#करवाचौथ#karwachauth हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि, करवा चौथ महापर्व के नाम से पुराणों और शास्त्रों में वर्णित हैं। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने अटल अखंड सौभाग्य एवं परिवार की सुख समृद्धि की कामना लिए, सूर्योदय से रात्रि में चंद्र उदय होने तक पूरे दिन निर्जला व्रत को धारण करती है। करवा चौथ का यह त्यौहार पूरे देश भर में महिलाओं द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। क्या आप जानते हैं, इस बार करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए बड़े ही सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान लिए अक्टूबरआ रहा है।
करवा चौथ के दिन की पूजन विधि -
चंद्रमा को अर्घ्य देने के पूर्व माता गौरी और गणेश की विधि-विधान पूर्वक पूजा करनी होती है। माता गौरी यानी देवी पार्वती ही चौथ माता कहलाती है। इस दिन पूजन में माता गौरी को महिलाओं द्वारा समस्त श्रृंगार की सामग्री भी अर्पित की जाती है।
करवा चौथ व्रत कथा -
एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। साहूकार के सभी बेटे अपनी बहन करवा से बहुत प्यार करते थे। हमेशा उसे खाने खिलाने के बाद ही वे भी स्वयं खाना खाते थे। शादी के बाद एक बार जब उनकी बहन करवा मायके आई तो वह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के व्रत वाले दिन जब शाम को जब उसके सभी भाई खाना खाने बैठे तो उन्होंने भी अपनी बहन करवा से खाना खाने का अनुरोध किया। इस पर करवा ने अपने भाइयों से कहा कि आज मेरा व्रत है और वह चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खा पाएगी। इस पर उनके भाई बहुत परेशान हो गए और सोचने लगे कि उनकी बहन इतनी देर तक भूखी कैसे रहेगी। इस पर सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की ऐसी हालत देखी न गई और उसने दूर एक पेड़ पर दीपक लगाकर उस पर एक चलनी की ओट रखी, जिससे यह देखने में एकदम चंद्र सी प्रतीत हो रही थी, इससे उनकी बहन करवा को लगा कि चांद निकल आया है और फिर वह चांद को अर्घ्य देने के बाद खाना खाने को बैठ गई। जब करवा भोजन का दूसरे टुकड़ा खाने लगी तो उसमें एक बाल निकल आया और फिर वह जब भोजन का तीसरा टुकड़ा खाने लगी, तो उसको उसके पति की मृत्यु की खबर प्राप्त हो हुई। इस पर वह एक प्रकार से बहुत दुखी, परेशान और चिंतित हो गई। इसके बाद उसकी भाभी उसे पूरी बात बताती है कि आखिर ये सब हुआ तो कैसे हुआ। वह करवा को बताती है कि उसका व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण भगवान उससे नाराज़ हो गए हैं। फिर इसके बाद करवा संकल्प लेती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी बल्कि अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करके रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली सुईनुमा घास को भी एकत्रित करती रही। एक साल बाद जब फिर करवा चौथ का व्रत आता है, तो वह इस व्रत को रखती है और शाम को सुहागिनों महिलाओं से अनुरोध करती है कि ' यम सूई ले लो, फिर सुई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो ' हालांकि हर सुहागिन ऐसा कहने को मना कर देती है, आखिर बाद में एक सुहागिन ऐसा कहने को मान जाती है। इस प्रकार करवा का चतुर्थी व्रत पूर्ण होता है और उसका पति एक बार फिर से पुनर्जीवित हो जाता है।
KARVA CHOUTH VRAT KATHA | करवा चौथ व्रत कथा | विशेष गणपति मंत्र के साथ | KARVACHOUTH VRAT KATHA | जिनका व्रत है वो अवश्य देखें | FESTIVALS OF INDIA
Watch #Karvachauth#VratKatha to know the importance of #Karva#Chauth Fastival "KarvaChauth Vrat Katha" Voice : #Rani Mandloi Music : #Samar Mandloi Lyrics : TRADITIONAL Produced By : #SAMAR MANDLOI / Tathastuindia Music Label : Tathastu India Album Name : ESSENTIAL MANTRA AND AARTI Arranged,Mixed,and Master by Saurabh sharma Voice recorded by Vaibhav phonix www.facebook.com/tathastuindia youtube.com/c/TathastuIndia or email : tathastuindia@hotmail.com Category - Music
