Hindu Rituals - हिन्दू रीति रिवाज

“कुत्तों पर बहस और संतुलन/धर्म”
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कभी-कभी समाज हमें दर्पण दिखाता है।
आज वह दर्पण एक छोटे से जीव — कुत्ते के रूप में हमारे सामने है।

आज मैं सड़क किनारे बैठा था।
एक बच्चा बिस्किट खा रहा था।
उसके सामने एक आवारा कुत्ता खड़ा था — भूखा, काँपता हुआ।
बच्चे ने बिस्किट आधा खाया और आधा उस कुत्ते की तरफ बढ़ा दिया।
दोनों की आँखों में चमक थी — एक का पेट भरा और दूसरे को दया का सुख मिला।

फिर दूसरी तरफ इसी समाज में रोज़ खबरें आती हैं —
कहीं कोई बच्चा कुत्ते के काटने से घायल हो गया,
कहीं कोई बुज़ुर्ग गिर पड़ा,
तो कहीं कोई परिवार रैबीज़ के डर से सहमा बैठा है।

यानी उपरोक्त दोनों परिस्थितियों को देखा जाए तो सवाल केवल इतना है कि -
क्या कुत्तों को हमारी गलियों से हटाया जाए?
या उन्हें भी पालतू जीव जगत का हिस्सा मानते हुए आसपास रहने दिया जाए?

फिलहाल हमारा समाज इन दो गुटों में बंटा हुआ है और दोनों ही पक्ष अपने परिप्रेक्ष्य को बहुत मजबूती से सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।

इसी बीच अगर कभी कुत्तों पर नजर पड़ जाए तो लगता है जैसे वो हमसे दो प्रश्न प्रश्न पूछ रहे हों :

1. क्या तुम मुझे डर की नज़र से देखते हो?

2. या मुझे उसी परमपिता की संतान समझते हो, जिसकी संतान तुम भी हो?

पहला पक्ष कहता है:
“हमें सुरक्षा चाहिए, सुरक्षा पहले" ।
हमारे बच्चे को कुत्ते न काट लें, हमारे बुज़ुर्ग गिरकर घायल न हों। बच्चों और बुज़ुर्गों को डर में जीने देना गलत है।
हमें चैन से बेखौफ जीने का अधिकार है।”

यह पक्ष सही है — क्योंकि सुरक्षा भी धर्म है।

दूसरा पक्ष कहता है:
“ये भी प्राणी हैं, भगवान ने इन्हें भी बनाया है।
इनकी आँखों में भी आँसू हैं, इन्हें भी भूख लगती है। इन्हें भी प्रेम चाहिए।
क्या इन्हें केवल समस्या मानकर हम क्रूर बन जाएँ?”

यह पक्ष भी सही है — क्योंकि दया भी धर्म है।

जब दोनों ही पक्ष सही है तो फिर गलत है कौन?
फिर रास्ता क्यों नहीं निकल रहा? फिर किसी विचार पर विरोध कैसा और समर्थन कैसा?

विरोध है, क्योंकि दोनों ही पक्ष सही होते हुए भी अधूरे हैं। इनमें अपूर्णता है। इनमें असंतुलन है।

धर्म क्या कहता है? इस पर बारीकी से विचार करने की आवश्यकता है।

(विशेषकर इस मामले में) धर्म की परिभाषा है — संतुलन।
सनातन हमें यही सिखाता है कि धर्म कभी एकतरफा नहीं होता।
अगर सुरक्षा है, पर दया नहीं — तो वह कठोरता है।
अगर दया है, पर सुरक्षा नहीं — तो वह अंधी भावुकता है।

" धर्म वहां है जहां दोनों में संतुलन हो" ।

धर्म न तो केवल सुरक्षा है, न केवल दया।
धर्म है — संतुलन।

"मनुष्य की ( अपनी) रक्षा करना भी धर्म है, और प्राणी पर दया करना भी धर्म है।
धर्म वहीं है, जहाँ दोनों का मिलन हो।"

तो फिर समाधान क्या है?

वर्तमान स्थिति को देखते हुए तो ,
1.सरकार शेल्टर बनाए, स्टेरिलाइजेशन और वैक्सीनेशन करे।
2.पशुप्रेमी समाज आगे आए, दत्तक अपनाने की संस्कृति बढ़ाए।
और
3. हम सब — न क्रूर बनें, न अंधे भावुक — बल्कि जिम्मेदार और विवेकी बनें और इतिहास से रेफरेंस लिया जाए।

महाभारत का वो प्रसंग याद कीजिए जब —
युधिष्ठिर जी से स्वर्गारोहण से पहले कहा गया, “कुत्ते को छोड़ दो।” तब
उन्होंने कहा, “जो मेरे साथ चला, उसे छोड़कर मैं स्वर्ग नहीं चाहता।”

मेरा व्यक्तिगत मत तो यह है कि पशु को पशु रहने दिया जाए और इंसान भी इंसान बन जाएं।

कुत्ता तो पशु है, और पशुओं की प्रवृति होती है - आवारापन। वह गलियों की शोभा है, वह दरवाजे की शोभा है, उसे दरवाजे पर बांधिए या गलियों में घूमने दीजिए, यही उसका स्वभाव है।
वो अपनी रक्षा, अपना भोजन, अपना वंश विस्तार स्वयं कर लेगा। इसमें किसी इंसानी हस्तक्षेप की आवश्यकता है ही नहीं।

