Swasti Mehul Music

When Delhi turned in to Vrindavan with Swasti Mehul Live ❤️ More than 6000 sang together and celebrated 🎶 #Swastimehul #swastimehullive

1 month ago | [YT] | 3,528



@RajdeepSingh-ck1li

Jai Shree Krishna Radhe Radhe

1 month ago | 3

@shivanshi-b7h

Radhe Radhe 🙏❤

1 month ago | 2

@RAJENDRATAK-le9ke

वेदों के अनुसार, स्वतंत्रता का अर्थ केवल बाहरी बाधाओं से मुक्ति नहीं है, बल्कि आंतरिक इच्छाओं और आसक्तियों से मुक्ति भी है। यह आत्म-साक्षात्कार और ब्रह्म (परमात्मा) के साथ एकता की अवस्था है। विस्तार से:स्वराज्य: वेदों में "स्वराज्य" शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है "स्वयं का राज्य" या "आत्मा का राज्य"। यह भौतिक इच्छाओं से मुक्ति और आत्म-नियंत्रण की अवस्था है। आत्म-साक्षात्कार: वेदों में स्वतंत्रता को आत्म-साक्षात्कार के साथ जोड़ा गया है, जिसका अर्थ है अपनी वास्तविक प्रकृति को जानना और उसे प्राप्त करना। नैतिक मूल्यों का पालन: वेदों में, स्वतंत्रता का अर्थ यह भी है कि व्यक्ति नैतिक मूल्यों का पालन करे, जैसे सत्य, अहिंसा, और दया। भय से मुक्ति: जब व्यक्ति ब्रह्म को जान लेता है, तो वह भय से मुक्त हो जाता है, क्योंकि वह जानता है कि वह शाश्वत और अविनाशी है। सकारात्मक स्वतंत्रता: स्वतंत्रता केवल प्रतिबंधों की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि सकारात्मक रूप से कार्य करने और अपने जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता है। सामाजिक जिम्मेदारी: वेदों में, स्वतंत्रता को सामाजिक जिम्मेदारी के साथ भी जोड़ा गया है। व्यक्ति को न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी स्वतंत्र होने का प्रयास करना चाहिए। संक्षेप में, वेदों के अनुसार, स्वतंत्रता एक बहुआयामी अवधारणा है जो बाहरी और आंतरिक दोनों पहलुओं को शामिल करती है। यह आत्म-साक्षात्कार, भय से मुक्ति, नैतिक मूल्यों का पालन, सकारात्मक कार्रवाई और सामाजिक जिम्मेदारी का एक संयोजन है। 🪔🕉🌞🌏🌝🪐🌈🐚✌️🔱🏹⚔️⚖️🐓🦜🐤🪺🦚🦅🦉🕊🦤🦩🦢🐳🐍🐊🐍🐉🐚🪼🦀🐙🦞🦐🦑🐌🐛🐜🐝🪲🐞🦗🕷🪳🦂🦟🪰🪱🦠🐢🐗🐂

