बनारस को मैं कैसे कहूँ कि, यह सिर्फ़ शहर है। बीते दिनों से बस दौड़ भाग में, शहरों से मिल रहे हैं, ऐसे में इस शहर से मिलना, ठहर जाने जैसा था। कुछ दिनों पहले जब @banjara_banarsi का फ़ोन आया बनारस आने के लिए तो हमारे लिए मुश्किल था बहुत, ज़िंदगी व्यस्त चल रही थी और सच कहें तो हमारा मन भी नहीं था बनारस आने का।
पर बनारस आने के लिए आपका मन नहीं बुलावा चाहिए होता है। महादेव की आज्ञा हुई और हम चले आए।
@abhimonk7 ने पहले ही कह दिया था, भैया बनारस आयेंगे तो बता दीजियेगा, अभिषेक का तो जैसे हक़ है हम पर।
फिर बरेली से ट्रेन में बैठकर @premsomvanshi17 और हम चले आए बनारस। कैंट पर उतरकर सबसे पहले हमने कहा महादेव, यहाँ की धरती को।
उसके बाद आ गए हम @banjara_banarsi के होमस्टे @kashi.niwasi में।
यह नानी के घर जैसा लगता है, यहाँ एक बाग़ीचा है प्यारा सा, जो मुझे बनारस में भी गाँव का एहसास कराता है। फिर Sid की बातें इस गेस्ट हाउस को चौपाल बना देती हैं। शाम यहीं हो गई थी, फिर हम घाट पर चले गए। एक नेटवर्क नहीं था फ़ोन पर, और भीड़ हद से ज़्यादा छोटे भाई सत्यम की नाव ढूँढने में एक घंटा लग गया।
पर वह इंतज़ार बेहतर था, नाव से बनारस देखना स्वर्ग देखने जैसा था। पहली बार ऐसी रौशनी मैंने इलाहाबाद में देखी थी, माघ मेला और महाकुंभ के समय।
तब सुखी पाजी ने कहा था - चलो तुमको तारें दिखाते हैं।
कल सुखी की बहुत याद आई, बनारस देखते हुए।
आसमान में पटाखों की रौशनी देखी, लेज़र शो देखा और नावों की टक्कर देखी। सब एकदम मज़ेदार था।
फिर देखते ही देखते रात हो आई और होमस्टे आने तक रात के एक बज गए थे। मुश्किल से दो घंटा सोए होंगे कि @premsomvanshi17 को उठा कर मैं, सुबह ए बनारस देखने चला गया। घाट वाक करते हुए अस्सी से हम दशाश्वमेध गए फिर अभिषेक के साथ हम पुराने बनारस से मिले। बनारस में भीड़ बहुत है लेकिन यहाँ यह भीड़ भी सुंदर है अगर आपको इस शहर से प्यार है। बस कुछ लोग हॉर्न बहुत बजाते हैं, इधर उधर थूक देते हैं, कुल मिलाकर बनारस से प्यार करने वाले, बनारस का ख़याल रखना शुरू कर दें तो बनारस को सुकून का शहर बनने से, कोई नहीं रोक सकता।
फिलहाल बनारस से बहुत सारा प्रेम आपको।
आप किस शहर में हैं, यह ज़रूर बताइयेगा। क्या आप कभी बनारस आए हैं ? यह भी बताइए।
मैं उज्जैन से लौटते हुए, इस सफ़र के बारे में ही सोच रहा था।
एक दिन हुआ है घर आए हुए दिमाग़ में अभी भी, वह शहर घूम रहा है।
ग़ज़ब शहर है उज्जैन। महाकाल की नगरी की सबसे ख़ास बात यह है कि यहाँ लोग मन के बहुत साफ़ हैं।
मेरे उज्जैन होने की ख़बर कम लोगों को थी लेकिन जितने भी लोगों से मिलना हुआ। मैं मन में बसा लाया उनकी यादों को।
शाम के वक़्त शिप्रा जी के किनारे जब आरती हो रही थी मुझे बनारस याद आ रहा था। लोग कम थे लेकिन फ़ील वही था।
शाम ढलने पर जब हम कालभैरव मंदिर पहुंचे तो उस मंदिर की ऊर्जा ही अलग थी।
वैसे भी महाकाल जहाँ के राजा हों वहाँ मन किसका ना लगे।
महाराज विक्रमादित्य की कहानी बचपन से पढ़ी थी लेकिन महसूस इसी मिट्टी पर जाकर की।
