🥔 *उठाये श्रेष्ठ कंद का लाभ और बचें निकृष्ट कंद से*
*अनेक बीमारियों में लाभकारी श्रेष्ठ कंद ‘सूरन’*
*आयुर्वेद के भावप्रकाश ग्रंथ में आता है : ‘सर्वेषां कन्द्शाकानां सूरण: श्रेष्ठ उच्यते|’ अर्थात सम्पूर्ण कंदशाकों में सूरन श्रेष्ठ कहलाता है |*
*सूरन कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन आदि का अच्छा स्त्रोत है | इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन ‘ए’, ‘सी’ व ओमेगा-३ फैटी एसिड भी पाये जाते हैं | यह पौष्टिक, बल-वीर्यवर्धक, भूखवर्धक, रुचिकारक तथा कफ व वात शामक होता है |*
*यह बवासीर में लाभदायी है | इससे यकृत कि कार्यशीलता बढ़ती है व शौच साफ़ होता है | यह अरुचि आँतों कि कमचोरी, खाँसी, दमा, प्लीहा की वृद्धि, आमवात, गठिया, कृमि, कब्ज आदि समस्याओं में लाभकारी है |*
➡️ *पुष्टिदायक व पथ्यकर सूरन की सब्जी*
*सूरन के टुकड़ों को उबाल लें और देशी गाय के घी अथवा कच्ची घानी के तेल में जीरा डालकर छौंक लगायें व धनिया, हल्दी, काली मिर्च, सेंधा नमक आदि डाल के रसेदार सब्जी बनायें | यह सब्जी रुचिकारक, पथ्यकर व पुष्टिदायक होती है | बवासीर में सूरन की सब्जी में मिर्च नहीं डालें |*
😩 *बवासीरवालों के लिए ख़ास प्रयोग*
*अर्श (बवासीर) की समस्यावालो के लिए उत्तम औषधि होने से सूरन को `अर्शोघ्न’ भी कहा जाता है | भोजन में सूरन की सब्जी तथा ताजे दही से बनाये तक्र ( ताजा मट्ठा) में आधा से १ ग्राम जीरा-चूर्ण व सेंधा नमक मिलाकर लें | दिन में दोपहर तक थोड़ा-थोड़ा मट्ठा पीना लाभकारी होता है | इस प्रयोग से सभी प्रकार की बवासीर में लाभ होता है | यह प्रयोग ३० से ४५ दिन तक करें | इस प्रयोग के पहले व बीच-बीच में सामान्य रेचन द्वारा कोष्ठशुद्धि (पेट कि सफाई) कर लेनी चाहिए | रेचन हेतु त्रिफला चूर्ण अथवा त्रिफला टेबलेट का उपयोग कर सकते हैं |*
💥 *सावधानी :तीक्ष्ण व उष्ण होने से गर्भवती महिलाओं तथा रक्तपित्त व त्वचा-विकारवालों को सूरन का सेवन नहीं करना चाहिए | इसके अधिक सेवन से कब्ज होने की सम्भावना होती है | सूरन के उपयोग से यदि गले में जलन या खुजली जैसा हो तो नींबू अथवा इमली का सेवन करें |*
🥚 *अनेक बीमारियों का जनक निकृष्ट कंद ‘आलू’*
*आचार्य चरकजी ने चरक संहिता (सूत्रस्थान :२५:३९) में आलू को सभी कंदों में सर्वाधिक अहितकर बताया है |*
*आलू शीतल, रुक्ष, पचने में भारी, जठराग्नि को मंद करनेवाला, मलावरोधक तथा कफ व वायु को बढ़ानेवाला है | आलू को तलने से वह विषतुल्य बन जाता है | इसके सेवन से मोटापा, मधुमेह, सर्दी, बुखार, दमा, सायटिका, जोड़ों का दर्द, आमवात, ह्रदय-विकार आदि समस्याएँ उत्पन्न होती हैं |*
🌹 *अरुणाचल का नाम लेते ही एक विशिष्ट मूर्ति हमारे मानस पर उभर आती है । दुबली-पतली काया किंतु चेहरे पर चमकता ब्रह्मतेज और शांति-सुधा बरसाते निर्मल नेत्र ! जी हाँ, ये महापुरुष थे रमण महर्षि, जो मौन की भाषा में बोलते थे । वे कुछ न करते हुए भी बहुत कुछ करते थे ।*
🌹 *प्रसिद्ध नेता जयप्रकाश नारायण ने एक बार उनसे पूछा : ‘‘क्या गांधीजी के काम में मदद करने की वृत्ति नहीं होती ?’’*
*रमण महर्षि ने बड़ा मार्मिक उत्तर दिया : ‘‘गांधीजी जो काम करते हैं वह मैं भी करने लगूँ तो मैं जो काम कर रहा हूँ उसे कौन करेगा ?’’*
