“दैनिक जीवन तथा अन्य क्षेत्रों में, निबंध यानी ESSAY का बढ़ता प्रभाव एवम् महत्व।”
वर्तमान समय में, निबंध यानी ESSAY का बढ़ता महत्व सराहनीय है। जहां पहले किसी एक विशेष संवैधानिक संस्था (UPSC) द्वारा इस विषय के महत्व का अवलोकन किया जाता रहा है, “आज वहीं अन्य राज्य स्तरीय निकायों यानी BPSC एवम् अन्य PCS” संस्थाओं के द्वारा भी इस विषय को अपनी विषय-सूची में, अंतर्निहित किया गया है। जिसके, एक नहीं अपितु निम्नलिखित कारण हैं जैसे कि;
• इस विषय की अपनी एक कार्यशैली है, जिसके अंतर्गत एक विशेष विषय पर अपनी क्रिया एवम् प्रतिक्रिया को साझा करना होता है, जिसका माध्यम एक मात्र संवैधानिक होनी चाहिए।
• जहां, किसी एक विषय का कार्य क्षेत्र सीमित होता है, वहीं निबंध/Essay का कार्य क्षेत्र बहुमुखी होता है, जिसका एक मात्र कारण इस विषय की विशेषता एवं सभी विद्यार्थियों/अभ्यर्थियों में, ज्ञान का चौमुखी संचार करना होता है। जिससे, अभ्यर्थियों के मनों-मस्तिष्क का सर्वाधिक विकास हो सके।
• इस विषय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि, यह दर्शन/राज्यव्यवस्था/अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि, विषयों का समावेश है। जिससे, अभ्यर्थियों में निरंतर विकास की क्रियाशीलता बढ़ता रहता है।
• यह विषय केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से सहायक सिद्ध नहीं है अपितु, इस विषय की अपनी एक विशेष भाषा है, "जिसका आधार संविधान में निहित इसके आदर्श हैं।" जिससे, एक अभ्यर्थी में निरंतर सकारात्मक आमूलचूल परिवर्तन होता है।
• यह विषय केवल परीक्षा का माध्यम ना हो कर के, एक सुगम सरल जीवन जीने का सार भी है..जिसका नींव इस विषय के आदर्श हैं। जिसके माध्यम से व्यक्ति में, सोच एवं समझ का सहज विकास होता है, जिसके माध्यम से व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में, अपनी क्रियाशीलता बनाए रखता है।
• Essay यानी निबंध का कोई क्षेत्र सीमित नहीं है, अपितु यह सभी अन्य विषयों का एक समावेश है, जिसका आधार केवल अभ्यर्थियों में, लोक-कल्याणकारी गुणों का विकास, समाज में, पनप रही कुरीतियों का खंडन करना तथा किसी भी अन्य विषयों पर अपनी स्वतंत्र व्यक्तव्य को रखना हीं, यह विषय की नैतिकता एवम् मौलिकता है।
• ये विषय जहां एक तरफ गांधीवादी, आंबेडकर वादी विचारधाराओं से प्रेरित है, तो वहीं ये विषय भगत सिंह के नैतिक वादी विचारधाराओं से भी प्रेरित है। जहां, एक तरफ समर्थन है, तो दूसरी तरफ विरोधाभास विचारधारा भी विद्यमान हैं। जहां विचारों की भिन्नता तो प्रत्यक्ष है, किन्तु..धर्म, धैर्य एवं सहिष्णुता हीं इनके भाव एवम् आदर्श हैं।
• निबंध/Essay मात्र केवल विषय नहीं है, अपितु यह रोज के दिनचर्या में, होने वाली परिवर्तन का एक विषय के रूप में समावेश है..जिससे यह प्रत्यक्ष होता है कि; राष्ट्रीय एवम् अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली घटनाओं का एक क्रमबद्ध अध्ययन भी है।
—जहां, निबंध/Essay एक विषय के रूप में, महत्वपूर्ण है तो वहीं यह दार्शनिक तथा सत्यनिष्ठावान सोच का सूचक भी है। यद्यपि, यही कारण है जो बदलते समय के परिवेश में, अपनी प्रासंगिकता को दर्शाता है, जिसके कारण यह एक विषय के रूप में, विभिन्न क्षेत्रों में अपनी लोक-प्रियता एवम् विश्वसनीयता को निरंतर स्थापित करते हुए आगे बढ़ रहा है। जिसके फलस्वरूप केंद्रीय तथा राज्य स्तरीय परीक्षाओं में, यह विषय को एक "दार्शनिक विषय" के रूप में, स्थान दी गई है जिससे, सभी विद्यार्थियों/अभ्यर्थियों में, नैतिक/सामाजिक/ मौलिक आदि, मूल्यों का विकास संभव हो सके.