उज्जैन के लोगों ने बताया यहाँ इतने मंदिर हैं कि आप चावल की बोरी लेकर चलेंगे और एक दाना हर मंदिर में डालेंगे, तो चावल कम पड़ जाएँगे लेकिन मंदिर कम नहीं होंगे।
मैं बहुत ज़्यादा तो नहीं देख पाया यहाँ के चौक बाज़ारों को लेकिन एक मेहमान की तरह इस शहर में जाकर मैंने यहाँ घर जैसा महसूस किया।
बहुत ज़्यादा तस्वीरें भी नहीं ली मैंने लेकिन बहुत कुछ बटोर लाया मैं उस शहर से।
बहुत सुंदर है यह नगरी, शिव से जुड़ाव हो तो और प्यारी लगती है। पिछले दिनों और जागती रातों में जो यात्रायें की उसका हासिल रहा उज्जैन। महाकाल से जब नज़रें मिलती हैं ऐसा लगता है जैसे आपके मन का सारा बोझ हल्का हो गया हो।
Pankaj Jeena
बनारस को मैं कैसे कहूँ कि,
यह सिर्फ़ शहर है।
बीते दिनों से बस दौड़ भाग में,
शहरों से मिल रहे हैं,
ऐसे में इस शहर से मिलना,
ठहर जाने जैसा था।
कुछ दिनों पहले जब
@banjara_banarsi का फ़ोन आया
बनारस आने के लिए
तो हमारे लिए मुश्किल था बहुत,
ज़िंदगी व्यस्त चल रही थी
और सच कहें तो
हमारा मन भी नहीं था
बनारस आने का।
पर बनारस आने के लिए आपका मन नहीं
बुलावा चाहिए होता है।
महादेव की आज्ञा हुई और हम चले आए।
@abhimonk7 ने पहले ही कह दिया था,
भैया बनारस आयेंगे तो बता दीजियेगा,
अभिषेक का तो जैसे हक़ है हम पर।
फिर बरेली से ट्रेन में बैठकर
@premsomvanshi17 और
हम चले आए बनारस।
कैंट पर उतरकर सबसे पहले हमने कहा महादेव,
यहाँ की धरती को।
उसके बाद आ गए हम @banjara_banarsi के होमस्टे @kashi.niwasi में।
यह नानी के घर जैसा लगता है,
यहाँ एक बाग़ीचा है प्यारा सा,
जो मुझे बनारस में भी गाँव का एहसास कराता है।
फिर Sid की बातें इस गेस्ट हाउस को चौपाल बना देती हैं।
शाम यहीं हो गई थी, फिर हम घाट पर चले गए।
एक नेटवर्क नहीं था फ़ोन पर, और भीड़ हद से ज़्यादा
छोटे भाई सत्यम की नाव ढूँढने में एक घंटा लग गया।
पर वह इंतज़ार बेहतर था, नाव से बनारस देखना
स्वर्ग देखने जैसा था।
पहली बार ऐसी रौशनी मैंने
इलाहाबाद में देखी थी,
माघ मेला और
महाकुंभ के समय।
तब सुखी पाजी ने कहा था
- चलो तुमको तारें दिखाते हैं।
कल सुखी की बहुत याद आई, बनारस देखते हुए।
आसमान में पटाखों की रौशनी देखी, लेज़र शो देखा
और नावों की टक्कर देखी।
सब एकदम मज़ेदार था।
फिर देखते ही देखते रात हो आई और होमस्टे आने तक रात के एक बज गए थे।
मुश्किल से दो घंटा सोए होंगे कि @premsomvanshi17 को उठा कर मैं,
सुबह ए बनारस देखने चला गया।
घाट वाक करते हुए अस्सी से हम दशाश्वमेध गए
फिर अभिषेक के साथ हम
पुराने बनारस से मिले।
बनारस में भीड़ बहुत है
लेकिन यहाँ यह भीड़ भी सुंदर है अगर आपको इस शहर से प्यार है।
बस कुछ लोग हॉर्न बहुत बजाते हैं,
इधर उधर थूक देते हैं,
कुल मिलाकर बनारस से प्यार करने वाले,
बनारस का ख़याल रखना शुरू कर दें
तो बनारस को सुकून का शहर बनने से, कोई नहीं रोक सकता।
फिलहाल बनारस से बहुत सारा प्रेम आपको।
आप किस शहर में हैं, यह ज़रूर बताइयेगा।
क्या आप कभी बनारस आए हैं ?