🌹 *संत-महापुरुष स्थूल रूप में अक्रिय दिखें फिर भी उनके द्वारा समाजोत्थान के जिस महत्कार्य का सूक्ष्म रूप से सम्पादन होता है, उसे बड़े-बड़े क्रियावान भी नहीं कर सकते । गांधीजी स्वयं भी कहा करते थे कि ‘कोने में बैठा हुआ एक सच्चा सत्याग्रही सारे विश्व पर अपना प्रभाव डाल सकता है ।’ रमण महर्षि इसकी जीती-जागती मिसाल थे ।*
🌹 *किसी अन्य व्यक्ति ने महर्षि से पूछा : ‘‘गांधीजी तो क्षण-क्षण कार्यरत रहते हैं जबकि आप तो कुछ भी करते दिखायी नहीं देते । फिर दोनों में श्रेष्ठ कौन ?’’*
🌹 *महर्षि बोले : ‘‘चक्की में दो पाट होते हैं । नीचे का पाट हमेशा स्थिर रहता है और ऊपर का पाट घूमता रहता है तभी गेहूँ पीसा जाता है । अब तुम्हीं बताओ दोनों में से श्रेष्ठ कौन ?’’*
🌹 *चाहे स्वतंत्रता-संग्राम हो अथवा कारगिल का युद्ध संतों-महापुरुषों के शुभ संकल्पों ने, उनके प्रेरक उपदेशों ने आपदाओं से भारत की सदैव रक्षा की है । प्रकट-अप्रकट रूप से आज भी वे महापुरुष भारत का रक्षाकवच बने हुए हैं । उन्हींके शुभ संकल्पों का परिणाम है कि भारत के नौनिहाल अब सारस्वत्य मंत्र आदि से सर्वतोमुखी विकास की तरफ बढ़ रहे हैं व विश्व में अपने देश की पहचान बनाने की योग्यता अर्जित कर रहे हैं । भारत आज विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर हो रहा है...*
▶️ *30 व 31 दिसम्बर 2025 को पुत्रदा एकादशी है | (31 दिसम्बर उपवास हेतु उत्तम )*
🌹 *युधिष्ठिर बोले: श्रीकृष्ण ! कृपा करके पौष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का माहात्म्य बतलाइये । उसका नाम क्या है? उसे करने की विधि क्या है ? उसमें किस देवता का पूजन किया जाता है ?*
🌹 *भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: राजन्! पौष मास के शुक्लपक्ष की जो एकादशी है, उसका नाम ‘पुत्रदा’ है ।*
🌹 *‘पुत्रदा एकादशी’ को नाम-मंत्रों का उच्चारण करके फलों के द्वारा श्रीहरि का पूजन करे । नारियल के फल, सुपारी, बिजौरा नींबू, जमीरा नींबू, अनार, सुन्दर आँवला, लौंग, बेर तथा विशेषत: आम के फलों से देवदेवेश्वर श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए । इसी प्रकार धूप दीप से भी भगवान की अर्चना करे ।*
🌹 *‘पुत्रदा एकादशी’ को विशेष रुप से दीप दान करने का विधान है । रात को वैष्णव पुरुषों के साथ जागरण करना चाहिए । जागरण करनेवाले को जिस फल की प्राप्ति होति है, वह हजारों वर्ष तक तपस्या करने से भी नहीं मिलता । यह सब पापों को हरनेवाली उत्तम तिथि है ।*
🌹 *चराचर जगतसहित समस्त त्रिलोकी में इससे बढ़कर दूसरी कोई तिथि नहीं है । समस्त कामनाओं तथा सिद्धियों के दाता भगवान नारायण इस तिथि के अधिदेवता हैं ।*
🌹 *पूर्वकाल की बात है, भद्रावतीपुरी में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे । उनकी रानी का नाम चम्पा था । राजा को बहुत समय तक कोई वंशधर पुत्र नहीं प्राप्त हुआ । इसलिए दोनों पति पत्नी सदा चिन्ता और शोक में डूबे रहते थे । राजा के पितर उनके दिये हुए जल को शोकोच्छ्वास से गरम करके पीते थे । ‘राजा के बाद और कोई ऐसा नहीं दिखायी देता, जो हम लोगों का तर्पण करेगा …’ यह सोच सोचकर पितर दु:खी रहते थे ।*
