एक रेलवे स्टेशन पर एक कुत्ता रोज़ एक ही प्लेटफार्म पर बैठा दिखता था। कोई नहीं जानता था वो किसका है। पर रोज़ शाम को वो सामने वाले ट्रेन के आने का इंतज़ार करता।
एक बूढ़ा कुली उसे रोज़ रोटी दे देता। एक दिन उसने पूछा, “क्या किसी का इंतज़ार करता है तू?” और एक बूढ़े यात्री ने बताया — तीन साल पहले एक यात्री यहीं ट्रेन में बैठा था, और उसका कुत्ता वहीं छूट गया। तब से ये हर दिन उसी ट्रेन का इंतज़ार करता है।
वो दिन भी आया जब वही आदमी सालों बाद उसी स्टेशन पर लौटा। कुत्ते ने दूर से ही भौंकना शुरू किया, और दौड़ता हुआ उसके पास गया। सबकी आँखें नम थीं। स्टेशन की भीड़ के बीच, आज वहाँ सच्ची वफादारी का मंज़र था।
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एक रेलवे स्टेशन पर एक कुत्ता रोज़ एक ही प्लेटफार्म पर बैठा दिखता था। कोई नहीं जानता था वो किसका है। पर रोज़ शाम को वो सामने वाले ट्रेन के आने का इंतज़ार करता।
एक बूढ़ा कुली उसे रोज़ रोटी दे देता। एक दिन उसने पूछा, “क्या किसी का इंतज़ार करता है तू?” और एक बूढ़े यात्री ने बताया — तीन साल पहले एक यात्री यहीं ट्रेन में बैठा था, और उसका कुत्ता वहीं छूट गया। तब से ये हर दिन उसी ट्रेन का इंतज़ार करता है।
वो दिन भी आया जब वही आदमी सालों बाद उसी स्टेशन पर लौटा। कुत्ते ने दूर से ही भौंकना शुरू किया, और दौड़ता हुआ उसके पास गया। सबकी आँखें नम थीं। स्टेशन की भीड़ के बीच, आज वहाँ सच्ची वफादारी का मंज़र था।
1 week ago | [YT] | 708