Razaul Haq Ansari

Razaul Haq Ansari is a Pasmanda activist from Deoghar, Jharkhand. He works for the upliftment of underprivileged lower castes among Muslims (ST, SC, and OBC). He has been associated with the anti-caste and social justice movement since 2018. He can be reached at mrhaq007@gmail.com or +917250480681 (WhatsApp only).


Razaul Haq Ansari

जोहार!

15 hours ago | [YT] | 673

Razaul Haq Ansari

जोहार!

2 days ago | [YT] | 1,155

Razaul Haq Ansari

जोहार!

4 days ago | [YT] | 1,286

Razaul Haq Ansari

जोहार !

5 days ago | [YT] | 1,126

Razaul Haq Ansari

जोहार!

1 week ago | [YT] | 1,150

Razaul Haq Ansari

जोहार!

1 week ago | [YT] | 1,019

Razaul Haq Ansari

जोहार !

1 week ago | [YT] | 991

Razaul Haq Ansari

जोहार!

1 week ago | [YT] | 1,344

Razaul Haq Ansari

जोहार!

2 weeks ago | [YT] | 1,283

Razaul Haq Ansari

कुछ फेसबुकियाँ और संघी लोग यह अफवाह फैला रहे हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में एनडीए सरकार बनाएगी यह महज कुछ लोगों का ख्वाब है, हकीकत से इसका कोई वास्ता नहीं है। जब जेएमएम मुश्किल दौर से गुजर रही थी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी को जेल भेज दिया गया था, उस समय यानी जेल भेजने के पहले और बाद में बार-बार हेमंत सोरेन पर यह दबाव बनाया गया था कि जेल जाने से बचने के लिए बीजेपी से सरकार बना लो। जब हेमंत सोरेन जी जेल चले गए, तो बाहर निकलने के लिए यह शर्त रखी गई कि बीजेपी से मिलकर सरकार बना लो, सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन हेमंत सोरेन जी नहीं झुके, वे जेल चले गए और चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बना दिया गया। लेकिन जब चंपई सोरेन ने जेएमएम पार्टी में गुटबाजी शुरू कर दी, तो अंततः उन्हें भी मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। और फिर कल्पना सोरेन ने ऐसा प्रभाव मचाया कि विधानसभा चुनाव में जेएमएम गठबंधन को भारी बहुमत मिला और 56 सीटों पर कामयाबी मिली और लोकसभा चुनाव में जेएमएम-कांग्रेस को 5 सीटें मिलीं, यानी सभी अनुसूचित जनजाति के आरक्षित सीटों पर कब्जा हो गया।

अब सवाल है कि जेएमएम बीजेपी से गठबंधन क्यों नहीं करना चाहता है और इसके नुकसान क्या हैं?

जेएमएम का कोर वोटर आदिवासी समुदाय है, जो जेएमएम के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। आदिवासियों में जो ईसाई समुदाय है, वह शिक्षित और संपन्न है तथा धर्मनिरपेक्ष है। इन्हें अल्पसंख्यक का भी दर्जा प्राप्त है। इनमें सबसे ज्यादा बुद्धिजीवी और प्रतिभाशाली लोग हैं, जो बीजेपी की विचारधारा से बिल्कुल सहमत नहीं हैं। यानी जेएमएम के बीजेपी से मिलते ही इस वर्ग के वोटर कांग्रेस की ओर खिसक जाएंगे। राज्य में करीब 28 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की आबादी है, जो सरकार बनाने में सबसे ज्यादा निर्णायक है। इनमें से 28 अनुसूचित जनजाति के आरक्षित सीटों में 27 सीटें जेएमएम और कांग्रेस ने जीती हैं।

जेएमएम का एक बड़ा कोर वोटर मुस्लिम समुदाय का भी है, जिसकी आबादी राज्य में लगभग 18 प्रतिशत है। इनमें भी लगभग 90 प्रतिशत आबादी जोल्हा-अंसारी समुदाय की है, जो आदिवासियों के साथ मिलकर झारखंड की कई विधानसभा सीटों का समीकरण बदल देता है, खासकर संथाल परगना के 18 विधानसभा क्षेत्रों में। अगर जेएमएम बीजेपी से मिलती है, तो इस समुदाय का वोट भी कांग्रेस की ओर खिसक जाएगा।

इस तरह से कुल 28+18=46 प्रतिशत वोटरों का सीधा नुकसान जेएमएम को होगा, जो सरकार बनाने के लिए काफी है। लेकिन इसके अलावा धर्मनिरपेक्ष दलित, बहुजन और पिछड़े (कुर्मी आदि) वर्ग का एक बड़ा हिस्सा भी जेएमएम से खिसक जाएगा। इसलिए जेएमएम बीजेपी से गठबंधन कभी नहीं करना चाहेगा। झारखंड में जेएमएम अब इतनी मजबूत हो चुकी है कि अगले विधानसभा चुनाव में अकेले अपने दम पर भी चुनाव लड़कर सरकार बना सकती है, बिना कांग्रेस, राजद और वाम दलों के। वैसे भी राजद का राज्य में कोई जनाधार बचा नहीं है। ऐसे अफवाहों से बचे बाक़ी आपको जोहार!

2 weeks ago | [YT] | 1,012