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मुग़ल ए आज़म — 65 साल पहले अगस्त की 5 अगस्त 1960 को रिलीज़ हुई यह फ़िल्म न केवल हिंदी सिनेमा का एक अनमोल रत्न है, बल्कि भारतीय फिल्म इतिहास की एक इंद्रधनुषी कहानी भी कहती है।🎬
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करीमुद्दीन आसिफ़ ने 1944 में इस फ़िल्म के बनने का सपना देखा था, जब उन्होंने इम्तियाज़ अली ताज़ का लिखा उर्दू नाटक "अनारकली" पढ़ा। इम्तियाज़ अली ताज़ की लेखनी इतनी प्रबल थी कि उन्होंने सौ से ज़्यादा किताबें लिखीं और "चचा छक्कन" जैसे लोकप्रिय किरदार भी दिए। के. आसिफ़ ने इस फिल्म की कहानी लिखने के लिए चार लेखकों को चुना — अमानुल्लाह ख़ान (ज़ीनत अमान के पिता), वजाहत मिर्ज़ा, कमाल अमरोही और एहसान रिज़वी।👌
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फ़िल्म की शुरुआत में चंद्रमोहन (अकबर), सप्रू (सलीम), और नरगिस (अनारकली) को मुख्य भूमिकाओं में रखा गया था, और 1946 में बॉम्बे टॉकीज में शूटिंग भी शुरू हुई। लेकिन स्वतंत्रता संग्राम की हलचल, निर्माता शीराज़ अली का पाकिस्तान चले जाना और चंद्रमोहन की असमय मौत के कारण फिल्म रुक गई।👍
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फिर शापूरजी पालूनजी मिस्री, जिन्हें इतिहास में गहरी रुचि थी, ने 1950 के दशक में फिल्म के निर्माण को आगे बढ़ाया।
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दिलचस्प यह भी है कि इसी कहानी पर फिल्मीस्तान स्टूडियोज़ ने 1953 में "अनारकली" बनाई, जिसमें नासिर हुसैन ने पटकथा लिखी और नंदलाल जसवंतलाल ने निर्देशन किया। उस फिल्म के हीरो प्रदीप कुमार और हीरोइन बीना राय थीं, और यह फिल्म भी हिट रही।😊
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लेकिन के. आसिफ़ अपनी जिद्द पर अड़े रहे। उन्होंने दिलीप कुमार को सलीम की भूमिका और मधुबाला को अनारकली के रूप में चुना। पृथ्वीराज कपूर अकबर के रोल में, दुर्गा खोटे जोधाबाई के रूप में थीं। आसिफ़ ने इस फ़िल्म में अपनी पूरी रचनात्मक ऊर्जा झोंक दी, और निर्माताओं ने उनका पूरा साथ दिया।🤷
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फिल्म का एक हिस्सा रंगीन (कलर) में शूट हुआ, जो उस समय के लिए बहुत बड़ा प्रयोग था। नौशाद साहब ने शकील बदायूंनी के शब्दों पर उस्ताद बड़े गुलाम अली ख़ां जैसे कलाकारों को गाने गाने के लिए मनाया, जिनके गाने आज भी अमर हैं।🙌
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गोपाल बलवंत कांबले ने फ़िल्म के पोस्टर बनाए, जिन्होंने शांताराम की कई फिल्में भी सज़ाई थीं। 5 अगस्त 1960 को जब फ़िल्म रिलीज़ हुई, तो इसे 150 स्क्रीन पर एक साथ रिलीज़ किया गया था, जो उस जमाने के लिए रिकॉर्ड था। दिलीप कुमार प्रीमियर पर मौजूद नहीं थे, पर फ़िल्म ने भव्यता और शान से दर्शकों का दिल जीत लिया।🤗
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फिल्म का कलर प्रिंट 12 नवंबर 2004 को रिलीज़ हुआ, जिसमें संगीत को डिजिटलाइज और री-रिकॉर्ड किया गया। इसके संगीतकार उत्तम सिंह ने इसे नए युग के लिए तैयार किया।👌
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"मुग़ल ए आज़म" के संवाद इतने प्रभावशाली थे कि उनके रिकॉर्ड हमारे घर में भी हुआ करते थे, और आज भी वे मन में गूंजते हैं।👍
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आपने कितनी बार यह क्लासिक फिल्म देखी है? आपकी कौन-सी यादें या पसंदीदा बातें इस फिल्म से जुड़ी हैं?🤔
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2 months ago | [YT] | 3