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#करवाचौथ #karwachauth
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि, करवा चौथ महापर्व के नाम से पुराणों और शास्त्रों में वर्णित हैं। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने अटल अखंड सौभाग्य एवं परिवार की सुख समृद्धि की कामना लिए, सूर्योदय से रात्रि में चंद्र उदय होने तक पूरे दिन निर्जला व्रत को धारण करती है। करवा चौथ का यह त्यौहार पूरे देश भर में महिलाओं द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। क्या आप जानते हैं, इस बार करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए बड़े ही सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान लिए अक्टूबरआ रहा है।
करवा चौथ के दिन की पूजन विधि -
चंद्रमा को अर्घ्य देने के पूर्व माता गौरी और गणेश की विधि-विधान पूर्वक पूजा करनी होती है। माता गौरी यानी देवी पार्वती ही चौथ माता कहलाती है। इस दिन पूजन में माता गौरी को महिलाओं द्वारा समस्त श्रृंगार की सामग्री भी अर्पित की जाती है।
करवा चौथ व्रत कथा -
एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। साहूकार के सभी बेटे अपनी बहन करवा से बहुत प्यार करते थे। हमेशा उसे खाने खिलाने के बाद ही वे भी स्वयं खाना खाते थे। शादी के बाद एक बार जब उनकी बहन करवा मायके आई तो वह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के व्रत वाले दिन जब शाम को जब उसके सभी भाई खाना खाने बैठे तो उन्होंने भी अपनी बहन करवा से खाना खाने का अनुरोध किया। इस पर करवा ने अपने भाइयों से कहा कि आज मेरा व्रत है और वह चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खा पाएगी। इस पर उनके भाई बहुत परेशान हो गए और सोचने लगे कि उनकी बहन इतनी देर तक भूखी कैसे रहेगी। इस पर सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की ऐसी हालत देखी न गई और उसने दूर एक पेड़ पर दीपक लगाकर उस पर एक चलनी की ओट रखी, जिससे यह देखने में एकदम चंद्र सी प्रतीत हो रही थी, इससे उनकी बहन करवा को लगा कि चांद निकल आया है और फिर वह चांद को अर्घ्य देने के बाद खाना खाने को बैठ गई। जब करवा भोजन का दूसरे टुकड़ा खाने लगी तो उसमें एक बाल निकल आया और फिर वह जब भोजन का तीसरा टुकड़ा खाने लगी, तो उसको उसके पति की मृत्यु की खबर प्राप्त हो हुई। इस पर वह एक प्रकार से बहुत दुखी, परेशान और चिंतित हो गई। इसके बाद उसकी भाभी उसे पूरी बात बताती है कि आखिर ये सब हुआ तो कैसे हुआ। वह करवा को बताती है कि उसका व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण भगवान उससे नाराज़ हो गए हैं। फिर इसके बाद करवा संकल्प लेती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी बल्कि अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करके रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली सुईनुमा घास को भी एकत्रित करती रही। एक साल बाद जब फिर करवा चौथ का व्रत आता है, तो वह इस व्रत को रखती है और शाम को सुहागिनों महिलाओं से अनुरोध करती है कि ' यम सूई ले लो, फिर सुई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो ' हालांकि हर सुहागिन ऐसा कहने को मना कर देती है, आखिर बाद में एक सुहागिन ऐसा कहने को मान जाती है। इस प्रकार करवा का चतुर्थी व्रत पूर्ण होता है और उसका पति एक बार फिर से पुनर्जीवित हो जाता है।
KARVA CHOUTH VRAT KATHA |
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"KarvaChauth Vrat Katha"
Voice : #Rani Mandloi
Music : #Samar Mandloi
Lyrics : TRADITIONAL
Produced By : #SAMAR MANDLOI / Tathastuindia
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Album Name : ESSENTIAL MANTRA AND AARTI
Arranged,Mixed,and Master by Saurabh sharma
Voice recorded by Vaibhav phonix
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2 days ago | [YT] | 985