Jitendra Gautam
रहना ज़रा संभल के,ये ज़माना ख़राब है। दिल और चेहरे के,अलग-अलग हिसाब है। धोखे हैं रेशमी पर्तों के भीतर,हर एक चेहरे पर,कई-कई नक़ाब है। G.m
7 months ago | [YT] | 11
Jitendra Gautam
रहना ज़रा संभल के,
ये ज़माना ख़राब है।
दिल और चेहरे के,
अलग-अलग हिसाब है। धोखे हैं रेशमी
पर्तों के भीतर,
हर एक चेहरे पर,
कई-कई नक़ाब है। G.m
7 months ago | [YT] | 11