Buddha Rashmi

जाणुस्सोनी सुत्त
जाणुस्सोनी ब्राह्मण को दिया गया उपदेश
श्रावस्ती में...

तब जाणुस्सोनी ब्राह्मण भगवान के पास आए। आकर उन्होंने भगवान के साथ आनन्दपूर्वक बातचीत की। आनंददायक और आदरपूर्ण बातचीत के बाद, वे एक ओर बैठ गए। एक ओर बैठे हुए जाणुस्सोनी ब्राह्मण ने भगवान से यह कहा:

"हे गौतम, मैं ऐसा कहने वाला और ऐसी दृष्टि वाला हूँ: 'ऐसा कोई नहीं जो मरणशील होकर भी मृत्यु से न डरे, मृत्यु के सामने भयभीत न हो'।"


"ब्राह्मण, ऐसे लोग भी हैं जो मरणशील होकर भी मृत्यु से डरते हैं, और मृत्यु के सामने भयभीत होते हैं। और ब्राह्मण, ऐसे लोग भी हैं जो मरणशील होकर भी मृत्यु से नहीं डरते, और मृत्यु के सामने भयभीत नहीं होते।"

ब्राह्मण, वह कौन सा व्यक्ति है जो मरणशील होकर भी डरता है और मृत्यु के सामने भयभीत होता है?


ब्राह्मण, यहाँ कोई-कोई काम (वासना) के प्रति आसक्ति, इच्छा, प्रेम, प्यास, दाह (जलन) और तृष्णा को दूर नहीं करता। उसे एक भयंकर रोग हो जाता है। जब वह भयंकर रोग से पीड़ित होता है, तो वह ऐसा सोचता है, 'अरे! प्रिय कामभोग मुझे छोड़ रहे हैं, और मैं भी प्रिय कामभोगों को छोड़ रहा हूँ।' वह शोक करता है, थक जाता है, विलाप करता है, छाती पीटता है और बेहोश हो जाता है। ब्राह्मण, यह वह व्यक्ति है जो मरणशील होते हुए भी मृत्यु से डरता है और मृत्यु के सामने भयभीत होता है।

और भी, ब्राह्मण, यहाँ कोई-कोई अपने शरीर के प्रति आसक्ति, इच्छा, प्रेम, प्यास, दाह और तृष्णा को दूर नहीं करता। उसे एक भयंकर रोग हो जाता है। जब वह भयंकर रोग से पीड़ित होता है, तो वह ऐसा सोचता है, 'अरे! प्रिय शरीर मुझे छोड़ रहा है, और मैं भी प्रिय शरीर को छोड़ रहा हूँ।' वह शोक करता है, थक जाता है, विलाप करता है, छाती पीटता है और बेहोश हो जाता है। ब्राह्मण, यह भी वही व्यक्ति है जो मरणशील होते हुए भी मृत्यु से डरता है और मृत्यु के सामने भयभीत होता है।

और भी, ब्राह्मण, यहाँ कोई-कोई पुण्य नहीं करता, कुशल कर्म नहीं करता, भय से अपनी रक्षा नहीं करता। उसने पाप किए हैं, भयंकर पाप किए हैं, गंदे पाप किए हैं। उसे एक भयंकर रोग हो जाता है। जब वह भयंकर रोग से पीड़ित होता है, तो वह ऐसा सोचता है, 'अरे! मैंने पुण्य नहीं किया, कुशल कर्म नहीं किया, भय से अपनी रक्षा नहीं की। मैंने पाप किए हैं, भयंकर पाप किए हैं, गंदे पाप किए हैं। अरे! जो लोग पुण्य नहीं करते, कुशल कर्म नहीं करते, भय से अपनी रक्षा नहीं करते, जो पाप करते हैं, भयंकर और गंदे पाप करते हैं, मृत्यु के बाद मैं उन्हीं की गति को प्राप्त करूँगा।' वह शोक करता है, थक जाता है, विलाप करता है, छाती पीटता है और बेहोश हो जाता है। ब्राह्मण, यह भी वही व्यक्ति है जो मरणशील होते हुए भी मृत्यु से डरता है और मृत्यु के सामने भयभीत होता है।

