(कविताओं की उड़ान) मोटिवेशनल कवियत्री ममता सिंह

जय भीम 🙏

कविताओं की उड़ान एक ऐसा मंच है जहाँ शब्दों को पंख मिलते हैं।
यह चैनल केवल कविता का मंच नहीं, बल्कि बाबासाहेब के विचारों को आगे बढ़ाने का एक वैचारिक आंदोलन भी है।
यहाँ आपको मिलेंगी दिल को छूने वाली कविताएँ, प्रेरणादायक विचार, जीवन की सच्चाइयाँ, सामाजिक जागरूकता और बहुजन चेतना से जुड़ी आवाज़।

अगर आपको कविता, साहित्य, सच्चे भाव और समाज को नई दिशा देने वाले विचार पसंद हैं, तो इस चैनल को जरूर सब्सक्राइब करें।
आपका एक सब्सक्राइब किसी को जागरूक बना सकता है। 💙

✍️ International Award से सम्मानित
Writer & Motivational Kavitri – Mamta Ambedkar (Mamta Singh)
🌱 Social Activist | समाज सेविका
🇮🇳 राष्ट्रीय अध्यक्ष – बहुजन सुवर्ण सेवक संघ
🔥 Babasaheb Jagriti Mission
🎤 Bhim Gyan Charcha Sangh, भारत की प्रवक्ता

🌸 आपका प्यार ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है
जय भीम 💙


(कविताओं की उड़ान) मोटिवेशनल कवियत्री ममता सिंह

💠 ग़ज़ल 💠

जमाने में आए हो तो
जीने का हुनर रखना,

हर लफ़्ज़ में सच्चाई हो
, दिल में असर रखना।

नफ़रत की हवाएँ हों
तो भी मुस्कुरा देना,

हालात जैसे भी हों, फ़िर भी
दिल में थोड़ा जिक्र रखना।

दुश्मन सामने आ भी
जाए, तो ख़तरा नहीं

, बस अपनों के शब्दों
पर थोड़ी नज़र रखना।

हमदर्द बहुत कम हैं,
हर चेहरा नहीं अपना,

जो ज़ख़्म दें मुस्काकर,
उनकी भी ख़बर रखना।

रिश्तों की दुकानों में
भाव बदलते रहते हैं,

किसे भरोसा देना है
, दिल में ये सबक रखना।

चुभ जाए अगर दुनिया तो
चुप रह कर भी जीना,

आँखों में नमी हो तो भी
हौसला खंजर रखना।

थक जाएं कदम चाहे,
रुकना नहीं तुम हरगिज़,

मंज़िल का पता दिल में
और सपनों की डगर रखना

(कवियत्री ममता आंबेडकर)

2 weeks ago | [YT] | 6

(कविताओं की उड़ान) मोटिवेशनल कवियत्री ममता सिंह

शांत मन

क्रोध की ज्वाला जब दिल में जलती है,
तो इंसान की सारी बुद्धि पिघलती है।

क्षणभर का गुस्सा सब कुछ मिटा देता है,
सालों की मेहनत को राख बना देता है।

शांत मन ही सच्चा धन कहलाता है,
जो संयम रखे वही ऊँचाई पाता है।

गुस्से में आदमी खुद से हार जाता है,
पर धैर्य वाला ही संसार जीत जाता है।

संयम का दीप जलाना सीखो,
मन को साध कर आगे बढ़ना सीखो।

क्रोध में खो दोगे जो पाया है,
शांत रहकर वही जीवन सजाया है।

3 months ago | [YT] | 2

(कविताओं की उड़ान) मोटिवेशनल कवियत्री ममता सिंह

आखिर कार ग्वालियर मध्यप्रदेश में उच्च न्यायालय में
बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी की मूर्ति लग ही गयी,
चाहे शान्ति से या फिर क्रांति से बाबा साहब जी की मूर्ति लग ही गई

