🧘 We expect a series of discussions with reference to Bhartiya Sanskriti aur Sadhana ( Part 1 , 2 ) .... Gopinath Kaviraj
3 months ago | 0
Bhaiya aese hi example se samjhaaya kare maza aa gaya Gyan se hi aanand praapt hota h 🙏🏻
4 months ago | 1
Bhaiya muje bhi apki tarah video banani hai meri help krr skte hai kya app editing ke liye
4 months ago | 0
Muje lagta hai jab sabhi sanatani Advait me man ne lage ge tab wo wo purana Bharat fir se lotega aur bhi jyada unnat
1 month ago | 0
कबीर गूंगे की शक्कर जोई खाए सोई जाने। सोई जाने जेउ देऊ जनाई, जानत तुमहिं तुमहीं हो जाई। पहली बात ये विरला कोई जानता है परमहंस महापुरुष जिसको भगवान जना देते हैं। जानते ही वो भगवान हो जाते हैं(जैसे कपिल राम कृष्ण शिव बुद्ध रामकृष्ण परमहंस जी, परमहंस महराज जी चित्रकूट वाले, तैलंग स्वामी आदि) फिर भी वो बता नहीं सकते क्यों की वो वाणी से परे है। इस लिए ऐसे महापुरुष (ब्रह्म स्वरूप) अपने शिष्य को उस मार्ग पर चला कर अपने जैसा(परमात्मा) बना लेते है। बाकी इस पर बात करना वैसा है जैसे कक्षा एक में पढ़ाई करने वाले बच्चे इन्जन तकनीक समझने का प्रयास करें
4 months ago | 2
SpiritualConce
अद्वैत: आत्मा और परमात्मा एक ही हैं।
द्वैत: आत्मा और परमात्मा अलग हैं।
विशिष्ट अद्वैत: आत्मा अलग है, लेकिन परमात्मा का ही हिस्सा है।
द्वैत-अद्वैत: कभी एक जैसे लगते हैं, कभी अलग — अनुभव पर निर्भर करता है।
उदाहरण से समझो: समुंदर और उसकी एक बूंद:
कोई कहता है, बूंद और समुंदर एक ही हैं।
कोई कहता है, दोनों अलग हैं
कोई कहता है, बूंद अलग दिखती है, पर है समुंदर से जुड़ी।
कोई कहता है, कभी एक जैसे, कभी अलग — दोनों सही।
4 months ago | [YT] | 208