1 month ago | 0

@arjunSethy-x6j

Radhe radhe 🌹❤️

1 month ago | 1

@HindiMeditation

radhe radhe ❤ u r truly blessed Swasti 🎉

1 month ago | 1

@RAJENDRATAK-le9ke

भारतीय पौराणिक कथाओं में, असुरों और देवताओं की अर्थव्यवस्थाओं को उनके मूल्यों और जीवनशैली के आधार पर अलग-अलग तरीके से चित्रित किया गया है। देवताओं की अर्थव्यवस्था को "अमृत" और "सुख" से जोड़ा जाता है, जबकि असुरों की अर्थव्यवस्था "शक्ति" और "भौतिक सुख" पर केंद्रित होती है। देवताओं की अर्थव्यवस्था: अमृत: देवताओं का मुख्य लक्ष्य अमरत्व और शाश्वत सुख प्राप्त करना है। उनकी अर्थव्यवस्था इस लक्ष्य को प्राप्त करने के साधनों पर केंद्रित है। त्याग और बलिदान: देवताओं की अर्थव्यवस्था में, त्याग और बलिदान को महत्वपूर्ण माना जाता है। वे अपनी शक्तियों का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए करते हैं। न्याय और धर्म: देवताओं की अर्थव्यवस्था न्याय और धर्म पर आधारित है। वे हमेशा सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं। सृजनात्मकता और ज्ञान: देवताओं को ज्ञान और कला का संरक्षक माना जाता है। उनकी अर्थव्यवस्था ज्ञान और रचनात्मकता को बढ़ावा देती है। असुरों की अर्थव्यवस्था: शक्ति और विजय: असुरों का मुख्य लक्ष्य शक्ति और विजय प्राप्त करना है। उनकी अर्थव्यवस्था इस लक्ष्य को प्राप्त करने के साधनों पर केंद्रित है। भौतिक सुख: असुरों को भौतिक सुख और ऐश्वर्य का लालच होता है। उनकी अर्थव्यवस्था इन सुखों को प्राप्त करने के साधनों पर केंद्रित है। संघर्ष और युद्ध: असुरों को संघर्ष और युद्ध में आनंद आता है। उनकी अर्थव्यवस्था युद्ध और संघर्ष के साधनों पर केंद्रित है। अहंकार और अभिमान: असुरों में अहंकार और अभिमान की भावना होती है। उनकी अर्थव्यवस्था इन भावनाओं को बढ़ावा देती है। निष्कर्ष: पौराणिक कथाओं में, देवताओं और असुरों की अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक स्पष्ट अंतर है। देवताओं की अर्थव्यवस्था त्याग, न्याय और ज्ञान पर आधारित है, जबकि असुरों की अर्थव्यवस्था शक्ति, भौतिक सुख और संघर्ष पर आधारित है। यह अंतर उनके मूल्यों और जीवनशैली को दर्शाता है। 🪔🕉🌞🌏🌝🪐🌈🐚✌️🔱🏹⚔️⚖️🐓🦜🐤🪺🦚🦅🦉🕊🦤🦩🦢🐳🐍🐊🐍🐉🐚🪼🦀🐙🦞🦐🦑🐌🐛🐜🐝🪲🐞🦗🕷🪳🦂🦟🪰🪱🦠🐢🐗🐂🦁🐯🫎🐏🐐🐘🦄🦓🦒🐕🐰🐁🐿🐱🐒🐻🐨🐼🐻‍❄️🦥🦘🦨🦦🦍🫂👣🚩📿🔔🪷🌺🌷⚘️🌹🏵💮🌸🌼🏵🌻💐🦋🙏🫂🪔 देवी के देश और आसुरी देश देवीक (दैवीय) और आसुरी देश, जैसा कि श्रीमद्भगवद्गीता में वर्णित है, दो प्रकार की मानसिक अवस्थाओं या गुणों को दर्शाते हैं जो मनुष्यों में मौजूद हैं। दैवीय गुण मुक्ति की ओर ले जाते हैं, जबकि आसुरी गुण बंधन का कारण बनते हैं। देवीक (दैवीय) देश: सद्गुण: ये गुण मनुष्य को अच्छे कर्म करने, दूसरों की मदद करने और आत्म-नियंत्रण रखने के लिए प्रेरित करते हैं। मुक्ति: दैवीय गुणों का पालन करने से व्यक्ति सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर आध्यात्मिक विकास कर सकता है। उदाहरण: अक्रोध (क्रोध न करना), अमानित्व (अभिमान न करना), अहिंसा (हिंसा न करना), क्षमा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), अद्रोह (किसी को धोखा न देना), दया, निर्लोभता, शील, अपैशुन (चुगली न करना), तेज, क्षमा, धैर्य, शौच, अद्रोह, अनास्था आसुरी देश: दुष्गुण: ये गुण मनुष्य को बुरे कर्म करने, स्वार्थी बनने और आत्म-नियंत्रण खोने के लिए प्रेरित करते हैं। बंधन: आसुरी गुणों का पालन करने से व्यक्ति सांसारिक बंधनों में फंस जाता है और आध्यात्मिक विकास में बाधा आती है। उदाहरण: दम्भ (दिखावा), दर्प (घमंड), अभिमान, क्रोध, परुषत्व (कठोरता), अज्ञान, अहंकार, काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर भगवद्गीता में वर्णन: अध्याय 16 में, भगवान कृष्ण अर्जुन को दैवीय और आसुरी गुणों के बीच अंतर बताते हैं। वे कहते हैं कि दैवीय गुणों को अपनाना मुक्ति का मार्ग है, जबकि आसुरी गुणों को अपनाना बंधन का मार्ग है। अर्जु