🌹 *एक दिन राजा घोड़े पर सवार हो गहन वन में चले गये । पुरोहित आदि किसीको भी इस बात का पता न था । मृग और पक्षियों से सेवित उस सघन कानन में राजा भ्रमण करने लगे । मार्ग में कहीं सियार की बोली सुनायी पड़ती थी तो कहीं उल्लुओं की । जहाँ तहाँ भालू और मृग दृष्टिगोचर हो रहे थे । इस प्रकार घूम घूमकर राजा वन की शोभा देख रहे थे, इतने में दोपहर हो गयी । राजा को भूख और प्यास सताने लगी । वे जल की खोज में इधर उधर भटकने लगे । किसी पुण्य के प्रभाव से उन्हें एक उत्तम सरोवर दिखायी दिया, जिसके समीप मुनियों के बहुत से आश्रम थे । शोभाशाली नरेश ने उन आश्रमों की ओर देखा । उस समय शुभ की सूचना देनेवाले शकुन होने लगे । राजा का दाहिना नेत्र और दाहिना हाथ फड़कने लगा, जो उत्तम फल की सूचना दे रहा था । सरोवर के तट पर बहुत से मुनि वेदपाठ कर रहे थे । उन्हें देखकर राजा को बड़ा हर्ष हुआ । वे घोड़े से उतरकर मुनियों के सामने खड़े हो गये और पृथक् पृथक् उन सबकी वन्दना करने लगे । वे मुनि उत्तम व्रत का पालन करनेवाले थे । जब राजा ने हाथ जोड़कर बारंबार दण्डवत् किया, तब मुनि बोले : ‘राजन् ! हम लोग तुम पर प्रसन्न हैं।’*
🌹 *राजा बोले: आप लोग कौन हैं ? आपके नाम क्या हैं तथा आप लोग किसलिए यहाँ एकत्रित हुए हैं? कृपया यह सब बताइये ।*
🌹 *मुनि बोले: राजन् ! हम लोग विश्वेदेव हैं । यहाँ स्नान के लिए आये हैं । माघ मास निकट आया है । आज से पाँचवें दिन माघ का स्नान आरम्भ हो जायेगा । आज ही ‘पुत्रदा’ नाम की एकादशी है,जो व्रत करनेवाले मनुष्यों को पुत्र देती है ।*
🌹 *राजा ने कहा: विश्वेदेवगण ! यदि आप लोग प्रसन्न हैं तो मुझे पुत्र दीजिये।*
🌹 *मुनि बोले: राजन्! आज ‘पुत्रदा’ नाम की एकादशी है। इसका व्रत बहुत विख्यात है। तुम आज इस उत्तम व्रत का पालन करो । महाराज! भगवान केशव के प्रसाद से तुम्हें पुत्र अवश्य प्राप्त होगा ।*
🌹 *भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: युधिष्ठिर ! इस प्रकार उन मुनियों के कहने से राजा ने उक्त उत्तम व्रत का पालन किया । महर्षियों के उपदेश के अनुसार विधिपूर्वक ‘पुत्रदा एकादशी’ का अनुष्ठान किया । फिर द्वादशी को पारण करके मुनियों के चरणों में बारंबार मस्तक झुकाकर राजा अपने घर आये । तदनन्तर रानी ने गर्भधारण किया । प्रसवकाल आने पर पुण्यकर्मा राजा को तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ, जिसने अपने गुणों से पिता को संतुष्ट कर दिया । वह प्रजा का पालक हुआ ।*
🌹 *इसलिए राजन्! ‘पुत्रदा’ का उत्तम व्रत अवश्य करना चाहिए । मैंने लोगों के हित के लिए तुम्हारे सामने इसका वर्णन किया है । जो मनुष्य एकाग्रचित्त होकर ‘पुत्रदा एकादशी’ का व्रत करते हैं, वे इस लोक में पुत्र पाकर मृत्यु के पश्चात् स्वर्गगामी होते हैं। इस माहात्म्य को पढ़ने और सुनने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है ।*
💪🏻 *जिनकी अस्थियाँ जकड़ गयी हो, टूट गयी हों, टेड़ी-मेढ़ी हो गयी हों अथवा जिनकी अस्थियों में पीड़ा होती हो, उनके लिए शीत ऋतु में लहसुन का उचित मात्रा में सेवन बहुत लाभदायी है l लहसुन के छिलके उतारकर रात को खट्टी छाछ में भिगोकर रखें l सुबह धोके पीसकर रस निकालें १ से ४ ग्राम रस में उतना ही तिल का तेल अथवा घी मिलाकर पियें l आहार सात्विक, सुपाच्य लें l*
💥 *सावधानी: लहसुन तामसी होने के कारण रुग्णावस्था में भी इसका सेवन औषधवत करना चाहिए l*
💥 *विशेष - शीत (हेमन्त तथा शिशिर) ऋतु 23 अक्टूबर 2025 से प्रारम्भ*
Surat Ashram
https://youtu.be/C9zbaLBFtZ4?si=2lmo8...
