ठेकुआ बिहार के स्वादिष्ट मिष्टान व्यंजनों की श्रेणी में आता है जो खासकर छठ पर्व के पावन अवसर पर सूर्य नारायण और छठी माता को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है । ठेकुआ गुड़ से बना मीठा मिष्टान है जो बाहर से कड़ग व अंदर से नरम एवं मीठा है। .............................................................................
2. छठ पर्व: - छठी माता कात्यायनी माता नाम से जानी जाती है । षष्ठी देवी के ध्यान स्तोत्रम में इन्हें कार्तिकेय की अर्धांगिनी देवसेना के नाम से सम्बोधित किया जाता है ।
छठ पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से प्रारम्भ होकर सप्तमी तिथि पर पारायण कर मनाया जाने वाला मंगलमय व्रत है ।
ये चार दिन- चतुर्थी , पंचमी व षष्ठी, सप्तमी सूर्य व छठी माता के उपासना के लिए समर्पित है ।
छठ पर्व का नामकरण षष्ठी माता एवं सूर्य नारायण के प्रति 4 दिन व्रत धारण कर व षष्ठी तिथि के समावेश के दिन सूर्य पूजन कर एवं सप्तमी के दिन प्रातः कालीन सूर्य को जल अर्पित करने सहित सूर्य आराधना के पश्चात व्रत का समापन करने पर आधारित है । ...................................….....…..…...............….........
4. छठ पर्व के मुख्य आयाम :-
छठ पर्व सूर्य नारायण और छठी माता के प्रति रखे गहरी आस्था , प्रेम( भक्ति) एवं श्रद्धा, समर्पण का प्रतीक है । सुबह और शाम को सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना सूर्य उपासना का मुख्य खंड है ।
षष्ठी पूजा के प्रथम दिन नहाय खाय कहलाता है । इस दिन व्रत धारी व्यक्ति सुबह स्नान करने के पश्चात नमक रहित भोजन ग्रहण करते है । इस प्रकार सात्विकता से प्रारम्भ यह ४ दिन का व्रत कठिन नियम एवं निष्ठापूर्णतायुक्त ३ वें दिन ( षष्ठी तिथि के दिन) सायंकाल को सूर्य के अस्त होने के समय गोधूली वेला पर अर्घ्य समर्पित कर , फिर सप्तमी के दिन सुबह के शीतलयुक्त वातावरण में सूर्य नारायण को पुन: अर्घ्य अर्पित कर सूर्य पूजन करने के पश्चात इस व्रत का सुमंगल पारायण किया जाता है ।
5. छठ पर्व मात्र पर्व पूजा नहीं यह भावना का सम्मिश्रण है :-
यह व्रत मुरादों को पूर्ण करता है , विद्या , प्रखर बुद्धि, धन और कुल वृद्धि एवं कुल को व्याधिराहित दिर्घ आयु प्रदान करता है और अखंड सौभाग्य और सुहाग का वरदान देता है । इस प्रकार छठी माता व सूर्य नारायण अपने कृपा दृष्टि के साथ साथ प्रत्येक व्यक्ति का छाया बनकर उनका व उनके कुल का रक्षा करते है । यह सूर्य उपासना का पर्व सूर्य व छठी मईया के प्रति भाव, भक्ति एवं भावना से युक्त सेवा प्रार्थनाओं सहित आस विश्वास का मुख्य स्थान पाता है ।
हम इस लेखन पोस्ट को भद्रकाली माता व तिरूचेन्दूर कार्तिकेयन के श्री चरणों में समर्पित करते है जिन्होंने लेखन ज्ञान द्वारा पाठकों के समक्ष लेखन क्रिया को प्रस्तुत करने का प्रेरणा स्रोत के रूप में पूर्ण सहयोग दिया ।
Arun Ramasubramanian
#chattimaiya #suryaupasana
#chathpooja #chatthpoojavibes
26 September 2025, Friday Post-2
Topic:- Let us all Celebrate Chatth Poojaa :-
The Festival of Surya Naraayana Poojaa -
The Completion of Firm Faith, Determination and Dedication towards The Surya Naraayanaa
विषय :-
चलो मनाते है छठ पूजा: - सूर्य उपासना का पर्व आस और विश्वास निष्ठा का प्रतीक
