Ysunil( Bhardwaj) Nadekar
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Vishwa Drishya
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5 days ago | [YT] | 0
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Vishwa Drishya
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2 weeks ago | [YT] | 0
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Vishwa Drishya
खाना पचेगा या सड़ेगा-
खाना खाने के बाद पेट में खाना पचेगा या खाना सड़ेगा, यह जानना बहुत जरूरी होता है। हमने रोटी खाई, हमने दाल खाई, हमने सब्जी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी, दूध, दही छाछ, लस्सी फल आदि यह सब कुछ भोजन के रूप में हमने ग्रहण किया। यह सब कुछ हमें उर्जा देते हैं और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है।
पेट में एक छोटा सा स्थान होता है, जिसको हम हिन्दी में "आमाशय" कहते हैं। इसका संस्कृत नाम है "जठर"। यह एक थैली की तरह होता है। यह जठर हमारे शरीर में सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी में आता है। यह बहुत छोटा सा स्थान है। हम जो कुछ भी खाते हैं, वह सब इस आमाशय में आ जाता है। आमाशय में जो अग्नि प्रदीप्त होती है उसे जठराग्नि कहते हैं।
यह जठराग्नि आमाशय में प्रदीप्त होने वाली आग है। जैसे ही हम खाना खाना खाते हैं, जठराग्नि प्रदीप्त हो जाती है। यह ऑटोमेटिक है,जैसे ही हमने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह में डाला, कि इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई। यह अग्नि तब तक जलती है जब तक खाना पचता है। अब हमने खाना खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया।अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी, वह बुझ गयी। आग अगर बुझ गयी, तो पचने की जो क्रिया है वह रुक जाती है।
अब हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि खाना पेट में जाने पर पेट में दो ही क्रियाएं होती हैं, एक क्रिया है जिसको हम कहते हैं पचना, और दूसरी है, सड़ना।
आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा, खाना पचेगा तो उससे रस बनेगा। रस से मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डियां, मल, मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत में मेद बनेगा। यह तभी होगा जब खाना पचेगा। खाना सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वह है यूरिक एसिड। यूरिक एसिड बढ़ने से ही घुटने, कंधे, कमर में दर्द होता है। जब खाना सड़ता है, तो यूरिक एसिड जैसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हैं एलडीएल ( खराब कोलस्ट्रॉल )। खराब कोलस्ट्रॉल के बढ़ने से ही ब्लड प्रेशर ( बीपी ) बढ़ता है। ये सभी बीमारियां तब आती हैं जब खाना पचता नहीं है, बल्कि सड़ता है।
खाना पचने पर किसी भी प्रकार का कोई भी जहर नहीं बनता है। खाना पचने पर जो बनता है वह है मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डियां, मल, मूत्र, अस्थि और खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल, एलडीएल, वीएलडीएल और यही हमारे शरीर को रोगों का घर बनाते हैं। पेट में बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून में आता है, तो खून दिल की नाड़ियों में से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून में आया है, इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है। इसी से हार्ट अटैक होता है।
अतः हमें ध्यान इस बात पर देना चाहिए कि जो हम खा रहे हैं, वह ठीक से पचना चाहिए, इसके लिए पेट में ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए, क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं है और खाना पकता भी नहीं है। महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है। हमने क्या खाया, कितना खाया यह महत्त्वपूर्ण नहीं है। खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया है-
"भोजनान्ते विषं वारी" (खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है )। इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी नहीं पीना चाहिए। जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे में मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट में बदलता है। पेस्ट में बदलने की क्रिया होने तक एक घंटा ४८ मिनट का समय लगता है। उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है। बुझती तो नहीं, लेकिन बहुत धीमी हो जाती है। पेस्ट बनने के बाद शरीर में रस बनने की प्रक्रिया शुरू होती है, तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती है।
साभार - राजीव दीक्षित जी के व्याख्यान पर आधारित।
3 weeks ago | [YT] | 0
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Vishwa Drishya
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1 month ago | [YT] | 0
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Vishwa Drishya
श्री प्रज्ञा सेवा केंद्र साईखेड़ा
1 month ago | [YT] | 0
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Vishwa Drishya
!!!!!!श्राद्ध तर्पण सामग्री लिस्ट!!!!!!!!!
Panditji Contact:9685126801
एम.ए.संस्कृताचार्य एम.ए. योगाचार्य हरिद्वार
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जल (गंगाजल उपलब्ध हो तो बेहतर)
काले तिल
जौ
चावल (साबुत)
कुशा (घास)
सफेद फूल या पीले फूल
दूध (गाय का ताजा दूध उत्तम)
दही
घी
शहद
गुड़ या चीनी
चंदन (लकड़ी या पाउडर)
तुलसी पत्र (विशेष लाभ हेतु)
पलाश के पत्ते (पलसे के)
मूंग, उड़द, के (5नग फीके बड़े बिना लहसुन प्याज़ बिना नमक मिर्ची के)
केला, खजूर, (यदि उपलब्ध)
पान के पत्ते, सुपारी, धुप नैवेद्य
जनेऊ (नया, शुद्ध)
सफेद वस्त्र (धोती, अंगवस्त्र)
तांबे या पीतल का पात्र (लोटा और कटोरी)
स्वच्छ चौकी या आसन
हवन सामग्री (हवन के लिए)
हवन की समीधा लकड़ी
रूई बत्ती, माचिस, मिट्टी का दीपक, आटे का दीपक, कच्चा सूत, लाल कच्चा कालावा
आरतीकी थाली जिसमे - दूर्वा 2 जोड़ी, हल्दी, कुमकुम, चन्दन, अक्षत, दीपक, माचिस, अगरबत्तीधुप,कपूर 1/2पांव, 1/2किलो फूल,
डिस्पोजल दोने
एक सफ़ेद कपड़ा या ब्लाउज पीस,
1 लाल1पीला ब्लाउज पीस
एक सूखा नारियल हवन के लिए 2जटा वाले नारियल पूजा के लिए,
रास के चावल, गुँथा हुआ जौ का आटा 1पाव(पिंड बनाने हेतु)
सप्त धान्य,
पीतल के दो परात (तर्पण के लिए)
नवग्रह पैकेट, पूजा की 5नग सुपारी, कपुरी पान, चिल्लर सिक्के 51 नग
3 नग ताम्बे के लोटे(गंगा कलश देव कलश, और पूजा हेतु)
चौरंग 3नग या पटे, आमके पत्तों के पांच तोरण, हवन कुंड
..
!!!!!दान सामग्री!!!!
दक्षिणा क्षमतानुसार 11,00/-21,00
चांदी की गौमाता बछड़े सहित (क्षमतानुसार गौदान के लिए )
5 कपड़े धोती कुर्ता सहित ब्राह्मणजोड़ा दान के लिए साड़ी
अन्नदान क्षमतानुसार
वस्तुदान - शैयादान कम्बल, चादर, चटाई, चप्पल,टॉर्च
Yogacharya Sunil Bhardwaj (Nadekar)
Contact -9685126801
1 month ago | [YT] | 0
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Vishwa Drishya
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1 month ago | [YT] | 0
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Vishwa Drishya
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1 month ago | [YT] | 0
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Vishwa Drishya
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1 month ago | [YT] | 0
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Vishwa Drishya
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1 month ago | [YT] | 0
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