निर्मल मन जन सो मोहिं पावा, मोहिं कपट छल छिद्र न भावा।
अर्थात् निर्मल मन से ही ईश्वर की अनुभूति की जा सकती है। ईश्वर को प्रेम चाहिए वह प्रेम का भूखा है। ईश्वर के प्रति यदि व्यक्ति छल, कपट रखकर उसे प्राप्त करना चाहता है तो यह कदापि संभव नहीं है।
❤1111❤ i claim this very positive loving energy me my love gurpreet singh gill meet soonly for marriage in 7 days wahooo thnku universe love angles all goddess🙏🏻🥰🤲🏻m👆🏻
Vaishnavi
निर्मल मन जन सो मोहिं पावा, मोहिं कपट छल छिद्र न भावा।
अर्थात् निर्मल मन से ही ईश्वर की अनुभूति की जा सकती है। ईश्वर को प्रेम चाहिए वह प्रेम का भूखा है। ईश्वर के प्रति यदि व्यक्ति छल, कपट रखकर उसे प्राप्त करना चाहता है तो यह कदापि संभव नहीं है।
1 year ago | [YT] | 1,549