शेरू कभी एक खुशमिज़ाज और चंचल कुत्ता था जो अपने मालिक के साथ खेतों में दौड़ता था, तालाब में नहाता और बच्चों के साथ खेलता था। पर एक दुर्घटना में उसके मालिक की मौत हो गई और शेरू बेसहारा हो गया।
कई महीने बीत गए, शेरू ने किसी को पास नहीं आने दिया। वह उसी खेत के कोने में बैठा रहता, जहां उसके मालिक की आखिरी सांसें थीं। धीरे-धीरे उसके बाल झड़ने लगे, शरीर कमजोर हो गया, और उसके हावभाव से साफ था कि वह अंदर से टूट चुका था।
गाँव वालों ने कई बार उसे अपनाने की कोशिश की, पर वह किसी को अपने पास नहीं आने देता। बच्चों ने रोटी फेंकी, किसी ने दूध रखा, पर शेरू हमेशा चुपचाप पीछे हट जाता।
एक दिन गाँव में एक बुज़ुर्ग दम्पती आए, जो पशु प्रेमी थे। उन्होंने शेरू की हालत देखी और बिना कोई जल्दीबाज़ी किए, हर रोज़ उसके पास जाकर बैठने लगे। उन्होंने धीरे-धीरे शेरू को उसकी दुनिया से बाहर निकालने की कोशिश की।
लगभग तीन हफ्तों के बाद शेरू ने पहली बार अपने कान हिलाए जब उन्होंने उसका नाम पुकारा। फिर एक दिन, वह खुद चलकर उनके पास आ गया और उनके पैरों के पास लेट गया।
उस दिन से शेरू की नई सुबह शुरू हुई। वह अब उस दंपति के साथ रहता है, उनका खेतों में साथ देता है, और बच्चों के साथ फिर से दौड़ता है।
उसने अपना अतीत नहीं भुलाया, लेकिन अब वह दर्द को पीछे छोड़ कर फिर से जीना सीख रहा है।
Wildlife ShelterTV
शेरू कभी एक खुशमिज़ाज और चंचल कुत्ता था जो अपने मालिक के साथ खेतों में दौड़ता था, तालाब में नहाता और बच्चों के साथ खेलता था। पर एक दुर्घटना में उसके मालिक की मौत हो गई और शेरू बेसहारा हो गया।
कई महीने बीत गए, शेरू ने किसी को पास नहीं आने दिया। वह उसी खेत के कोने में बैठा रहता, जहां उसके मालिक की आखिरी सांसें थीं। धीरे-धीरे उसके बाल झड़ने लगे, शरीर कमजोर हो गया, और उसके हावभाव से साफ था कि वह अंदर से टूट चुका था।
गाँव वालों ने कई बार उसे अपनाने की कोशिश की, पर वह किसी को अपने पास नहीं आने देता। बच्चों ने रोटी फेंकी, किसी ने दूध रखा, पर शेरू हमेशा चुपचाप पीछे हट जाता।
एक दिन गाँव में एक बुज़ुर्ग दम्पती आए, जो पशु प्रेमी थे। उन्होंने शेरू की हालत देखी और बिना कोई जल्दीबाज़ी किए, हर रोज़ उसके पास जाकर बैठने लगे। उन्होंने धीरे-धीरे शेरू को उसकी दुनिया से बाहर निकालने की कोशिश की।
लगभग तीन हफ्तों के बाद शेरू ने पहली बार अपने कान हिलाए जब उन्होंने उसका नाम पुकारा। फिर एक दिन, वह खुद चलकर उनके पास आ गया और उनके पैरों के पास लेट गया।
उस दिन से शेरू की नई सुबह शुरू हुई। वह अब उस दंपति के साथ रहता है, उनका खेतों में साथ देता है, और बच्चों के साथ फिर से दौड़ता है।
उसने अपना अतीत नहीं भुलाया, लेकिन अब वह दर्द को पीछे छोड़ कर फिर से जीना सीख रहा है।
5 days ago | [YT] | 772