कहते थे। वो बस एक बालकनी में चुपचाप बैठी रहती थी, जहाँ एक बूढ़ी अम्मा रहती थीं।

अम्मा की कोई संतान नहीं थी। उनका दिन झब्बू के साथ ही शुरू और खत्म होता। वो उसे दूध देतीं, उससे बातें करतीं, और झब्बू सब कुछ बस चुपचाप सुनती रहती। फिर एक दिन अम्मा बिस्तर से नहीं उठीं। कॉलोनी के लोगों को तब पता चला जब झब्बू तीन दिन तक अम्मा के कमरे के बाहर बैठी रही, बिना खाए-पिए।

जब अम्मा को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया, तो झब्बू पीछे-पीछे चली गई। वहाँ वो अर्थी के पास लेट गई, मानो आखिरी बार उनसे कुछ कहना चाहती हो। अम्मा की मौत के बाद झब्बू उस बालकनी में कभी नहीं बैठी।

सीख: जानवरों के पास शब्द नहीं होते, पर उनका प्रेम सबसे गहरा होता है।

1 week ago | [YT] | 662



@raziaahmad7826

Han. Janwaro ka pyar bemalab sacha hota hi. Admi ko in asso.o si sikhna chahiye.

1 week ago | 2

@VidhiPanday-k7m

So cute cat ♥♥♥♥♥♥♥♥💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜💜

6 days ago | 0