🔴 हर साल जलवायु परिवर्तन (climate change) क्यों बिगड़ता जा रहा है?
➡️ क्योंकि उद्योग और सरकारें अपने फायदे के लिए प्रकृति का शोषण कर रही हैं।
🔴 सरकारें क्यों कुछ नहीं कर रहीं?
➡️ क्योंकि बड़ी कंपनियाँ नीतियों को अपने हिसाब से चलाती हैं और मुनाफ़े को पर्यावरण से ज़्यादा ज़रूरी मानती हैं।
🔴 बड़ी कंपनियाँ बच कैसे जाती हैं?
➡️ क्योंकि आम लोग इन मुद्दों को समझ ही नहीं पाते और उपभोक्तावाद (consumerism) में उलझे रहते हैं।
🔴 लोग जागरूक क्यों नहीं हैं?
➡️ क्योंकि मीडिया, उद्योग, और राजनेता असली समस्याओं को छिपाकर रखते हैं—चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, पशु क्रूरता हो, या बेलगाम उपभोगक्तावाद हो।
🔴 झूठ इतना ताकतवर क्यों है?
➡️ क्योंकि इसे अरबों का फंड मिलता है—तेल कंपनियाँ, डेयरी और मांस उद्योग, और राजनीतिक प्रचार सभी लोगों को गुमराह करने के लिए पैसे झोंकते हैं।
🔴 इसका मुकाबला कौन कर रहा है?
➡️ आचार्य प्रशांत—जो सबसे स्पष्ट, सबसे निर्भीक आवाज़ हैं:
✔ जलवायु जागरूकता 🌿—बड़े उद्योगों से पर्यावरण को हो रहे नुकसान की सच्चाई उजागर कर रहे हैं।
✔ पशु करुणा 🐄—डेयरी और मांस उद्योग की क्रूरता को सामने ला रहे हैं।
✔ आध्यात्मिक ज्ञान को सरल बनाना 📖—गीता, उपनिषद और वेदांत को आमजन के लिए सुलभ बना रहे हैं।
🔴 फिर उनकी मुहिम तेजी से क्यों नहीं बढ़ रही?
➡️ क्योंकि झूठ को अरबों का फंड मिलता है, और सत्य अब भी गिने-चुने समर्थकों पर निर्भर है।
🔴 अगर इस मिशन को पूरा समर्थन नहीं मिला, तो क्या होगा?
➡️ अज्ञानता और फैलेगी, पर्यावरण बर्बाद होगा, करोड़ों जानवरों की हत्या जारी रहेगी, और असली आध्यात्मिकता एक छोटे वर्ग तक सीमित रहेगा।
🔴 अब इस स्थिति को बदल कौन सकता है?
➡️ आप। हाँ, आप—जो यह पढ़ रहे हैं!
🔴 अब आपको क्या करना चाहिए?
➡️ ज़िम्मेदारी लें। चुप्पी तोड़ें। सत्य को उतना ही समर्थन दें, जितना झूठ को मिल रहा है!
🚨 यह सिर्फ़ एक अभियान नहीं—यह एक क्रांति है!
यह अज्ञान, शोषण और पाखंड के खिलाफ़ धर्मयुद्ध है।
🔥 या तो आप सत्य को ईंधन देंगे,
या फिर झूठ पूरी दुनिया को निगल जाएगा।
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
🔴 हर साल जलवायु परिवर्तन (climate change) क्यों बिगड़ता जा रहा है?
➡️ क्योंकि उद्योग और सरकारें अपने फायदे के लिए प्रकृति का शोषण कर रही हैं।
🔴 सरकारें क्यों कुछ नहीं कर रहीं?
➡️ क्योंकि बड़ी कंपनियाँ नीतियों को अपने हिसाब से चलाती हैं और मुनाफ़े को पर्यावरण से ज़्यादा ज़रूरी मानती हैं।
🔴 बड़ी कंपनियाँ बच कैसे जाती हैं?
➡️ क्योंकि आम लोग इन मुद्दों को समझ ही नहीं पाते और उपभोक्तावाद (consumerism) में उलझे रहते हैं।
🔴 लोग जागरूक क्यों नहीं हैं?
➡️ क्योंकि मीडिया, उद्योग, और राजनेता असली समस्याओं को छिपाकर रखते हैं—चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, पशु क्रूरता हो, या बेलगाम उपभोगक्तावाद हो।
🔴 झूठ इतना ताकतवर क्यों है?
➡️ क्योंकि इसे अरबों का फंड मिलता है—तेल कंपनियाँ, डेयरी और मांस उद्योग, और राजनीतिक प्रचार सभी लोगों को गुमराह करने के लिए पैसे झोंकते हैं।
🔴 इसका मुकाबला कौन कर रहा है?
➡️ आचार्य प्रशांत—जो सबसे स्पष्ट, सबसे निर्भीक आवाज़ हैं:
✔ जलवायु जागरूकता 🌿—बड़े उद्योगों से पर्यावरण को हो रहे नुकसान की सच्चाई उजागर कर रहे हैं।
✔ पशु करुणा 🐄—डेयरी और मांस उद्योग की क्रूरता को सामने ला रहे हैं।
✔ आध्यात्मिक ज्ञान को सरल बनाना 📖—गीता, उपनिषद और वेदांत को आमजन के लिए सुलभ बना रहे हैं।
🔴 फिर उनकी मुहिम तेजी से क्यों नहीं बढ़ रही?
➡️ क्योंकि झूठ को अरबों का फंड मिलता है, और सत्य अब भी गिने-चुने समर्थकों पर निर्भर है।
🔴 अगर इस मिशन को पूरा समर्थन नहीं मिला, तो क्या होगा?
➡️ अज्ञानता और फैलेगी, पर्यावरण बर्बाद होगा, करोड़ों जानवरों की हत्या जारी रहेगी, और असली आध्यात्मिकता एक छोटे वर्ग तक सीमित रहेगा।
🔴 अब इस स्थिति को बदल कौन सकता है?
➡️ आप। हाँ, आप—जो यह पढ़ रहे हैं!
🔴 अब आपको क्या करना चाहिए?
➡️ ज़िम्मेदारी लें। चुप्पी तोड़ें। सत्य को उतना ही समर्थन दें, जितना झूठ को मिल रहा है!
🚨 यह सिर्फ़ एक अभियान नहीं—यह एक क्रांति है!
यह अज्ञान, शोषण और पाखंड के खिलाफ़ धर्मयुद्ध है।
🔥 या तो आप सत्य को ईंधन देंगे,
या फिर झूठ पूरी दुनिया को निगल जाएगा।
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1 day ago | [YT] | 347