8 hours ago | [YT] | 179
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Surat Ashram
🥔 *ॐ आज की टिप्स ॐ* 🥔⤵️
https://youtu.be/C9zbaLBFtZ4?si=2lmo8...
🥔 *उठाये श्रेष्ठ कंद का लाभ और बचें निकृष्ट कंद से*
*अनेक बीमारियों में लाभकारी श्रेष्ठ कंद ‘सूरन’*
*आयुर्वेद के भावप्रकाश ग्रंथ में आता है : ‘सर्वेषां कन्द्शाकानां सूरण: श्रेष्ठ उच्यते|’ अर्थात सम्पूर्ण कंदशाकों में सूरन श्रेष्ठ कहलाता है |*
*सूरन कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन आदि का अच्छा स्त्रोत है | इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन ‘ए’, ‘सी’ व ओमेगा-३ फैटी एसिड भी पाये जाते हैं | यह पौष्टिक, बल-वीर्यवर्धक, भूखवर्धक, रुचिकारक तथा कफ व वात शामक होता है |*
*यह बवासीर में लाभदायी है | इससे यकृत कि कार्यशीलता बढ़ती है व शौच साफ़ होता है | यह अरुचि आँतों कि कमचोरी, खाँसी, दमा, प्लीहा की वृद्धि, आमवात, गठिया, कृमि, कब्ज आदि समस्याओं में लाभकारी है |*
➡️ *पुष्टिदायक व पथ्यकर सूरन की सब्जी*
*सूरन के टुकड़ों को उबाल लें और देशी गाय के घी अथवा कच्ची घानी के तेल में जीरा डालकर छौंक लगायें व धनिया, हल्दी, काली मिर्च, सेंधा नमक आदि डाल के रसेदार सब्जी बनायें | यह सब्जी रुचिकारक, पथ्यकर व पुष्टिदायक होती है | बवासीर में सूरन की सब्जी में मिर्च नहीं डालें |*
😩 *बवासीरवालों के लिए ख़ास प्रयोग*
*अर्श (बवासीर) की समस्यावालो के लिए उत्तम औषधि होने से सूरन को `अर्शोघ्न’ भी कहा जाता है | भोजन में सूरन की सब्जी तथा ताजे दही से बनाये तक्र ( ताजा मट्ठा) में आधा से १ ग्राम जीरा-चूर्ण व सेंधा नमक मिलाकर लें | दिन में दोपहर तक थोड़ा-थोड़ा मट्ठा पीना लाभकारी होता है | इस प्रयोग से सभी प्रकार की बवासीर में लाभ होता है | यह प्रयोग ३० से ४५ दिन तक करें | इस प्रयोग के पहले व बीच-बीच में सामान्य रेचन द्वारा कोष्ठशुद्धि (पेट कि सफाई) कर लेनी चाहिए | रेचन हेतु त्रिफला चूर्ण अथवा त्रिफला टेबलेट का उपयोग कर सकते हैं |*
💥 *सावधानी :तीक्ष्ण व उष्ण होने से गर्भवती महिलाओं तथा रक्तपित्त व त्वचा-विकारवालों को सूरन का सेवन नहीं करना चाहिए | इसके अधिक सेवन से कब्ज होने की सम्भावना होती है | सूरन के उपयोग से यदि गले में जलन या खुजली जैसा हो तो नींबू अथवा इमली का सेवन करें |*
🥚 *अनेक बीमारियों का जनक निकृष्ट कंद ‘आलू’*
*आचार्य चरकजी ने चरक संहिता (सूत्रस्थान :२५:३९) में आलू को सभी कंदों में सर्वाधिक अहितकर बताया है |*
*आलू शीतल, रुक्ष, पचने में भारी, जठराग्नि को मंद करनेवाला, मलावरोधक तथा कफ व वायु को बढ़ानेवाला है | आलू को तलने से वह विषतुल्य बन जाता है | इसके सेवन से मोटापा, मधुमेह, सर्दी, बुखार, दमा, सायटिका, जोड़ों का दर्द, आमवात, ह्रदय-विकार आदि समस्याएँ उत्पन्न होती हैं |*
🌹 *ऋषि प्रसाद – दिसम्बर २०२१ से*
21 hours ago | [YT] | 814
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Surat Ashram
🌹 *श्री रमण महर्षि जयंती : 30 दिसम्बर - 2025* ⤵️
https://youtu.be/c8GqbGXegoU?si=NShue...