7 months ago | [YT] | 1

(कविताओं की उड़ान) मोटिवेशनल कवियत्री ममता सिंह

"इतिहास रचने वाली दो हस्ती

हमसे मत टकराना, लड़ना मुश्किल होगा,
लिखेंगे ऐसा इतिहास, पढ़ना मुश्किल होगा।

जहाँ गर्जे हमारे सूरमा, दुश्मन कांपे वहाँ,
चीर के अंधेरा, चमके बहुजनों की शमाँ।

सर्जिकल स्ट्राइक की मिसाल बनी व्योमिका,
बापोड़ा की बहू, गर्व से उठी हर आँख।

पति दिनेश वायु-वीर, बेटा अधिकारी बना,
ये चमार कुल का गौरव, हर पथ को रोशन बना।

जब-जब मिला है मौका, चमारों ने ललकारा,
रणभेरी सी बजती है, जब उठता इनका नारा।

जय चमार, विजय चमार, यही इतिहास की पुकार,
भीम के बेटे हैं हम, साहस हमारा हथियार।

ना तोड़े कोई हौसला, ना झुके कोई शीश,
संविधान का दीप जले, हर दिल में हो उजास।

जयभीम, जयभारत, गूंजे हर गली, हर द्वार,
सिर उठाकर कहें हम—"हम हैं भारत का श्रृंगार।"

7 months ago | [YT] | 3

(कविताओं की उड़ान) मोटिवेशनल कवियत्री ममता सिंह

#फुले..... फिल्म देखना इसलिए भी जरूरी है...
1848 में #लडकीयों के लिए #पहला_स्कूल
#सावित्रीबाई_फुले और #फातिमा_शेख ने मिलकर शुरू किया।
और आज ये कारवां #कर्नल_सोफिया_कुरैशी और
#विंग_कमांडर_व्योमिका सिंह तक आ पहुंचा।
आज भारत की इन बहादुर बेटीयों के पिछे उन्हीं दोनों महान ताकतों का बलिदान व आशीर्वाद है।

धन्यवाद है माता सावित्रीबाई फुले जी और फातिमा शेख जी जिन्होंने आज के मजबूत भारत की नींव 1848 में डाली।
आपका संघर्ष और उपकार देश भुला नहीं सकता।

सभी महापुरुषों के साथ साथ भारतीय सेनाओं को दिल से सैल्यूट.....Jai hind 🇮🇳🇮🇳jai Bharat

7 months ago | [YT] | 0

(कविताओं की उड़ान) मोटिवेशनल कवियत्री ममता सिंह

शब्दों की आत्मा

शब्द तो केवल आकार हैं,
मौन में छुपे संस्कार हैं।

जो कह न सके, वह कह जाते,
भावों की ये पतवार हैं।

कभी आँसू बन बह जाते हैं,
कभी दीप से जल जाते हैं।

कुछ सच्चाई लिख जाते हैं,
कुछ दिल में बस रह जाते हैं।

शब्दों की भी आत्मा होती,
जो बस हृदय से जन्मे हैं।

वो नहीं जो केवल बोले,
जो संवेदना से बंधे हैं।

सुनो! जब तुम कुछ कहते हो,
तो आत्मा भी चलती है।

हर शब्द की थरथराहट में,
एक दुनिया पलती है।

आपकी प्रेरक कवियत्री
ममता आंबेडकर मोटिवेशनल कविताएं

7 months ago | [YT] | 0

(कविताओं की उड़ान) मोटिवेशनल कवियत्री ममता सिंह

दिल से निकलती कविता

मन की वीणा हलके बजती,
स्वप्निल सी संगीतमय चलती।

कभी हँसी की फुलवारी लेकर,
कभी अश्रु की धार बहाकर।

चुप चुप, अंतर के कोनों में,
सुनहरी धूप सी उतरती है।

कभी थमे शब्दों में बंधती,
कभी नदिया बनकर बहती है।

प्रेम के मीठे अधरों पर,
पीड़ा के गीले पलकों पर,

सजती है भावों की माला,
जैसे सावन की पहली बदली।

दिल से निकली, दिल तक पहुँची,
न भाव रुके, न स्वर थमे।

जहाँ जहाँ संवेदना बोले,
वहाँ वहाँ कविता बहे।

(कवियत्री ममता सिंह)

