पिता ने पांच बच्चों को फंदे से लटकाया, फिर खुद भी लगा ली फांसी, बिहार के मुजफ्फरपुर की घटना, मुजफ्फरपुर में सोमवार सुबह एक पिता ने आर्थिक तंगी की वजह से अपने पांच बच्चों के साथ फांसी लगा ली। इस घटना में तीन बेटियों के साथ पिता की मौत हो गई, जबकि दो बेटे बच गए। एक ही परिवार में एक साथ चार मौत से इलाके में सनसनी फैल गई। ये घटना सकरा थाना इलाके नवलपुर मिश्रौलिया गांव की है। घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस जांच में जुट गई है। सोमवार की सुबह इस घटना की जानकारी मिली। मरने वालों में अमरनाथ राम (40), राधा कुमारी (11), राधिका (9), शिवानी (7) शामिल है। अमरनाथ राम ने अपने दो बेटे शिवम कुमार (6) और चंदन (4) को भी फांसी लगाने को कहा था, लेकिन दोनों बच गए। दोनों बच्चे घर से बाहर निकले और शोर मचाने लगे। अमरनाथ की पत्नी की मौत हो चुकी है। वो अकेले ही छोटी-मोटी मजदूरी कर के 5 बच्चों को पालता था। अमरनाथ के बेटे शिवम ने बताया कि 'रात को पूरे परिवार ने खाने में अंडे की भुजिया और आलू सोयाबीन की सब्जी के साथ चावल खाया था। बहन ने खाना बनाया था। हमारी मां की मौत हो चुकी है। हमारे परिवार में पापा ही थे। वो ही हमारा ध्यान रखते थे। पिता ने सबको जगाया। मैं मोबाइल देख रह था तो मुझे नींद नहीं आई थी। पापा ने हम पांचों (तीन बेटी और दो बेटे) के गले में मां की साड़ी से फंदा डालकर ट्रंक पर चढ़ने को कहा और घर की छत से लटका दिया। इसके बाद उन्होंने हमें ट्रंक से कूदने के लिए कहा। सभी बहनें पापा के साथ झटके से कूद गईं। मैं भी कूद गया, लेकिन गला दबने से दर्द होने पर फंदा ढीला कर दिया और खुद को फंदे से निकाल लिया। इसके बाद मैंने अपने भाई चंदन के गले से भी फंदा खोल दिया और बाहर निकलकर शोर मचाने लगा।' बच्चों को खाना तक नहीं खिला पाता था
गांव वालों के मुताबिक, 'अमरनाथ की पत्नी होली के आसपास बीमारी से चल बसी थी। वह दूसरों के घरों में झाड़ू-पोंछा कर परिवार का पेट पालती थी। उसकी मौत के बाद घर की आमदनी लगभग खत्म हो गई। अमरनाथ कभी-कभार मजदूरी करता था। लेकिन काम नियमित नहीं मिलता था। कई दिन ऐसे गुजरते थे, जब घर में चूल्हा तक नहीं जलता था।
बच्चों का पेट भरने के लिए वह सरकारी राशन प्रणाली पर पूरी तरह निर्भर था। कोटेदार से मिलने वाला अनाज ही पूरे परिवार का सहारा था, लेकिन वह हर महीने राशन भी लेने नहीं जाता था। घर भी घास-फूस का कच्चा बना हुआ है। न बिजली, न पंखा और न ही कोई बुनियादी सुविधा। बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे, क्योंकि किताब, कॉपी, कपड़े और फीस जैसी जरूरतें पूरी करना उसके बस की नहीं थीं। रोजमर्रा की जरूरतें कपड़े, खाना-सब कुछ धीरे-धीरे उसके लिए बोझ बनता जा रहा था। गांव वालों का कहना है कि अमरनाथ अक्सर चुपचाप रहता था, किसी से ज्यादा बात नहीं करता था। कभी शराब पीकर भी आता था, तब बच्चों को गुस्से में पीटता भी था। इसी हताशा में उसने सभी बच्चों को मारकर जान देने की कोशिश की लेकिन दो बच्चे किसी तरह बच गए।' Mujaffarpur, Bihar, amarnath ram news, #biharnews#bihar#mujaffarpur#mujaffarpurnews#amarnathram
