✨ आज का ज्ञान ✨ **कर्म ही धर्म है – गीता का संदेश**
भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा – “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।” (गीता 2.47) अर्थात् – “तुझे केवल अपने कर्तव्य कर्म का ही अधिकार है, फल पर नहीं।”
आज के समय में मनुष्य का सबसे बड़ा भ्रम यही है कि वह कर्म की जगह केवल फल पर ध्यान देता है। परिणामस्वरूप, जीवन में अधीरता, असंतोष और मानसिक अशांति बढ़ जाती है। समाज में भी यही स्थिति है – लोग सेवा, कर्तव्य और सत्य की जगह केवल लाभ और परिणाम के पीछे भाग रहे हैं।
यदि गीता का यह संदेश जीवन में उतार लिया जाए तो मनुष्य अपने कर्म को ही पूजा समझेगा। किसान खेत जोतेगा तो इसे धर्म समझकर करेगा, व्यापारी न्यायपूर्ण लेन-देन करेगा तो उसे धर्म समझकर करेगा, और विद्यार्थी पढ़ाई करेगा तो उसे साधना मानकर करेगा। जब प्रत्येक मनुष्य अपने कर्तव्य को धर्म मानकर करेगा, तभी समाज में संतुलन, शांति और न्याय स्थापित होगा।
🌼 **वर्तमान शिक्षा** 🌼 आज का समय हमें पुकार रहा है – 1. अपने कार्य को ही पूजा समझो। 2. कर्म करते रहो, परिणाम की चिंता न करो। 3. सत्य, सेवा और न्याय को ही जीवन का मार्ग बनाओ। यही गीता का सार है और यही जीवन का वास्तविक धर्म है।
Hindu Rituals - हिन्दू रीति रिवाज
🌸🙏 सभी साधक जनों को हार्दिक अभिवादन 🙏🌸
✨ आज का ज्ञान ✨
**कर्म ही धर्म है – गीता का संदेश**
भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा –
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।” (गीता 2.47)
अर्थात् – “तुझे केवल अपने कर्तव्य कर्म का ही अधिकार है, फल पर नहीं।”
आज के समय में मनुष्य का सबसे बड़ा भ्रम यही है कि वह कर्म की जगह केवल फल पर ध्यान देता है। परिणामस्वरूप, जीवन में अधीरता, असंतोष और मानसिक अशांति बढ़ जाती है।
समाज में भी यही स्थिति है – लोग सेवा, कर्तव्य और सत्य की जगह केवल लाभ और परिणाम के पीछे भाग रहे हैं।
यदि गीता का यह संदेश जीवन में उतार लिया जाए तो मनुष्य अपने कर्म को ही पूजा समझेगा। किसान खेत जोतेगा तो इसे धर्म समझकर करेगा, व्यापारी न्यायपूर्ण लेन-देन करेगा तो उसे धर्म समझकर करेगा, और विद्यार्थी पढ़ाई करेगा तो उसे साधना मानकर करेगा। जब प्रत्येक मनुष्य अपने कर्तव्य को धर्म मानकर करेगा, तभी समाज में संतुलन, शांति और न्याय स्थापित होगा।
🌼 **वर्तमान शिक्षा** 🌼
आज का समय हमें पुकार रहा है –
1. अपने कार्य को ही पूजा समझो।
2. कर्म करते रहो, परिणाम की चिंता न करो।
3. सत्य, सेवा और न्याय को ही जीवन का मार्ग बनाओ।
यही गीता का सार है और यही जीवन का वास्तविक धर्म है।
---
✍️ *लेखक* –
**राजीव सिंह**
धर्मयोद्धा • चिंतक • भक्ति-संगीत साधक
📲 हमारे साथ आध्यात्मिक चर्चा हेतु जुड़ें:
👉 WhatsApp Group: **Spiritual Talk**
🔗 chat.whatsapp.com/L4D0IisBOgaGNJ8rXdhmjA?mode=ac_t
🙏 अधिक गहन चिंतन एवं दैनिक संदेशों के लिए हमारे WhatsApp Channel से भी जुड़े:
🔗 whatsapp.com/channel/0029VaAF89BCMY0NLXB5I402
1 week ago | [YT] | 26