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#TodaySpecial
3 months ago | [YT] | 0
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"या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥"
MCQ STUDY की तरफ से आप सभी को #शारदीय_नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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#JaiMataDi
3 months ago | [YT] | 0
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शारदीय नवरात्रि तिथियां
3 months ago | [YT] | 0
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14 सितम्बर, 1949 को ही संविधान सभा ने यह निर्णय लिया था कि हिंदी केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। चूँकि भारत में अधिकतर क्षेत्रों में हिंदी भाषा बोली जाती थी, इसलिए हिंदी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया और इसी निर्णय के महत्त्व को प्रतिपादित करने तथा हिंदी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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#TodaySpecial
3 months ago | [YT] | 1
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"जय हिन्द, जय भारत"
@VARUN TRIPATHI @Iamjayakishori
4 months ago | [YT] | 0
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@VARUN TRIPATHI
5 months ago | [YT] | 1
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✅बाल गंगाधर तिलक✅
बाल गंगाधर तिलक (जन्म: 23 जुलाई 1856, रत्नागिरी, महाराष्ट्र; निधन: 1 अगस्त 1920, बंबई), जिन्हें लोकमान्य के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता, राष्ट्रवादी, समाज सुधारक और प्रभावशाली विचारक थे। ब्रिटिश सरकार उन्हें 'भारतीय अशांति का जनक' कहती थी, वहीं महात्मा गांधी ने उन्हें 'आधुनिक भारत का निर्माता' बताया। उनका जीवन और योगदान भारतीय राष्ट्रवाद के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ।
📚प्रारंभिक जीवन और शिक्षा 📚
तिलक का जन्म एक सुसंस्कृत, मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता, गंगाधर रामचंद्र तिलक, एक स्कूल शिक्षक और संस्कृत के विद्वान थे। तिलक ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की और आगे चलकर गणित में स्नातक की डिग्री ली। 1879 में उन्होंने बंबई विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। उनकी शिक्षा ने उन्हें तर्कसंगत और विश्लेषणात्मक सोच विकसित करने में मदद की, जो उनके भावी राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में परिलक्षित हुई।
📀शैक्षिक और सामाजिक सुधारों में योगदान📀
तिलक का मानना था कि समाज में जागृति लाने और लोगों को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा आवश्यक है।
👉 न्यू इंग्लिश स्कूल: 1880 में, उन्होंने अपने सहयोगियों गोपाल गणेश आगरकर और विष्णुशास्त्री चिपलूनकर के साथ मिलकर न्यू इंग्लिश स्कूल की स्थापना की। इसका उद्देश्य युवाओं को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना था।
👉डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी: शिक्षा के क्षेत्र में उनके प्रयासों की परिणति 1884 में डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना में हुई। इस संस्था ने 1885 में पुणे में प्रसिद्ध फर्ग्यूसन कॉलेज की स्थापना की, जिसने कई प्रमुख नेताओं और विचारकों को तैयार किया।
👉सामाजिक सुधार: तिलक ने सामाजिक कुरीतियों का भी विरोध किया। उन्होंने बाल विवाह की आलोचना की और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया। हालांकि, वे सामाजिक सुधारों को राजनीतिक स्वतंत्रता से पहले रखने के विचार के समर्थक नहीं थे, उनका मानना था कि पहले स्वराज प्राप्त करना अधिक महत्वपूर्ण है।
⚔️राष्ट्रीय आंदोलन में भूमिका और प्रमुख सिद्धांत⚔️