1 month ago | 0

@latikapatel61

Radhe Radhe

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@RAJENDRATAK-le9ke

स्वतन्त्रता दिवस पर एक गुरू से शिष्यों ने कहा गुरूजी आज का प्रवचन दीजिए तो गुरूजी ने कहा आज अखबार छपा क्या? तो शिष्य एक दुसरे की तरफ देखने लगे कि गुरूजी क्या बोल रहे हैं तब गुरूजी ने कहा आज आपको सुनाने को इतना ही हैं आज आप सब स्वतंत्र हैं हमारी और से अपने-आप के लिए जाओं अपनी सच्ची स्वतंत्रता को जी लो उनमें से कुछ शिष्यों ने सच्ची स्वतंत्रता का अर्थ जान नया जन्म धरती पर प्राप्त कर गए।

1 month ago | 0

@UshaDevi-rf2zk

Very beautiful 😍❤

1 month ago | 0

@kinjalpandya9281

राघे राघे ❤️❤️❤️❤️❤️💖💖❤️‍🔥

1 month ago | 0

@RAJENDRATAK-le9ke

निष्कर्ष: देवीक और आसुरी देश दो अलग-अलग प्रकार के गुण हैं जो मनुष्यों में मौजूद हैं। दैवीय गुणों को अपनाकर, व्यक्ति आध्यात्मिक विकास कर सकता है और मुक्ति प्राप्त कर सकता है। वहीं, आसुरी गुणों को अपनाकर, व्यक्ति सांसारिक बंधनों में फंस सकता है और पतन की ओर जा सकता है। असुर कहीं अलग से नहीं आते बल्कि वह हमारे बीच से ही उत्पन्न होते हैं. जो सभ्यता के ... जो सभ्यता के विपरीत और विरोध में काम करें वही असुर है. दैवीय और आसुरी गुण प्रत्येक मानव में विद्यमान होते हैं. दैवीय गुण जहां हमें देश, राज्य, समाज और मानवता के कल्याण की तरफ प्रेरित करते हैं, वहीं आसुरी शक्तियां हमें विध्वंस... दैवीय गुण और आसुरी गुण || श्रीमद्भगवद्गीता पर दैवीय गुण और आसुरी गुण || श्रीमद्भगवद्गीता पर हर काम का कुछ नतीजा तो निकलेगा ही न? ... * हर जीव दिन भर कुछ-न-कुछ कर ही रहा है। ... * वो कह रहे हैं, “लेकिन सम्पदा दो तरह की होती है, क्योंकि कर्म दो तरह के हो... अनुवादित — समानार्थी शब्द दैवी – दिव्य ; संपत – संपत्ति ; विमोक्षाय - मुक्ति के लिए ; निबन्धाय – बंधन के लिए ; आसुरी – आसुरी गुण ; मता – माने जाते हैं ; मा – मत करो ; शुचः – चिंता ; सम्पदाम् – सम्पत्ति ; दैवीम् – दिव्य ; अभिजातः - से उत्प... दैवी एवं आसुरी सम्पदा की व्याख्या व उनके परिणाम - विवेचन सारांश दैवो विस्तरशः(फ्) प्रोक्त , आसुरं(म्) पार्थ मे शृणु।। 16.6।। इस लोक में दो तरह के ही प्राणियों की सृष्टि है -- दैवी और आसुरी। दैवी को तो (मैंने) विस्तार से कह दिया, (अब) हे पार्थ! लोग यह भी जानना चाहते हैं आसुरी प्रवृत्ति का क्या अर्थ है? आसुरी संपदा क्या है? दैवी संपदा क्या है? सलाह दैवीय एवं आसुरी गुण सम्पदाएँ - विवेचन सारांश | (तुम) मुझसे आसुरी को (विस्तार) से सुनो। विवेचनः दो प्रकार के (दैवी और आसुरी) लोग पृथ्वी पर होते हैं। हम स्वयं का मूल्यांकन कर सकते हैं। दैवी गुण सात्विकता और आसुरी गुण तामसिकता को बताते हैं। दैवी गुण-संपदा का ... दैवीय गुण और आसुरी गुण || श्रीमद्भगवद्गीता पर दैवी सम्पद्विमोक्षाय निबन्धायासुरी मता। मा शुचः सम्पदं दैवीमभिजातोऽसि पाण्डव।। दैवी संपदा मुक्ति के लिए और आसुरी संपदा बाँधने के लिए मानी गई है। इसलिए हे अर्जुन! तू शोक मत कर, क्योंकि तू दैवी सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुआ है। दैवीय और आसुरी सम्पदा का किया वर्णन दैवी सम्पदा मुक्ति के लिए और आसुरी सम्पदा बंधन का कारण है। श्रीमद्भागवत गीता के सोलहवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि भय का सर्वथा अभाव, अन्त: करण की पूर्ण निर्मलता, ... प्रसंग-. इस प्रकार देवी-सम्पत् और आसुरी-सम्पत् से युक्त पुरुषों के लक्षणों का वर्णन करके अब भगवान् दोनों सम्पदाओं का फल बतलाते हुए अर्जुन को दैवी- सम्पदा से युक्त ... दैवी तथा आसुरी स्वभाव | दैवी और आसुरी प्रकृतियाँ भगवान ने कहा: अभय, आत्मशुद्धि, आध्यात्मिक ज्ञान का अनुशीलन, दान, आत्मसंयम, यज्ञ, वेदों का अध्ययन, तप और सरलता; अहिंसा, सत्य, क्रोध से मुक्ति; त्याग, शांति, दोष-निवारण से घृणा, करुणा और लोभ से मुक्ति; नम्रता, विनय और ... असुर कहीं अलग से नहीं आते बल्कि वह हमारे बीच से ही उत्पन्न होते हैं. जो सभ्यता के ... दैवीय और आसुरी गुण प्रत्येक मानव में विद्यमान होते हैं. दैवीय गुण जहां हमें देश, राज्य, समाज और मानवता के कल्याण की ...

