नमस्ते,

बगिया की एबीसी बागवानी पर आधारित चैनल है जिसे फॉलो करके आप लगातार अपनी बागवानी को बेहतर करने के लिए अपडेट रह सकते हैं।

बागवानी आसान भी नही है न ही मुश्किल है। कभी-कभी आप सफल होंगे और कभी-कभी आप बस सीखेंगे। इस लिए हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें।।

आप मुझे इंस्टाग्राम और फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।

व्यावसायिक पूछताछ के लिए नीचे लिखी मेल आईडी पर अपना संदेश भेजें।
bagiyakiabc@gmail.com

सादर आभार🙏
बगिया की ABC


Bagiya ki ABC

कैलेंडर नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।💐
🙏 राधे राधे😊 #bagiyakiabc #newyear #january #newyear2025 #bestwishes #1stjanuary

11 months ago | [YT] | 8

Bagiya ki ABC

आपने अब तक कई तरह की सब्जियां खाई होंगी। उनमें से ज्यादातर हरी सब्जियां होगी। लेकिन आज मैं आपके लिए एक ऐसी सब्जी लेकर आया हूं जो हरी नहीं बल्कि लाल रंग की होती है और पकने के बाद भी लाल ही रहती है। ये सब्जी न सिर्फ स्वादिष्ट होती है बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। इसे लाल भाजी के नाम से जाना जाता है, इसका वैज्ञानिक नाम ऐमारैंथ डबियस है। इसके पत्तों का रंग लाल होने के कारण इसे लाल साग या लाल भाजी या लाल पालक कहा जाता है। इसके पत्ते पालक के पत्तों की तरह होते हैं, लेकिन दोनों का स्वाद बहुत अलग होता है। ऐमारैंथ की सब्जी लाल और हरे दोनों रंगों में आती है। इसमें विटामिन सी, विटामिन ई, आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है।

लाल भाजी में फाइबर की मात्रा ज़्यादा होती है, यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करती है। यह गठिया, कब्ज, एसिडिटी जैसी समस्याओं में राहत देती है। लाल भाजी खून में इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करती है। इसका प्रोटीन इंसुलिन की मात्रा को नियंत्रित रखता है।

लाल भाजी में लाइकोपीन होता है, जो दिल की सेहत को बेहतर बनाता है, प्रोस्टेट और ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करता है, स्ट्रोक की रोकथाम में योगदान देता है और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। लाइकोपीन के अच्छे स्रोतों में टमाटर, चुकंदर, मूली, चेरी, स्ट्रॉबेरी, लाल प्याज और लाल मिर्च भी शामिल हैं।

■ उगाने का समय:

◆ अमरंथ एक ऐसी सब्जी है जिसे गर्मी और नमी पसंद है। इसे साल में दो बार बोया जा सकता है:

◆ पहली बुवाई: फरवरी-मार्च के महीने में। इस समय बुवाई करने से गर्मी के मौसम में ताजी सब्जियाँ मिलती हैं।

◆ दूसरी बुवाई: जुलाई का महीना। मानसून के मौसम में बुवाई करने से बारिश की मदद से अच्छी उपज मिलती है।

आप अपने क्षेत्र के मौसम को ध्यान में रखते हुए बुवाई का समय चुन सकते हैं। अगर गर्मी ज़्यादा है, तो बुवाई थोड़ी देर से की जा सकती है।

■ बुवाई और खेत की तैयारी:

● गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें।

● बुवाई से 15-20 दिन पहले खेत में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डालें।

● बुवाई के लिए बीजों को सीधे खेत में छिड़ककर समान रूप से छिड़का जाता है। इसके बाद हल्के हाथों से मिट्टी को भर दें।

● लाल भाजी के बीज बहुत छोटे होते हैं, इसलिए इन्हें बोते समय ध्यान रखें कि बीजों पर ज़्यादा मिट्टी न लगे।

● लाल भाजी को उगाने के लिए ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। इसे दिन की 5 से 6 घंटे की धूप जरूर दें।

■ सिंचाई:

अमरनाथ एक सूखा सहने वाली फसल है, लेकिन नियमित सिंचाई इसकी उपज बढ़ाने में मदद करती है। गर्मी के मौसम में, सप्ताह में 2-3 बार सिंचाई की जा सकती है।

मानसून के मौसम में, बारिश के आधार पर सिंचाई की मात्रा कम की जा सकती है। हमेशा सुबह या शाम को सिंचाई करें, ताकि पानी का वाष्पीकरण कम हो।

#लालभाजी #redspinach #growing #gardening #bagiyakiabc #fyp #foryou #healthy #howto #informativepost

11 months ago | [YT] | 1

Bagiya ki ABC

आम खाना किसे पसंद नहीं होता, लेकिन गर्मी का मौसम आने में अभी कुछ समय बाकी है। अगर आप गर्मियों में अपने बगीचे से मीठे और स्वादिष्ट आम तोड़ना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अभी से कुछ जरूरी काम करने होंगे। चलिए जल्दी से जान लेते हैं कि वो काम कौन से हैं?

