Rathore

*꧁श्रीकृष्ण: शरणं ममः꧂*

पर पीड़ा से छलक उठे मन,
यह छलकन ही गंगाजल है।

दुःख हरने को तत्पर है मन,
यह तत्परता तुलसीदल है।

थके पथिक को राह दिखाना,
यही तो सच्चा तीर्थाटन है।

मित्रों के संग पुलक उठे मन,
यह पुलकन ही पंचामृत है।

*༺꧁*राधे* *राधे*꧂༻*

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