और इंसान भी इंसान बने। पालतू कुत्ते को दरवाजे पर बांध कर रखिए। कुत्ते के साथ सोना और उसका मुंह चाटना (हालांकि निजी choice परंतु अंधी भावुकता) मानवीय चेतना नहीं अपितु पशुता है।

विश्वास कीजिए,
आप कुत्ते को रोटी दीजिए या ना दीजिए वह तब भी चौकीदारी करेगा। और,
आप उसको रोटी दीजिए या ना दीजिए जब उसका मूल प्रवृति -पशुता ( हिंसा) उस पर हावी होगा, तो वो काटेगा ही काटेगा।
वे (सभी जीव) अपना संतुलित जीवन जीते हैं। आपका एक्स्ट्रा प्यार/ एक्स्ट्रा घृणा उनको असंतुलित बना देता है।)

परंतु आप संतुलन बनाना कब सीखेंगे? आप अपना संतुलन मत खोइए।

"इंसान अपना काम करे, पशु तो अपना काम स्वयं कर ही लेते हैं"।
(इंसान अपने काम की टेंशन छोड़कर पूरी दुनिया की टेंशन लिए फिरता है, जैसे कि सृष्टि संचालन की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर है।) 😀

आप इंसान बनिए। आप इन मुद्दों को पकड़कर extremist ना बनिए।
न ही उनसे मुंह चटवाईये ना ही उनको पत्थर मारिए।

कुत्तों के लिए इंसान का सर मत फोड़िए और ना ही सरफिरे व असंतुलित इंसानों के लिए कुत्तों को पत्थर मारिए।

समाज में और प्रकृति के साथ संतुलन बनाइए यही सनातन धर्म की सीख है।

एक बात और मजेदार है कि , चाहे कितने भी शेल्टर बन जाएं, लिखकर ले लीजिए कुछ कुत्ते आपके आस पास दिखेंगे ही दिखेंगे और दिखने भी चाहिए तभी तंत्र में संतुलन होगा।
एक कहावत है; "सब कुकुर काशी जयिहें त हंडिया के चांटी।"

संतुलन के लिए कुछ कुत्तों का आपके आस पास रहना अनिवार्य है। बचा खुचा भोजन कुत्तों को डालते रहिए, इससे तंत्र में संतुलन बना रहेगा। इससे कुत्ता भी पलता रहेगा और left over food management भी होगा और अन्न का अनादर भी नहीं होगा।
पूर्वकाल से ही हमारे पूर्वजों ने यह नियम बनाया था और इसी ढर्रे पर इंसान और कुत्ते के बीच का सामंजस्य मित्रवत रहता आ रहा है।

नोट: आंख कान और दिमाग को खोल कर पढ़िए , जो अभी ऊपर की पंक्ति में लिखा गया है। 👆🏻

कुत्ते को बचा खुचा भोजन दीजिए, स्पेशली बनाकर के रोटी नहीं ।

स्पेशली रोटी जिसके लिए लिए बनती है वह कुत्ता नहीं होता, वह गाय होती है।
कहावत है कि " पहली रोटी गाय की, आखिरी रोटी कुत्ते की" !
इस कहावत को सूत्र बना लीजिए तो संतुलन बना रहेगा।

यह असंतुलन ही इसी वजह से है क्योंकि भावुकता ( पागलपना ) में आपने कुत्ते को श्रेणी में सबसे ऊपर रखा है।

सृष्टि में सब कुछ पदानुक्रम के अनुसार है, उसमें छेड़छाड़ होने पर खामियाजा तो भुगतना ही पड़ेगा।

सो भुगतो! 🙏🏻

असली मुद्दे की बात: यह लड़ाई कुत्ता बनाम इंसान है ही नहीं।
न भूतो न भविष्यति!
इंसान और कुत्ता एक दूसरे के दुश्मन ना कभी थे, न कभी होंगे।
इंसान और कुत्ते हमेशा मित्र रहे हैं, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे।

दरअसल यह लड़ाई Dog Lovers vs Dog Haters की है। क्योंकि ये दोनों ही पक्ष extremist हैं। ये दोनों हीं पक्ष असंतुलित है। दोनों ही अपने-अपने परिप्रेक्ष्य से सही हैं परंतु इन दोनों का सत्य अधूरा है। इसलिए कुत्तों से अधिक ये भोंक रहे हैं और एक दूसरे को काटने पर आमादा हो रहे हैं।

और अभी तो सिर्फ कुत्तों का अध्याय शुरू हुआ है । बंदरों और कबूतरों वाला मामला भी कभी न कभी आतंक का रूप लेगा ही।
और ये सब कुछ हो रहा है अधिक भावुक, अधिक समझदार और अत्यधिक संतुलित लोगों की वजह से।

प्रिय मित्रों,
अब मैं आपसे पूछता हूँ —
आपके अंतर्मन में क्या जवाब है?
अगर निर्णय आपको लेना होता, तो आप सुरक्षा चुनते या दया?
या फिर वह संतुलन, जो ecosystem के लिए suitable हो, जो धर्मसंगत हो?

- राजीव सिंह 🙏🏻
#dog #doglover #DogHaters #delhistreetdogs #streetdogs #supremecourtondogs

Note:- Image Credit goes to Google, Concerned Authorities and Creators.

3 weeks ago | [YT] | 28



@radhikagautam8451

👏👏

3 weeks ago | 0

@realvrj1524

Well written post

3 weeks ago | 1