इससे पहले कि हम आर्टिकल में आगे बढ़ें, अगर आपने अभी तक आर्टिकल को लाइक और पेज को फॉलो नहीं किया है तो जल्दी से कर लें क्योंकि मैं हमेशा आपके लिए ऐसी ही उपयोगी जानकारी लेकर आता रहता हूं।

■ अगर आप चाहते हैं कि आम के पेड़ पर ज़्यादा फल लगें, तो कुछ बातों का पहले से ध्यान रखें और उनका सख्ती से पालन करें।

1) पेड़ पूरी धूप में होना चाहिए। यानी पेड़ को पूरे दिन धूप मिलनी चाहिए।

2) पेड़ 3 साल या उससे ज़्यादा पुराना होना चाहिए।

3) पेड़ ग्राफ्टेड होना चाहिए। सीडलिंग वाले पेड़ 10 साल बाद ही फूलते-फलते हैं।

4) पेड़ पर 6 महीने से ज़्यादा पुराने हरे पत्ते होने चाहिए लेकिन नए पत्ते नहीं आने चाहिए।

5) पौधों को सिर्फ़ नमी बनाने के लिए पानी देना चाहिए। ज़्यादा पानी देने से नए पत्ते निकलेंगे। जिससे इस साल उन शाखाओं पर बोर नहीं आएंगे।

6) गमले में लगा पेड़ कम से कम 24×24 साइज़ के गमले में लगा होना चाहिए।

7) बोर आने से पहले आपको नीचे बताये उपाय करना जरूरी होगा।

■ आम के पेड़ से अधिक फल प्राप्त करने के लिए ये उपाय किए जाने चाहिए:

◆ नाइट्रोजन उर्वरक का कम प्रयोग: फूल आने के समय नाइट्रोजन उर्वरक का अधिक प्रयोग न करें। अधिक प्रयोग करने से नई पत्तियां अधिक आएंगी। इससे पेड़ पर फल नहीं लगेंगे।

◆ फास्फोरस उर्वरक: फूल आने से पहले फास्फोरस उर्वरक के प्रयोग से फूल आने की प्रक्रिया बढ़ जाती है।

◆ पोटैशियम उर्वरक: जड़ो में पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम उर्वरक के प्रयोग से फूल आने की प्रक्रिया बढ़ जाती है और फूल और फलों की संख्या भी बढ़ जाती है।

◆ सिंचाई: आम के पेड़ों की समय-समय पर हल्की सिंचाई करने से पेड़ों को पानी मिलता रहता है और फलों को गिरने से रोका जा सकता है।

◆ फफूंदनाशक का छिड़काव: फूल आने से पहले 15 दिन के अंतराल पर साफ या बाविस्टीन जैसे फफूंदनाशक का 2 ग्राम प्रति लीटर की दर से दो बार छिड़काव करें।

◆ कीटनाशक दवा का प्रयोग: कीटों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए आम के पेड़ पर काका, हमला जैसे ऑर्गेनिक और इमिडाक्लोप्रिड या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड जैसी दवाओं का छिड़काव करना चाहिए।

● छिड़काव का समय: कीटनाशकों का छिड़काव सुबह या देर शाम को करना चाहिए। दिन में किट छुपे होते हैं जिससे पूर्ण रूप से नष्ट नहीं होते हैं।

■ खाद का प्रयोग कैसे करें:

🔴 10 साल से कम पुराने जमीन में लगे पेड़ के लिए:

✅ पेड़ के चारो तरफ तने से 1 मीटर दूर 6 इंच गहरा गोल गड्ढा करें।
✅ गाय के गोबर की खाद 2 किलो।
✅ Single Super Fasfet-SSP 100 ग्राम
✅ 12:61:0 - 50 ग्राम
✅ 0:0:50 - 50 ग्राम
✅ Humic Acid - 10 ग्राम
✅ ट्राइकोडर्मा पाउडर - 20 ग्राम

🔴 10 साल से अधिक पुराने जमीन में लगे पेड़ के लिए:

✅ पेड़ के चारो तरफ तने से 2 मीटर दूर 9 इंच गहरा गोल गड्ढा करें।
✅ गाय के गोबर की खाद 25 किलो।
✅ 12:61:0 - 350 ग्राम
✅ Calcium Nitrate - 100 ग्राम
✅ Potash - 250 ग्राम
✅ Humic Acid - 25 ग्राम
✅ ट्राइकोडर्मा पाउडर - 50 ग्राम

🔴 रिंग में खाद मिलाकर भर दें। ऊपर से मिट्टी से ढकदें और हल्का पानी दें।

🔴 गमले में लगे पेड़ के लिए खाद:

✅ पेड़ के चारो तरफ तने से 3 इंच दूर मुख्य भाग को छोड़ कर 3 से 4 इंच गहरा गोल गड्ढा करें।
✅ 1 साल पुरानी गाय के गोबर की खाद 3 से 5 किलो।
✅ नीम खली 250 ग्राम
✅ SSP (Single Super Fasfet) 30 ग्राम
✅ Potash - 50 ग्राम
✅ Humic Acid - 10 ग्राम
✅ सीवीड - 10 ग्राम
✅ ट्राइकोडर्मा पाउडर - 10 ग्राम

🔴 सभी को अच्छे से मिला लें और गमले में भर कर ऊपर मिट्टी से ढक कर थोड़ा पानी दें। आगे हल्की नमी बनाकर रखें। मिट्टी ऊपर सूखने पर पानी दें।

■ आम के फलों के झड़ने से हैं परेशान तो अपनाएं ये उपाय:

फलों को गिरने से बचाने के लिए पेड़ों पर बोरेक्स 4 ग्राम प्रति लीटर पानी या प्लेनोफिक्स 4 मिली प्रति 9 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। फूल आने से पहले पानी देना बंद कर दें और फल आने पर फिर से पानी देना शुरू करें। आम के पेड़ को गहराई से पानी दें ताकि उसकी लंबी जड़ें तर हो जाएं। जब सफेद पाउडर दिखाई दे तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। इसके साथ ही जब मिलीबग का प्रकोप बढ़ जाए तो इमिडाक्लोप्रिड 17:8 एसएल 1 मिली प्रति लीटर की दर से पानी मिलाकर छिड़काव करें।