👉तिलक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर गरम दल के प्रमुख नेता थे। वे लाल-बाल-पाल (लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल) की तिकड़ी का हिस्सा थे, जो ब्रिटिश सरकार के प्रति नरमपंथी दृष्टिकोण का विरोध करते थे और अधिक आक्रामक राष्ट्रवादी नीतियों के पक्षधर थे।
🚦स्वराज का उद्घोष🚦
तिलक का सबसे प्रसिद्ध नारा "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा!" था। यह नारा लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा स्रोत बना और स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी। उनका मानना था कि विदेशी शासन से मुक्ति ही भारत की प्रगति का एकमात्र मार्ग है।
🌎राष्ट्रवादी पत्रकारिता🌎
तिलक ने पत्रकारिता को राष्ट्रवादी विचारों के प्रचार का एक शक्तिशाली माध्यम बनाया।
👉केसरी (मराठी): यह उनका प्रमुख मराठी समाचार पत्र था, जिसने ब्रिटिश नीतियों की कड़ी आलोचना की और लोगों में राष्ट्रवाद की भावना जगाई।
👉मराठा (अंग्रेजी): यह अंग्रेजी में प्रकाशित होता था और भारतीय दृष्टिकोण को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने का काम करता था।
📀त्योहारों का राजनीतिक उपयोग📀
तिलक ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं का उपयोग राष्ट्रवादी भावना को बढ़ावा देने के लिए किया।
👉गणेश चतुर्थी: उन्होंने गणेश चतुर्थी को एक सार्वजनिक त्योहार के रूप में पुनर्जीवित किया, जिसका उद्देश्य विभिन्न समुदायों और सामाजिक वर्गों के लोगों को एक साथ लाना और राजनीतिक चर्चाओं के लिए एक मंच प्रदान करना था।
👉छत्रपति शिवाजी जयंती: इसी तरह, उन्होंने मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती को भी एक राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाना शुरू किया, जिससे लोगों में गर्व और प्रतिरोध की भावना पैदा हो सके।
📀होमरूल आंदोलन📀
1916 में, उन्होंने एनी बेसेंट के साथ मिलकर अखिल भारतीय होम रूल लीग की स्थापना की। यह आंदोलन आयरिश होम रूल आंदोलन से प्रेरित था और इसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर भारत के लिए स्व-शासन (डोमिनियन स्टेटस) प्राप्त करना था। इस आंदोलन ने देश भर में जनता को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
📚विचार और दर्शन📚
👉सांस्कृतिक राष्ट्रवाद: वे भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं को राष्ट्रवाद का आधार मानते थे। उन्होंने प्राचीन हिंदू ग्रंथों, विशेषकर भगवद गीता, का अध्ययन किया और उनका उपयोग लोगों को उत्पीड़न से लड़ने के लिए प्रेरित करने में किया।
👉सामाजिक समरसता: उन्होंने जातिवाद का पुरजोर विरोध किया। उनका प्रसिद्ध कथन था, "अगर भगवान अस्पृश्यता को बर्दाश्त करता है, तो मैं उसे भगवान नहीं कहूंगा।" यह उनकी सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
👉उग्र राष्ट्रवाद: तिलक ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रत्यक्ष कार्रवाई और जन आंदोलन का समर्थन किया, जिसके कारण उन्हें 'भारतीय अशांति का जनक' कहा गया। वे नरमपंथियों की याचिका और प्रार्थना की नीति के विरोधी थे।
🚦कारावास और 'गीता-रहस्य'🚦
1908 में, तिलक को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया और बर्मा (वर्तमान म्यांमार) के मंडालय जेल में छह साल की कैद हुई। जेल में रहते हुए उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'गीता-रहस्य' लिखी, जो भगवद गीता पर एक विस्तृत भाष्य है। इस पुस्तक में उन्होंने कर्मयोग (निष्काम कर्म) के महत्व पर जोर दिया और इसे राष्ट्रीय संघर्ष से जोड़ा।
📢निधन: बाल गंगाधर तिलक का निधन 1 अगस्त, 1920 को बंबई में हुआ। उनका निधन ऐसे समय हुआ जब महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन शुरू होने वाला था। तिलक की मृत्यु ने पूरे देश को शोक में डुबो दिया और उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक महान दूरदर्शी और योद्धा के रूप में याद किया जाता है।
🚦परीक्षा के लिए मुख्य बिंदु🚦
👉प्रमुख नारे: "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा!"
