रहस्यमयी दुनिया

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उलटा जड़ी जो सांप जैसा चलता है

6 months ago | [YT] | 1

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एक चमत्कारी गुफ़ा जहां आज भी रहते हैं महादेव https://youtu.be/9MIhIfVHVOo?si=pOe6i...

6 months ago | [YT] | 4

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गुरु शिष्य परम्परा



गुरु और शिष्य

ChatGPT

गुरु और शिष्य, ये उस्ताद और शागिर्द, एक परंपरा है जिस्म ज्ञान और अनुभव का प्रवाह शिष्य के लिए उपलब्ध कराया जाता है। इस संस्थान का मूल उद्देश होता है शिशु को समझ, जानकरी और विवेक के मार्ग पर उम्र बढ़ाने में मदद करना।

गुरु, एक प्रभावशाली और अनुभव व्यक्ति होता है जो अपने जीवन के अनुभव से प्राप्त ज्ञान को शिष्य के साथ बनाता है। गुरु शिष्य के प्रश्नों का उत्तर देते हैं, उन्हें प्रेरित करते हैं, और उन्हें मार्गदर्शन देते हैं। गुरु शिष्य को धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, या किसी और क्षेत्र में अनुभव प्रदान करते हैं।

शिशु, गुरु का अनुयाई होता है। वह गुरु के पास आते हैं, उनके आदेशों का पालन करते हैं, और उनके दिए हुए ज्ञान को अपना है। शिशु के लिए गुरु उसके प्रश्नकारक जीवन का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें अपने शक्तियो का सक्षम बनाते हैं।

गुरु और शिष्य के बीच विशेष रिश्ता होता है, जिस्म विश्वास, सम्मान और प्रेम का भाव होता है। ये परंपरा भारतीय संस्कृति और दर्शनिक विचार धारा में बहुत महत्व पूर्ण है। ये संस्थान, ज्ञान और अनुभव की परंपरा, एक शिष्य दूसरे शिष्य को गुरु बना सकता है, और इस तरह ज्ञान का अंतरिक और बाहरी प्रवाह समय के साथ चलता रहता है।

क्या परंपरा में गुरु शिष्य को सिर्फ अकादमिक ज्ञान तक ही नहीं, बाल्की जीवन के अनेक पहलुओं तक का अनुभव प्रदान करते हैं। गुरु शिष्य के मानसिक, आत्मिक और व्यक्तित्व विकास में मदद करते हैं।

गुरु और शिष्य परंपरा हमारे समाज और संस्कृति का अटूट हिस्सा है। ये परंपरा हमेशा से ही ज्ञान की प्रगति, सामाजिक उन्नति और आत्मिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती आई है।

2 years ago | [YT] | 10

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सम्मोहन का चमत्कार

सम्मोहन विज्ञान, जो अंग्रेजी में "Hipnotysm के नाम से भी जाना जाता है, एक वैज्ञानिक विद्या है, जिसमें एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति या अपने आपको सम्मोहन की अवस्था में ले जा सकता है। सम्मोहन विज्ञान की मूल भूमिका सिगमंड फ्रायड, जेम्स ब्रैड, और मिल्टन एच. एरिक्सन के द्वारा राखी गई।

सम्मोहन विज्ञान में व्यक्ति की ध्यान और अवस्था को विशेष रूप से प्रभावित किया जाता है, जिससे व्यक्ति की चेतना और इच्छाशक्ति का नियंत्रण किया जा सकता है। सम्मोहन का लक्ष्य व्यक्ति के अंदर छिपी अनुभूतियो, स्मृतियों, और ज्ञान को प्रकट करना होता है, जिसके माध्यम से व्यक्ति की
सम्मोहन विज्ञान के द्वारा व्यक्ति को ट्रान्स या अलग की अवस्था में ले जाया जाता है। इस अवस्था में व्यक्ति की प्रतिभा चेतना और बाहरी प्रभाव कम हो जाते हैं, और व्यक्ति अपने मानसिक और शरीरिक अवसर को अधिक प्रभावित करने की स्थिति में होता है। इस अवस्था में व्यक्ति की सहानुभूति, ध्यान, और अवचेतन मन को सकारी किया जा सकता है।