1 month ago | 0

@RAJENDRATAK-le9ke

भविष्य रोए या पीढियां रोए कौन सा दौर चल पड़ा । भीड़ में खड़ा या पड़ा खुद को कंहा ले चल पड़ा लेकर जाना हैं खुद को कंहा यह कौन सा शोर चल पड़ा । ✋️हाथों की चन्द्र लकीरों ने थामा मोबाइल जब से कलम की तलवार का भी जोर चल पड़ा। चली गई म्यान में सभ्यता,संस्कृति हाथ में मोबाइल का खेल चल पड़ा पश्चिम ने मारी बाजी तो पूर्व का सूरज जल उठा। पश्चिम का सूर्य उगा रहें हैं पूर्व वाले यह कौन सा दौर चल पड़ा। सो रही सभ्यता या जाग रही जगा रही मोबाइल गेम से सट्टे से अज्ञान से भविष्य को, या रूला रही उन सबको जिन्होनें भरोसा किया अपनी ⚔️तलवार पर कि रख लो म्यान में बच्चे बड़े हो रहे जो भी लेकर चल रहे इतिहास वो लिखेंगे उनकी✒️🖊 तलवारें उनके पास हैं कैसे पूर्व का सूर्य पूर्व से उदय करेंगे देखते देखते एक सभ्यता की शाम ढलने आ गई सभ्यता का सूरज भी ढलने लगा हो जैसे लगता हैं सूरज डूब रहा पश्चिम में पूर्व में फिर कैसे आएगा कौन पश्चिम से निकालकर 🌞🦄🐓🦚पूरब में लाएगा किसके लिए मेहनत करी कौन सभ्यता,संस्कृति को बचाएगा कौन डुबाएगा। एक🌞 सूरज सा हमारा एक चांद 🌝सा हमारा एक 🌟सितारा सी हमारी क्या किस्मत हमारी क्या विरासत हमारी कायम रख पाएगा। सौंप दिया सब कुछ जो हमें मिला सूरज और चांद से सितारों से ही उन्हीं को तो लौटाना हैं उन्हीं से चला उन्हीं से मिला यही तो पढ़ा हम सब ने आगे भी दिया हम सब ने। भटक ना जाए सूरज,चांद,सितारें इसी उम्मीद का झांसे में आना नहीं हैं क्योंकि सूरज, चांद, तारें कभी भटकते नहीं हैं अपने ही मार्ग अपने ही तरीकों से तय करते आए हैं चलते आए हैं चलते जाएंगे लौटकर फिर वंही आएंगे यह तो अज्ञात का भ्रम हैं जो चलाता आया हैं सभी को जिसने समझा हैं इसको वो ठहर गया देखा था जब सृष्टि का खेल निराला रच लिए जिसने सूरज,चांद,सितारें भी अपने लिए तो अब स्वयं को कंहा पाता हैं सृष्टि में उत्पन्न हुए सृष्टि में ही विलय हो जाते हैं सारे ठहर कर देखने वाले ही समाधिस्थ हो जगत का खेल देख पाते हैं सबकुछ शुन्य ही पाते हैं उसको और स्वयं को भी एक पाते । 🪔🕉🌞🌏🌝🪐🌈🐚✌️🔱🏹⚔️⚖️🐓🦜🐤🪺🦚🦅🦉🕊🦤🦩🦢🐳🐍🐊🐍🐉🐚🪼🦀🐙🦞🦐🦑🐌🐛🐜🐝🪲🐞🦗🕷🪳🦂🦟🪰🪱

