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Dr Ajay Kumar

इस पोस्ट को जरूर पढ़ें 🙂

1 week ago | [YT] | 3

Dr Ajay Kumar

आपने दो बहुत महत्वपूर्ण और चिंताजनक बिंदुओं की ओर इशारा किया है —

1. यह कि Microplastics (सूक्ष्म-प्लास्टिक कण) मानव मस्तिष्क में पाए जाने लगे हैं।


2. यह कि पेड़ों और पौधों में भी प्लास्टिक / सूक्ष्म-प्लास्टिक के प्रभाव या उपस्थिति के अध्ययन मिल रहे हैं।

मैं नीचे इन दोनों विषयों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझा रहा हूँ — क्या पता है, क्या नहीं है, किन बातों का ध्यान देना चाहिए — ताकि आपके (फार्मिसिस्ट) पेशे-वर दृष्टिकोण से सही जानकारी हो।

1. मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक — क्या पता है

शोध से प्रमुख बातें

हाल की शोध में मानव मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक (बहुत-बहुत छोटे प्लास्टिक कण) पाए गए हैं।

उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में मृत शरीरों (कैडवर्स) के मस्तिष्क ऊतकों में ऐसे प्लास्टिक कण पाए गए, और पाया गया कि मस्तिष्क में ये अन्य अंगों (जैसे लिवर, किडनी) की तुलना में अधिक मात्रा में हो सकते हैं।

इन कणों का आकार बहुत छोटा हो सकता है — माइक्रोमीटर (µm) या इससे भी छोटे नैनोमीटर (nm) स्तर तक।

शोध यह भी संकेत दे रहे हैं कि समय के साथ मस्तिष्क में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा बढ़ रही है — उदाहरण के लिए 2016 और 2024 के बीच अध्ययन में ~50% वृद्धि पाई गई।


क्या यह मस्तिष्क के लिए खतरा है?

अभी तक यह सिद्ध नहीं है कि माइक्रोप्लास्टिक सीधे किसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी का कारण बनते हैं। शोध ने सिर्फ सह-संबंध (association) दिखाये हैं — उदाहरण के लिए मस्तिष्क में ज्यादा प्लास्टिक पाई गई थी उन लोगों में जिनमें Dementia (भूलने की बीमारी) थी।

विशेषज्ञों का कहना है कि अभी बहुत-सारी बाधाएँ हैं: नमूने बहुत कम हैं, विश्लेषण में तकनीकी चुनौतियाँ हैं, यह पता नहीं कि कैसे प्लास्टिक मस्तिष्क में पहुँच रही है आदि।

संभव मार्ग: माइक्रोप्लास्टिक हवा, पानी, भोजन के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकती है; फिर रक्त-मस्तिष्क अवरोध (blood-brain barrier) को पार कर सकती है या नाक/ओल्फैक्टरी मार्ग से मस्तिष्क में पहुँच सकती है।

निष्कर्ष

आपके द्वारा सुनी गई बात “मस्तिष्क में प्लास्टिक कार्ड/सूक्ष्म-प्लास्टिक पाए जाने लगे” — काफी हद तक सही है, शोध में ऐसा संकेत है। लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी कि “यह पक्के तौर पर समस्या पैदा कर रहे हैं” या “हमें डर जाना चाहिए” — क्योंकि अभी स्वास्थ्य-प्रभावों की पुष्टि नहीं हुई है।

2. पेड़ों/पौधों में प्लास्टिक / माइक्रोप्लास्टिक का प्रभाव

शोध से बातें

अब ऐसी शोध सामने आ रही है कि पौधे (खासकर जड़ों, मिट्टी माध्यम से) माइक्रोप्लास्टिक को उत्सर्जन और अवशोषण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए एक अध्ययन में वुडी पौधे (जैसे बिर्च) की जड़ों में माइक्रोप्लास्टिक पाए गए।

पौधों में माइक्रोप्लास्टिक का प्रभाव देखा गया है — जैसे कि फोटोसिंथेसिस की क्षमता में कमी। एक लेख में बताया गया है कि यह कमी 7-12 % तक हो सकती है।

शोध यह भी कहता है कि माइक्रोप्लास्टिक मिट्टी की गुण-धर्म, जड़-प्रवेश, पोषक तत्वों की उपलब्धता आदि को प्रभावित कर सकते हैं।

पेड़ों के लिए विशेष रूप से

उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में नॉर्वे स्प्रूस और एक अन्य पेड़ शैली में नैनोप्लास्टिक डालने पर पाया गया कि जड़ों में ये जमा हो रहे हैं और फोटोसिंथेसिस प्रभावित हुई।

हालांकि, यह अध्ययन अधिकांशतः प्रयोगशाला/हाइड्रोपोनिक सेटअप में हुआ है, और वास्तविक उगाई (field) में पेड़ों में कितनी मात्रा में और कैसे प्लास्टिक जमा हो रहा है — यह अभी शोध का विषय है।