सम्मोहन विज्ञान का प्रयोग का तरीका से किया जा सकता है। इसका प्रयोग मनोरोग, व्यास निवारण, तनव प्रबंधन, आत्मपोषन, व्यक्तित्व विकास, और व्यक्ति की समस्याओं का समाधान करने के लिए किया जाता है। ये विज्ञान, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में भी उपाय हो सकता है, लेकिन इसका इस्तमाल करने के लिए गंभीर समाज, विद्या और जिम्मेदरी की जरूरत होती है।

सम्मोहन विज्ञान एक प्रश्न और चिंता मुक्त अवस्था भी प्रदान कर सकता है, जिस्मे व्यक्ति के विचार और भावना को सही तारिके से प्रबंध किया जा सकता है। इसमें ध्यान, विज़ुअलाइज़ेशन, और व्यक्ति की प्रतिबिम्बिक शक्ति का इस्तमाल होता है।

सम्मोहन विज्ञान एक शक्तिशाली प्रयोग है, लेकिन इसका इस्तमाल किसी व्यक्ति के सहमति के बिना या एक प्रशिक्षित व्यक्ति के निर्देश के बिना नहीं करना चाहिए। इससे पहले कि कोई व्यक्ति सम्मोहन विज्ञान का प्रयोग करे, वह किसी प्रशिक्षित सम्मोहन विज्ञानिक या चिकित्सा से सलाह लेना चाहिए।

समझने के लिए ये जरूरी है कि सम्मोहन विज्ञान एक विज्ञान है, और इसका उचित तारिके से समझा जाना चाहिए ताकि उसका सही प्रयोग किया जा सके। सम्मोहन शक्ति जागरण दिक्षा के माध्यम से सम्मोहन शक्ति को जागृत किया जा सकता है सम्मोहन शक्ति जागरण दिक्षा प्राप्त करने के लिए तुरंत काल करे 9753640635 पर

2 years ago | [YT] | 6

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आओ समझें ...तंत्र का असली रहस्य-

हत्था जोड़ी

"वनस्पतिक और जैविक"

तंत्र का अचूक साधन है... (हत्था-जोडी के प्रयोग।)
हत्था-जोडी दो प्रकार की पायी जाती है :-

1-पौधे की जड़ के रूप में... इसे वनस्पतिक... "हत्था-जोडी" कहते हैं।
2-दूसरी एक शर्प-योनि के जीव (जो छिपकली के जैसा 2से8 फिट तक लम्बा होता है) उसके लिंग के रूप में.... इसे जैविक "हत्था-जोडी" कहते हैं।