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पिता ने पांच बच्चों को फंदे से लटकाया, फिर खुद भी लगा ली फांसी, बिहार के मुजफ्फरपुर की घटना,
मुजफ्फरपुर में सोमवार सुबह एक पिता ने आर्थिक तंगी की वजह से अपने पांच बच्चों के साथ फांसी लगा ली। इस घटना में तीन बेटियों के साथ पिता की मौत हो गई, जबकि दो बेटे बच गए।
एक ही परिवार में एक साथ चार मौत से इलाके में सनसनी फैल गई। ये घटना सकरा थाना इलाके नवलपुर मिश्रौलिया गांव की है।
घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस जांच में जुट गई है। सोमवार की सुबह इस घटना की जानकारी मिली। मरने वालों में अमरनाथ राम (40), राधा कुमारी (11), राधिका (9), शिवानी (7) शामिल है।
अमरनाथ राम ने अपने दो बेटे शिवम कुमार (6) और चंदन (4) को भी फांसी लगाने को कहा था, लेकिन दोनों बच गए। दोनों बच्चे घर से बाहर निकले और शोर मचाने लगे।
अमरनाथ की पत्नी की मौत हो चुकी है। वो अकेले ही छोटी-मोटी मजदूरी कर के 5 बच्चों को पालता था।
अमरनाथ के बेटे शिवम ने बताया कि 'रात को पूरे परिवार ने खाने में अंडे की भुजिया और आलू सोयाबीन की सब्जी के साथ चावल खाया था। बहन ने खाना बनाया था। हमारी मां की मौत हो चुकी है। हमारे परिवार में पापा ही थे। वो ही हमारा ध्यान रखते थे।
पिता ने सबको जगाया। मैं मोबाइल देख रह था तो मुझे नींद नहीं आई थी। पापा ने हम पांचों (तीन बेटी और दो बेटे) के गले में मां की साड़ी से फंदा डालकर ट्रंक पर चढ़ने को कहा और घर की छत से लटका दिया।
इसके बाद उन्होंने हमें ट्रंक से कूदने के लिए कहा। सभी बहनें पापा के साथ झटके से कूद गईं। मैं भी कूद गया, लेकिन गला दबने से दर्द होने पर फंदा ढीला कर दिया और खुद को फंदे से निकाल लिया।
इसके बाद मैंने अपने भाई चंदन के गले से भी फंदा खोल दिया और बाहर निकलकर शोर मचाने लगा।'
बच्चों को खाना तक नहीं खिला पाता था
गांव वालों के मुताबिक, 'अमरनाथ की पत्नी होली के आसपास बीमारी से चल बसी थी। वह दूसरों के घरों में झाड़ू-पोंछा कर परिवार का पेट पालती थी। उसकी मौत के बाद घर की आमदनी लगभग खत्म हो गई। अमरनाथ कभी-कभार मजदूरी करता था। लेकिन काम नियमित नहीं मिलता था। कई दिन ऐसे गुजरते थे, जब घर में चूल्हा तक नहीं जलता था।
बच्चों का पेट भरने के लिए वह सरकारी राशन प्रणाली पर पूरी तरह निर्भर था। कोटेदार से मिलने वाला अनाज ही पूरे परिवार का सहारा था, लेकिन वह हर महीने राशन भी लेने नहीं जाता था।
घर भी घास-फूस का कच्चा बना हुआ है। न बिजली, न पंखा और न ही कोई बुनियादी सुविधा। बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे, क्योंकि किताब, कॉपी, कपड़े और फीस जैसी जरूरतें पूरी करना उसके बस की नहीं थीं।
रोजमर्रा की जरूरतें कपड़े, खाना-सब कुछ धीरे-धीरे उसके लिए बोझ बनता जा रहा था। गांव वालों का कहना है कि अमरनाथ अक्सर चुपचाप रहता था, किसी से ज्यादा बात नहीं करता था। कभी शराब पीकर भी आता था, तब बच्चों को गुस्से में पीटता भी था। इसी हताशा में उसने सभी बच्चों को मारकर जान देने की कोशिश की लेकिन दो बच्चे किसी तरह बच गए।'
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3 days ago | [YT] | 57