#informativepost #useful #usefultips #mango #mangoplant #summer #summer2025 #fyp #fertilizer #gardening #bagiyakiabc #mangolover #mangofarming #growing

11 months ago | [YT] | 1

Bagiya ki ABC

आज तुलसी गौड़ा हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनका योगदान न केवल सराहनीय है, बल्कि अविस्मरणीय भी है। कर्नाटक राज्य के होनाली गाँव की पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा को वृक्ष संरक्षण में उनके योगदान के लिए 2020 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

पेड़-पौधों के प्रति अपने अद्भुत प्रेम और समर्पण के लिए "वृक्ष माता" के रूप में जानी जाने वाली पद्मश्री तुलसी गौड़ा 86 वर्ष की आयु में इस दुनिया से 16 दिसंबर 2024 को अलविदा हो गईं और उनके लगाए लाखों पेड़ो ने अपनी माँ को खो दिया।

जब तुलसी गौड़ा अपना पद्मश्री पुरस्कार लेने महामहिम के पास गई, तो उनकी सादगी ने सभी को बहोत आकर्षित किया। वे पद्मश्री लेने के लिए नंगे पाँव, अपने पारंपरिक आदिवासी परिधान में पहुँचीं थी।

तुलसी गौड़ा का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था, और जब वह 2 साल की थीं, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी, इसलिए उन्हें अपनी माँ के साथ स्थानीय नर्सरी में दिहाड़ी मज़दूर के रूप में काम करना पड़ा। उन्हें औपचारिक शिक्षा नहीं मिली और न ही उन्होंने पढ़ना सीखा। लेकिन अपने अनुभव से उन्होंने पेड़ों, पौधों और वनस्पतियों के बारे में इतना ज्ञान अर्जित किया कि उन्हें 'Encyclopedia of Forests' कहा जाने लगा।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनका समर्पण सिर्फ़ पेड़ लगाने तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने वनों और जैव विविधता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी काम किया। उनके प्रयासों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है, जो पर्यावरण संरक्षण में जमीनी स्तर पर सक्रियता की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है। तुलसी गौड़ा के जीवन और कार्य में प्राकृतिक दुनिया के पोषण के प्रति गहरी प्रतिबद्धता निहित थी।

कर्नाटक की हलाक्की जनजाति से ताल्लुक रखने वाली तुलसी गौड़ा ने अपना पूरा जीवन पेड़ों को समर्पित कर दिया। उन्होंने करीब 60 साल पहले पेड़-पौधों की देखभाल करना शुरू कीया था और लगभग 30,000 से अधिक पौधे लगाए और वन विभाग की नर्सरी की देखभाल भी की। वह कहती थीं, "आप कितने पेड़ लगाते हैं, यह मायने रखता है, लेकिन उससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है उन छोटे-छोटे नाजुक पौधों की देखभाल करना।"

तुलसी गौड़ा! आपके काम से आने वाली कई पीढ़ियाँ प्रेरित होती रहेंगी।

श्रद्धांजलि 🙏🌸🏵️

Tulsi Gowda #तुलसीगौड़ा #bagiyakiabc
#TulsiGowda #plants #trees

1 year ago | [YT] | 2

Bagiya ki ABC

स्टार ऐनीज़ (इलिसियम वेरम) को गमलों में उगाना एक सराहनीय प्रयास है क्योंकि यह एक उपोष्णकटिबंधीय पौधा है और केवल विशेष परिस्थितियों में ही उगता है। आप इसे मसाले के लिए उगा सकते हैं या फिर इसे सजावटी पौधे के रूप में भी उगा सकते हैं। इसे उगाने का सबसे अच्छा समय अगस्त से अक्टूबर या जनवरी से फरवरी है। स्टार ऐनीज़ एक ऐसा फल है जो पेड़ में लगे फूलों से उगता है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। स्टार ऐनीज़ एशिया का एक सदाबहार पेड़ है। भारत में अरुणाचल प्रदेश में इसका व्यावसायिक उत्पादन कुछ हद तक संभव है। चीन में इसका बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उत्पादन होता है।

1. सही बीजों का चयन:

इसे उगाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले स्टार ऐनीज़ (चक्र फूल) के बीजों का इस्तेमाल करें। सुनिश्चित करें कि वे ताज़े हों, क्योंकि पुराने बीजों में अंकुरण दर कम हो सकती है। या फिर आप इसे नर्सरी या ऑनलाइन उपलब्ध होने पर मंगवाकर भी लगा सकते हैं।

2. बीज तैयार करना:

अंकुरण बढ़ाने के लिए बीजों को 24 घंटे तक गर्म पानी में भिगोएँ। यह प्रक्रिया बीज के आवरण को नरम बनाती है और अंकुरण को तेज़ करती है।

3. उपयुक्त गमले का चयन:

ऐसा गमला चुनें जो कम से कम 12 इंच (30 सेमी) गहरा और पर्याप्त चौड़ा हो ताकि विकसित हो रही जड़ प्रणाली उसमें समा सके। सुनिश्चित करें कि गमले में जल निकासी के लिए छेद हों ताकि जलभराव न हो।

4. पॉटिंग मिक्स तैयार करना:

अच्छी तरह से जल निकासी वाला, दोमट पॉटिंग मिक्स इस्तेमाल करें। खाद (वर्मीकम्पोस्ट, सड़ी हुई पत्तियाँ), कोको पीट और परलाइट या नदी की रेत का बराबर मिश्रण आदर्श है। मिट्टी का पीएच 6.0 और 7.5 के बीच होना चाहिए।

