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दुश्मनों से घिरी थी दरिया-ए-फुरातअधूरी रह गयी थी सक़ीना की प्यासहाथों में मश्क़ लिएतीरों की सेज़ पर सोये अब्बासख़ुदा के सजदे में झुके हुसैनउनपर नेज़े उठे, खंज़र चलाबस लहू ही लहूदरिया सा बह चला..... कर्बला, कर्बला...
2 months ago | [YT] | 338
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दुश्मनों से घिरी थी दरिया-ए-फुरात
अधूरी रह गयी थी सक़ीना की प्यास
हाथों में मश्क़ लिए
तीरों की सेज़ पर सोये अब्बास
ख़ुदा के सजदे में झुके हुसैन
उनपर नेज़े उठे, खंज़र चला
बस लहू ही लहू
दरिया सा बह चला..... कर्बला, कर्बला...
2 months ago | [YT] | 338