🌹 *अरुणाचल का नाम लेते ही एक विशिष्ट मूर्ति हमारे मानस पर उभर आती है । दुबली-पतली काया किंतु चेहरे पर चमकता ब्रह्मतेज और शांति-सुधा बरसाते निर्मल नेत्र ! जी हाँ, ये महापुरुष थे रमण महर्षि, जो मौन की भाषा में बोलते थे । वे कुछ न करते हुए भी बहुत कुछ करते थे ।*
🌹 *प्रसिद्ध नेता जयप्रकाश नारायण ने एक बार उनसे पूछा : ‘‘क्या गांधीजी के काम में मदद करने की वृत्ति नहीं होती ?’’*
*रमण महर्षि ने बड़ा मार्मिक उत्तर दिया : ‘‘गांधीजी जो काम करते हैं वह मैं भी करने लगूँ तो मैं जो काम कर रहा हूँ उसे कौन करेगा ?’’*
🌹 *संत-महापुरुष स्थूल रूप में अक्रिय दिखें फिर भी उनके द्वारा समाजोत्थान के जिस महत्कार्य का सूक्ष्म रूप से सम्पादन होता है, उसे बड़े-बड़े क्रियावान भी नहीं कर सकते । गांधीजी स्वयं भी कहा करते थे कि ‘कोने में बैठा हुआ एक सच्चा सत्याग्रही सारे विश्व पर अपना प्रभाव डाल सकता है ।’ रमण महर्षि इसकी जीती-जागती मिसाल थे ।*
🌹 *किसी अन्य व्यक्ति ने महर्षि से पूछा : ‘‘गांधीजी तो क्षण-क्षण कार्यरत रहते हैं जबकि आप तो कुछ भी करते दिखायी नहीं देते । फिर दोनों में श्रेष्ठ कौन ?’’*
🌹 *महर्षि बोले : ‘‘चक्की में दो पाट होते हैं । नीचे का पाट हमेशा स्थिर रहता है और ऊपर का पाट घूमता रहता है तभी गेहूँ पीसा जाता है । अब तुम्हीं बताओ दोनों में से श्रेष्ठ कौन ?’’*
🌹 *चाहे स्वतंत्रता-संग्राम हो अथवा कारगिल का युद्ध संतों-महापुरुषों के शुभ संकल्पों ने, उनके प्रेरक उपदेशों ने आपदाओं से भारत की सदैव रक्षा की है । प्रकट-अप्रकट रूप से आज भी वे महापुरुष भारत का रक्षाकवच बने हुए हैं । उन्हींके शुभ संकल्पों का परिणाम है कि भारत के नौनिहाल अब सारस्वत्य मंत्र आदि से सर्वतोमुखी विकास की तरफ बढ़ रहे हैं व विश्व में अपने देश की पहचान बनाने की योग्यता अर्जित कर रहे हैं । भारत आज विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर हो रहा है...*
🌹 *लोक कल्याण सेतु : मार्च 2010* 🌹
21 hours ago | [YT] | 119
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Surat Ashram
https://youtu.be/C9zbaLBFtZ4?si=2lmo8...