5. बीज बोना:

भिगोए हुए बीजों को तैयार पॉटिंग मिक्स में लगभग ½ इंच (1.3 सेमी) की गहराई पर लगाएँ। समान वृद्धि के लिए उन्हें कम से कम 2 इंच (5 सेमी) की दूरी पर रखें।

6. इष्टतम परिस्थितियाँ प्रदान करना:

- प्रकाश: गमले को ऐसी जगह रखें जहाँ आंशिक छाया या अप्रत्यक्ष धूप मिले। स्टार ऐनीज़ फ़िल्टर की गई रोशनी पसंद करता है और कम रोशनी की स्थिति को सहन कर सकता है।

- तापमान: 18-20 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान बनाए रखें। स्टार ऐनीज़ पाले और ठंडे तापमान के प्रति संवेदनशील है।

- आर्द्रता: मिट्टी को लगातार नम रखें लेकिन इसे जलभराव न होने दें। स्टार ऐनीज़ को आर्द्र वातावरण पसंद है, इसलिए मिट्टी को थोड़ा नम रखें।

7. अंकुरण और शुरुआती विकास:

बीज आमतौर पर 8 से 10 दिन के भीतर अंकुरित होते हैं। एक बार अंकुर निकलने के बाद, प्रत्येक पौधे के लिए पर्याप्त जगह सुनिश्चित करें।

8. निरंतर देखभाल:

- पौधे को नियमित रूप से प्रतिदिन पानी दें।

- पानी देने के बीच मिट्टी के ऊपरी 1 इंच को सूखने दें।

- जलभराव से बचें।

- पौधे को सीधी गर्म धूप से बचाएं।

- गर्म हवाओं और ठंडी हवाओं से बचाएं।

- पौधे को गर्म वातावरण में रखें। नमी प्रदान करें।

9. उत्पादन:

- पौधा 6 साल बाद उत्पादन देना शुरू करता है।

- पहले फूल बनते हैं, फिर फल बनने लगते हैं।

- फलों को हरा होने पर तोड़कर सुखाना होता है। सूखने पर वे भूरे हो जाते हैं।

- सुखाने के बाद, रसोई या पेंट्री में ठंडी, अंधेरी जगह पर एयरटाइट कंटेनर में रखें।

■ स्टार ऐनीज़ के फायदे:

- स्टार ऐनीज़ के बीजों में ऐसे रसायन होते हैं जिनमें जीवाणुरोधी प्रभाव हो सकते हैं।

- स्टार ऐनीज़ की चाय पीने से बालों को पोषण मिलता है और जड़ें मज़बूत होती हैं।

- स्टार ऐनीज़ में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और जीवाणुरोधी गुण होते हैं।

- यह पाचन में सुधार करता है और पेट फूलने, गैस और अपच जैसी समस्याओं में राहत देता है।

- स्टार ऐनीज़ में मौजूद विटामिन बी तनाव को कम करता हैक़ और मूड को अच्छा रखता है।

- स्टार ऐनीज़ का पानी पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और मौसमी बीमारियों से बचाव होता है।

- स्टार ऐनीज़ में मौजूद फ्लेवोनोइड्स नामक यौगिक शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है।

- स्टार ऐनीज़ में एंटीफंगल गुण होते हैं, जो फंगल संक्रमण को रोक सकते हैं।

- स्टार ऐनीज़ का सेवन करने से खांसी और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।

- स्टार ऐनीज़ में एंटी-एजिंग गुण होते हैं, जो त्वचा को लंबे समय तक स्वस्थ और जवां बनाए रखते हैं।

- स्टार ऐनीज़ का तेल गठिया, जोड़ों के दर्द और पीठ दर्द के लिए फायदेमंद है।

Star anise, chakra ful, sitara ful
#staranise #chakraful #sitaraful #gardening #bagiyakiabc #informativepost #useful #fyp #growing

1 year ago | [YT] | 1

Bagiya ki ABC

अगर आप बागवानी के शौकीन हैं, तो इस फ़ोटो में दिख रहे पौधे आपके बगीचे की खूबसूरती जरूर बढ़ा रहे होंगे। लेकिन कई बार उपलब्धता की कमी के कारण आपके पास पौधे नहीं होते। लेकिन अगर आपके पास जानकारी नहीं है, तो इस लेख के जरिए आप अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं और इन दुर्लभ और बहुमूल्य औषधीय पौधों को अपने बगीचे में जगह दे सकते हैं।


1) लेमन ग्रास


लेमन ग्रास एक प्रकार की घास है जो अपने तीखे और खट्टे स्वाद के लिए जानी जाती है। यह घास विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो शरीर को कई लाभ प्रदान करती है।


◆ लेमन ग्रास के लाभ:


1. पाचन तंत्र को मजबूत करता है: लेमन ग्रास में विटामिन और खनिज होते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं।


2. प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है: लेमन ग्रास में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करते हैं।


3. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद: लेमन ग्रास में विटामिन और खनिज होते हैं जो त्वचा और बालों को स्वस्थ बनाते हैं।


4. मधुमेह को नियंत्रित करता है: लेमन ग्रास में मधुमेह विरोधी गुण होते हैं जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।


5. तनाव और चिंता को कम करता है: लेमन ग्रास में चिंता-रोधी और अवसाद-रोधी गुण होते हैं जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं।


लेमन ग्रास के उपयोग:


1. चाय: लेमन ग्रास की पत्तियों को मिलाकर चाय पीने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।