Perfection IAS
Essay (निबंध)
“दैनिक जीवन तथा अन्य क्षेत्रों में,
निबंध यानी ESSAY का बढ़ता प्रभाव एवम् महत्व।”
वर्तमान समय में, निबंध यानी ESSAY का बढ़ता महत्व सराहनीय है। जहां पहले किसी एक विशेष संवैधानिक संस्था (UPSC) द्वारा इस विषय के महत्व का अवलोकन किया जाता रहा है, “आज वहीं अन्य राज्य स्तरीय निकायों यानी BPSC एवम् अन्य PCS” संस्थाओं के द्वारा भी इस विषय को अपनी विषय-सूची में, अंतर्निहित किया गया है।
जिसके, एक नहीं अपितु निम्नलिखित कारण हैं जैसे कि;
• इस विषय की अपनी एक कार्यशैली है, जिसके अंतर्गत एक विशेष विषय पर अपनी क्रिया एवम् प्रतिक्रिया को साझा करना होता है, जिसका माध्यम एक मात्र संवैधानिक होनी चाहिए।
• जहां, किसी एक विषय का कार्य क्षेत्र सीमित होता है, वहीं निबंध/Essay का कार्य क्षेत्र बहुमुखी होता है, जिसका एक मात्र कारण इस विषय की विशेषता एवं सभी विद्यार्थियों/अभ्यर्थियों में, ज्ञान का चौमुखी संचार करना होता है। जिससे, अभ्यर्थियों के मनों-मस्तिष्क का सर्वाधिक विकास हो सके।
• इस विषय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि, यह दर्शन/राज्यव्यवस्था/अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि, विषयों का समावेश है। जिससे, अभ्यर्थियों में निरंतर विकास की क्रियाशीलता बढ़ता रहता है।
• यह विषय केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से सहायक सिद्ध नहीं है अपितु, इस विषय की अपनी एक विशेष भाषा है, "जिसका आधार संविधान में निहित इसके आदर्श हैं।" जिससे, एक अभ्यर्थी में निरंतर सकारात्मक आमूलचूल परिवर्तन होता है।
• यह विषय केवल परीक्षा का माध्यम ना हो कर के, एक सुगम सरल जीवन जीने का सार भी है..जिसका नींव इस विषय के आदर्श हैं। जिसके माध्यम से व्यक्ति में, सोच एवं समझ का सहज विकास होता है, जिसके माध्यम से व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में, अपनी क्रियाशीलता बनाए रखता है।
• Essay यानी निबंध का कोई क्षेत्र सीमित नहीं है, अपितु यह सभी अन्य विषयों का एक समावेश है, जिसका आधार केवल अभ्यर्थियों में, लोक-कल्याणकारी गुणों का विकास, समाज में, पनप रही कुरीतियों का खंडन करना तथा किसी भी अन्य विषयों पर अपनी स्वतंत्र व्यक्तव्य को रखना हीं, यह विषय की नैतिकता एवम् मौलिकता है।
• ये विषय जहां एक तरफ गांधीवादी, आंबेडकर वादी विचारधाराओं से प्रेरित है, तो वहीं ये विषय भगत सिंह के नैतिक वादी विचारधाराओं से भी प्रेरित है। जहां, एक तरफ समर्थन है, तो दूसरी तरफ विरोधाभास विचारधारा भी विद्यमान हैं। जहां विचारों की भिन्नता तो प्रत्यक्ष है, किन्तु..धर्म, धैर्य एवं सहिष्णुता हीं इनके भाव एवम् आदर्श हैं।
• निबंध/Essay मात्र केवल विषय नहीं है, अपितु यह रोज के दिनचर्या में, होने वाली परिवर्तन का एक विषय के रूप में समावेश है..जिससे यह प्रत्यक्ष होता है कि; राष्ट्रीय एवम् अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली घटनाओं का एक क्रमबद्ध अध्ययन भी है।
—जहां, निबंध/Essay एक विषय के रूप में, महत्वपूर्ण है तो वहीं यह दार्शनिक तथा सत्यनिष्ठावान सोच का सूचक भी है। यद्यपि, यही कारण है जो बदलते समय के परिवेश में, अपनी प्रासंगिकता को दर्शाता है, जिसके कारण यह एक विषय के रूप में, विभिन्न क्षेत्रों में अपनी लोक-प्रियता एवम् विश्वसनीयता को निरंतर स्थापित करते हुए आगे बढ़ रहा है। जिसके फलस्वरूप केंद्रीय तथा राज्य स्तरीय परीक्षाओं में, यह विषय को एक "दार्शनिक विषय" के रूप में, स्थान दी गई है जिससे, सभी विद्यार्थियों/अभ्यर्थियों में, नैतिक/सामाजिक/ मौलिक आदि, मूल्यों का विकास संभव हो सके.
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2 weeks ago | [YT] | 45