शास्त्रों के प्रति प्रश्नों एवं भ्रमों का सरलतम निराकरण। आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी का आधिकारिक Youtube चैनल कौशलोदय।

आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी एक अनुभवी शास्त्रज्ञ हैं जिनकी आयु 28 (2024) वर्ष है तथा 7 वर्ष की आयु से ही जिन्होंने गुरु के मार्गदर्शन में शास्त्रों का अध्ययन किया एवं कर रहे हैं। उनके द्वारा सरलतम पद्धति से शास्त्रीय मार्गदर्शनउपलब्ध कराना ही इस चैनल का मुख्य उद्देश्य है।

⭐ परिचय - आचार्यश्री कौशलेन्द्रकृष्ण जी सामवेदीय मग ब्राह्मण परिवार से हैं तथा ९ वर्ष की आयु से मानस और १७ वर्ष की आयु से श्रीमद्भागवत कथा का वाचन करते आ रहे हैं। नित्यप्रति अनवरत अध्ययननिष्ठ आचार्यश्री जी की अध्ययन में अगाध रुचि है। हिन्दी, संस्कृत काव्यरचना में उनकी अच्छी प्रतिभा है। अधिक - aacharyashri.in/about-us/

⭐ विषयवस्तु - आचार्यश्री जी के शास्त्रविषयक वीडियोज़ तथा उनके कथा आयोजन के श्रवणीय चलचित्र।

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उल्टी गंगा को प्रमोट करते सेलेब्रिटीज़। कल को ये अपने पतियों को गर्भवान् भी करेंगे। 😀

2 months ago | [YT] | 46

Kaushalodaya

फेसबुकियानी विद्यावारिधि जी पुनः विस्फोटक मुद्रा में। इस बार आंग्लनाम से युक्त Brand New ID से। इन्होंने "कुष्माण्डं महिषीक्षीरं...." से शाकद्वीपीयों को श्राद्धवर्जित करने का प्रयत्न किया एवं मगों को (चित्र १) अप्रासंगिक एवं श्लोकप्रमाण से वैद्य सिद्ध करने का प्रयत्न किया। हमने कहा (यही मान लें) कि, 'कुष्माण्डं...' किस ग्रंथ में लिखित है तथा किस शास्त्र में मगों को स्पष्ट वैद्य कहा गया? क्योंकि यदि वैद्य हैं तब तो पचासों उद्धरण होंगे। ये बताना छोड़कर हमारे तिलक पर प्रश्न उठाने लगीं! 😃

कहा कि, 'आपका तिलक पहले वैदिक सिद्ध करो'। हमने कहा कि चार वेद हैं, उनमें तो तिलक वर्णित नहीं, तो हमपर आरोप लगाने लगीं कि 'इसने तिलक को अवैदिक कह दिया'। तो, "वेद में" से तात्पर्य ऋग्वेदादि में होने से है, न कि वेदान्तों में। यह तो पूर्वमें ही स्पष्ट करना चाहिये था कि तिलक पर आक्षेप वैदिक है कि पौराणिक, कि औपनिषदिक कि स्मार्त। अब यह कह देना कि समस्त शास्त्र वैदिक ही हैं, पुराणों को वेद भी कहा गया आदि आदि ठीक हैं किन्तु यह उपाधि ही सम्पूर्ण हो जाती तब "वैदिक", "पौराणिक", "औपनिषदिक", "स्मार्त" आदि शब्दों की कल्पना का उद्देश्य ही न होता। या तो स्पष्ट पूछना था कि 'तिलक शास्त्रीय है कि नहीं?' इसकी ही भाषा में कहें (चित्र २) तो षण्डीप देव की चेलिन इन बातों से अनभिज्ञ हैं।