 2. सलाद: सलाद में लेमन ग्रास की पत्तियां मिलाकर खाने से विटामिन और मिनरल मिलते हैं।


3. सॉस और मैरिनेड: सॉस और मैरिनेड में लेमन ग्रास की पत्तियां मिलाकर इस्तेमाल करने से स्वाद और स्वास्थ्य दोनों लाभ मिलते हैं।


4. आयुर्वेदिक दवा: लेमन ग्रास का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने में मदद करती है।


2) तुलसी


तुलसी के कई प्रकार हैं, जिनमें से राम तुलसी, श्याम तुलसी और कृष्ण तुलसी सबसे आम हैं।


तुलसी के लाभ:


1. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है: तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं।


2. खांसी और जुकाम से राहत देता है: तुलसी में यूजेनॉल नामक एक यौगिक होता है जो खांसी और जुकाम से राहत दिलाने में मदद करता है।


3. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद: तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा और बालों को स्वस्थ बनाते हैं।


4. मधुमेह को नियंत्रित करता है: तुलसी में मधुमेह विरोधी गुण होते हैं जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।


5. तनाव और चिंता को कम करता है: तुलसी में चिंता विरोधी और अवसाद विरोधी गुण होते हैं जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं।


तुलसी का उपयोग:


1. चाय: तुलसी के पत्तों को चाय में मिलाकर पीने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।


2. कपूर: तुलसी के पत्तों को कपूर में मिलाकर जलाने से वातावरण शुद्ध होता है।


 3. पूजा: पूजा में तुलसी के पत्तों का उपयोग करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।


4. औषधि: तुलसी के पत्तों को औषधि के रूप में उपयोग करने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।


3) एलोवेरा


एलोवेरा एक प्रकार का पौधा है जो अपने औषधीय और सौंदर्य बढ़ाने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। यह पौधा विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो शरीर को कई लाभ प्रदान करता है।


एलोवेरा के लाभ:


1. त्वचा को स्वस्थ बनाता है: एलोवेरा में विटामिन और खनिज होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ बनाते हैं।


2. बालों को स्वस्थ बनाता है: एलोवेरा में विटामिन और खनिज होते हैं जो बालों को स्वस्थ बनाते हैं।


3. पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है: एलोवेरा में विटामिन और खनिज होते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं।


4. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है: एलोवेरा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं।


5. मधुमेह को नियंत्रित करता है: एलोवेरा में मधुमेह विरोधी गुण होते हैं जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।


एलोवेरा के उपयोग:


1. जेल: एलोवेरा जेल का उपयोग त्वचा और बालों के लिए किया जा सकता है।


 2. जूस: एलोवेरा जूस पीने से पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।


3. कैप्सूल: एलोवेरा कैप्सूल पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं।


4. साबुन और शैम्पू: एलोवेरा का इस्तेमाल साबुन और शैम्पू में किया जा सकता है जो त्वचा और बालों को स्वस्थ बनाते हैं।


4) पुदीना


पुदीना एक प्रकार की औषधीय जड़ी-बूटी है जो अपने तीखे और खट्टे स्वाद के लिए जानी जाती है। यह जड़ी-बूटी विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो शरीर को कई लाभ प्रदान करती है।


पुदीने के लाभ:


1. पाचन तंत्र को मजबूत करता है: पुदीने में विटामिन और खनिज होते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं।


2. खांसी और जुकाम से राहत दिलाता है: पुदीने में यूजेनॉल नामक यौगिक होता है जो खांसी और जुकाम से राहत दिलाने में मदद करता है।


3. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद: पुदीने में विटामिन और खनिज होते हैं जो त्वचा और बालों को स्वस्थ बनाते हैं।


4. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है: पुदीने में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।


5. मधुमेह को नियंत्रित करता है: पुदीने में मधुमेह विरोधी गुण होते हैं जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।


पुदीने के उपयोग:


1. चाय: पुदीने की पत्तियों को चाय में मिलाकर पीने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।


 2. सलाद: सलाद में पुदीने की पत्तियां मिलाकर खाने से विटामिन और मिनरल मिलते हैं।


3. सॉस और मैरिनेड: सॉस और मैरिनेड में पुदीने की पत्तियां मिलाकर इस्तेमाल करने से स्वाद और स्वास्थ्य दोनों लाभ मिलते हैं।


4. आयुर्वेदिक दवा: पुदीने का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने में मदद करती है।


5) गिलोय


गिलोय एक प्रकार की औषधीय बेल है जो अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाती है। यह बेल विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो शरीर को कई लाभ प्रदान करती है।


गिलोय के लाभ:


1. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है: गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।


2. पाचन तंत्र को मजबूत करता है: गिलोय में विटामिन और खनिज होते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं।


3. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद: गिलोय में विटामिन और खनिज होते हैं जो त्वचा और बालों को स्वस्थ बनाते हैं।


4. मधुमेह को नियंत्रित करता है: गिलोय में मधुमेह विरोधी गुण होते हैं जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।


5. तनाव और चिंता को कम करता है: गिलोय में चिंता-रोधी और अवसाद-रोधी गुण होते हैं जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं।


गिलोय के उपयोग:


1. चाय: गिलोय के पत्तों को मिलाकर चाय पीने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।


 2. जूस: गिलोय के पत्तों का जूस पीने से विटामिन और मिनरल मिलते हैं।


3. कैप्सूल: गिलोय के कैप्सूल पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।


4. आयुर्वेदिक दवा: गिलोय का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने में मदद करती हैं।


6) करी पत्ता


करी पत्ता एक प्रकार का औषधीय पत्ता है जो अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। यह पत्ता विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो शरीर को कई लाभ प्रदान करता है।