1- वनस्पतिक "हत्था-जोड़ी"👇👇

ये "हत्था जोड़ी" ... वनस्पति-तंत्र-विज्ञान प्रयोगों की एक अतिदुर्लभ एवं चमत्कारिक औषधी है । ये "बिरवा" नामक पौधे की जड़ है । लेकिन ये वनस्पति यदा-कदा ही प्राप्त होती है इसलिऐ इसे दुर्लभ माना जाता है।।
अमरकंटक क्षेत्र के आसपास जंगलों में आपको "बिरवा" का पौधा देखने को मिल सकता है । जब यह पौधा आपको दिखे तो गलती से भी उसको शरीर का स्पर्श नही होना चाहिये क्यो किे उसके पत्ते विषाक्त होते है । जिसके स्पर्श से काफी समय तक इंसान को खुजली और जलन की तकलीफ हो सकती है । किसी औजार से पौधे के आसपास खुदाई करे और ज्यादा से ज्यादा डेड-दो फ़ीट खोदने पर आपको बिरवा के जड़ में एक ऐसा जड़ मिलेगा जिसके दोनों हाथ जुड़े होते हैं और उसको जब जमीन से बाहर निकाला जाए तो वह कुछ दिनों तक सूखने के बाद थोड़े बहोत एक दूसरे से अलग होने लगते है । मतलब जुड़े हुए हाथ एक दूसरे से अलग हो जाते है और यह प्रकृर्ती का संकेत मात्र है ।
प्रकृर्ती हमको अपनी सांकेतिक भाषा में बहोत कुछ सिखाती है । परंतु हम आसानी से उस मूक भाषा को समझ नही पाते है :- जैसे अघोर तंत्र में हत्था जोड़ी का ज्यादा इस्तेमाल भगवान प्रेतेेश्वर को प्रणाम करने हेतु किया जाता है । अधिकतर इसके पीछे का रहस्य नही जानते है । इसका रहस्य अति गुढ है । स्वयं महाकाली जी और प्रेतेश्वर शिव का वास स्मशान में माना जाता है और भगवान प्रेतेश्वर को जब माँ स्वयं अपने बच्चे (साधक) के लिए प्रणाम करें तब प्रेतेश्वर भगवान को साधक की इच्छा को पूर्ण करना ही पडेगा । जब माँ ने दैत्यों का नाश किया तो स्वयं अम्बा जी ने महाकाली जी को चामुंडा नाम दिया था । जो उग्र स्वरूप होकर भी ममता स्वरूपिणी है । हत्था जोड़ी में माँ चामुंडा का निवास होता है और अघोर साधक हत्था जोड़ी को अपने नाम से प्राण-प्रतिष्ठा करते है साथ मे माँ से कामना करते है । *हे माँ महाकाली मुझे पूर्ण सिद्धि हेतु भगवान अघोरेश्वर (प्रेतेश्वर) से आशीर्वाद चाहिए । अतः इस हत्था जोड़ी के माध्यम से मैं अपने दोनों हाथ जोडकर प्रणाम करता हूँ जिसे प्रेतेश्वर स्वीकार करें और कृपा प्रदान करते हुए मेरा कार्य सिद्ध करे। इस प्रार्थना को स्वीकार करते हुए माँ चामुंडा स्वयं प्रेतेश्वर भगवान से आपके लिए सफलता की कामना करती है ।
हत्था जोड़ी एक असाधारण तंत्र-जडी़ है इसलिए असली मिल जाये तो उसको सौभाग्य मानकर सुरक्षित और चेतन्य स्थिति में रखना चाहिए ।
वैसे आज के समय में हत्था जोड़ी मार्केट में कृतिम (डुप्लीकेट) भी सस्ते दामों पर मिल रहीं हैं । परंतु जीवन मे एक बार अगर असली मिल जाये तो यह सौभाग्य ही माना जायेगा ।
कहावत है इस जड़ी के माध्यम से किया जाने वाला वशीकरण क्रिया अचूक होता है और कई वर्षों तक असर करता रहता है और स्थाई होता है। परंतु आमतौर पर अन्य वशीकरण क्रियाओ का असर धीमा होता जाता है और फिर समाप्त हो जाता है ।
हत्था जोड़ी के माध्यम से किया जाने वाला वशीकरण प्रयोग अति गोपनीय होता है । तथा सिर्फ कल्याण हेतु किया जाना चाहिए अन्यथा इसका प्रभाव देखने नही मिलता है ।
लोगो को किसी भी स्त्री या पुरूष को परेशान करने हेतु निम्नकोटि का प्रयोग नही करना चाहिए अन्यथा बाद में स्वयं भी दुस्परिणाम भोगने पडेंगे।
हत्था जोड़ी धन प्राप्ति, व्यवसाय वृद्धि, कोर्ट-ेकचहरी, विद्या प्राप्ति, इतर योनि सिद्धि, नवार्ण मंत्र सिद्धि, महाकाली साधना, नोकरी प्राप्ति, शीघ्र विवाह हेतु, मनोवांछित वरवधु प्राप्त करने हेतु और ऐसे कई कार्य है जिनमे सफलता प्राप्त करने हेतु आवश्यक सामग्री मानी जाती है ।
हत्था जोड़ी की प्राण-प्रतिष्ठा साधक के नाम से ही करनी चाहिए । ताकि उसको पूर्ण लाभ मिले और साधक के प्रत्येक विशेष मनोकामना पूर्ति हेतु उस साधक को ही सीधा पूर्ण फल प्राप्त हो।।
इस जडी़ से मर्यादा में रहकर साधक जो भी कार्य करता है उसे उसका शुभ फल प्राप्त होता ही है। और अमर्यादित कार्य करने वाले ज्यादा दिनों तक जीवन का आनंद नही उठा सकते है। क्योंकि ये साक्षात् माँ महाकाली और कामाख्या देवी का स्वरुप मानी जाती है । देखने में ये भले ही किसी पक्षी के पंजे या मनुष्य के हाथो के समान दिखे लेकिन असल में ये एक पौधे की शक्तिशाली जड़ है ।
तांत्रिको के अनुसार दीपावली भौमा अमावस्या की रात को सिद्ध की गई हत्था जोड़ी जीवन भर संकटों, बाधाओं, ऊपरी हवा, किसी किये कराये या बुरे तांत्रिक प्रभाव से साधक की रक्षा करती है ।
हत्था जोड़ी का प्रयोग व्यापार वृद्धी, दांपत्य सुख, आकर्षण वृद्धी, आदि के लिऐ भी आत्यधिक लाभकारी होता है।।
इसे रजस्वला स्त्रियों या सूतक काल में छूना मना होता है । ऐसी अवस्था में छूने से इसकी शक्ति ख़त्म हो जाती है ।
इसे सिंदूर मे चाँदी की डिब्बी मे लौंग , इलायची, गुग्गूल, चाँदी आदि वस्तुओं के साथ आभिमंत्रित करके रखना चाहिये ।
तंत्रादि के अनुसार यह जड़ बहुत चमत्कारी होती है । इस जड़ के असर से कोर्ट-कचहरी, शत्रु संघर्ष, परिवारिक कलह, दुख-दरिद्रता से जुड़ी परेशानियों का भी शमन किया जा सकता है । कुल मिलाकर साधन इस जडी़ का प्रयोग सम्मोहन-उच्चाटन आदि षठकर्मों में सफलतम किया करते हैं।।
इस जड़ को वशीकरण प्रयोग में भी उपयोग किया जाता है । और भूत-प्रेत आदि बाधाओं से भी मुक्ती मिल सकती है ।
हत्था जोड़ी जो एक विषेश मंत्र सिद्धी द्वारा उपयोग में लायी जाती है और इसके प्रभाव से शत्रु दमन तथा मुकदमो में विजय की संभावना बढ़ जाती है ।
आपको अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उपाय करना चाहिए । इसके लिए किसी भी मंगलवार के दिन हत्था जोड़ी घर लाएं । इसे रक्तिम वस्त्र में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान में अथवा तिजोरी में रख दें । इससे आय में वृद्घि होगी एवं धन का व्यय कम होगा ।
तिजोरी में सिन्दूर युक्त हत्था जोड़ी रखने से आर्थिक लाभ में वृद्धि होने लगती है ।

