Gardening point DS

नाजुक मैं
मजबूत तुम,
छत्त मैं
स्तम्भ तुम।

वंदनवार लगाती मैं
चौखट पर
स्टूल पकड़ते तुम।

चिड़िया सी
उड़ने को बेचैन मैं
मोहपाश में बांधे तुम।

दोनो एक दूजे बिन सूने
गृहस्थी मैं, घर तुम

लापरवाह मैं दुनियादारी से
हर वक्त चेताते समझदार तुम।

बाबुल से छूटी ऊंगलियाँ
बने हथेली तुम।

मैं अल्हड़ नाराज सी
मुझे मनाते तुम।

मैं बिन रंग की तस्वीर सी
मुझे सजाते तुम,
एक दूजे बिना अकेले
मन मैं और देह तुम ।।

साड़ी के पल्लू पर शान से लटकता
गुच्छा मैं
तिजौरी तुम,
दोनो बिन आधे घर के रिश्ते
रोटी मैं
और रोज़ी तुम।

शोभा नहीं होती
कुछ भी तुम बिन
कविता मैं
और अलंकार तुम।।

❤️❤️

2 days ago | [YT] | 11



@seemaverma8349

Very nice poem 👏👏❤❤❤❤

21 hours ago | 0

@DSNHVLOGS

Beautiful 😊

2 days ago | 1