विषय था "कुष्माण्डं महिषीक्षीरं...." का तथा मगों को वैद्य सिद्ध करने का। प्रत्युत्तर देना ही था तो एक ग्रंथ का नाम दे देतीं कि अमुक में अमुक अध्याय में यह श्लोक है तथा अमुक पंक्ति में मगों को वैद्य कहा गया। लेकिन अटखेली तिलक से करने लगी। यही है परिपक्व बुद्धि? अब कहतीं हैं इन्हें धमकी मिल रही है (चित्र ३)। तो बकवाद करेंगी तो धमकी ही देंगे लोग। और, प्रमाण भी दिया तो "शाकद्वीपादिहानय" जो किसी भी प्रकार से मगों को वैद्य नहीं कह रहा। वह भी अशुद्ध लिखित। "शाकद्वीपोदिहा नय" 😂। षण्डीप के समान ही फलाँ इतिहासकार ने ये कहा, वो कहा कह रही हैं, वीडियो दिखा रहीं हैं।

हमने मात्र "बचकानी बुद्धि" कहा तो ये उबलने लगीं। विस्फोट हो गया। कहें तो बुरा लगेगा किन्तु अब जब एक शास्त्रचर्चा व्यक्तिगत आक्षेप में बदल ही दी गई तो, स्त्री अयज्ञोपनीतिनी होकर पुराणादि के संस्कृत श्लोकों का अनुशीलन करती, विना विवाह के पिता के सिर पर भ्रूणहत्या का दोष चढ़ाती या विवाह के पश्चात् पति परिचर्या छोड़कर फेसबुक में लोगों को शास्त्र का ज्ञान देती किसी स्त्री से और क्या अपेक्षा करे कोई? ये कह रहीं हैं कि, "ऐसे से कौन चर्चा करे!" वाह! ये तो हमें कहना चाहिये। जिस स्तर तक आप जाएंगी, हम भी जाएंगे। हमारा यही सूत्र है कि ईंट को ईंट, पत्थर को पत्थर और गालीबाजों को गालियाँ भी मिलतीं हैं।

यदि चर्चा हमारे आस्पद की है तो हमारा आस्पद सदा से ही शर्मा रहा है, हमने बदला नहीं। कौशलेन्द्रकृष्ण मिश्र 😂?

शाकद्वीप से मग शाम्ब के कुष्ठशापनिवारणार्थ भगवान् कृष्ण के आदेश से आनीत हैं। उन्होंने मित्रवन में साम्बपुर नामक स्थान में कल्पवृक्षकाष्ठनिर्मित सूर्यप्रतिमा की अर्चना से साम्ब के कुष्ठ को समाप्त किया न कि वैद्य के समान जटी से। अन्यथा भारत में ऐसे वैद्यों की कमी न थी कि शाकद्वीप से वैद्य बुलाने की स्थिति बनती।

बात रही हमारे तिलक की तो ये हमारी गुरु परंपरा से प्राप्त तिलक है एवं सौरागमों के उत्तरसौरपुराण, सौरसंहिता आदि में इसका वर्णन है। सौर जब मित्रार्चनक्रम का व्यवहार करता है तो इसे ही धारण करता है। यदि प्रमाण मांगा जाए तो वह भी देना पड़ेगा। लेकिन उससे पहले लिखित प्रमाण जिसमें मगों को वैद्य कहा गया हो, अपेक्षित है।

और... तिलक को अशास्त्रीय कहने का एक पतिता स्त्री को किसने अधिकार दे दिया? भगवान जाने।

4 months ago | [YT] | 27

Kaushalodaya

#SandeepDeo द्वारा प्रदत्त प्रमाणों की पड़ताल। जैसे मदिरा से प्रभावित प्राणी को जल के स्थान पर स्थल तथा स्थल के स्थान पर जल का आभास होता है, तद्वत् इसे भविष्यपुराण ब्राह्मपर्व १४०|४६-४८ में मगों का सावित्री हेतु अनाधिकार दिख रहा है (चित्र १)। किन्तु आप स्वयं चित्र २ में देखें। उक्त पृष्ठ को देखकर जानें कि ये कितनी बड़ी मक्कारी है। और, "यथाग्निहोत्रं प्रथितं द्विजानां तथाध्वहोत्रं विहितं मगानाम्" में यह कहाँ लिखा है मग अग्निहोत्र से वंचित रखे गए? यहाँ कहा गया कि जैसे अन्य द्विज अग्निहोत्र करते हैं तथैव मग अध्वहोत्र करते हैं। शब्दों पर ध्यान दे अंधे! "यथाग्निहोत्रं तथाध्वहोत्रम्"। जैसा अग्निहोत्र होता है, वैसे ही अध्वहोत्र होता है। तभी इसी अध्याय के २७वें श्लोक में पूछा "अग्निहोत्रञ्च किं तेषाम्"। इनका अग्निहोत्र क्या है।

