कंचन एक स्कूल टीचर थी और उसे अकेलापन बहुत खलता था। एक दिन स्कूल से लौटते वक़्त उसे सड़क किनारे एक घायल तोता मिला। वह उसके पंख बुरी तरह घायल थे। कंचन उसे अपने घर ले आयी और धीरे-धीरे उसकी देखभाल करने लगी। उसने उसका नाम रखा – लुसी।
हर सुबह वह लुसी से बातें करती, उसे फल खिलाती और किताब पढ़ते वक्त उसे पास बिठाती। कुछ ही महीनों में लुसी पूरी तरह ठीक हो गई, लेकिन उसने उड़ना छोड़ दिया। वह अब कंचन के घर को ही अपना संसार मानने लगी थी।
एक दिन जब कंचन की तबियत खराब हो गई और वह बेहोश हो गई, तो लुसी ने अपने पंख फड़फड़ाए, खिड़की से उड़ गई और पास के मेडिकल स्टोर में जाकर लोगों का ध्यान खींचा। एक आदमी लुसी के पीछे-पीछे घर आया और कंचन को समय पर अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर ने कहा — थोड़ी और देर हो जाती, तो जान भी जा सकती थी।
लुसी अब न सिर्फ कंचन की दोस्त है, बल्कि उसकी जीवनरक्षक भी।
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कंचन एक स्कूल टीचर थी और उसे अकेलापन बहुत खलता था। एक दिन स्कूल से लौटते वक़्त उसे सड़क किनारे एक घायल तोता मिला। वह उसके पंख बुरी तरह घायल थे। कंचन उसे अपने घर ले आयी और धीरे-धीरे उसकी देखभाल करने लगी। उसने उसका नाम रखा – लुसी।
हर सुबह वह लुसी से बातें करती, उसे फल खिलाती और किताब पढ़ते वक्त उसे पास बिठाती। कुछ ही महीनों में लुसी पूरी तरह ठीक हो गई, लेकिन उसने उड़ना छोड़ दिया। वह अब कंचन के घर को ही अपना संसार मानने लगी थी।
एक दिन जब कंचन की तबियत खराब हो गई और वह बेहोश हो गई, तो लुसी ने अपने पंख फड़फड़ाए, खिड़की से उड़ गई और पास के मेडिकल स्टोर में जाकर लोगों का ध्यान खींचा। एक आदमी लुसी के पीछे-पीछे घर आया और कंचन को समय पर अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर ने कहा — थोड़ी और देर हो जाती, तो जान भी जा सकती थी।
लुसी अब न सिर्फ कंचन की दोस्त है, बल्कि उसकी जीवनरक्षक भी।
6 days ago | [YT] | 992