👉महत्वपूर्ण पुस्तकें: 'गीता-रहस्य'
👉समाचार पत्र: केसरी (मराठी), मराठा (अंग्रेजी)
👉संस्थाएं: न्यू इंग्लिश स्कूल, डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी, फर्ग्यूसन कॉलेज, अखिल भारतीय होम रूल लीग।
👉प्रमुख आंदोलन/पहल: गणेश चतुर्थी और शिवाजी जयंती का सार्वजनिक उत्सव, होम रूल आंदोलन।
👉उपाधियाँ: लोकमान्य, भारतीय अशांति के जनक (वैलेंटाइन शिरोल द्वारा), आधुनिक भारत के निर्माता (गांधी द्वारा)।
👉विचारधारा: गरम दल के नेता, स्वराज के प्रबल समर्थक, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रणेता, सामाजिक समरसता के पक्षधर।
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@VARUN TRIPATHI @Iamjayakishori
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आदिगुरु महादेव
🙏🙏🙏
हर हर महादेव
5 months ago | [YT] | 0
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✅चंद्रशेखर आज़ाद✅
चंद्रशेखर आज़ाद (23 जुलाई 1906 - 27 फरवरी 1931) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे। उनका मूल नाम चंद्रशेखर तिवारी था।
🚦प्रारंभिक जीवन🚦
📀जन्म: 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा गांव में। (वर्तमान में इस गांव का नाम चंद्रशेखर आजाद नगर है।)
🌎माता-पिता: उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी था। उनके पूर्वज उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदरका गांव से थे।
📚शिक्षा: उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भाबरा में प्राप्त की और बाद में आगे की पढ़ाई के लिए बनारस (वाराणसी) चले गए, जहाँ उन्होंने संस्कृत पाठशाला में अध्ययन किया।
⚔️बचपन से ही निडर और साहसी थे। उन्होंने भील बालकों के साथ रहकर बचपन में ही धनुष-बाण चलाना और निशानेबाजी सीख ली थी।
🚦स्वतंत्रता संग्राम में योगदान🚦
📀असहयोग आंदोलन: 1921 में, जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया, तब चंद्रशेखर आजाद केवल 15 वर्ष के थे। वे इस आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए और गिरफ्तार भी हुए। मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने पर उन्होंने अपना नाम "आजाद", पिता का नाम "स्वतंत्रता" और अपना पता "जेल" बताया, जिसके बाद से वे चंद्रशेखर 'आजाद' के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
🚦क्रांतिकारी गतिविधियां🚦
📀1922 में चौरी चौरा की घटना के बाद गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस लेने से आजाद बहुत आहत हुए। उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया और वे क्रांतिकारी गतिविधियों की ओर मुड़ गए।
📀हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA): वे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, शचींद्रनाथ सान्याल और योगेश चंद्र चटर्जी द्वारा 1924 में गठित हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) से जुड़े। इस संगठन का उद्देश्य सशस्त्र क्रांति के माध्यम से ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकना था।
📀काकोरी ट्रेन एक्शन: 9 अगस्त, 1925 को हुई काकोरी ट्रेन एक्शन में वे प्रमुख रूप से शामिल थे। यह घटना ब्रिटिश सरकार की संपत्ति लूटकर क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से की गई थी। इस कांड के बाद वे फरार होने में सफल रहे, जबकि उनके कई साथी पकड़े गए।
📀हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA): राम प्रसाद बिस्मिल और अन्य प्रमुख नेताओं की शहादत के बाद, आजाद ने HRA का पुनर्गठन किया और उसे "हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन" (HSRA) का नाम दिया। वे HSRA के मुख्य रणनीतिकार थे।
📀लाला लाजपत राय की हत्या का बदला: उन्होंने 1928 में लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए ब्रिटिश सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन पी. सॉन्डर्स की हत्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
📀वे भगत सिंह के मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत थे। उनके नेतृत्व में ही भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने अप्रैल 1929 में दिल्ली की केंद्रीय असेंबली में बम फेंका था।
⚔️शहादत⚔️
👉चंद्रशेखर आजाद ने कसम खाई थी कि वे जीते जी कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे।
👉27 फरवरी, 1931 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के अल्फ्रेड पार्क (जिसे अब आजाद पार्क के नाम से जाना जाता है) में वे पुलिस से घिर गए। लंबी मुठभेड़ के बाद, जब उनके पास एक ही गोली बची, तो उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा का पालन करते हुए खुद को गोली मार ली। वे मात्र 24 वर्ष के थे।
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5 months ago | [YT] | 1
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