सण्डीप देव के अनुरूप भगवान् सूर्य ने निकुक्षी को वेदविरुद्ध आचरण हेतु गर्भवती कर दिया। R U Kidding!! 😂 वेदविरुद्ध आचरण में किसी को गर्भवती करना दण्ड होता है? वाह? मतलब, लॉजिक का ल्यौना निकालना इससे सीखे कोई। ये इतना अज्ञानी है कि ऋग्जिह्व को ऋजिश्व कहता है तथा निक्षुभा को निकुक्षी 😆। अनपढ़। ये प्रसंग जिसमें इसने (चित्र १ में) आक्षेप किया है कि ऋजिश्व 😂 के श्राप से मग अपूज्य हैं, उस हेतु चित्र ३ में वह प्रसंग देखें। निक्षुभा सूर्यपत्नी हैं। इन्हें भविष्यपुराण तथा स्कन्दपुराण में पृथ्वी कहा गया। इन्हीं को छाया भी कहा जाता है। ये ही ऋषिपुत्र ऋग्जिह्व की पुत्री हुईं। अग्नि इनके वश में थे। विष्णुपुराणानुसार भी रात्रि में सूर्य का अग्नि में प्रवेश हो जाता है। अपनी पत्नि को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा से आदित्य अग्नि में प्रविष्ट होते हैं। अग्नि के संपर्क से निक्षुभा गर्भवती हो जाती हैं। अग्नि के लंघन के कारण एवं गर्भ के तत्व से पिता की अनभिज्ञता के कारण पिता द्वारा पुत्री के गर्भ को अपूज्यता का श्राप मिला। किन्तु सूर्य ने उन्हें पुनः वेदपारग तथा लोकनमस्कृत बनाया (चित्र ३)।

किन्तु ऋग्जिह्व का ही श्राप है जो आज भी हमें सताता है। मग दिव्य हैं। ब्राह्मण हैं तदपि इसी श्राप के कारण तुझ जैसे लुच्चू पुच्चू भी हमें आख दिखाते हैं। क्या करें। शेर सियार से लड़ सकता है किन्तु किलनी से नहीं। 😂

‪@Indiaspeakdaily‬

4 months ago | [YT] | 37

Kaushalodaya

Multiple Personality Disorder के मनोरोगी #SandeepDeo ‪@Indiaspeakdaily‬ की दृष्टि में ब्राह्मणों के वाक्य कैसे होते हैं देखिये चित्र २ में। चित्र १ में सण्डीप इसीको ब्राह्मण कह रहा है। जैसा इसने बोला, तैसा उत्तर मिला और मिलेगा। सण्डीप MPD का रोगी है अतः ये एक क्षण सीधा साधा सण्डीप बनकर लोगों के बीच सफाई झाड़ता है, दूसरे क्षण इसके हृदय में Rihanna को प्राप्त करने की तीव्र उत्कण्ठा जागृत हो जाती है तथा यह लोगों को गाली देता है। अपने कमेंट्स डिलीट करके दूसरों के कमेंट्स को दिखाकर सफाई झाड़ता है।

म्लेच्छवत् इसके स्वयं के आचार हैं। हमें तो इसके किसी सन्निकट व्यक्ति ने ये भी बताया कि ये ऐगीटेरियन है। किन्तु ये है वैदिक ब्राह्मण। 😁 हमने तो अपशब्द ही कहे। इसने तो सीधा आगे पीछे के छिद्र, गा*#* आदि कहकर सारी सेंसर्ड सीमाएं पार कीं हैं।

कहता है कि ऐसे अभद्रों को ब्लॉक करना ही उचित होता है। किन्तु अभद्रता का प्रारम्भ किसने किया, ये तो स्पष्ट है। हमारे लोगों ने जब इसके पोस्ट पर जाकर इन चित्रों की टिप्पणियाँ कीं तो ये उन चित्रों को हटा हटाकर उन्हें ब्लॉक करता गया ठीक उसी प्रकार जैसे कुत्ता अपने मल को कूड़े करकटों से ढक रहा हो। फिर भी हम क्रोधित नहीं क्योंकि रोगी के लिये सब छूट है।