और भी, ब्राह्मण, यहाँ कोई-कोई संशय में रहता है, विचि-कि-च्छा (दुविधा) में रहता है, सद्धर्म में उसकी निष्ठा नहीं होती। उसे एक भयंकर रोग हो जाता है। जब वह भयंकर रोग से पीड़ित होता है, तो वह ऐसा सोचता है, 'अरे! मैं एक संशययुक्त व्यक्ति हूँ, विचि-कि-च्छा वाला हूँ, सद्धर्म में निष्ठा को प्राप्त नहीं हुआ।' वह शोक करता है, थक जाता है, विलाप करता है, छाती पीटता है और बेहोश हो जाता है। ब्राह्मण, यह भी वही व्यक्ति है जो मरणशील होते हुए भी मृत्यु से डरता है और मृत्यु के सामने भयभीत होता है।

ब्राह्मण, ये चार व्यक्ति हैं जो मरणशील होते हुए भी डरते हैं और मृत्यु के सामने भयभीत होते हैं।

ब्राह्मण, वह कौन सा व्यक्ति है जो मरणशील होते हुए भी नहीं डरता और मृत्यु के सामने भयभीत नहीं होता?

ब्राह्मण, यहाँ कोई-कोई काम के प्रति आसक्ति, इच्छा, प्रेम, प्यास, दाह और तृष्णा को दूर कर देता है। उसे एक भयंकर रोग हो जाता है। जब वह भयंकर रोग से पीड़ित होता है, तो वह ऐसा नहीं सोचता, 'अरे! प्रिय काम मुझे छोड़ रहे हैं, और मैं भी प्रिय कामों को छोड़ रहा हूँ।' वह शोक नहीं करता, थकता नहीं, विलाप नहीं करता, छाती नहीं पीटता और बेहोश नहीं होता। ब्राह्मण, यह वह व्यक्ति है जो मरणशील होते हुए भी मृत्यु से नहीं डरता और मृत्यु के सामने भयभीत नहीं होता।

और भी, ब्राह्मण, यहाँ कोई-कोई अपने शरीर के प्रति आसक्ति, इच्छा, प्रेम, प्यास, दाहा और तृष्णा को दूर कर देता है। उसे एक भयंकर रोग हो जाता है। जब वह भयंकर रोग से पीड़ित होता है, तो वह ऐसा नहीं सोचता, 'अरे! प्रिय शरीर मुझे छोड़ रहा है, और मैं भी प्रिय शरीर को छोड़ रहा हूँ।' वह शोक नहीं करता, थकता नहीं, विलाप नहीं करता, छाती नहीं पीटता और बेहोश नहीं होता। ब्राह्मण, यह भी वही व्यक्ति है जो मरणशील होते हुए भी मृत्यु से नहीं डरता और मृत्यु के सामने भयभीत नहीं होता।

और भी, ब्राह्मण, यहाँ कोई-कोई पाप नहीं करता, भयंकर पाप नहीं करता, गंदे पाप नहीं करता। उसने पुण्य किए हैं, कुशल कर्म किए हैं, भय से अपनी रक्षा की है। उसे एक भयंकर रोग हो जाता है। जब वह भयंकर रोग से पीड़ित होता है, तो वह ऐसा सोचता है, 'निश्चित रूप से मैंने पाप नहीं किया, भयंकर पाप नहीं किया, गंदा पाप नहीं किया। मैंने पुण्य किया है, कुशल कर्म किया है, भय से अपनी रक्षा की है। अरे! जो लोग पाप नहीं करते, भयंकर और गंदे पाप नहीं करते, जो पुण्य करते हैं, कुशल कर्म करते हैं, भय से अपनी रक्षा करते हैं, मृत्यु के बाद मैं उन्हीं की गति को प्राप्त करूँगा।' वह शोक नहीं करता, थकता नहीं, विलाप नहीं करता, छाती नहीं पीटता और बेहोश नहीं होता। ब्राह्मण, यह भी वही व्यक्ति है जो मरणशील होते हुए भी मृत्यु से नहीं डरता और मृत्यु के सामने भयभीत नहीं होता।

