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समुद्र की लहरों के बीच, एक छोटी डॉल्फिन "नीली" अपने झुंड के साथ मस्ती करती थी। वह बाकी सब से अलग थी — ज्यादा चंचल, ज्यादा भावुक। मगर उसके शरीर में एक कमजोरी थी, उसकी पीठ पर चोट का एक पुराना निशान, जिससे वह बहुत तेज़ नहीं तैर पाती थी।

एक दिन समुद्र में एक तूफान आया। लहरें उफान पर थीं और नीली का झुंड तितर-बितर हो गया। इंसानों की एक बोट भी पास ही फँसी हुई थी, जिसमें एक बच्चा था जो डर के मारे रो रहा था। नीली को खतरे का आभास हुआ। वह दर्द में होने के बावजूद बोट की तरफ बढ़ी। अपनी चोंच से बोट को किनारे की ओर धकेलने लगी।

कई घंटों की जद्दोजहद के बाद, वह बोट को किनारे तक ले आई। लोगों ने नीली की बहादुरी देखी और मोबाइल से वीडियो बना डाली। मगर जब सब शांत हुआ, नीली वहीं किनारे पर बेसुध हो गई। उसकी साँसे धीमी थीं, पर चेहरा शांत।

अगले दिन लोगों ने समुद्र किनारे उसकी मूर्ति बनाई — "नीली: समुद्र की रक्षक"। अब वो हर साल नीली के सम्मान में एक दिन मनाते हैं।

सीख: असली ताक़त शरीर में नहीं, दिल और इरादे में होती है।

6 days ago | [YT] | 461