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@navjotmann2327

Please share the link to the live show.

1 month ago | 0

@RAJENDRATAK-le9ke

https://youtu.be/AseJjJ-ugkc?si=eTnYgIYFzvPGxfGQहम ना तो गुलाम पैदा होते हैं और ना ही गुलाम होकर मरते हैं हम हमेशा से स्वतंत्र थे हैं स्वतंत्र रहेगें कोई माई का लाल हो नहीं सकता जो हमें गुलाम बना सकें याद करो वो दिन जब माया को कंश समाप्त ना कर सका वो भी बिजली बनकर देवलोक गमन कर गई हमारे मार्ग के अवरोध हटाकर। कंश के कारागार के दरवाजे भी स्वतः ही हमारे पैदा होते ही खुल गए थे। हमें गुलाम बनाने की सोच रखने वाले माई के लाल कैसे हो सकते हैं क्योंकि उन्होनें ना तो माई को जाना हैं ना ही अपने आपको।🪔🕉🌞🌏🌝🪐🌈🐚✌️🔱🏹⚔️⚖️🐓🦜🐤🪺🦚🦅🦉🕊🦤🦩🦢🐳🐍🐊🐍🐉🐚🪼🦀🐙🦞🦐🦑🐌🐛🐜🐝🪲🐞🦗🕷🪳🦂🦟🪰🪱🦠🐢🐗🐂🦁🐯🫎🐏🐐🐘🦄🦓🦒🐕🐰🐁🐿🐱🐒🐻🐨🐼🐻‍❄️🦥🦘🦨🦦🦍🫂👣🚩📿🔔🪷🌺🌷⚘️🌹🏵💮🌸🌼🏵🌻💐🦋🙏🫂🪔https://youtu.be/uCln4aFeLBM?si=8O5FGQvSb-JMEdiG

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@DeeptimayeePattajosi-ug3yw

🙏🏻 M

1 month ago | 0

@rolipandey2231

🚩🚩🚩♥️♥

1 month ago | 0

@PragatiDubey25

I want you to come to our place also mam in Visakhapatnam

1 month ago | 1

@RAJENDRATAK-le9ke

समझदार वो होते जो एक गुरू एकाक्षर ब्रह्म एक ब्रह्मांड में ही स्थित रहना चाहते हैं फिर चाहे वो गुरू ब्रह्मलीन ही क्यों ना हो गए हो।🪔🕉🌞🌏🌝🪐🌈🐚✌️🔱🏹⚔️⚖️🐓🦜🐤🪺🦚🦅🦉🕊🦤🦩🦢🐳🐍🐊🐍🐉🐚🪼🦀🐙🦞🦐🦑🐌🐛🐜🐝🪲🐞🦗🕷🪳🦂🦟🪰🪱🦠🐢🐗🐂

1 month ago | 0

@SouravMalik-c9k

Radha Radha

1 month ago | 0