और भी, ब्राह्मण, यहाँ कोई-कोई संशय रहित होता है, विचि-कि-च्छा रहित होता है, सद्धर्म में निष्ठा को प्राप्त होता है। उसे एक भयंकर रोग हो जाता है। जब वह भयंकर रोग से पीड़ित होता है, तो वह ऐसा सोचता है, 'निश्चित रूप से मैं संशय रहित व्यक्ति हूँ, विचि-कि-च्छा रहित हूँ, सद्धर्म में निष्ठा को प्राप्त हुआ हूँ।' वह शोक नहीं करता, थकता नहीं, विलाप नहीं करता, छाती नहीं पीटता और बेहोश नहीं होता। ब्राह्मण, यह भी वही व्यक्ति है जो मरणशील होते हुए भी मृत्यु से नहीं डरता और मृत्यु के सामने भयभीत नहीं होता।

ब्राह्मण, ये चार व्यक्ति हैं जो मरणशील होते हुए भी नहीं डरते और मृत्यु के सामने भयभीत नहीं होते।"

"हे पूज्य गौतम, यह बहुत ही अद्भुत है! हे पूज्य गौतम, यह बहुत ही उत्तम है।"

यह ऐसा है मानो किसी उलटी रखी चीज़ को सीधा कर दिया हो। यह ऐसा है मानो किसी छिपी हुई चीज़ को खोजकर दिखा दिया हो। यह ऐसा है मानो किसी रास्ता भटके हुए व्यक्ति को सही राह दिखा दी हो। यह ऐसा है मानो आँखों वालों के लिए अँधेरे में एक तेल का दीपक जलाया हो ताकि वे रूपों को देख सकें।

पूज्य गौतम ने अनेक प्रकार से धर्म का उपदेश दिया। मैं भी पूज्य गौतम की शरण में जाता हूँ। उस सद्धर्म और भिक्षु संघ की भी शरण में जाता हूँ।पूज्य गौतम आज से मुझे जीवन भर के लिए त्रिरत्न (बुद्ध, धर्म, संघ) की शरण में आए हुए उपासक के रूप में स्वीकार करें!
साधु! साधु!! साधु!!!

6 days ago | [YT] | 999



@kamlakarkamble6711

बुद्धम् शरणम् गच्छामि धम्मग शरणम गच्छामि संगम शरणम गच्छामि

5 days ago | 2

@sushilarke8587

साधु साधु साधु 🙏🏻

3 days ago | 0

@RaviRanjan-ir2sv

साधु साधु साधु 🙏🏼🙏🏼🙏🏼

4 days ago | 1

@vaishaliwanjarwadekar2461

Apke dwara Buddha ki vani hum सब लोगो तक pohach rahi hai, बुद्ध,धम्म,संघ के श्रद्धा बल से आप सभी भिक्षू गन आपके दृढ nichay तक pahuch jaye , साधू, साधू, साधू

5 days ago | 1

@alontamang1605

Sadhu Sadhu Sadhu🙏

4 days ago | 0

@shardapakhiddey4931

साधू साधू साधू 🙏🙏🙏

6 days ago | 3

@yogeshahire3599

साधु साधु साधु 🙏🙏

6 days ago | 2

@silakhamhoo7192

🙏🙏🙏

6 days ago | 2

@maheshfusate5883

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌼🌼🌼 Sadhu Sad

5 days ago | 1

@SameerJadhav-vr1kx

Namo buddhay

6 days ago | 1

@sheetal26012000

अद्भुत! साधु साधु साधु 🙏

6 days ago | 2

@SunainaSiddharth-r6d5q

Namo buddhaye 💙💙

6 days ago | 4

@ccsl6890

Namobuddhaya.🙏🙏🙏🌹🪻🌹🪻🌹🪻🌹🪻

6 days ago | 0

@OurTruefriendisbuddha

Sadhu। Sadhu। Sadhu 🙇🏻‍♀️🙏🏻🙏

6 days ago | 5

@PranabjyotiBordoloi-o7h

Ati utom sadhu sadhu sadhu 🪷🪷🪷🪷🌻🌻

3 days ago | 0

@BadalPancham-q3j

🙏🏼🙏

6 days ago | 1

@SureshMeshram-cm7pn

Vandami bhanteji Triwar vandan sadhu sadhu sadhu

5 days ago | 1

@SonaliPagareSonkamble

Sadhu sadhu sadhu 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏😊 bahut he sundar hai

6 days ago | 7

@ManishKumar-qi9rx

🙏🏿🙏🏿🙏

6 days ago | 1

@vaibhav.v6403

साधू साधू साधू 🙏

6 days ago | 1