Dadarwal boy

वीर तेजाजी, राजस्थान के एक प्रसिद्ध लोकदेवता हैं, जिनका जन्म नागौर जिले के खरनाल गाँव में हुआ था। उन्होंने लाछा गुर्जरी की गायों को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की, जिसके कारण वे घायल हो गए और अंत में एक सर्प ने उनकी जीभ पर डस लिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। वचन के पालन और गौ रक्षा के लिए अपनी जान गंवाने के कारण तेजाजी आज भी पूजे जाते हैं।
 

तेजाजी के जीवन की मुख्य घटनाएँ

जन्म:

वीर तेजाजी का जन्म लगभग 1074 ईस्वी में (विक्रम संवत 1130) राजस्थान के नागौर जिले के खरनाल गाँव में एक जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ताहर (या थिरराज) और माता का नाम रामकुंवरी था। 

विवाह:

तेजाजी का विवाह पेमल के साथ हुआ था, जो पनेर गाँव के रायमल जाट की पुत्री थी। 

गौ रक्षा और सर्प दंश:

तेजाजी के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना गायों की रक्षा से जुड़ी है। लाछा गुर्जरी की गायों को डाकुओं से बचाने के प्रयास में तेजाजी अत्यधिक घायल हो गए थे। जब वे वापस लौटे, तो वे बुरी तरह घायल थे और उनका शरीर केवल जीभ ही ठीक थी। उन्होंने लाछा गुर्जरी से किए गए वचन के पालन के लिए, अपने घावों से भरे शरीर में ही, एक सर्प को अपनी जीभ पर काटने दिया। 

मृत्यु:

सर्प द्वारा डसे जाने के कारण ही तेजाजी का निधन हो गया, जो भाद्रपद शुक्ल दशमी को खरनाल के पास सुरसुरा नामक स्थान पर हुआ था। 

लोकदेवता के रूप में:

तेजाजी ने गायों की रक्षा और वचन के पालन के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस कारण उन्हें गौ रक्षक देवता और लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है, विशेषकर राजस्थान में।

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3 months ago | [YT] | 2