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1. छठी माता को समर्पित प्रसाद ठेकुआ :-
ठेकुआ बिहार के स्वादिष्ट मिष्टान व्यंजनों की श्रेणी में आता है जो खासकर छठ पर्व के पावन अवसर पर सूर्य नारायण और छठी माता को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है ।
ठेकुआ गुड़ से बना मीठा मिष्टान है जो बाहर से कड़ग व अंदर से नरम एवं मीठा है।
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2. छठ पर्व: - छठी माता कात्यायनी माता नाम से जानी जाती है । षष्ठी देवी के ध्यान स्तोत्रम में इन्हें कार्तिकेय की अर्धांगिनी देवसेना के नाम से सम्बोधित किया जाता है ।
छठ पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से प्रारम्भ होकर सप्तमी तिथि पर पारायण कर मनाया जाने वाला मंगलमय व्रत है ।
ये चार दिन- चतुर्थी , पंचमी व षष्ठी, सप्तमी सूर्य व छठी माता के उपासना के लिए समर्पित है ।
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3. छठ पर्व का नामकरण:-
छठ पर्व का नामकरण षष्ठी माता एवं सूर्य नारायण के प्रति 4 दिन व्रत धारण कर व षष्ठी तिथि के समावेश के दिन सूर्य पूजन कर एवं सप्तमी के दिन
प्रातः कालीन सूर्य को जल अर्पित करने सहित सूर्य आराधना के पश्चात व्रत का समापन करने पर आधारित है ।
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4. छठ पर्व के मुख्य आयाम :-
छठ पर्व सूर्य नारायण और छठी माता के प्रति रखे गहरी आस्था , प्रेम( भक्ति) एवं श्रद्धा, समर्पण का प्रतीक है ।
सुबह और शाम को सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना सूर्य उपासना का मुख्य खंड है ।
षष्ठी पूजा के प्रथम दिन नहाय खाय कहलाता है ।
इस दिन व्रत धारी व्यक्ति सुबह स्नान करने के पश्चात नमक रहित भोजन ग्रहण करते है ।
इस प्रकार सात्विकता से प्रारम्भ यह ४ दिन का व्रत कठिन नियम एवं निष्ठापूर्णतायुक्त ३ वें दिन ( षष्ठी तिथि के दिन) सायंकाल को सूर्य के अस्त होने के समय गोधूली वेला पर अर्घ्य समर्पित कर , फिर सप्तमी के दिन सुबह के शीतलयुक्त वातावरण में सूर्य नारायण को पुन: अर्घ्य अर्पित कर सूर्य पूजन करने के पश्चात इस व्रत का सुमंगल पारायण किया जाता है ।
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5. छठ पर्व मात्र पर्व पूजा नहीं यह भावना का सम्मिश्रण है :-
यह व्रत मुरादों को पूर्ण करता है , विद्या , प्रखर बुद्धि, धन और कुल वृद्धि एवं कुल को व्याधिराहित दिर्घ आयु प्रदान करता है और अखंड सौभाग्य और सुहाग का वरदान देता है । इस प्रकार छठी माता व सूर्य नारायण अपने कृपा दृष्टि के साथ साथ प्रत्येक व्यक्ति का छाया बनकर उनका व उनके कुल का रक्षा करते है । यह सूर्य उपासना का पर्व सूर्य व छठी मईया के प्रति भाव, भक्ति एवं भावना से युक्त सेवा प्रार्थनाओं सहित आस विश्वास का मुख्य स्थान पाता है ।
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जय छठी मईया
जय सूर्य नारायण
हम इस लेखन पोस्ट को भद्रकाली माता व तिरूचेन्दूर कार्तिकेयन के श्री चरणों में समर्पित करते है जिन्होंने लेखन ज्ञान द्वारा पाठकों के समक्ष लेखन क्रिया को प्रस्तुत करने का प्रेरणा स्रोत के रूप में पूर्ण सहयोग दिया ।
धन्यवाद
लेखक - अरूण रामसुब्रह्मण्यन 🙏
3 weeks ago (edited) | [YT] | 0