आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

21 साल की उम्र में लड़कियों के लिए पहला स्वदेशी स्कूल खोला। बाल विवाह, स्त्री शिक्षा का दमन, जातिवाद, विधवा पुनर्विवाह की वर्जना, शिशु-हत्या जैसी कुरीतिओं के विरुद्ध आजीवन काम किया। बाबासाहब अंबेडकर ने उन्हें अपना गुरु व बौद्धिक पिता कहा।

किसकी बात कर रहे हैं हम?

हम बात कर रहे हैं 'महात्मा ज्योतिबा फुले' की। आइए उनसे मिलते हैं:

➖ 1827 में जन्मे ज्योतिराव गोविंदराव फुले का जन्म एक तथाकथित निचली जाति के परिवार में हुआ। 'फुले' परिवार के लोग फूल-विक्रेता के रूप में काम करते थे, इसलिए उपनाम फुले अपनाया।

➖ ज्योतिबा एक प्रतिभाशाली छात्र थे। माली समुदाय के बच्चों अधिक पढ़ना आम बात नहीं थी। इसलिए ज्योतिबा को स्कूल से निकाल दिया गया और वे खेत में काम करने लगे। लेकिन उनकी मेधा को देख एक पड़ोसी ने उनके पिता को पढ़ाई पूरी करवाने के लिए मनाया।

➖ एक बार ज्योतिबा 'उच्च' जाति के अपने एक मित्र की शादी में गए। दूल्हे के रिश्तेदारों ने ज्योतिबा की जाति को लेकर अपमान किया। तब उन्होंने जाति-व्यवस्था को चुनौती देने की कसम खाई और वहाँ से चले गए।

➖ ज्योतिबा थॉमस पेन की पुस्तक 'द राइट्स ऑफ मैन' से प्रभावित थे। उनका मानना था कि सामाजिक बुराइयों से लड़ने का एकमात्र समाधान महिलाओं और दमित वर्गों का ज्ञानोदय है।

➖ 1848 में उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती सावित्रीबाई को पढ़ना और लिखना सिखाया। जिसके बाद उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्वदेशी स्कूल खोला। इस वक्त वे 21 वर्ष के थे और सावित्रीबाई मात्र 18 वर्षीया थीं। स्कूल में सभी धर्मों, सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि की छात्राओं का स्वागत किया।

➖ ये देखकर ज्योतिबा और सावित्रीबाई को सामज से बहिष्कृत कर दिया गया। हालाँकि उनके दोस्त उस्मान शेख ने उनका अपने घर पर स्वागत किया। जहाँ से लड़कियों का स्कूल संचालित होता रहा। 1852 तक, ज्योतिबा ने तीन स्कूल स्थापित किए। लेकिन 1857 के विद्रोह के बाद धन की कमी के कारण 1858 तक वे सभी बंद हो गए।

➖ ज्योतिबा ने बाल-विवाह का पुरजोर विरोध किया व विधवा पुनर्विवाह के समर्थन में आवाज़ उठाई। वे 'शिशु-हत्या' जैसी कुरीति से भी लड़ रहे थे। 1863 में उन्होंने अपने मित्र और पत्नी के साथ मिलकर एक शिशु-हत्या रोकथाम केंद्र भी खोला।

➖ समाज सुधारक होने के साथ-साथ ज्योतिबा एक व्यापारी, लेखक व नगर पालिका परिषद के सदस्य भी थे। उन्हें पूना नगरपालिका का आयुक्त नियुक्त किया गया और उन्होंने 1883 तक इस पद पर कार्य किया।

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आज जिनकी कोई आवाज़ नहीं है, उनकी आवाज़ आचार्य प्रशांत हैं।

बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने, युवाओं को सही दिशा दिखाने, व क्लाइमेट चेंज जैसी बड़ी आपदा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।

पर काम आसान नहीं है, इसके लिए बड़े संसाधनों की आवश्यकता है। सबको समझाना है, सबको बचाना है।

आचार्य प्रशांत संघर्षरत हैं,
आपके लिए।

स्वधर्म निभाएँ: acharyaprashant.org/hi/contribute/contribute-work?…

1 day ago | [YT] | 1,585



@Raj....016A

भारत के वीर सपूत आधुनिक युग के निर्माता राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले जी को नमन

22 hours ago | 11

@RiteshKumar-q5x9s

फूहड़ फिल्में तो परोसी जा रही हैं पर ऐसी फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है।

1 day ago | 22

@user-yw8sn9lt5h

कोटि कोटि प्रणाम है ऐसे महा पुरुष को

21 hours ago | 5

@vikrantyadav3247

Thanks for sharing this 🙏

18 hours ago | 2

@pushpandrakoli6493

अंधभक्त जल जाते है सच्चाई से

22 hours ago | 6

@akankshaakanksha9745

Great sir

21 hours ago | 4

@preetverma3353

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

23 hours ago | 5

@UpendraSingh-cz3zb

Kuchh logo ka pichhvadaa jalta hai ambedkar phule ka naam sunte hi

23 hours ago | 11