माँ दुर्गा के सभी रूप 🌸 माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री। माता का प्रथम स्वरूप, नंदी बैल पर सवार, हाथों में त्रिशूल और कमल। ये शक्ति और दृढ़ता की प्रतीक हैं। माँ ब्रह्मचारिणी माता का दूसरा रूप। हाथों में जपमाला और कमंडल धारण करती हैं। ये तपस्या और संयम की देवी हैं। माँ चंद्रघंटा तीसरा स्वरूप, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र की घंटा के समान आकृति है। इनका वाहन सिंह है, दस भुजाएँ और प्रत्येक हाथ में शस्त्र। ये वीरता और पराक्रम की प्रतीक हैं। माँ कूष्मांडा चौथा स्वरूप, जिन्होंने ब्रह्मांड की रचना की। आठ भुजाएँ, हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र और कमल। इन्हें "आदिसृष्टि की जननी" कहा जाता है। माँ स्कंदमाता पाँचवाँ स्वरूप, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता। शेर पर सवार, गोद में बाल स्कंद। ये मातृत्व और करुणा की देवी हैं। माँ कात्यायनी छठा स्वरूप। ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रकट हुईं। सिंह पर सवार, चार भुजाएँ, हाथों में तलवार और कमल। ये साहस और विजय की देवी हैं। माँ कालरात्रि सातवाँ स्वरूप। काले रंग की, विकराल रूप, परंतु भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी। इनके हाथ में वज्र और तलवार है, और वाहन गधा। ये नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं। माँ महागौरी आठवाँ स्वरूप। अत्यंत श्वेत और सुंदर, बैल पर सवार। चार भुजाएँ, हाथ में त्रिशूल और डमरू। ये पवित्रता और शांति की प्रतीक हैं। माँ सिद्धिदात्री नवाँ स्वरूप। कमल पर विराजमान, चार भुजाएँ, हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल। ये सभी सिद्धियाँ और आनंद प्रदान करने वाली हैं जयमातारानी🌹👏
Santoshi Rajput 21
माँ दुर्गा के सभी रूप 🌸
माँ शैलपुत्री
पर्वतराज हिमालय की पुत्री।
माता का प्रथम स्वरूप, नंदी बैल पर सवार, हाथों में त्रिशूल और कमल।
ये शक्ति और दृढ़ता की प्रतीक हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी
माता का दूसरा रूप।
हाथों में जपमाला और कमंडल धारण करती हैं।
ये तपस्या और संयम की देवी हैं।
माँ चंद्रघंटा
तीसरा स्वरूप, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र की घंटा के समान आकृति है।
इनका वाहन सिंह है, दस भुजाएँ और प्रत्येक हाथ में शस्त्र।
ये वीरता और पराक्रम की प्रतीक हैं।
माँ कूष्मांडा
चौथा स्वरूप, जिन्होंने ब्रह्मांड की रचना की।
आठ भुजाएँ, हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र और कमल।
इन्हें "आदिसृष्टि की जननी" कहा जाता है।
माँ स्कंदमाता
पाँचवाँ स्वरूप, भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता।
शेर पर सवार, गोद में बाल स्कंद।
ये मातृत्व और करुणा की देवी हैं।
माँ कात्यायनी
छठा स्वरूप।
ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रकट हुईं।
सिंह पर सवार, चार भुजाएँ, हाथों में तलवार और कमल।
ये साहस और विजय की देवी हैं।
माँ कालरात्रि
सातवाँ स्वरूप।
काले रंग की, विकराल रूप, परंतु भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी।
इनके हाथ में वज्र और तलवार है, और वाहन गधा।
ये नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं।
माँ महागौरी
आठवाँ स्वरूप।
अत्यंत श्वेत और सुंदर, बैल पर सवार।
चार भुजाएँ, हाथ में त्रिशूल और डमरू।
ये पवित्रता और शांति की प्रतीक हैं।
माँ सिद्धिदात्री
नवाँ स्वरूप।
कमल पर विराजमान, चार भुजाएँ, हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल।
ये सभी सिद्धियाँ और आनंद प्रदान करने वाली हैं जयमातारानी🌹👏
1 day ago | [YT] | 4