यह भी बताइए।
1 month ago | [YT] | 334
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Pankaj Jeena
मैं उज्जैन से लौटते हुए,
इस सफ़र के बारे में ही सोच रहा था।
एक दिन हुआ है
घर आए हुए
दिमाग़ में अभी भी,
वह शहर घूम रहा है।
ग़ज़ब शहर है उज्जैन।
महाकाल की नगरी की
सबसे ख़ास बात यह है
कि यहाँ लोग मन के बहुत साफ़ हैं।
मेरे उज्जैन होने की ख़बर
कम लोगों को थी
लेकिन जितने भी लोगों से मिलना हुआ।
मैं मन में बसा लाया उनकी यादों को।
शाम के वक़्त शिप्रा जी के किनारे
जब आरती हो रही थी
मुझे बनारस याद आ रहा था।
लोग कम थे लेकिन फ़ील वही था।
शाम ढलने पर जब हम
कालभैरव मंदिर पहुंचे
तो उस मंदिर की ऊर्जा ही अलग थी।
वैसे भी महाकाल जहाँ के राजा हों
वहाँ मन किसका ना लगे।
महाराज विक्रमादित्य की कहानी बचपन से पढ़ी थी
लेकिन
महसूस इसी मिट्टी पर जाकर की।
उज्जैन के लोगों ने बताया
यहाँ इतने मंदिर हैं कि आप चावल की बोरी लेकर चलेंगे
और एक दाना हर मंदिर में डालेंगे, तो चावल कम पड़ जाएँगे
लेकिन मंदिर कम नहीं होंगे।
मैं बहुत ज़्यादा तो नहीं देख पाया
यहाँ के चौक बाज़ारों को
लेकिन एक मेहमान की तरह
इस शहर में जाकर
मैंने यहाँ घर जैसा महसूस किया।
बहुत ज़्यादा तस्वीरें भी नहीं ली मैंने
लेकिन
बहुत कुछ बटोर लाया मैं
उस शहर से।
बहुत प्रेम उज्जैन
फिर बुलावा भेजना।
तुम्हारा अपना
पंकज जीना
जय श्री महाकाल
2 months ago | [YT] | 1,085
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Pankaj Jeena
महाकाल की नगरी उज्जैन
बहुत सुंदर है यह नगरी, शिव से जुड़ाव हो
तो और प्यारी लगती है।
पिछले दिनों
और जागती रातों में
जो यात्रायें की
उसका हासिल रहा उज्जैन।
महाकाल से जब नज़रें मिलती हैं
ऐसा लगता है जैसे
आपके मन का सारा बोझ हल्का हो गया हो।
महाकाल चाहेंगे
तो कभी
उज्जैन आइएगा
आपको अच्छा लगेगा यहाँ।
अगर पहले कभी आए हैं
तो अपना अनुभव बताइयेगा।
जय श्री महाकाल 🙏
2 months ago | [YT] | 872
View 41 replies
Pankaj Jeena
दोस्तों
हमारा नया गाना आ चुका है,
इस गीत में
आपको एक यात्रा मिलेगी
जो बहुत पसंद आएगी
देखिए
और बताइए
कैसा लगा यह गीत??
2 months ago | [YT] | 23
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Pankaj Jeena
@TheAsstag ❣️🙌
3 months ago | [YT] | 26
View 1 reply
Pankaj Jeena
तो देखिए
हमारा नया गीत
शायद
आपको
पसंद आयेगा ❣️
5 months ago | [YT] | 42
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Pankaj Jeena
कल आयेगा यह गाना
आज टीजर देख लो 🙂
5 months ago | [YT] | 36
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