जब मन सारे सांसारिक प्रपंचों से हटकर उस "सत्यं शिवम् सुन्दरम" के लिये छटपटाता है, तब उसके सामने उस अव्यक्त नित्य सुन्दर, नित्य मधुर का प्रादुर्भाव हो जाता है। वह सभी जगह पर व्याप्त है, सृष्टि के हर कण में। प्रेम भरी व्याकुलता ही उसे प्रकट करने में समर्थ है।
ईश्वर के इस दिव्य स्वरूप को जानना समझना तथा उसी के अनुरूप व्यवहार करना ज्ञान मार्ग है ज्ञान योग है । यह भी ईश्वर को प्राप्त करने का एक मार्ग है ।ईश्वर को पूरी तरह से जानकार समझ कर और उसके अनुरूप व्यवहार कर करके भी हम यह जान सकते हैं की संपूर्ण सृष्टि उन्हीं का अंश है ।उन्हीं के प्राण तत्व का विस्तार है यह जानने के बाद सारे स्वार्थ मिट जाते हैं और जीवन दिव्या हो जाता है जीवन में मधुरता आ जाती है पवित्रता होती है । यह मधुर संगीत बन जाता है। जहां सिर्फ आनंद होता है।
ईश्वर प्राण तत्व के रूप में सभी जीवो में बसे हैं वह चाहे इंसान हो चाहे पशु पक्षी या फिर पेड़ पौधे।
अतः जगत् के सब प्राणियों ( पेड़ पौधे,पशु पक्षी हो या फिर मानव) के प्रति आत्मभाव हो जाय और उनकी सेवा की, उन्हें सुख पहुँचाने की स्वाभाविक इच्छा हो, यही विस्तृत स्वार्थ है। यही परमार्थ है.... 🌹राधे राधे🌹
जहाँ प्रेम प्रेम के लिये ही होता है–बिना किये ही होता है, ..... किसी चाह की जहाँ कल्पना भी नहीं है, वह प्रेम पवित्र व दिव्य होता है । वहां सुख नहीं बल्कि आनंद होता है। 🌹 राधे राधे 🌹
व्यक्तित्व की गहराई ही हमारे जीवन को साधारण से असाधारण बनाती है। हमारे सारे प्रयास दूसरों को समझ आने के लिए नहीं अपितु स्वयं के जीवन के उद्देश्य को समझने की दिशा में ही होने चाहिए.. 🌹 राधे राधे 🌹
Soulful thoughts & Singing: Rajneesh Mittal
जब मन सारे सांसारिक प्रपंचों से हटकर उस "सत्यं शिवम् सुन्दरम" के लिये छटपटाता है, तब उसके सामने उस अव्यक्त नित्य सुन्दर, नित्य मधुर का प्रादुर्भाव हो जाता है।
वह सभी जगह पर व्याप्त है, सृष्टि के हर कण में। प्रेम भरी व्याकुलता ही उसे प्रकट करने में समर्थ है।
🌹जय श्रीराधा🌹
2 months ago | [YT] | 0
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Soulful thoughts & Singing: Rajneesh Mittal
सच्चा प्रेम...
सामने वाले को बदलने में नहीं...
अपितु, समझने में है..
2 months ago | [YT] | 0
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Soulful thoughts & Singing: Rajneesh Mittal
ईश्वर के इस दिव्य स्वरूप को जानना समझना तथा उसी के अनुरूप व्यवहार करना ज्ञान मार्ग है ज्ञान योग है ।
यह भी ईश्वर को प्राप्त करने का एक मार्ग है ।ईश्वर को पूरी तरह से जानकार समझ कर और उसके अनुरूप व्यवहार कर करके भी हम यह जान सकते हैं की संपूर्ण सृष्टि उन्हीं का अंश है ।उन्हीं के प्राण तत्व का विस्तार है यह जानने के बाद सारे स्वार्थ मिट जाते हैं और जीवन दिव्या हो जाता है जीवन में मधुरता आ जाती है पवित्रता होती है । यह मधुर संगीत बन जाता है। जहां सिर्फ आनंद होता है।
2 months ago | [YT] | 0
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Soulful thoughts & Singing: Rajneesh Mittal
ईश्वर प्राण तत्व के रूप में सभी जीवो में बसे हैं वह चाहे इंसान हो चाहे पशु पक्षी या फिर पेड़ पौधे।
अतः जगत् के सब प्राणियों ( पेड़ पौधे,पशु पक्षी हो या फिर मानव) के प्रति आत्मभाव हो जाय और उनकी सेवा की, उन्हें सुख पहुँचाने की स्वाभाविक इच्छा हो, यही विस्तृत स्वार्थ है। यही परमार्थ है....
🌹राधे राधे🌹
2 months ago | [YT] | 0
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Soulful thoughts & Singing: Rajneesh Mittal
जहाँ प्रेम प्रेम के लिये ही होता है–बिना किये ही होता है, .....
किसी चाह की जहाँ कल्पना भी नहीं है, वह प्रेम पवित्र व दिव्य होता है । वहां सुख नहीं बल्कि आनंद होता है।
🌹 राधे राधे 🌹
2 months ago | [YT] | 0
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Soulful thoughts & Singing: Rajneesh Mittal
अच्छे काम की...
बात मत करिए..
उसे बस..
.करिए..
2 months ago | [YT] | 0
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Soulful thoughts & Singing: Rajneesh Mittal
तू मिले या ना मिले
ये मेरे मुक़द्दर की बात है
सुकून बहुत मिलता है तुझे अपना मानकर
मेरे माधव...
🌹 राधे राधे 🌹
3 months ago | [YT] | 0
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Soulful thoughts & Singing: Rajneesh Mittal
सांवरे
खो जाऊं मैं
तुझमें इस कदर..
इस दुनियां में उलझने का
समय ही ना रहे..
🌹राधे राधे🌹
3 months ago | [YT] | 0
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Soulful thoughts & Singing: Rajneesh Mittal
व्यक्तित्व की गहराई ही हमारे जीवन को साधारण से असाधारण बनाती है।
हमारे सारे प्रयास दूसरों को समझ आने के लिए नहीं अपितु स्वयं के जीवन के उद्देश्य को समझने की दिशा में ही होने चाहिए..
🌹 राधे राधे 🌹
3 months ago | [YT] | 0
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Soulful thoughts & Singing: Rajneesh Mittal
पोखर में नहीं, तालाब में भी नहीं।
स्नान करें– त्रिवेणी में ।
अर्थात दया, क्षमा तथा उदारता की त्रिवेणी में ।
🌹राधे राधे🌹
3 months ago | [YT] | 0
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