वनस्पतिक "हत्था जोड़ी" मूलतः विरवा की जड में ही़ निर्मित होती है तथा विभिन्न तंत्रादि साधन भेद से विभिन्न बाधाऔं को दूर कर सकती। इसलिऐ वैष्णव और शैव दोंनौ ही साधक इसे सिद्ध करके मनोकामना पूर्ती के लिऐ उपयोग करते पाऐ जाते हैं परंतु ये अति दुर्लभ है।।
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2-जैविक "हत्था-जोडी"
छिपकली की प्रजाति के ही एक बडे और विषैले नर-जीव , जिसे आम उत्तरी भारतीय भाषा में... गोह (चीपट) नाम से जाना जाता है उसके "लिंग के रूप में" जैविक हत्था-जोडी उपलब्ध होती है। परंतु इसको प्राप्त करने से - सिद्ध करने तक एक विषेश अघोर तंत्र का ही प्रयोग होता है.... जैसे:-
इसको प्राप्त करने के लिऐ ... उस जीव की हत्या किऐ बिना विषेश "शल्य-क्रिया" द्वारा उसका लिंग निकालना होता है ताकि जीव-हत्या भी ना हो... और ये जैविक अंग भी मिल जाऐ। ये सारी प्रक्रिया एक उचित समय में उचित व्यक्ती द्वारा ही संमभ है।।
स्थूल सिद्ध करने की विधी का ज्ञान.....
इस जैविक "हत्थाजोड़ी" को वाममार्गी (पंच "म"कार) पूजन विधी ... या ये भी समझ सकते है... सिर्फ भैरवी-तंत्र विधी द्वारा ही चेतन्य किया जा सकता है वैष्णव साधकों को इससे दूर रहना ही उचित होगा।।........ ये "हत्थाजोड़ी" भी वाममार्गी साधना विधी से सिद्ध हो जाने के बाद.... वनस्पतिक "हत्थाजोड़ी" की भाँति सभी मनोकामना पूर्ति के लिऐ तंत्रादि प्रयोगों में उपयोग की जा सकती है।।
सावधान...
ये दोंनौ ही प्रकार की "हत्थाजोड़ी" विषेले श्रोतों से प्राप्त होती है तथा एक जटिल प्रक्रिया से सिद्ध होती हैं अतः सही और योग्य गुरू के मार्गदर्शन के अभाव में.... कदापि उपयोग ना करें वरना ये कहावत चरितार्थ हो सकती है:-
देखी-देखा साधौ जोग।छीजै काया बाढौ रोग।।
हत्था जोड़ी के पहचान के लिए हमारा विडियो देखिए

3 years ago | [YT] | 36