निष्कर्ष

तो “पेड़ के प्लाज़्मा” अर्थात् पेड़ों के ऊतकों (जैसे झलक, जड़-शाखा) में प्लास्टिक मिले हैं — यह संभव है और शोध उसे समर्थन दे रहा है। लेकिन यह कहना कि “बहुत सी समस्या हो रही है” या “प्लास्टिक पेड़ों में बड़े-पैमाने पर जमा हो गया है” — अभी पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं।

3. आपके लिए क्या सुझाव हैं (फार्मिसिस्ट के दृष्टिकोण से)

चूंकि आप स्वास्थ्य-से जुड़े पेशे में हैं, इस जानकारी का उपयोग आप इस तरह कर सकते हैं—

मरीजों, ग्राहकों को जागरूक करें कि प्लास्टिक और माइक्रोप्लास्टिक सिर्फ पर्यावरण की समस्या नहीं है — इससे मानव शरीर और पौधों/पर्यावरण पर भी संभावित प्रभाव हो सकते हैं।

स्वयं अपने जीवन में प्लास्टिक-उपयोग कम करें: जैसे कि गैर-आवश्यक प्लास्टिक बैग, ग्लास या स्टील पोषण कंटेनर आदि।

स्वास्थ्य सलाह देते समय यह जोड़ सकते हैं कि पर्यावरण-स्वच्छता और स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हैं।

यदि आप स्थानीय अभियान करना चाहें — “पेड़-पौधे के आसपास प्लास्टिक नियंत्रण” या “माइक्रोप्लास्टिक जागरूकता” — इस शोध-जानकारी को उपयोगी प्रेरणा दे सकती है।

ध्यान दें कि अभी स्वास्थ्य जोखिमों की पुष्टि नहीं हुई है — इसलिए डर फैलाने के बजाय सावधानी-और-जागरूकता का संदेश देना बेहतर होगा।

अगर आप चाहें, तो मैं इस विषय पर एक आसान लेफ्लेट (रोगियों/ग्राहकों के लिए) तैयार कर सकता हूँ जिसमें “माइक्रोप्लास्टिक — मानव एवं वृक्ष/पौधा संबंधी जानकारी” दी हो। क्या आप ऐसा चाहेंगे?

2 months ago | [YT] | 5

Dr Ajay Kumar

वैज्ञानिकों का मानना है कि सिर्फ यकीन करने (belief) से शरीर कई बार खुद को ठीक कर लेता है। इसे “प्लेसिबो इफेक्ट (Placebo Effect)” कहा जाता है।

जब हम किसी इलाज या दवा पर विश्वास करते हैं, तो हमारा दिमाग हार्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर छोड़ता है, जो दर्द कम करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और शरीर की स्व-उपचार क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।

यानी दिमाग में सच में एक तरह का “छुपा हुआ डॉक्टर” होता है, जो हमारी सोच और यकीन के आधार पर शरीर को स्वस्थ बनाने में भूमिका निभाता है।

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2 months ago | [YT] | 5

Dr Ajay Kumar

भाईया दूज" (Bhaiya Dooj) एक हिंदू पर्व है जो दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। इसे भाई दूज, भाई टीका, या भाऊ बीज भी कहा जाता है।

🌸 पर्व का महत्व:

इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है, उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है, और भाई अपनी बहन को उपहार देता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के रिश्ते का प्रतीक है।


🌼 परंपराएँ:

बहनें स्नान कर पूजा थाल सजाती हैं।

भाई को तिलक लगाकर आरती उतारी जाती है।

भाई-बहन साथ में भोजन करते हैं।

भाई बहन को उपहार देता है।

2 months ago | [YT] | 4

Dr Ajay Kumar

“यूरोप में हुए एक अध्ययन में यह पाया गया कि भारतीय मधुमक्खी के ज़हर में ऐसे तत्व पाए गए हैं,
जो प्रयोगशाला परीक्षणों में कैंसर कोशिकाओं पर असर दिखाते हैं।
वैज्ञानिक इस पर आगे और शोध कर रहे हैं। 🐝🔬

2 months ago | [YT] | 3

Dr Ajay Kumar

गोवर्धन (Govardhan) — हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र स्थान और पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। इसे गोवर्धन पर्वत या गिरिराज पर्वत भी कहा जाता है।

🌿 गोवर्धन का इतिहास (History of Govardhan)

श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, जब भगवान कृष्ण ने देखा कि लोग इंद्र देव की पूजा कर रहे हैं, तो उन्होंने उन्हें समझाया कि वर्षा के लिए इंद्र नहीं बल्कि गोवर्धन पर्वत और प्रकृति का आभार मानना चाहिए।
लोगों ने इंद्र पूजा बंद कर दी और गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इससे इंद्र क्रोधित हुए और उन्होंने मूसलाधार वर्षा की। तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर पूरे गाँव को 7 दिन तक वर्षा से बचाया।
तभी से हर साल गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है।