🚩 *क्या ये नया साल है ? पूज्य बापूजी* ⤴️
21 hours ago | [YT] | 408
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Surat Ashram
https://youtu.be/C9zbaLBFtZ4?si=2lmo8...
🚩 *क्या ये नया साल है ? पूज्य बापूजी* ⤴️
21 hours ago | [YT] | 7
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Surat Ashram
https://youtu.be/C9zbaLBFtZ4?si=2lmo8...
🚩 *क्या ये नया साल है ? पूज्य बापूजी* ⤴️
21 hours ago | [YT] | 87
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Surat Ashram
🌷 *पुत्रदा एकादशी* 🌷
https://youtu.be/hghq22EvkLA
▶️ *30 व 31 दिसम्बर 2025 को पुत्रदा एकादशी है | (31 दिसम्बर उपवास हेतु उत्तम )*
🌹 *युधिष्ठिर बोले: श्रीकृष्ण ! कृपा करके पौष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का माहात्म्य बतलाइये । उसका नाम क्या है? उसे करने की विधि क्या है ? उसमें किस देवता का पूजन किया जाता है ?*
🌹 *भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: राजन्! पौष मास के शुक्लपक्ष की जो एकादशी है, उसका नाम ‘पुत्रदा’ है ।*
🌹 *‘पुत्रदा एकादशी’ को नाम-मंत्रों का उच्चारण करके फलों के द्वारा श्रीहरि का पूजन करे । नारियल के फल, सुपारी, बिजौरा नींबू, जमीरा नींबू, अनार, सुन्दर आँवला, लौंग, बेर तथा विशेषत: आम के फलों से देवदेवेश्वर श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए । इसी प्रकार धूप दीप से भी भगवान की अर्चना करे ।*
🌹 *‘पुत्रदा एकादशी’ को विशेष रुप से दीप दान करने का विधान है । रात को वैष्णव पुरुषों के साथ जागरण करना चाहिए । जागरण करनेवाले को जिस फल की प्राप्ति होति है, वह हजारों वर्ष तक तपस्या करने से भी नहीं मिलता । यह सब पापों को हरनेवाली उत्तम तिथि है ।*
🌹 *चराचर जगतसहित समस्त त्रिलोकी में इससे बढ़कर दूसरी कोई तिथि नहीं है । समस्त कामनाओं तथा सिद्धियों के दाता भगवान नारायण इस तिथि के अधिदेवता हैं ।*
🌹 *पूर्वकाल की बात है, भद्रावतीपुरी में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे । उनकी रानी का नाम चम्पा था । राजा को बहुत समय तक कोई वंशधर पुत्र नहीं प्राप्त हुआ । इसलिए दोनों पति पत्नी सदा चिन्ता और शोक में डूबे रहते थे । राजा के पितर उनके दिये हुए जल को शोकोच्छ्वास से गरम करके पीते थे । ‘राजा के बाद और कोई ऐसा नहीं दिखायी देता, जो हम लोगों का तर्पण करेगा …’ यह सोच सोचकर पितर दु:खी रहते थे ।*
🌹 *एक दिन राजा घोड़े पर सवार हो गहन वन में चले गये । पुरोहित आदि किसीको भी इस बात का पता न था । मृग और पक्षियों से सेवित उस सघन कानन में राजा भ्रमण करने लगे । मार्ग में कहीं सियार की बोली सुनायी पड़ती थी तो कहीं उल्लुओं की । जहाँ तहाँ भालू और मृग दृष्टिगोचर हो रहे थे । इस प्रकार घूम घूमकर राजा वन की शोभा देख रहे थे, इतने में दोपहर हो गयी । राजा को भूख और प्यास सताने लगी । वे जल की खोज में इधर उधर भटकने लगे । किसी पुण्य के प्रभाव से उन्हें एक उत्तम सरोवर दिखायी दिया, जिसके समीप मुनियों के बहुत से आश्रम थे । शोभाशाली नरेश ने उन आश्रमों की ओर देखा । उस समय शुभ की सूचना देनेवाले शकुन होने लगे । राजा का दाहिना नेत्र और दाहिना हाथ फड़कने लगा, जो उत्तम फल की सूचना दे रहा था । सरोवर के तट पर बहुत से मुनि वेदपाठ कर रहे थे । उन्हें देखकर राजा को बड़ा हर्ष हुआ । वे घोड़े से उतरकर मुनियों के सामने खड़े हो गये और पृथक् पृथक् उन सबकी वन्दना करने लगे । वे मुनि उत्तम व्रत का पालन करनेवाले थे । जब राजा ने हाथ जोड़कर बारंबार दण्डवत् किया, तब मुनि बोले : ‘राजन् ! हम लोग तुम पर प्रसन्न हैं।’*