7 months ago | [YT] | 2

(कविताओं की उड़ान) मोटिवेशनल कवियत्री ममता सिंह

एक दिन एक बुजुर्ग डाकिये ने एक घर के दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा..."चिट्ठी ले लीजिये।"

आवाज़ सुनते ही तुरंत अंदर से एक लड़की की आवाज गूंजी..." अभी आ रही हूँ...ठहरो।"

लेकिन लगभग पांच मिनट तक जब कोई न आया तब डाकिये ने फिर कहा.."अरे भाई! कोई है क्या, अपनी चिट्ठी ले लो...मुझें औऱ बहुत जगह जाना है..मैं ज्यादा देर इंतज़ार नहीं कर सकता....।"

लड़की की फिर आवाज आई...," डाकिया चाचा , अगर आपको जल्दी है तो दरवाजे के नीचे से चिट्ठी अंदर डाल दीजिए,मैं आ रही हूँ कुछ देर औऱ लगेगा ।

" अब बूढ़े डाकिये ने झल्लाकर कहा,"नहीं,मैं खड़ा हूँ,रजिस्टर्ड चिट्ठी है,किसी का हस्ताक्षर भी चाहिये।"

तकरीबन दस मिनट बाद दरवाजा खुला।
डाकिया इस देरी के लिए ख़ूब झल्लाया हुआ तो था ही,अब उस लड़की पर चिल्लाने ही वाला था लेकिन, दरवाजा खुलते ही वह चौंक गया औऱ उसकी आँखें खुली की खुली रह गई।उसका सारा गुस्सा पल भर में फुर्र हो गया।

उसके सामने एक नन्ही सी अपाहिज कन्या जिसके एक पैर नहीं थे, खड़ी थी।

लडक़ी ने बेहद मासूमियत से डाकिये की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया औऱ कहा...दो मेरी चिट्ठी...।

डाकिया चुपचाप डाक देकर और उसके हस्ताक्षर लेकर वहाँ से चला गया।

वो अपाहिज लड़की अक्सर अपने घर में अकेली ही रहती थी। उसकी माँ इस दुनिया में नहीं थी और पिता कहीं बाहर नौकरी के सिलसिले में आते जाते रहते थे।

उस लड़की की देखभाल के लिए एक कामवाली बाई सुबह शाम उसके साथ घर में रहती थी लेकिन परिस्थितिवश दिन के समय वह अपने घर में बिलकुल अकेली ही रहती थी।
समय निकलता गया।

महीने ,दो महीने में जब कभी उस लड़की के लिए कोई डाक आती, डाकिया एक आवाज देता और जब तक वह लड़की दरवाजे तक न आती तब तक इत्मीनान से डाकिया दरवाजे पर खड़ा रहता।

धीरे धीरे दिनों के बीच मेलजोल औऱ भावनात्मक लगाव बढ़ता गया।
एक दिन उस लड़की ने बहुत ग़ौर से डाकिये को देखा तो उसने पाया कि डाकिये के पैर में जूते नहीं हैं।वह हमेशा नंगे पैर ही डाक देने आता था ।

बरसात का मौसम आया।

फ़िर एक दिन जब डाकिया डाक देकर चला गया, तब उस लड़की ने,जहां गीली मिट्टी में डाकिये के पाँव के निशान बने थे,उन पर काग़ज़ रख कर उन पाँवों का चित्र उतार लिया।
अगले दिन उसने अपने यहाँ काम करने वाली बाई से उस नाप के जूते मंगवाकर घर में रख लिए ।

जब दीपावली आने वाली थी उससे पहले डाकिये ने मुहल्ले के सब लोगों से त्योहार पर बकसीस चाही ।

लेकिन छोटी लड़की के बारे में उसने सोचा कि बच्ची से क्या उपहार मांगना पर गली में आया हूँ तो उससे मिल ही लूँ।

साथ ही साथ डाकिया ये भी सोंचने लगा कि त्योहार के समय छोटी बच्ची से खाली हाथ मिलना ठीक नहीं रहेगा।बहुत सोच विचार कर उसने लड़की के लिए पाँच रुपए के चॉकलेट ले लिए।

उसके बाद उसने लड़की के घर का दरवाजा खटखटाया।
अंदर से आवाज आई...." कौन?
मैं हूं गुड़िया...तुम्हारा डाकिया चाचा ".. उत्तर मिला।

लड़की ने आकर दरवाजा खोला तो बूढ़े डाकिये ने उसे चॉकलेट थमा दी औऱ कहा.." ले बेटी अपने ग़रीब चाचा के तरफ़ से "....