करी पत्ते के लाभ:


1. पाचन तंत्र को मजबूत करता है: करी पत्ते में विटामिन और खनिज होते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं।


2. प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है: करी पत्ते में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करते हैं।


3. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद: करी पत्ते में विटामिन और खनिज होते हैं जो त्वचा और बालों को स्वस्थ बनाते हैं।


4. मधुमेह को नियंत्रित करता है: करी पत्ते में मधुमेह विरोधी गुण होते हैं जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।


5. तनाव और चिंता को कम करता है: करी पत्ते में चिंता-रोधी और अवसाद-रोधी गुण होते हैं जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं।


करी पत्ते के उपयोग:


1. चाय: करी पत्ते के साथ चाय पीने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।


 2. सलाद: सलाद में करी पत्ता मिलाकर खाने से विटामिन और मिनरल मिलते हैं।


3. कैप्सूल: करी पत्ता कैप्सूल पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।


4. आयुर्वेदिक दवा: करी पत्ता का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने में मदद करते हैं।

1 year ago | [YT] | 5

Bagiya ki ABC

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि,रक्षे माचल माचल:।।
आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏😊
#rakshabandhan #rakshabandhanspecial #rakshabandhan2024 #rakhispecial #fypシ #rakshabandhancelebration #gardening #bagiyakiabc #fypシ゚viralシ2024fyp

1 year ago | [YT] | 11

Bagiya ki ABC

आमतौर पर बाग बगीचों, गमलो और मैदानों में, असाधारण औषधीय गुणों वाली साधारण सी दिखने वाली एक घास जिसे हम सभी अनदेखा कर देते हैं और सफाई के दौरान उखाड़ के फेक देते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम एल्युसिन इंडिका और बोलचाल की भाषा में गूज घास के नाम से जाना जाता हैं। यह घास हमारे लिए इतनी साधारण है कि इसका यह नाम भी शायद ही कोई जानता हो। पर यह महत्वहीन खरपतवार बीमारियों को ठीक करने के लिए मुफ्त का एक खजाना है। गूज घास हर वातावरण में पनपता है, इसे कही भी देखना आम है। यह जड़ी बूटी औषधीय गुणों का खजाना है, इसमे एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडायबिटिक, एंटीएलर्जिक और मूत्रवर्धक गुण शामिल हैं। परंपरागत रूप से, इसे चाय में पीया जाता है जो असंख्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक उपाय के रूप में कारगर उपाय है।

मुझे याद है जब मैं बच्चा था और जब भी खेलने के लिए या मैदान में घास पर बैठता था, तो मुझे जैसे ही ये घास दिखती थी इसके मोटे तने को छीलकर उसके अंदर का मुलायम हिस्सा खाने का बहुत मन करता था। आज भी जब भी मैं घास पर बैठता हूँ, तो मुझे पुरानी यादें ताजा हो जाती है और अगर ये दिख जाती है, तो मैं सबकी नज़रों से बचकर चुपके से इसे खा लेता हूँ। कभी बचपना तो कभी शरारत, लेकिन मुझे कभी इसका महत्व नहीं पता था कि एक घास जो थोड़ी सी भी नमी मिल जाने पर आसानी से साल भर कहीं भी उगती है, जिसे हम यूँ ही उखाड़ कर फेंक देते हैं, वो हमारे लिए इतनी फ़ायदेमंद हो सकती है। आइये जानते हैं इसके फ़ायदों के बारे में।

स्वास्थ्य लाभों के लिए विभिन्न बीमारियों के इलाज में गूज घास की बहुमुखी प्रतिभा को कम नहीं आंका जा सकता।

1) कैंसर की रोकथाम में:

गूज घास में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं जो कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं। एंटीऑक्सीडेंट शरीर में हानिकारक मुक्त कणों को बेअसर करते हैं, जो कैंसर कोशिका निर्माण का मुख्य कारण हैं। नियमित रूप से गूज घास चाय का सेवन करने से कैंसर के विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है।

2) ओवेरियन सिस्ट और फाइब्रॉएड के लिए:

गूज घास में सूजनरोधी गुण होते है जिसके कारण ओवेरियन सिस्ट और फाइब्रॉएड से जुड़ी सूजन और दर्द की समस्या को कम किया जा सकता हैं। रोजाना चाय पीने से बीमारी के लक्षणों को कम करने और प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

3) किडनी रोग में सहायक:

गूज घास एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में, मूत्र उत्पादन को बढ़ाती है, यह शरीर से अतिरिक्त पानी और नमक की मात्रा को हटाने में सहायता करती है। यह किडनी रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि यह द्रव संतुलन को प्रबंधित करने और सूजन को कम करने में भी मदद करती है।

4) मधुमेह के प्रबंधन में:

गूज घास में मधुमेह विरोधी गुण होते हैं। यह रक्त शर्करा के स्तर को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इसलिए गूज घास चाय मधुमेह प्रबंधन में सहायक हो सकती है, जिससे समग्र ग्लूकोज नियंत्रण में सुधार होता है।

5) रक्तस्राव और घावों को भरने में:

घावों को जल्दी भरने और रक्तस्राव को रोकने के लिए, गूज घास से बने पेस्ट को सीधे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। इसके प्राकृतिक गुण रक्त का थक्का बनाने और घाव को भरने में मदद करते हैं।

6) परजीवियों से लड़ना:

गूज घास में प्राकृतिक रेचक प्रभाव (मल को ढीला करना और मल त्याग को बढ़ाना) होता है, जो परजीवी संक्रमण के उपचार में लाभकारी हो सकता है। मल त्याग को सुगम बनाकर, यह जठरांत्र (पाचन क्षेत्र) संबंधी मार्ग से परजीवियों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे पाचन स्वास्थ्य में सुधार होता है।

7) निमोनिया से बचाव:

निमोनिया के खिलाफ एक शक्तिशाली उपाय गूज घास की जड़ों से चाय बनाकर बनाया जा सकता है। नियमित रूप से सेवन की जाने वाली यह चाय निमोनिया के लक्षणों को काफी हद तक कम कर सकती है और रिकवरी को तेज़ कर सकती है, अक्सर कुछ ही दिनों में इसके परिणाम दिखने लगते हैं।

8) उच्च रक्तचाप का प्रबंधन:

गूज घास की चाय का नियमित सेवन स्वस्थ रक्तचाप के स्तर को बनाए रखने में सहायता कर सकता है।

9) बुखार में कमी:

बुखार से पीड़ित लोगों के लिए, गूज घास राहत प्रदान कर सकती है। इसकी पकी हुई जड़ों से बनी चाय पीने से शरीर का तापमान कम करने और बुखार के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।

10) लिगामेंट मोच में मददगार:

गूज घास के कुचले हुए पत्तों से बना पेस्ट लगाने से लिगामेंट मोच में सूजन और दर्द कम करने में मददगार होंसक्ता है।

प्रत्येक स्थिति के लिए औषधि तैयारी और उपयोग

■ औषधीय उपयोग के लिए गूज घास की तैयारी प्रत्येक उपचार की जा रही स्थिति के आधार पर भिन्न होता है:

● मधुमेह, गुर्दे की बीमारी, उच्च रक्तचाप और बुखार जैसी आंतरिक स्थितियों के लिए, पत्तियों या जड़ों से चाय बनाने की सलाह दी जाती है। आधे लीटर पानी में मुट्ठी भर गूज घास को डालकर 3 मिनट तक उबालें और प्रतिदिन एक गिलास पिएं।

◆ घाव और मोच जैसे बाहरी प्रयोग के लिए, ताजी पत्तियों को कुचलकर पेस्ट बनाएं। राहत और उपचार के लिए इसे सीधे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।

अंत में मैं आप को बताता चलु गूज घास की सूखी घास के पैकेट और टैबलेट ऑनलाइन ईकॉमर्स साइट अमेज़ॉन पर 1000 रुपये से 2000 रुपए में बिक रहे है जो की भारत मे फ्री में उपलब्ध हैं।

कृपया कॉमेंट करके बताएं कि आज का ये लेख आप को कैसा लगा और अगर पसंद आया हो तो औरों के साथ शेयर भी करें।

#informativepost #goosegrass #grass #foryou #Ayurvedic #ayurveda #medicinal #goose #FYI #healthylifestyle #health #HealthBenefits #MedicinalProperties #medicinalbenefits #gardening #bagiyakiabc

1 year ago | [YT] | 4

Bagiya ki ABC

बरसात का मौसम सभी मौसमों में सबसे अच्छा होता है। बरसात के मौसम में ठंड और गर्मी दोनों होती है। यही कारण है कि बारिश में पौधों को बढ़ने के लिए उपयुक्त वातावरण मिलता है विकास दर तेज होती हैं।

दोस्तों, मिट्टी और पानी के अलावा, किसी भी पौधे को बढ़ने के लिए एक अच्छे वातावरण की आवश्यकता होती है। बरसात का मौसम ऐसा वातावरण बनाता है। जिसमें सबसे ज्यादा नमी होती है। जब वातावरण में 70% से ज्यादा अच्छी नमी होती है, तो कम पानी की जरूरत होती है। जिससे जड़ों को नमी के साथ-साथ अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है, इसका परिणाम यह होता है कि पौधा दोगुनी तेजी से बढ़ता है, ज्यादा खिलता है और ज्यादा फल देता है।

बारिश के मौसम में कटिंग भी जल्दी बढ़ती हैं। क्योंकि गर्मियों में गर्मी से कटींग के सूखने का, और ठंड में जब मौसम ठंडा और शुष्क होता है तो अधिक पानी के कारण कटिंग के सड़ने का खतरा होता है। लेकिन बारिश में अच्छी नमी होने से बार-बार पानी देने की जरूरत नहीं पड़ती, न तो कटिंग सूखती है और न ही सड़ती है। अगर आप बाद में उचित देखभाल करते हैं तो।

आज इस लेख में मैं बारिश में कटिंग कैसे लगाएं, इसकी जानकारी साझा कर रहा हूं। अगर आपको यह लेख पसंद आता है तो इसे लाइक और शेयर करें। यदि आपके पास लेख के लिए कोई सुझाव या कोई प्रश्न है, तो आप उसे टिप्पणियों में साझा कर सकते हैं।

● कटींग का चुनाव:

बरसात के मौसम में सभी तरह की कटिंग ली जा सकती है, चाहे वह पतली हो या मोटी, क्योंकि नमी कटिंग को सूखने नहीं देती और हल्की गर्मी और ठंडक कटिंग को तेज़ी से बढ़ने में मदद करती है। पेड़ की 3 से 6 महीने पुरानी शाखा से ली गई 4 से 6 इंच लंबी और पेंसिल जितनी मोटी कटिंग बेहतर तरीके से बढ़ती है और आकर्षक भी लगती है। बहुत बड़ी कटिंग लेने से बचें क्योंकि यह अच्छी तरह से जड़ नहीं पकड़ पाएगी या अगर जड़ भी पकड़ लेती है, तो कटिंग एक सुंदर पौधे की बजाय एक लंबा, पतला पौधा बन जाएगी। कटिंग लेते समय, एक तेज चाकू या प्रूनर का उपयोग करें और उस नोड के ठीक नीचे काटें जहां पत्ती तने से जुड़ती है।