🌹 *राजा बोले: आप लोग कौन हैं ? आपके नाम क्या हैं तथा आप लोग किसलिए यहाँ एकत्रित हुए हैं? कृपया यह सब बताइये ।*
🌹 *मुनि बोले: राजन् ! हम लोग विश्वेदेव हैं । यहाँ स्नान के लिए आये हैं । माघ मास निकट आया है । आज से पाँचवें दिन माघ का स्नान आरम्भ हो जायेगा । आज ही ‘पुत्रदा’ नाम की एकादशी है,जो व्रत करनेवाले मनुष्यों को पुत्र देती है ।*
🌹 *राजा ने कहा: विश्वेदेवगण ! यदि आप लोग प्रसन्न हैं तो मुझे पुत्र दीजिये।*
🌹 *मुनि बोले: राजन्! आज ‘पुत्रदा’ नाम की एकादशी है। इसका व्रत बहुत विख्यात है। तुम आज इस उत्तम व्रत का पालन करो । महाराज! भगवान केशव के प्रसाद से तुम्हें पुत्र अवश्य प्राप्त होगा ।*
🌹 *भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: युधिष्ठिर ! इस प्रकार उन मुनियों के कहने से राजा ने उक्त उत्तम व्रत का पालन किया । महर्षियों के उपदेश के अनुसार विधिपूर्वक ‘पुत्रदा एकादशी’ का अनुष्ठान किया । फिर द्वादशी को पारण करके मुनियों के चरणों में बारंबार मस्तक झुकाकर राजा अपने घर आये । तदनन्तर रानी ने गर्भधारण किया । प्रसवकाल आने पर पुण्यकर्मा राजा को तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ, जिसने अपने गुणों से पिता को संतुष्ट कर दिया । वह प्रजा का पालक हुआ ।*
🌹 *इसलिए राजन्! ‘पुत्रदा’ का उत्तम व्रत अवश्य करना चाहिए । मैंने लोगों के हित के लिए तुम्हारे सामने इसका वर्णन किया है । जो मनुष्य एकाग्रचित्त होकर ‘पुत्रदा एकादशी’ का व्रत करते हैं, वे इस लोक में पुत्र पाकर मृत्यु के पश्चात् स्वर्गगामी होते हैं। इस माहात्म्य को पढ़ने और सुनने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है ।*
🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹
21 hours ago | [YT] | 629
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Surat Ashram
नवसारी में तुलसी पूजन
1 day ago | [YT] | 98
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Surat Ashram
https://youtu.be/LdHCFA25cE0?si=lHGZ6...
1 day ago | [YT] | 327
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Surat Ashram
🌹 *ॐ आज की टिप्स ॐ*🌹⤵️
https://youtu.be/LdHCFA25cE0?si=lHGZ6...
🌷 *अस्थिरोग* 🌷
💪🏻 *जिनकी अस्थियाँ जकड़ गयी हो, टूट गयी हों, टेड़ी-मेढ़ी हो गयी हों अथवा जिनकी अस्थियों में पीड़ा होती हो, उनके लिए शीत ऋतु में लहसुन का उचित मात्रा में सेवन बहुत लाभदायी है l लहसुन के छिलके उतारकर रात को खट्टी छाछ में भिगोकर रखें l सुबह धोके पीसकर रस निकालें १ से ४ ग्राम रस में उतना ही तिल का तेल अथवा घी मिलाकर पियें l आहार सात्विक, सुपाच्य लें l*
💥 *सावधानी: लहसुन तामसी होने के कारण रुग्णावस्था में भी इसका सेवन औषधवत करना चाहिए l*
💥 *विशेष - शीत (हेमन्त तथा शिशिर) ऋतु 23 अक्टूबर 2025 से प्रारम्भ*
🙏🏻 *ऋषि प्रसाद - नवम्बर 2009*
1 day ago | [YT] | 846
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