लड़की बहुत खुश हो गई औऱ उसने कुछ देर डाकिये को वहीं इंतजार करने के लिए कहा..

उसके बाद उसने अपने घर के एक कमरे से एक बड़ा सा डब्बा लाया औऱ उसे डाकिये के हाथ में देते हुए कहा , " चाचा..मेरी तरफ से दीपावली पर आपको यह भेंट है।

डब्बा देखकर डाकिया बहुत आश्चर्य में पड़ गया।उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे।

कुछ देर सोचकर उसने कहा," तुम तो मेरे लिए बेटी के समान हो, तुमसे मैं कोई उपहार कैसे ले लूँ बिटिया रानी ?

"लड़की ने उससे आग्रह किया कि " चाचा मेरी इस गिफ्ट के लिए मना मत करना, नहीं तो मैं उदास हो जाऊंगी " ।

"ठीक है , कहते हुए बूढ़े डाकिये ने पैकेट ले लिया औऱ बड़े प्रेम से लड़की के सिर पर अपना हाथ फेरा मानो उसको आशीर्वाद दे रहा हो ।

बालिका ने कहा, " चाचा इस पैकेट को अपने घर ले जाकर खोलना।
घर जाकर जब उस डाकिये ने पैकेट खोला तो वह आश्चर्यचकित रह गया, क्योंकि उसमें एक जोड़ी जूते थे। उसकी आँखें डबडबा गई ।
डाकिये को यक़ीन नहीं हो रहा था कि एक छोटी सी लड़की उसके लिए इतना फ़िक्रमंद हो सकती है।

अगले दिन डाकिया अपने डाकघर पहुंचा और उसने पोस्टमास्टर से फरियाद की कि उसका तबादला फ़ौरन दूसरे इलाक़े में कर दिया जाए।

पोस्टमास्टर ने जब इसका कारण पूछा, तो डाकिये ने वे जूते टेबल पर रखते हुए सारी कहानी सुनाई और भीगी आँखों और रुंधे गले से कहा, " सर..आज के बाद मैं उस गली में नहीं जा सकूँगा। उस छोटी अपाहिज बच्ची ने मेरे नंगे पाँवों को तो जूते दे दिये पर मैं उसे पाँव कैसे दे पाऊँगा ?"

इतना कहकर डाकिया फूटफूट कर रोने लगा ।😢😢

1 year ago | [YT] | 3

(कविताओं की उड़ान) मोटिवेशनल कवियत्री ममता सिंह

बुद्ध धम्म

नव ज्योति फैली अंधेरों में,
जाग उठा जब बुद्ध का नाम,

त्याग दिया वह जड़ता का पथ,
अपनाया धम्म का सत्य महान।

समता, करुणा, मैत्री की धारा,
बही हृदयों में शांति का स्वर,

धम्म की राह पर चले अनगिन,
संग चल पड़ा सारा संसार।

छोड़ दिया वह अन्याय का पथ,
अधिकारों की जगी पुकार,

धम्म की जोत ने जग को दिखाया,
मानवता का असली सार।

धम्म परिवर्तन एक क्रांति थी,
परिवर्तन विचारों का महान,

सत्य-अहिंसा का संदेश दिया,
बुद्ध के धम्म ने किया कल्याण।

हृदय में धम्म का दीप जलाओ,
भेदभाव का मिटे अंधकार,

नवयुग के निर्माण में फिर से,
धम्म बनेगा मार्गदर्शक आधार।

यह धम्म की राह सदियों तक,
अविरल शांति का संदेश दे,

मानवता का हो उत्थान सदा,
और प्रेम का दीप सदा जलता रहे।

राइटर ममता आंबेडकर मोटिवेशनल
कवित्री बहुजन समाज सेविका ✒️📘

1 year ago | [YT] | 3