🙏 गोवर्धन पूजा का महत्व (Significance of Govardhan Puja)

1. यह प्रकृति और गौमाता के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है।


2. इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं।


3. गायों, बछड़ों और बैलों की पूजा कर उन्हें सजाया जाता है।


4. लोग अन्नकूट प्रसाद बनाकर भगवान को अर्पित करते हैं।


5. यह पर्व दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है।


🪔 पूजा विधि (Puja Vidhi)

1. सुबह स्नान कर गोवर्धन पर्वत का प्रतीक (गोबर या मिट्टी से) बनाते हैं।


2. उस पर फूल, जल, चावल और मिठाइयाँ चढ़ाई जाती हैं।


3. दीपक जलाकर भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की आरती की जाती है।


4. अंत में अन्नकूट का प्रसाद सबमें बाँटा जाता है।



📜 गोवर्धन पूजा का संदेश

यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति, जल, पशु और अन्न का सम्मान करना चाहिए।
भगवान कृष्ण ने बताया कि सेवा और श्रद्धा ही सच्ची पूजा है।

2 months ago | [YT] | 7

Dr Ajay Kumar

दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

आपको और आपके परिवार को दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान राम की कृपा से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।

दिपावली का यह पावन पर्व आपके जीवन में नई रोशनी और खुशियों का संचार करे। आपके घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास हो।

दिपावली की शुभकामनाएं!
🎉🎊🏮💫 🪔#jiyyoakclinic

2 months ago | [YT] | 3

Dr Ajay Kumar

वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक चौंकाने वाला दावा किया है कि आने वाले समय में पुरुषों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। उनके अनुसार, भविष्य में एक ऐसा दौर आ सकता है जब पृथ्वी पर पुरुषों का जन्म ही नहीं होगा और केवल महिलाएं ही पैदा होंगी। इसका कारण है पुरुषों में पाया जाने वाला Y Chromosome, जो धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है और समय के साथ समाप्त हो सकता है।

दरअसल, हर पुरुष के शरीर में एक X और एक Y chromosome होता है, जबकि महिलाओं में दो X chromosome होते हैं। पुरुषों की पहचान Y chromosome से ही होती है, क्योंकि यही उन्हें जैविक रूप से पुरुष बनाता है। लेकिन वैज्ञानिक शोधों में पाया गया है कि यह Y chromosome लगातार सिकुड़ता जा रहा है। पहले इसमें करीब 1500 जीन होते थे, लेकिन अब केवल लगभग 50 ही बचे हैं। यदि यह क्रम ऐसे ही चलता रहा, तो आने वाले लाखों सालों में Y chromosome पूरी तरह खत्म हो सकता है।

जब Y chromosome समाप्त हो जाएगा, तो पुरुषों का जन्म होना असंभव हो जाएगा। यानी धरती पर सिर्फ महिलाएं ही बचेंगी। कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि भविष्य में विज्ञान इतना विकसित हो जाएगा कि बिना पुरुषों के भी प्रजनन संभव हो सकेगा, यानी महिलाएं खुद अपने समान संतान को जन्म दे सकेंगी।

हालांकि यह स्थिति तुरंत नहीं आने वाली है। यह प्रक्रिया लाखों वर्षों में पूरी होगी, लेकिन वैज्ञानिकों का यह दावा सोचने पर मजबूर करता है कि क्या वास्तव में एक दिन ऐसा भी आएगा जब धरती पर सिर्फ महिलाएं ही होंगी? अगर ऐसा हुआ, तो मानव समाज की संरचना, संतुलन और भविष्य की दिशा पूरी तरह बदल जाएगी। यह शोध मानव जाति के विकास और उसके अस्तित्व पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।

2 months ago | [YT] | 4

Dr Ajay Kumar

अमेरिका की डिफेंस एजेंसी DARPA ने एक ऐसा कारनामा किया है जो भविष्य की ऊर्जा दुनिया को पूरी तरह बदल सकता है। ⚡🇺🇸

DARPA ने बिना किसी तार के, लगभग 5 मील (8 किलोमीटर) दूर तक बिजली भेजने में सफलता हासिल की है — यानी अब ऊर्जा को हवा के ज़रिए ट्रांसफर किया जा सकता है! 🌬️🔋

यह खोज भविष्य में ड्रोन, सैटेलाइट, रिमोट बेस कैंप्स और यहां तक कि आपात स्थितियों में बिजली पहुंचाने का तरीका बदल सकती है। अब कल्पना कीजिए — एक दिन आपके मोबाइल या इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने के लिए तार की ज़रूरत ही न पड़े! 🚁🚗⚡

DARPA की यह उपलब्धि दिखाती है कि हम एक ऐसे दौर में कदम रख रहे हैं, जहाँ ऊर्जा भी इंटरनेट की तरह “वायरलेस” होकर हर जगह पहुंच सकेगी। 🌐✨

#inovation #science #technonlogy

2 months ago | [YT] | 5