Vandana Kumari

मौन ❤️✍️
मौन के नहीं कोई भाषा फिर भी मौन के हैं अपने परिभाषा
कुछ न कह कर भी सब कुछ बयां कर जाता हैं
उम्मीदों के अरमानों में ढलने लग जाता है
मौन के पास कोई आवाज नहीं फिर भी बहुत कुछ सह जाता हैं
चुप है खामोश है निशब्द होकर भी सुनाई देता हैं
हां और ना के द्धंद में मौन छुप कर बैठ जाता है
कुछ कही कुछ अनकही बातों में उलझे रहता है
विश्वास और अविश्वास के उलझनों के फेरों में चुप रहता है
कहने को तो बहुत कुछ पर मुंह से कुछ न कह पाता है

मौन के भी है अभिलाषा जो समझे उलझनों के भाषा वहीं समझ पाएं इस मौन के परिभाषा
बातों से बातें कटे,बातों से बातें उलझे और बातों से बातें भी सुलझे
बातों को न बोलने से बातें भी मौन हो जाता हैं और शब्द भी रूठ जाता हैं
जब चुप बैठे शब्दों के जाल तब शब्दों को भी जंग लग जाए
ऐसी मौन न हो कभी जो उलझाएं रखें दिल और दिमाग के बत्ती
सुलझ जाए जो सारे उलझन तो मौन भी खुलकर बोल पड़े
मौन से मौन हो जाते रिश्ते चाहे कितने ही उसमें प्यार हो
मौन हर जगह काम नहीं आता चुप रहने से बातें बिगड़ भी
जाता है
जहां जरूरत हो उसकी वही करे धारण मौन के
बोलें कुछ भी बोल,बोल है अनमोल नाप-तौल के बोलें बोल
मौन भी बोलें मौन भी सोचें सही वक्त पर सही अभिव्यक्त भी कर दें
कहे जो शब्द वो जुबां छूपा लेता है मौन के ताने-बाने में कहीं गुम हो जाता हैं
इस लिए कुछ तो बोलें मुंह तो खोलें गुमसुम के गलियों से बाहर निकलें
परिस्थितियों के अनुरूप हर पहलू के अलग-अलग हैं
भाषा-परिभाषा
अलग-थलग न बोल करें बोल से ही सुलझे जिंदगी के हर परिभाषा
उलझनों के फेरों से बाहर निकलकर मौन का करे सही उपयोग
नहीं तो उलझ जाएंगे बिन बोलें ही जिंदगी के कई बोल
इसे कहते हैं खामोशियों के चादर तलें ये मौन के अंबोली..!
❤️✍️ वन्दना ✍️❤️
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1 month ago | [YT] | 19