बहुत अच्छा सवाल है भाई, और इंसानियत के नजर से बहुत जरूरी सवाल है।
देखिए, दुनिया का कोई भी धर्म हो — इस्लाम, हिंदू धर्म, सिख, ईसाई या कोई और — हर धर्म का पहला उसूल यह है कि किसी को नाहक तकलीफ मत दो, किसी का दिल मत दुखाओ।
अब रही बात कि "अगर कोई हिंदू किसी को तकलीफ देकर पूजा-पाठ करे, तो उसकी इबादत (पूजा) कबूल होगी या नहीं?" — इसका सीधा जवाब यह है कि:
असली इबादत या पूजा का मकसद है कि इंसान के अंदर अच्छाई, दया, इंसाफ, और मोहब्बत पैदा हो। अगर कोई इंसान किसी को धोखा देता है, मारता है, सताता है, और फिर मंदिर जाकर घंटा बजाता है, पूजा करता है — तो भगवान (ईश्वर) को उसकी पूजा की जरूरत नहीं।
जैसे कुरआन में है:
> "अल्लाह तो परहेज़गारों से ही कबूल करता है।" — (सूरह माएदा 5:27)
उसी तरह गीता में भी श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:
> "जो भक्त प्रेम और सच्चे मन से भक्ति करता है, वही मुझे प्रिय है।" — (भगवद गीता 9:26)
मतलब, अगर दिल से सफाई नहीं, नीयत साफ नहीं, और ऊपर से पूजा-पाठ, तो भगवान उसको पसंद नहीं करता।
सीधी बात: कोई मुसलमान, हिंदू, या कोई भी हो, अगर वो इंसानियत को तकलीफ देकर पूजा या इबादत करता है, तो उसकी इबादत/पूजा ऊपर तक नहीं जाती, क्योंकि ईश्वर/अल्लाह/भगवान दिल देखते हैं, दिखावा नहीं।
shahofficial7860
hindu ko unke bhagwan ka hukam
बहुत अच्छा सवाल है भाई, और इंसानियत के नजर से बहुत जरूरी सवाल है।
देखिए, दुनिया का कोई भी धर्म हो — इस्लाम, हिंदू धर्म, सिख, ईसाई या कोई और — हर धर्म का पहला उसूल यह है कि किसी को नाहक तकलीफ मत दो, किसी का दिल मत दुखाओ।
अब रही बात कि "अगर कोई हिंदू किसी को तकलीफ देकर पूजा-पाठ करे, तो उसकी इबादत (पूजा) कबूल होगी या नहीं?" — इसका सीधा जवाब यह है कि:
असली इबादत या पूजा का मकसद है कि इंसान के अंदर अच्छाई, दया, इंसाफ, और मोहब्बत पैदा हो।
अगर कोई इंसान किसी को धोखा देता है, मारता है, सताता है, और फिर मंदिर जाकर घंटा बजाता है, पूजा करता है — तो भगवान (ईश्वर) को उसकी पूजा की जरूरत नहीं।
जैसे कुरआन में है:
> "अल्लाह तो परहेज़गारों से ही कबूल करता है।" — (सूरह माएदा 5:27)
उसी तरह गीता में भी श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं:
> "जो भक्त प्रेम और सच्चे मन से भक्ति करता है, वही मुझे प्रिय है।" — (भगवद गीता 9:26)
मतलब, अगर दिल से सफाई नहीं, नीयत साफ नहीं, और ऊपर से पूजा-पाठ, तो भगवान उसको पसंद नहीं करता।
सीधी बात:
कोई मुसलमान, हिंदू, या कोई भी हो, अगर वो इंसानियत को तकलीफ देकर पूजा या इबादत करता है, तो उसकी इबादत/पूजा ऊपर तक नहीं जाती, क्योंकि ईश्वर/अल्लाह/भगवान दिल देखते हैं, दिखावा नहीं।
1 month ago | [YT] | 0