Vandana Kumari

बच्चें होना भी आसान नहीं 💖✍️
बच्चें होना भी आसान कहा है
जब पैदा होते है तो ये दुनिया अनजाना होता है
सारे लोग बेगाना होता हैं
एक अबूझ पहेली सी ये दुनिया लगता है
जो व्यक्त करने कि क्षमता एक अबोध बिन-बोले बच्चों में नहीं होता है
एक मां ही अपनी लगतीं हैं क्योंकि वो जन्म देती है
उसके आंचल में छुप कर दूध पीते है वो लालन-पालन करतीं हैं
धीरे-धीरे बड़े होते जाते हैं कुछ-कुछ समझ में आने लगता हैं
अपनों के बीच हंसता-खेलता और सुरक्षित महसूस करता है
अगल-बगल जान पहचान बढ़ने लगता है
उनके बीच पलने-बढ़ने लगता है और कुछ-कुछ जानने समझने के कोशिशें शुरू हो जाता है
मस्त होकर जिंदगी गुजरता है न किसी चीजों के फ्रिक
न ही किसी चीजों को पाने कि लालसा और संघर्ष होता हैं
बस हंसते-खेलते मुस्कुराते जिंदगी बीतता है
लेकिन कुछ साल ही अब कुछ बड़े हुए तो एक नई
जिंदगी के संघर्षों में उलझनें को तैयार होना पड़ता है
बच्चों का जिंदगी भी कम संघर्षों में नहीं बीतता है
पहले स्कूल दस साल था एक क्लास से दस क्लास तक
लेकिन अब तो और बढ़ गया नर्सरी से शुरू फिर न जाने
कौन-कौन से क्लास एक छोटे-से बच्चों को शुरू करना पड़ता है
स्कूल का नियम भी कम कठिन नहीं होता है
एक बच्चों को अलसुबह उठा कर उसे स्कूल भेज
देते हैं वो भी समय सारिणी के नियमों के अनुसार
इतने बजे से इतने बजे तक और इतने सारे बुक के टाइम- टेबल के सारणी में पढ़ना-लिखना पड़ता है
रोज नया अध्याय (चेप्टर) नई बातें सीखने-समझने पड़ता हैं
एक ही पोजीशन में सात से आठ घंटे एक ही जगह पर
जो एक हाथ के बराबर रहता है उस पर बैठ कर
रोज पढ़ना नया-नया अध्याय पढ़ना-लिखना और सीखना आसान कहा होता है
हम बड़े रोज-रोज अपने सीखें हुए काम करते हैं
तो हमारा मन ऊब जाता है और थक भी जाता है
ऐसा लगता है अगले दिन सुबह थोड़ा लेट से उठ कर जिम्मेदारियां संभालें
लेकिन ये बच्चे हर रोज एक ही समय पर स्कूल जाते हैं
फिर घर आते हैं इतना ही नहीं फिर लगभग सारे बच्चे ट्यूशन भी पढ़ते हैं
फिर स्कूल के होमवर्क फिर ट्यूशन के होमवर्क पूरे करना रहता है
इसके बाद भी हम माता-पिता बच्चों को डांटते रहते हैं
कहते रहते हैं पढ़ाई-लिखाई पर घ्यान दो तब ही इस
आधुनिक विकसित दुनिया में खड़े हो पाओगे
कुछ कर पाओगे नहीं तो इस प्रतिस्पर्धा भरी दुनिया में
पीछे रह जाओगे क्योंकि अब इस दुनिया में संघर्षरत रहना बहुत जरूरी है
बच्चों का भी जिंदगी आसान नहीं होता है उनके भी
जिंदगी में जिम्मेदारियां बहुत है
शिक्षा प्राप्त करना स्कूल से कालेज तक इसके बाद
कंपीटिशन भी फिर किसी विभाग को चुनना फिर उसमें पढ़ाई-पुर्ण चुनौतियों के साथ पढ़ कर निकलना
फिर नौकरी और जिंदगी के बीच तालमेल बिठा कर जीना
पड़ता है
इसके बाद जिंदगी के तराने में ही उलझते चले जाते है
क्यों कि अब बच्चे से बड़ें हो गए वहीं जिम्मेदारियां निभाने
को तैयार जो माता-पिता ने निभाएं है
वही घर-परिवार के जिम्मेदारियां और जिंदगी चलने लगता है
इस लिए बच्चे होना भी कहा आसान होता है
सबको अपने-अपने जिम्मेदारियों में उलझना पड़ता है!
💖✍️ वन्दना ✍️ 💖
बाल दिवस की ढेरों शुभकामनाएं प्यारे-प्यारे बच्चों ❤️🙌😇

2 weeks ago | [YT] | 11