इसने हमारे साथ किसी और को भी गाली दी जिसका नाम हमने छुपा दिया है। ये यदि सामने आ गया तो इसकी मुसीबत बड़ जाएगी। हाँ, जिसने हमें ये स्क्रीनशॉट उपलब्ध कराया, हम उसकी गारंटी नहीं ले सकते यदि वो भेद खोल दे। बांकी, हमारा दिल तो बड़ा है। बहुत बड़ा। 😁

4 months ago (edited) | [YT] | 22

Kaushalodaya

‪@Indiaspeakdaily‬ संदीप कहता है कि 'कौशलेन्द्रकृष्ण नामक व्यक्ति ने मुझे चुनौती दी तो मैने उसे डरकर ब्लॉक नहीं किया। वह अपशब्द बोलने वाला व्यक्ति है अतः ऐसों से मैं दूर रहता हूँ।' अच्छा! अपशब्द की शुरुवात देखिये आप सब कहाँ से हुई। ये स्क्रीनशॉट हमें किसी शुभचिंतक ने आज प्रातः भेजा। अब, हम तो ठहरे छत्तीसगढ़िया। ईंट का जवाब पत्थर से नहीं, सीधे पहाड़ से देते हैं। कमेंट में देखिये कि किस प्रकार संडीप ने अपने भाई भतीजों सहित अपशब्दों की वर्षा का श्रीगणेश किया। हमने पहले आप कहकर सम्मानजनक वाक्यों में बाते लिखीं थीं। इसके प्रति हमारा प्रथम इंस्टाग्राम रील भी तद्वत् ही है। फिर इसने तो सीधा हमारे शर्मा आस्पद पर प्रश्न उठाया! हमारे प्रत्येक कमेंट में ये वैभव मिश्रा नामक व्यक्ति आ आकर हाथी जितना बड़ा जामुन देखना चाहता था तो हमने कहा कि आ जाना खिला देंगे। 😁 फिर कहता कि आगे और पीछे के छिद्रों से केला खिलाउंगा। हमने कहा घोड़वे! अपनी मा बहन को खिला। आखिर ये सब सुनकर एक सामान्य व्यक्ति कबतक चुप रहता। महापुरुषों की गति हमारी नहीं। 😃

संडीप हमारे कमेंट को सार्वजनिक करके जो पहले ही सार्वजनिक थे, अपनी मूछ बचा रहा है। क्योंकि लोगों ने उसे कहना प्रारंभ कह दिया था, 'कौशलेन्द्रकृष्ण ने तुम्हे शास्त्र से शाकद्वीपीयों को म्लेच्छ सिद्ध करने कवर्धा बुलाया है और तुमने उन्हें व्यर्थ ही ब्लॉक कर दिया एवं भाग गए।' मरता क्या न करता। हमारे कमेंट्स के सहारे सफाई दे रहा है। अपनी भाषा को बड़ा शालीन कहने वाला रिहाना के ट्वीट पर क्या कमेंट करता था ये तो सर्वविदित है। फेसबुक पर भी इसकी भाषा देखें। और हमारे साथ किसी और को भी गाली दी है। उसका नाम हमने छुपाकर संडीप पर बड़ी कृपा की। नहींतो बात और बिगड़ जाती। 😁

ये कहता है कि जो अपशब्द कहे, उसे ये ब्लॉक करता है। अपने भाई भतीज़ों को क्यों नहीं करता ब्लॉक? और स्वयं को कब करेगा ब्लॉक?? डरपोंक भगौड़ा। तूने हमें डरकर ही ब्लॉक किया है। 🫵 🤏

4 months ago | [YT] | 33

Kaushalodaya

4 months ago | [YT] | 29

Kaushalodaya

8 months ago | [YT] | 41

Kaushalodaya

रथसप्तमी की शुभकामनाएँ।

10 months ago | [YT] | 33

Kaushalodaya

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11 months ago | [YT] | 10