● कटिंग लेने का सही समय:

कटिंग हमेशा सुबह या शाम को ही लें। कटिंग को तुरंत प्लास्टिक बैग में रखें ताकि वे सूख न जाएं और जितनी जल्दी हो सके उन्हें अधिकतम 1 घंटे के अंदर रोप दें।

● कटींग लगाने का माध्यम:

कटिंग को आप मिट्टी, पानी, रेत, कोको पीट जैसे माध्यमों में लगा सकते हैं। कटिंग लगाने के लिए सबसे अच्छा मिश्रण 50% मिट्टी और 50% रेत है। बारिश में कोको पीट का इस्तेमाल तभी करें जब पूरी तरह से छाया की व्यवस्था हो। अगर कोको पीट में ज़्यादा नमी रहती है तो कटिंग सड़ सकती है। कोको पीट में पानी का खास ख्याल रखें।

● कटिंग लगाने का समय:

वैसे तो आप बरसात के मौसम में कभी भी कटिंग लगा सकते हैं। लेकिन अगर सही समय की बात करें तो शाम 5 बजे का समय सबसे अच्छा है। इससे कटिंग के अंदर नमी का स्तर रात की ठंड से बेहतर बना रहता है। सफलता की दर अधिक होती है। लेकिन अगर आप सुबह कटिंग लाते हैं तो सुबह 1 घंटे के अंदर ही उसे लगा दें और अगर शाम को लाते हैं तो शाम को 1 घंटे के अंदर ही कटिंग लगा दें।

● कटींग लगते समय:

कटिंग को लगाने से पहले उसे 15 मिनट तक फफूंदनाशक पानी में डुबोकर रखें, कटिंग को सीधा नीचे से ऊपर की ओर ही लगाये, बेहतर जड़ें जमाने के लिए नीचे से 1 इंच तक छाल हटा दें या 45 डिग्री के कोण पर काटें। कटिंग को लगाने के लिए सूखा मीडिया चुनने की कोशिश करें। रोपने के तुरंत बाद कटिंग को पानी दें। अगर मीडिया गीला था, तो फफूंदनाशक मिट्टी में भी डालें।

● कटींग लगाने के बाद:

कटिंग लगाने के बाद गमले को तेज रोशनी या छाया वाली जगह पर रखें, गमले में ज़्यादा पानी देने से बचें। जब ऊपर की मिट्टी सूखी दिखे, तभी मिट्टी को नम करने के लिए पानी दें। कटिंग को कभी भी बाहर निकालकर न देखें, न ही उसे हिलाएं-डुलाएं।

● कटींग में फुटाव आने के बाद:

किसी भी कटिंग को जड़ें बनने में कम से कम 45 दिन लगते हैं। इसलिए कटिंग के अंकुरित होने के तुरंत बाद उसे न तो रिपोट करें और न ही वहाँ से हटाएँ। उसे उसी जगह पर रहने दें और पहले की तरह ही कटिंग की देखभाल करते रहें। खाद न डालें क्योंकि जड़ें सड़ सकती हैं। जब कटिंग में 3 से 5 नई नोड निकल आएं तो उसे ताजा मिट्टी, खाद और रेत के मिश्रण में रिपोट करें और अगले 7 दिनों तक उसी जगह पर ही रहने दें। 7 दिनों के बाद जब सब कुछ सामान्य लगे तो बाहरी पौधा होने पर उसे सुबह 1 घंटे धूप में रखें। इस तरह अगले 10 दिनों तक धीरे-धीरे हर दिन 30 मिनट का समय बढ़ाएँ और 10 दिनों के बाद उसे धूप में रखने के लिए कोई उपयुक्त जगह ढूँढ़ें और वहाँ रखें। अब दूसरे पौधों की तरह ही इसकी देखभाल करते रहें।

● कटींग लगते समय सावधानियां:

1) बीमार कटिंग कभी न लाएँ। यह आपके बगीचे के दूसरे पौधों को बीमार कर सकता है।

2) एक बार में किसी एक किस्म की कम से कम 4 कटिंग ज़रूर लगाएँ। इससे समय और मेहनत दोनों की बचत होगी।

3) ज़रूरी नहीं है कि सभी कटिंग बढ़ें, इसलिए चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

4) अगर आपके पास रूटिंग हॉरमोन है तो यह सबसे अच्छा है, नहीं तो आप एलोवेरा या ऐसे की कटिंग लगा सकते हैं। यह बिल्कुल भी पक्का नहीं है कि रूटिंग हॉरमोन होने पर ही कटिंग बढ़ेगी। कटिंग, मौसम, मीडिया, रख-रखाव सभी कटिंग के बढ़ने के लिए ज़िम्मेदार हैं।

5) विषैले पदार्थों वाली कटिंग लगाते समय खास सावधानी बरतें। हो सके तो दस्ताने पहनें या उसके बाद अपने हाथ अच्छी तरह धोएँ।

6) अगर गमले में एक से ज़्यादा कटिंग हैं, तो उन्हें समय रहते रिपोटिंग के समय ही अलग कर लेना सबसे अच्छा होगा।

हैप्पी मानसून 🌦️ हैप्पी गॉर्डनिंग🍁

#gardening #cutting #How #tips #bagiyakiabc
#monsoon2024 #foryou #howto #propagation

1 year ago | [YT] | 3